संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में हिंसा, मानवाधिकार हनन, खाद्य असुरक्षा, जलवायु संकट, यूक्रेन में युद्ध और अन्य आपात स्थितियों के कारण दुनियाभर में 10 करोड़ लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हुए. एजेंसी ने कहा कि बीते दशक में हर वर्ष घर छोड़ने के लिए मजबूर होने वाले लोगों की संख्या दोगुनी हुई है.
संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021 में जलवायु परिवर्तन तथा आपदाओं के कारण भारत में करीब 50 लाख लोगों को देश में ही अपना घर छोड़कर कहीं और विस्थापित होना पड़ा.
‘यूएन रिफ्यूजी एजेंसी’ (यूएनएचसीआर) की वार्षिक ‘ग्लोबल ट्रेंड्स रिपोर्ट’ के अनुसार, पिछले साल हिंसा, मानवाधिकारों के हनन, खाद्य असुरक्षा, जलवायु संकट, यूक्रेन में युद्ध और अफ्रीका से अफगानिस्तान तक अन्य आपात स्थितियों के कारण वैश्विक स्तर पर 10 करोड़ लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हुए.
रिपोर्ट में कहा गया, आंतरिक विस्थापन निगरानी केंद्र (आईडीएमसी) के अनुसार 2021 में आपदाओं के कारण विश्व में 2.37 करोड़ लोग अपने ही देश में अपना घर छोड़ने को मजबूर हुए.
यह संख्या उससे पिछले साल की तुलना में 70 लाख या 23 प्रतिशत कम है. ये मामले संघर्ष एवं हिंसा के कारण आंतरिक रूप से विस्थापित (देश की सीमा से बाहर नहीं जाने वाले) लोगों के अतिरिक्त हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, ‘2021 में आपदाओं के कारण चीन में सबसे अधिक 60 लाख लोग, फिलीपीन के 57 लाख और भारत में 49 लाख लोग विस्थापित हुए. इसमें से अधिकतर लोगों ने आपदा के कारण अस्थायी तौर ही अपने घर छोड़े थे.’
रिपोर्ट में कहा गया कि देश में ही आंतरिक रूप से विस्थापित हुए अधिकतर लोग अपने गृह क्षेत्रों में लौट आए हैं, लेकिन साल के अंत तक दुनियाभर में आपदाओं के कारण विस्थापित हुए 59 लाख लोग अब भी अपने घर नहीं लौट पाए थे.
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने कहा कि पिछले एक दशक में हर साल अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर होने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हुई. 2021 के अंत तक युद्ध, हिंसा, उत्पीड़न और मानवाधिकारों के हनन के कारण विस्थापित हुए लोगों की संख्या 8.93 करोड़ थी, जो एक साल पहले की तुलना में आठ प्रतिशत अधिक और 10 साल पहले के आंकड़े से दोगुने से भी अधिक है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, नवीनतम वैश्विक रुझान रिपोर्ट जनवरी 2021 से दिसंबर 2021 की अवधि को दर्शाती है, हालांकि संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने कहा कि यूक्रेन के खिलाफ रूसी युद्ध सहित 2022 की शुरुआत में हुई घटनाओं को अनदेखा करना असंभव है.
रिपोर्ट ने कहा, ‘यूक्रेन पर रूसी आक्रमण- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे तेज़ और सबसे बड़ा विस्थापन संकट पैदा कर रहा है.’
रिपोर्ट में बताया गया कि 2021 के आखिर तक दुनिया भर में 8.93 करोड़ लोग जबरन विस्थापित किए गए जिनमें 2.71 करोड़ शरणार्थी शामिल हैं. 2.13 करोड़ शरणार्थियों को यूएनएचसीआर के आदेश पर 58 लाख फिलस्तीनी शरणार्थियों को यूएनआरडब्लूए के आदेश पर विस्थापित किया गया. 5.32 करोड़ आंतिरक रूप से विस्थापित लोग हैं, 46 लाख शरण चाहने वाले, 44 लाख विदेशों में विस्थापित वेनेजुएलन हैं.
शरण चाहने वालों ने 14 लाख नए दावे प्रस्तुत किए. इसमें सर्वाधिक 1,88,900 नए व्यक्तिगत आवेदन अमेरिका को मिले, इसके बाद जर्मनी (148,200), मेक्सिको (132,700), कोस्टा रिका (108,500) और फ्रांस (90,200) थे.
रिपोर्ट के अनुसार, मई 2022 तक उत्पीड़न, संघर्ष, हिंसा, मानवाधिकारों के उल्लंघन या सार्वजनिक व्यवस्था को गंभीर रूप से बाधित करने वाली घटनाओं से दुनिया भर में 10 करोड़ से अधिक लोगों को जबरन विस्थापित किया गया था.
शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त फिलिपो ग्रैंडी ने कहा, ‘पिछले दशक में हर साल इस संख्या में वृद्धि होती रही थी. इस मानवीय त्रासदी को दूर करने, संघर्षों को सुलझाने और स्थायी समाधान खोजने के लिए कार्रवाई करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय अगर एक साथ नहीं आता है, तो यह भयानक प्रवृत्ति जारी रहेगी.’
विश्व बैंक के मुताबिक, खासतौर पर पिछले वर्ष 23 देशों में संघर्ष बढ़े और नए संघर्ष भी भड़क उठे, जिससे कुल 85 करोड़ की आबादी को बड़े संघर्षों का सामना करना पड़ा.
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने कहा कि भोजन की कमी, महंगाई और जलवायु संकट से लोगों की मुश्किलें बढ़ रही हैं. 2021 में शरणार्थियों की संख्या बढ़कर 2.71 करोड़ हो गई. इसमें कहा गया है कि युगांडा, चाड और सूडान में शरणार्थियों का आना बढ़ा है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकांश शरणार्थियों को एक बार फिर उन्हीं पड़ोसी देशों ने शरण दी जिनके पास संसाधनों की बेहद कमी है. शरण चाहने वालों की संख्या 11 प्रतिशत बढ़कर 46 लाख तक पहुंच गई.
पिछले साल भी संघर्ष के कारण अपने देशों के भीतर ही विस्थापित होने वाले लोगों की संख्या में लगातार 15वीं वार्षिक वृद्धि देखी गई, जो 5.32 करोड़ थी. कुछ स्थानों पर बढ़ती हिंसा या संघर्ष के चलते यह वृद्धि देखी गई है, उदाहरण के लिए म्यांमार.
इथियोपिया के टाइग्रे और अन्य क्षेत्रों में उठे संघर्ष ने देश के भीतर लाखों लोगों को विस्थापित होने पर मजबूर किया है. हाल ही में साहेल में भड़के विद्रोहों के चलते, खासतौर पर बुर्किना फासो और चाड में लोगों को आंतरिक रूप से विस्थापित होना पड़ा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)