गुजरात: अनुबंध सेवा के मुद्दे को लेकर चार हज़ार रेज़िडेंट डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर

सेवा अनुबंध के नियमों के अनुसार, सरकारी मेडिकल कॉलेजों के छात्रों को अपना स्नातकोत्तर (पीजी) मेडिकल पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद कम से कम एक वर्ष के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा करनी होती है. यदि कोई छात्र प्रवेश लेते समय हस्ताक्षरित अनुबंध को तोड़ना चाहता है, तो उसे 40 लाख रुपये का भुगतान करना होगा. 

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

सेवा अनुबंध के नियमों के अनुसार, सरकारी मेडिकल कॉलेजों के छात्रों को अपना स्नातकोत्तर (पीजी) मेडिकल पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद कम से कम एक वर्ष के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा करनी होती है. यदि कोई छात्र प्रवेश लेते समय हस्ताक्षरित अनुबंध को तोड़ना चाहता है, तो उसे 40 लाख रुपये का भुगतान करना होगा.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

अहमदाबाद: गुजरात सरकार पर 12 महीने के सीनियर रेजिडेंसी को अनिवार्य अनुबंध (बॉन्ड) सेवा के रूप में मानने का दबाव डालने के लिए राज्य के पांच सरकारी मेडिकल कॉलेजों के करीब चार हजार रेजिडेंट डॉक्टर बुधवार को अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए.

अस्पताल के अधिकारियों ने हड़ताल के प्रभाव से निपटने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की है. गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री रुषिकेश पटेल ने कहा कि रेजिडेंट डॉक्टर अनुबंध की शर्त (सेवा के बारे में) के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की सेवा करने से पीछे नहीं हट सकते.

राज्य के छह सरकारी मेडिकल कॉलेजों- अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, राजकोट, जामनगर और भावनगर में से सूरत के रेजिडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल में शामिल होने से मना किया और उन्होंने इस मुद्दे के हल के लिए सरकार को एक दिन और देने का फैसला किया.

रेजिडेंट डॉक्टर सभी नियमित ओपीडी (बाहरी रोगी विभाग) सेवाओं में हिस्सा नहीं ले रहे हैं. हालांकि, आपातकालीन और कोविड-19 सेवाओं के लिए डॉक्टर उपलब्ध हैं. डॉक्टर संघों ने आने वाले दिनों में समस्या का समाधान न होने पर पूर्ण हड़ताल शुरू करने की धमकी दी है.

सेवा अनुबंध के नियमों के अनुसार, सरकारी मेडिकल कॉलेजों के छात्रों को अपना स्नातकोत्तर (पीजी) मेडिकल पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद कम से कम एक वर्ष के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा करनी होती है. यदि कोई छात्र प्रवेश लेते समय हस्ताक्षरित अनुबंध को तोड़ना चाहता है, तो उसे 40 लाख रुपये का भुगतान करना होगा.

यह नियम राज्य के छह सरकारी मेडिकल कॉलेजों के छात्रों पर लागू है. 2019 सत्र के छात्रों ने अपना पाठ्यक्रम पूरा कर लिया है.

वे अपने संबंधित कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों में 12 महीने का सीनियर रेजिडेंसी पाठ्यक्रम शुरू करने वाले हैं. उनकी सरकार से मांग है कि इस रेजिडेंसी अवधि को अनुबंध अवधि के रूप में समायोजित किया जाए.

अहमदाबाद में जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ राहुल गमेती ने कहा, ‘हमारी मांग जायज है, क्योंकि इस सत्र के छात्रों ने पाठ्यक्रम के कुल 36 महीनों में से 17 महीनों तक कोविड-19 रोगियों की सेवा की थी. अगर इसी आधार पर पिछले बैचों को अनुबंध सेवा से छूट दी गई है, तो सरकार 2019 के बैच को वही राहत देने पर क्यों नहीं विचार कर सकती है.’

स्वास्थ्य मंत्री रुषिकेश पटेल ने आंदोलन कर रहे डॉक्टरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी है.

उन्होंने कहा, ‘अगर जरूरत पड़ी तो हम अनुशासनात्मक कार्रवाई करेंगे. मैं इन डॉक्टरों से हड़ताल खत्म करने और जल्द ड्यूटी पर लौटने का आग्रह करता हूं. मैं उनकी मांगों से सहमत नहीं हूं.’

पटेल ने पत्रकारों से कहा, ‘सरकार उन्हें विशेषज्ञ डॉक्टर बनाने के लिए काफी राशि खर्च करती है. इस प्रकार, आपको अपना पीजी पूरा करने के बाद गांवों में सेवा करनी होगी.’

अहमदाबाद सिविल अस्पताल के अधिकारियों के अनुसार, हड़ताल का अभी कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है. उन्होंने कहा, ‘स्थिति से निपटने के लिए हमने संकाय सदस्यों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं. गैर-नैदानिक ​​कर्मचारियों को नैदानिक शाखाओं में स्थानांतरित कर दिया है.’

सिविल अस्पताल के अधीक्षक डॉ राकेश जोशी ने कहा, ‘स्थिति से निपटने के लिए हमने अपने संकाय सदस्यों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं और गैर-नैदानिक ​​​​कर्मचारियों को नैदानिक ​​शाखाओं में स्थानांतरित कर दिया है. अब तक सेवाओं पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा है, क्योंकि रेजिडेंट डॉक्टरों ने केवल नियमित कर्तव्यों से खुद को वापस ले लिया है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)