कानपुर व इलाहाबाद में अवैध ढांचों को क़ानूनन गिराया गया, दंगों से इसका संबंध नहीं: यूपी सरकार

पैगंबर के ख़िलाफ़ भाजपा नेताओं की टिप्पणियों को लेकर उत्तर प्रदेश में हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद आरोप है कि प्रशासन ने हिंसा में शामिल आरोपियों के घरों को बुलडोज़र का इस्तेमाल करके गिरा दिया था. इस संबंध में प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल की थी. इधर, अलीगढ़ शहर में फ्लैग मार्च में पुलिस द्वारा बुलडोज़र शामिल किए जाने का मामला सामने आया है.

पैगंबर के ख़िलाफ़ भाजपा नेताओं की टिप्पणियों को लेकर उत्तर प्रदेश में हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद आरोप है कि प्रशासन ने हिंसा में शामिल आरोपियों के घरों को बुलडोज़र का इस्तेमाल करके गिरा दिया था. इस संबंध में प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल की थी. इधर, अलीगढ़ शहर में फ्लैग मार्च में पुलिस द्वारा बुलडोज़र शामिल किए जाने का मामला सामने आया है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि कानपुर और इलाहाबाद में अवैध ढांचों को नगर निकायों द्वारा कानून के अनुसार गिराया गया था और पैगंबर मोहम्मद के बारे में भारतीय जनता पार्टी के दो नेताओं की टिप्पणी के बाद हुए हिंसक विरोध में शामिल आरोपियों को दंडित किए जाने से इसका कोई संबंध नहीं था.

मुस्लिम निकाय जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा दाखिल याचिकाओं के तहत दायर हलफनामे में राज्य सरकार ने कहा कि आवेदनों में जिस विध्वंस का जिक्र किया गया है, वे स्थानीय विकास प्राधिकरण द्वारा किए गए हैं और वे राज्य प्रशासन से स्वतंत्र वैधानिक स्वायत्त निकाय हैं.

उत्तर प्रदेश सरकार ने कानपुर और इलाहाबाद में हाल ही में हुईं कुछ निजी संपत्तियों की तोड़-फोड़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) और प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) द्वारा उत्तर प्रदेश शहरी नियोजन और विकास अधिनियम-1972 के तहत कार्रवाई की गई थीं और उनका दंगों की घटनाओं से कोई लेना-देना नहीं था.

इसमें कहा गया कि ये कार्रवाई अनधिकृत व अवैध निर्माण और अतिक्रमण के खिलाफ उनके नियमित प्रयास के तहत हुई है.

हलफनामे में कहा गया है कि किसी भी प्रभावित पक्ष ने, यदि कोई हो, कानूनी विध्वंस कार्रवाई के संबंध में इस अदालत से संपर्क नहीं किया है.

सरकार ने कहा, ‘जहां तक दंगे के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात है तो सरकार उनके खिलाफ पूरी तरह से अलग कानूनों के अनुसार कड़े कदम उठा रही है.’

इसमें कहा गया है, ‘विनम्रतापूर्वक यह निवेदन किया जाता है कि जहां तक ​​दंगा करने वाले आरोपियों के विरुद्ध कार्यवाही की बात है, राज्य सरकार उनके खिलाफ सीआरपीसी, यूपी गैंगस्टर और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1986 और नियम, 2021, सार्वजनिक संपत्ति क्षति रोकथाम कानून और उत्तर प्रदेश सार्वजनिक और निजी संपत्ति के नुकसान की वसूली कानून, 2020 और नियम, 202 जैसे भिन्न भिन्न कानूनों के अनुसार कठोर कदम उठा रही है.’

हलफनामे में कहा गया है कि सर्वोच्च अदालत ने हाल ही में दिल्ली के शाहीन बाग में कथित विध्वंस के संबंध में एक राजनीतिक पार्टी द्वारा दायर रिट याचिका में कहा था कि केवल प्रभावित पक्ष को आगे आना चाहिए न कि राजनीतिक दलों को.

