भारत स्थित चीनी दूतावास ने दो साल से अधिक समय के बाद कोविड-19 वीज़ा नीति में बदलाव किया है, जिसके तहत सभी क्षेत्रों में दोबारा काम शुरू करने के लिए चीन लौटने के इच्छुक विदेशी नागरिकों और उनके परिजनों से वीज़ा आवेदन लिए जाएंगे. पर्यटन और निजी उद्देश्यों के लिए यह सेवा अब भी निलंबित रहेगी.
बीजिंग: चीन ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर लगाए गए सख्त वीजा प्रतिबंधों के चलते दो साल से अधिक समय से भारत में फंसे भारतीय पेशेवरों और उनके परिजनों को वीजा जारी करने की योजना का ऐलान किया है.
इसके अलावा, चीन सरकार चीनी विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे उन हजारों भारतीय छात्रों के आवेदनों का भी निपटारा कर रही है, जिन्होंने पढ़ाई के लिए अपने कॉलेज और विश्वविद्यालयों में लौटने की इच्छा जताई है.
सोमवार को भारत स्थित चीनी दूतावास ने दो साल से अधिक समय के बाद अपनी कोविड-19 वीजा नीति में सुधार किया, जिसके तहत सभी क्षेत्रों में काम दोबारा शुरू करने के लिए चीन लौटने के इच्छुक विदेशी नागरिकों और उनके परिजनों से वीजा आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे.
दूतावास ने निर्दिष्ट किया है कि ‘परिजनों’ से आशय पति/पत्नी, माता-पिता. पति/पत्नी के माता-पिता, बच्चे, बच्चों के पति-पत्नी, भाई-बहन, दादा-दादी और उन पेशेवरों के पोते-पोती हैं जो चीन में काम कर रहे हैं.
यह कदम उन हजारों भारतीय पेशेवरों और उनके परिजनों के लिए बड़ी राहत है, जो 2020 से ही स्वदेश में हैं.
पिछले महीने चीन में रह रहे कई भारतीय पेशेवरों ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से बीजिंग पर यात्रा प्रतिबंधों के कारण भारत में फंसे अपने परिजनों को वापस आने की अनुमति देने का दबाव बनाने का अनुरोध किया था.
नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास ने कहा कि भारतीयों के अलावा उन चीनी और विदेशी नागरिकों के परिजन भी अपने परिजनों या रिश्तेदारों से मिलने की खातिर वीजा के लिए आवेदन दे सकते हैं, जिनके पास चीन का स्थायी निवास परमिट है.
भारतीयों (जिनमें से कुछ की शादी चीनी नागरिकों से हुई है) के अलावा विभिन्न कंपनियों के लिए काम करने वाले कई चीनी कर्मचारी भी बीजिंग के वीजा प्रतिबंधों और उड़ानें रद्द होने के कारण भारत में फंसे हुए थे.
हालांकि, चीनी दूतावास ने स्पष्ट किया है कि पर्यटन और निजी उद्देश्यों के लिए वीजा सेवा अभी भी निलंबित रहेगी.
अप्रैल में भारत से लंबे समय से चल रही बातचीत के बाद चीन ‘कुछ’ भारतीय छात्रों को वापसी की अनुमति देने के लिए सहमत हो गया था. उसने नई दिल्ली स्थित भारतीय दूतावास से लौटने के इच्छुक भारतीय छात्रों का विवरण जुटाने के लिए कहा था.
विभिन्न रिपोर्ट्स के अनुसार, दिसंबर 2019 में चीन में कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत के बाद भारत लौटने वाले 23,000 से अधिक भारतीय छात्र स्वदेश में रह गए थे. इनमें ज्यादातर चीनी कॉलेजों से मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्र शामिल हैं. वे संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए बीजिंग द्वारा लगाए गए वीजा प्रतिबंधों के कारण चीन नहीं लौट सके थे.
बारह हजार से अधिक भारतीय छात्रों ने कथित तौर पर चीन वापस जाने की इच्छा जताई है और उनका विवरण चीन सरकार को उपलब्ध करा दिया गया है.
हालांकि, चीन द्वारा छात्रों की वापसी से संबंधित मानदंडों को तय किया जाना बाकी है, क्योंकि बीजिंग देश में कोविड-19 के मामलों में हालिया वृद्धि को देखते हुए बड़ी संख्या में लोगों को एक बार में लौटने की इजाजत देने को तैयार नहीं है.
भारतीयों के लिए वीजा सेवा बहाल करने वाले चीन ने अभी तक दोनों देशों के बीच उड़ानें शुरू करने की घोषणा भी नहीं की है.
मौजूदा समय में सिर्फ दोनों देशों के राजनयिक ही तीसरे मुल्क को जाने वाली उड़ानों के जरिये बीजिंग की यात्रा कर सकते हैं. मगर, यह यात्रा काफी महंगी पड़ती है.
हालांकि, वीजा के संबंध में चीन की ताजा घोषणा ने उम्मीद जगाई है कि दोनों देशों के बीच जल्द ही उड़ान सेवाएं भी बहाल हो सकती हैं.
हाल के महीनों में चीन ने पाकिस्तान, थाईलैंड, सोलोमन द्वीप और श्रीलंका जैसे कुछ मित्र देशों के छात्रों को लौटने की अनुमति दी है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)