पैगंबर ​टिप्पणी: पर्सनल लॉ बोर्ड और ज़मीयत ने प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाई की निंदा की

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से कहा गया है कि पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी को लेकर जो लोग शांतिपूर्वक विरोध जता रहे थे, उनके ख़िलाफ़ मामले दर्ज किए जा रहे हैं, लाठीचार्ज किया जा रहा है और उनके घर तोड़े जा रहे हैं. जब तक कि किसी व्यक्ति को अदालत में दोषी नहीं पाया जाता, वह केवल आरोपी होता है. वहीं जमीयत ने कहा है कि पुलिस ने प्रदर्शन में शामिल के किशोरों से दुश्मनों जैसा व्यवहार किया. यह बहुत ही दुखद है.

10 जून 2022 को इलाहाबाद में प्रदर्शनकारियों के साथ रैपिड एक्शन फोर्स की झड़प.

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से कहा गया है कि पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी को लेकर जो लोग शांतिपूर्वक विरोध जता रहे थे, उनके ख़िलाफ़ मामले दर्ज किए जा रहे हैं, लाठीचार्ज किया जा रहा है और उनके घर तोड़े जा रहे हैं. जब तक कि किसी व्यक्ति को अदालत में दोषी नहीं पाया जाता, वह केवल आरोपी होता है. वहीं जमीयत ने कहा है कि पुलिस ने प्रदर्शन में शामिल के किशोरों से दुश्मनों जैसा व्यवहार किया. यह बहुत ही दुखद है.

झारखंड के रांची में हिंसा के बाद तैनात रैपिड एक्शन फोर्स और पुलिस के जवान. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: पैगंबर मोहम्मद के बारे में की गई टिप्पणी के लिए भाजपा से निलंबित नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ देश भर में पुलिस द्वारा उठाए गए कदमों की ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने सोमवार को आलोचना की.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, एक बयान में एआईएमपीएलबी के महासचिव हजरत मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ ‘सरकार द्वारा अराजकता के प्रदर्शन’ और ‘राज्य द्वारा हिंसा’ करने की बात कही है.

उन्होंने कहा, ‘जो लोग इस अशोभनीय कृत्य और नफरती भाषा के खिलाफ शांतिपूर्वक विरोध जता रहे हैं, उनके खिलाफ मामले दर्ज किए जा रहे थे, लाठी चार्ज किया जा रहा है और उनके घर तोड़े जा रहे हैं. जब तक कि किसी व्यक्ति को अदालत में दोषी नहीं पाया जाता है, वह केवल आरोपी होता है और उनके साथ एक अपराधी जैसा व्यवहार करना अराजकता के अलावा और कुछ नहीं है.’

रहमानी ने आगे कहा कि हालांकि शर्मा को उनकी पार्टी से निलंबित कर दिया गया है, लेकिन कानून लागू करने वाली एजेंसियों द्वारा उनके खिलाफ कोई अर्थपूर्ण कार्रवाई नहीं की गई है.

बयान में आगे कहा गया है, ‘यह पूर्णत: न्याय की निष्फलता है.’

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने उन सभी लोगों की तत्काल रिहाई की भी मांग की है, जिन्हें इस मुद्दे पर विरोध करने के लिए गिरफ्तार किया गया है. इसने कहा कि पुलिस की जांच होनी चाहिए और आरोपी पर अदालत में मुकदमा चलाया जाना चाहिए.

इस बीच, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को रांची का दौरा किया, जहां शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन में दो लोगों की मौत हो गई थी और एक दर्जन से अधिक घायल हो गए थे.

जमीयत की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘रांची में पुलिस बल ने पैगंबर के खिलाफ की गई टिप्पणी के विरोध में जुलूस निकालने वालों के साथ बर्बरता का सबसे खराब उदाहरण पेश किया. पुलिस की अंधाधुंध गोलीबारी में दो लोगों की मौत हो गई और दर्जन भर से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए.’

प्रतिनिधिमंडल ने कथित पुलिस फायरिंग में मारे गए मोहम्मद मुदस्सिर और मोहम्मद साहिल के परिवार के सदस्यों से भी मुलाकात की.

जमीयत प्रतिनिधिमंडल ने रांची उपायुक्त छवि रंजन से मुलाकात की और मृतकों के परिवारों को न्याय और पर्याप्त मुआवजे की मांग की.

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने कहा, ‘पुलिस बल ने शहर के किशोरों से विदेशी दुश्मनों जैसा व्यवहार किया. यह बहुत ही दुखद है और निंदा का पात्र है. प्रदर्शनकारियों को रोकने के और भी तरीके हैं. अन्य संभावित विकल्पों की उपस्थिति में, पीठ और छाती में गोली मारना सिर्फ बर्बरता है. मृतकों के परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए और और घर के किसी भी योग्य सदस्य को नौकरी प्रदान की जानी चाहिए.’

उन्होंने आगे कहा, ‘रांची पुलिस ने एक गलत मिसाल कायम की है, जो देश में कहीं नहीं हुई है. पुलिस का यह रवैया बेहद बर्बर है और दिखाता है कि वे अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को दुश्मन मानते हैं.’

जमीयत प्रतिनिधिमंडल ने झारखंड के डीआईजी अनीस गुप्ता और एडीजीपी संजय लातकर से भी मुलाकात की.

मालूम हो कि निलंबित भाजपा नेताओं नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल द्वारा पैगंबर के खिलाफ टिप्पणी को लेकर उनकी गिरफ्तारी की मांग पर बीते 10 जून को देश भर के कई शहरों और कस्बों में विरोध प्रदर्शन हुए थे.

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद और पश्चिम बंगाल के हावड़ा में भी विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया था. श्रीनगर में बंद के अलावा दिल्ली और मध्य प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, बिहार और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहे.

उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में हुई हिंसा के सिलसिले में अब तक कुल 13 एफआईआर दर्ज करते हुए 300 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है.