इसमें कहा गया है कि इस तरह के सभी आरोप पूरी तरह से निराधार हैं और उनका खंडन किया जाता है. इसमें अदालत से अनुरोध किया गया है कि बिना आधार के इस अदालत के समक्ष गलत आरोपों के लिए याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई की जाए.

पैगंबर के खिलाफ भाजपा नेता नूपुर शर्मा की टिप्पणी के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया था, जिसके बाद ऐसे मामले सामने आए, जिसमें आरोप लगाया गया है कि अधिकारियों ने हिंसा में शामिल आरोपियों के घरों को बुलडोजर का इस्तेमाल करके गिरा दिया था.

हालांकि, अधिकारियों ने निर्माणों को अवैध बताते हुए कार्रवाई को कानून सम्मत बताया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, तोड़फोड़ के खिलाफ जमीयत की याचिका पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ता स्थापित प्रक्रिया के तहत की गई कानूनी कार्रवाई को दुर्भावनापूर्ण रंग देने की कोशिश में है और कुछ घटनाओं की एकपक्षीय मीडिया रिपोर्टिंग पर यकीन कर रहा है.

सरकार ने कहा कि कानपुर में दो तोड़फोड़ के मामलों में बिल्डरों ने स्वयं स्वीकारा कि निर्माण अवैध हैं.

जमीयत ने अपने आरोप को पुष्ट करने के लिए राज्य के अधिकारियों के कुछ बयानों का हवाला दिया था कि तोड़फोड़ की कार्रवाई दंगे के आरोपियों को निशाना बनाने के लिए की गई थी, लेकिन राज्य सरकार ने इन्हें झूठा आरोप बताते हुए खारिज कर दिया और सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि वह याचिकाकर्ता की याचिका को खारिज कर दे.

सरकार ने कानपुर में इश्तियाक अहमद और रियाज अहमद के तोड़े गए निर्माणों और उनके द्वारा लगाई गईं याचिकाओं के संदर्भ में कहा कि दोनों ही निर्माण अवैध थे और इस संबंध में निर्माणकर्ताओं को पहले भी नोटिस जारी किए गए थे.

सरकार ने इन कार्रवाईयों को अतिक्रमण और अवैध निर्माण के खिलाफ चल रहा उसका तोड़फोड़ अभियान बताते हुए कहा कि इनका दंगों से कोई लेना-देना नहीं है, याचिकाकर्ता के आरोप झूठे हैं. याचिकाकर्ताओं ने जान-बूझकर वास्तविक तथ्यों को छिपाया है ताकि प्रशासन की छवि खराब की जा सके.

रिपोर्ट के अनुसार, इलाहाबाद में करेली स्थित जावेद मोहम्मद के गिराए गए मकान के संबंध में सरकार ने कहा कि वह बिना अनुमति के बना अवैध निर्माण था और दंगों से बहुत पहले से ही आवासीय भूमि पर एक कार्यालय चलाकर उसका अनाधिकृत उपयोग हो रहा था.

वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के नेता और सीएए विरोधी प्रदर्शनों में एक प्रमुख चेहरा रहे जावेद मोहम्मद को यूपी पुलिस ने 10 अन्य लोगों के साथ मुख्य साजिशकर्ता बनाया है. फिलहाल वह जेल में हैं.

सरकार का तर्क है कि जावेद मोहम्मद आवासीय भूमि पर ‘वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया’ का कार्यालय चला रहे थे, जिसका साइन बोर्ड उनके आवास पर लगा था, जिस पर उनका नाम और पद भी लिखा था.

सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि प्रयागराज विकास प्राधिकरण को इस संबंध में इलाके में रहने वाले लोगों से अनेक शिकायत प्राप्त हुई थीं. शिकायतकर्ताओं का कहना था कि वहां (पार्टी कार्यालय होने के कारण) लगातार लोग आते हैं और सड़क पर अपने वाहन पार्क करके परेशानी खड़ी करती हैं.

सरकार ने कहा है कि जावेद मोहम्मद को इस संबंध में 10 मई को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, जिसमें उन्हें 24 मई को सुनवाई के लिए पेश होना था. लेकिन उनके परिवार के सदस्यों ने उसे लेने से इनकार कर दिया तो कानून के मुताबिक नोटिस उनके घर पर चिपका दिया गया था.

