केंद्र शासित प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची का पुनरीक्षण/संशोधन करने की जरूरत है. मतदाता सूची को अद्यतन करने के लिए अधिकारियों की नियुक्ति के लिए भी निर्देश दिए गए हैं. मसौदा मतदाता सूची 31 अगस्त तक तैयार कर ली जाएगी. बूथ स्तर के अधिकारियों की नियुक्ति और उपयुक्त प्रशिक्षण पांच जुलाई तक दिया जाएगा. मतदान केंद्रों का सत्यापन 25 जुलाई तक किया जाएगा.
नई दिल्ली: निर्वाचन आयोग ने जम्मू कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया के बाद मतदाता सूची का पुनरीक्षण/संशोधन (Revision) शुरू कर दिया है और मसौदा मतदाता सूची 31 अगस्त तक तैयार कर ली जाएगी. सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी.
मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे ने पुनरीक्षण शुरू किया और जम्मू कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) को विधानसभा क्षेत्रों की नई सीमाओं का नक्शा तैयार करने का निर्देश दिया.
केंद्र शासित प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची का पुनरीक्षण करने की जरूरत है. मतदाता सूची को अद्यतन करने के लिए अधिकारियों की नियुक्ति के लिए भी निर्देश दिए गए हैं.
क्रम संख्या को नए सिरे निर्धारित करना, परिसीमन के बाद मतदान केंद्रों का निर्धारण एवं पुनर्नामकरण 30 जून से पहले किया जाएगा. साथ ही जिन गांवों में नए मतदान केंद्र बनाने की जरूरत है, वहां मतदान केंद्रों के लिए जगह का चयन किया जाएगा.
परिसीमन के बाद पहले के कुछ मतदान केंद्र एक से अधिक नए विधानसभा क्षेत्रों के तहत आ सकते हैं या वे पूरी तरह से अन्य क्षेत्र में स्थानांतरित किए जा सकते हैं.
बूथ स्तर के अधिकारियों की नियुक्ति और उपयुक्त प्रशिक्षण पांच जुलाई तक दिया जाएगा. मतदान केंद्रों का सत्यापन 25 जुलाई तक किया जाएगा.
सूत्रों ने बताया कि मसौदा मतदाता सूची 31 अगस्त तक तैयार कर लिया जाएगा.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, अधिकारियों ने कहा कि चूंकि परिसीमन प्रक्रिया के दौरान बहुत सारे बदलाव किए गए हैं, इसलिए मतदाता सूची, नए मतदान केंद्रों और विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं का पुनरीक्षण करने की आवश्यकता है.
अधिकारियों ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में पहला विधानसभा चुनाव कराने से पहले प्रक्रिया अनिवार्य है.
सूत्रों ने बताया कि चुनाव इस साल के अंत या अगले साल तक हो सकते हैं.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुख्य प्रवक्ता तनवीर सादिक ने कहा, ‘हम लगातार कहते रहे हैं कि राज्यपाल शासन या कुछ नौकरशाह विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों की जगह नहीं ले सकते. राज्य में मौजूदा हालात से सभी वाकिफ हैं. राज्य विधानसभा के चुनाव कराने में अत्यधिक देरी ने दुर्भाग्य से प्रशासन के कामकाज पर असर डाला है. लोगों को अपनी शिकायतों के निवारण के लिए एक चुनी हुई सरकार चाहिए.’
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने कहा, ‘केंद्रशासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराने से पहले यह प्रक्रिया अनिवार्य है. केंद्र ने पहले ही कहा था कि परिसीमन अभ्यास के बाद केंद्रशासित प्रदेश में चुनाव होंगे और यह उसी दिशा में बढ़ाया गया कदम है.’
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता अदनान अशरफ ने कहा, ‘परिसीमन प्रक्रिया के बाद जम्मू कश्मीर में चुनाव होने चाहिए. सुशासन केवल लोगों के प्रतिनिधियों द्वारा दिया जा सकता है. उम्मीद है कि जल्द ही चुनाव कराए जाएंगे.’
मालूम हो कि मई में परिसीमन आयोग ने सरकार को अंतिम रिपोर्ट सौंपी थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया था. आयोग को अनुच्छेद 370 और 35ए को रद्द करने के बाद जम्मू कश्मीर में लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों को फिर से तैयार करने का काम सौंपा गया था. जिसने 2019 में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम का मार्ग प्रशस्त किया.
पिछले महीने केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर कहा था कि परिसीमन आयोग के आदेश 20 मई से प्रभावी हो जाएंगे. अधिसूचना के जरिये विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं का पुनर्निधारण किया गया था.
परिसीमन आयोग के आदेशों के मुताबिक, केंद्र शासित प्रदेश में 90 विधानसभा सीट होगी (जम्मू संभाग में 43 और कश्मीर में 47) उनमें से नौ सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित होंगी.
पूर्ववर्ती विधानसभा में 87 सीट थी, जिनमें जम्मू में 37, जबकि कश्मीर में 46 और लद्दाख में चार सीट थी.
तीन सदस्यीय परिसीमन आयोग की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई ने की थी. तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा (अब सेवानिवृत्त) और जम्मू कश्मीर चुनाव आयुक्त केके शर्मा इसके दो पदेन सदस्य थे.
जम्मू और कश्मीर पांच से लोकसभा सदस्य – नेशनल कॉन्फ्रेंस के तीन और भाजपा के दो – आयोग के सहयोगी सदस्य थे.
परिसीमन आयोग ने अपना दो साल का कार्यकाल समाप्त होने से ठीक एक दिन पहले 5 मई को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपी थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)