श्रीलंका: अडानी समूह की प्रस्तावित पवन ऊर्जा परियोजना के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन

पिछले हफ़्ते सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के अध्यक्ष ने एक संसदीय समिति के सामने कहा था कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को मन्नार के एक पावर प्रोजेक्ट को अडानी समूह को देने को कहा था. इसके बाद उन्होंने बयान वापस ले लिया और अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया. अब लोगों ने अडानी समूह को परियोजना देने में पारदर्शिता की कमी पर सवाल उठाए हैं.

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(फोटो साभार: newsfirst.lk)

पिछले हफ़्ते सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के अध्यक्ष ने एक संसदीय समिति के सामने कहा था कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को मन्नार के एक पावर प्रोजेक्ट को अडानी समूह को देने को कहा था. इसके बाद उन्होंने बयान वापस ले लिया और अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया. अब लोगों ने अडानी समूह को परियोजना देने में पारदर्शिता की कमी पर सवाल उठाए हैं.

(फोटो साभार: newsfirst.lk)

कोलंबो: भारत के अडानी समूह की मन्नार के पूर्वोत्तर क्षेत्र में प्रस्तावित पवन ऊर्जा परियोजना के खिलाफ गुरुवार को श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में विरोध प्रदर्शन किया गया.

गोटागोगामा (राष्ट्रपति गोटबाया घर जाओ) समूह के प्रदर्शनकारी कोलंबो के दक्षिण में व्यस्त बम्बलपतिया सेक्टर में एकत्र हुए और विरोध प्रदर्शन किया.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, मन्नार में पवन ऊर्जा फार्म को संभालने वाली एक बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनी के इंजीनियर और प्रदर्शनकारी नागरिक समूह के सदस्य नज़लि हमीम ने कहा, ‘मोदी और गोटाबाया ने एक ऐसा सौदा किया जो अपारदर्शी और अवैध है, ताकि अडानी को प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया से गुजरना न पड़े.’

https://twitter.com/NisalSuri/status/1537370650309865472

लोगों ने हाथों में तख्तियां लेकर अडानी समूह के खिलाफ नारेबाजी की और भारतीय कारोबारी समूह को परियोजना देने में पारदर्शिता की कमी पर भी सवाल उठाए.

गौरतलब है कि पिछले हफ्ते संसदीय निरीक्षण समिति की कार्यवाही के बाद 500 मेगावाट की पवन चक्की परियोजना को लेकर श्रीलंका में बहुत विवाद हुआ था.

बीते सप्ताह शुक्रवार (10 जून) को सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के अध्यक्ष एमएमसी फर्डिनेंडो ने एक संसदीय समिति के सामने कहा था कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को उत्तरी श्रीलंका के मन्नार के एक पावर प्रोजेक्ट को अडानी समूह को देने को कहा था.

राष्ट्रपति के इससे इनकार के बाद उन्होंने बयान वापस ले लिया था. इसके बाद इस हफ्ते फर्डिनेंडो ने इस्तीफ़ा दे दिया था.

श्रीलंकाई संसद की एक सार्वजनिक उपक्रम समिति (सीओपीई) के समक्ष फर्डिनेंडो की गवाही ने श्रीलंका और भारत दोनों में राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया था, जहां दोनों ही देशों में विपक्ष ने अपनी-अपनी सरकारों पर नियमों के उल्लंघन के लिए निशाना साधा था.

भारत सरकार की तरफ से मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. वहीं, अडानी समूह ने सोमवार को एक बयान जारी कहा, ‘श्रीलंका में निवेश करने का हमारा इरादा एक मूल्यवान पड़ोसी की जरूरतों को पूरा करना है. एक जिम्मेदार कंपनी के रूप में, हम इसे उस साझेदारी के एक आवश्यक हिस्से के रूप में देखते हैं जिसे हमारे दोनों देशों ने हमेशा साझा किया है.’

समूह के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘हम स्पष्ट रूप से इस टिप्पणी को लेकर निराश है. इस मुद्दे को श्रीलंका सरकार द्वारा पहले ही उठाया जा चुका है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)