जावेद मोहम्मद या उनकी तरफ से कोई भी सुनवाई के लिए नहीं आया. उन्हें फिर 15 दिन के भीतर 9 जून तक अनाधिकृत निर्माण गिराने को कहा गया था. ऐसा न होने पर 12 जून को कार्रवाई की गई.

मालूम हो कि इलाहाबाद शहर में प्रशासन ने वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के नेता और कार्यकर्ता आफरीन फातिमा के पिता जावेद मोहम्मद उर्फ जावेद पंप के दो मंजिला बंगले को बीते 12 जून की दोपहर में बुलडोजर से तोड़कर गिरा दिया था.

बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट में सरकार के इन दावों से इतर इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर इस कार्रवाई को अवैध बता चुके हैं.

बीते दिनों उन्होंने कहा था, ‘यह (कार्रवाई) पूरी तरह से अवैध है. भले ही आप एक पल के लिए भी मान लें कि निर्माण अवैध था, हालांकि करोड़ों भारतीय इसी तरह रह रहे हैं, फिर भी आपको यह अनुमति नहीं है कि आप रविवार को एक घर को तब तोड़ दें जब घर में रहने वाले हिरासत में हों. यह तकनीकी मुद्दा नहीं है, बल्कि कानून के शासन पर खड़ा होता एक सवाल है.’

यूपी: अलीगढ़ में पुलिस के फ्लैग मार्च में बुलडोजर दिखे

अलीगढ़: इधर, केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना के विरोध में भड़की हिंसा के बाद अलीगढ़ जिला पुलिस ने शहर में निकाले कुछ फ्लैग मार्च में बुलडोजर को भी शामिल किया.

अलीगढ़ से समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व विधायक ज़मीर उल्ला ख़ान ने इस कदम की यह कहते हुए आलोचना की है कि किसी की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना न्यायोचित नहीं है.

अलीगढ़ उत्तर प्रदेश के सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में से एक है, जहां अग्निपथ योजना को लेकर हिंसा हुई थी. हालांकि, पुलिस का कहना है कि शुक्रवार शाम यानी 17 जून के बाद से जिले में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है.

पुलिस ने मंगलवार को कहा कि अग्निपथ के विरोध में आंदोलन से जुड़ी कोई अप्रिय घटना की कहीं से कोई सूचना शुक्रवार से नहीं है.

इस बीच, पुलिस की गश्त सभी प्रभावित इलाकों जैसे टप्पल, खैर और लोधा में जारी है. प्रत्यशदर्शियों का कहना है कि ऐतिहाती उपायों के तहत बुलडोजर का उपयोग सोमवार (20 जून) को फ्लैग मार्च के दौरान खैर और टप्पल के कई इलाकों में देखा गया.

उन्होंने कहा कि संभवत: आंदोलनकारियों के लिए बुलडोजर को एक चेतावनी के तौर पर देखा गया. हालांकि विभिन्न तबकों में इसको लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया रही.

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) कलानिधि नैथानी ने कहा कि शुक्रवार की हिंसा के सिलसिले में 20 जून को 30 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने बताया कि अब तक 67 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

एसएसपी ने संवाददाताओं से कहा कि पीएसी की पांच अतिरिक्त कंपनियों को प्रभावित इलाकों में तैनात किया गया है.

यद्यपि पुलिस अधिकारियों ने इस मामले में चुप्पी साधे रखी और बुलडोजर के उपयोग से न ही इनकार किया और न ही बचाव किया, अन्य लोगों ने असंतोष खत्म करने के लिए बुलडोजर के उपयोग के पीछे तर्क पर सवाल खड़ा किया.

विधायक जमीर उल्ला खान ने कहा, ‘किसी भी आंदोलन के दौरान लोगों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने को किसी भी स्थिति में न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता. असंतोष का दमन करने के लिए बुलडोजर का उपयोग पूरी तरह से अनुचित है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq