प्रतिबंध के बावजूद ‘पबजी गेम’ भारत में अब भी कैसे उपलब्ध है: बाल संरक्षण आयोग

हाल ही में उत्तर प्रदेश की लखनऊ पुलिस ने बताया था कि ऑनलाइन गेम खेलने से रोकने से गुस्साए 16 वर्षीय लड़के ने कथित तौर पर अपनी मां की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस घटना के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से यह स्पष्टीकरण मांगा है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

हाल ही में उत्तर प्रदेश की लखनऊ पुलिस ने बताया था कि ऑनलाइन गेम खेलने से रोकने से गुस्साए 16 वर्षीय लड़के ने कथित तौर पर अपनी मां की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस घटना के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से यह स्पष्टीकरण मांगा है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने मंगलवार को सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से स्पष्टीकरण मांगा कि भारत में प्रतिबंधित होने के बावजूद ‘पबजी गेम’ नाबालिगों द्वारा इस्तेमाल किए जाने के लिए कैसे उपलब्ध है?

मालूम हो कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ऑनलाइन गेम खेलने से रोकने पर 16 वर्षीय एक लड़के ने पांच जून को अपनी मां को गोली मार दी थी और उसके शव को दो दिन तक कमरे में बंद रखा और उसके बाद सात जून को पश्चिम बंगाल में तैनात सेना के जवान पिता को घटना की जानकारी दी.

घटना के वक्त लड़के की नौ वर्षीय बहन भी घर पर थी. लड़के ने कथित तौर पर उसे जान से मारने की धमकी दी थी.

इस घटना के बाद आयोग ने यह स्पष्टीकरण मांगा है.

वर्ष 2020 में सरकार ने लोकप्रिय ऐप पबजी और अन्य को राष्ट्र की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए प्रतिबंधित कर दिया था.

एनसीपीसीआर ने मंत्रालय के सचिव को पत्र लिखकर कहा, ‘इस घटना के मद्देनजर यह आयोग की समझ से परे है कि कैसे एक प्रतिबंधित खेल, जिसे सरकार द्वारा ब्लॉक कर दिया गया है, अभी भी नाबालिगों के उपयोग के लिए उपलब्ध है. इसलिए, आयोग आपके कार्यालय से ऐसे प्रतिबंधित ऐप की इंटरनेट पर उपलब्धता के कारणों को सूचित करने का अनुरोध करता है.’

स्क्रॉल डॉट इन के मुताबिक, आयोग के प्रमुख प्रियांक कानूनगो ने अपने पत्र में कहा, ‘यह भी अनुरोध किया जाता है कि आयोग को ऐसी घटनाओं में की गई कार्रवाई के बारे में सूचित किया जाए और इस पत्र की प्राप्ति के 10 दिनों के भीतर ऐसे खेलों की सूची – उनके नियामक निकायों और विनियमन तंत्र के साथ प्रदान की जाए, जो नाबालिगों द्वारा उपयोग किए जा रहे हैं.’

इंडिया टुडे के मुताबिक, भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष को लिखे एक अन्य पत्र में आयोग ने कहा कि यह देखा गया है कि पबजी को ई-स्पोर्ट्स का एक हिस्सा माना गया है और इसे ओलंपिक काउंसिल ऑफ एशिया (ओसीए) से मान्यता मिली है.

पत्र में कहा, ‘उक्त संबंध में यह अनुरोध किया जाता है कि आयोग को वर्तमान स्थिति के बारे में सूचित किया जाए कि क्या आपके संगठन द्वारा पबजी या किसी अन्य समान ई-गेम को मान्यता दी गई है.’

पत्र में कहा, ‘यह अनुरोध किया जाता है कि इस पत्र की प्राप्ति के 10 दिनों के भीतर आयोग को ऐसे खेलों के बारे में सूचित किया जाए, जो नाबालिगों द्वारा उनकी पहचान की स्थिति के साथ उपयोग किया जा रहा है.’

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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