महाराष्ट्र संकट: उद्धव ने कहा- सत्ता का लालच नहीं, शिंदे बोले- किसी राष्ट्रीय दल से संपर्क नहीं

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने पार्टी पदाधिकारियों से बातचीत में कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास खाली किया है, लेकिन उनका दृढ़ संकल्प बरकरार है. उधर, पार्टी के बाग़ी विधायक एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को दिए बयान से पटलते हुए कहा कि कोई भी राष्ट्रीय दल उनके संपर्क में नहीं है.

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उद्धव ठाकरे. (स्क्रीनग्रैब: ट्विटर/@OfficeofUT)

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने पार्टी पदाधिकारियों से बातचीत में कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास खाली किया है, लेकिन उनका दृढ़ संकल्प बरकरार है. उधर, पार्टी के बाग़ी विधायक एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को दिए बयान से पटलते हुए कहा कि कोई भी राष्ट्रीय दल उनके संपर्क में नहीं है.

उद्धव ठाकरे. (स्क्रीनग्रैब: ट्विटर/@OfficeofUT)

मुंबई/गुवाहाटी/नई दिल्ली: शिवसेना अध्यक्ष और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बगावत का सामना कर रही अपनी पार्टी के पदाधिकारियों से शुक्रवार को बातचीत की और पार्टी तथा महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के अस्तित्व को लेकर जारी आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया.

शिवसेना, एकनाथ शिंदे के अलग होने और कई विधायकों के समर्थन से उनके एक विद्रोही गुट बनाने के बाद पार्टी के अंदर बगावत का सामना कर रही है.

शिंदे वर्तमान में शिवसेना के कम से कम 38 बागी विधायकों और 10 निर्दलीय विधायकों के साथ गुवाहाटी में ठहरे हुए हैं. उन्होंने दावा किया है कि उनके नेतृत्व वाला गुट ‘असली शिवसेना’है.

मध्य मुंबई के दादर में शिवसेना भवन में पार्टी की जिला इकाई के प्रमुखों और ‘संपर्क प्रमुखों’ को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए उद्धव ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास खाली कर दिया है, लेकिन उनका दृढ़ संकल्प बरकरार है.

उन्होंने कहा, ‘पहले भी पार्टी में विद्रोह होने के बावजूद शिवसेना दो बार सत्ता में आई. मैंने मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास ‘वर्षा’ खाली कर दिया है, लेकिन अपना दृढ़ संकल्प नहीं छोड़ा.’

ठाकरे ने कहा कि पिछले ढाई साल में उन्होंने अपनी खराब सेहत के साथ-साथ कोविड-19 महामारी से लड़ाई लड़ी, लेकिन विरोधियों ने इस स्थिति का फायदा उठाया.

समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार, ठाकरे ने कहा, ‘मैं सत्ता का लोभी नहीं हूं. जो लोग कहते थे कि वे मर जाएंगे लेकिन शिवसेना नहीं छोड़ेंगे आज भाग खड़े हुए. बागी विधायक शिवसेना को तोड़ना चाहते हैं. अगर उनमें साहस है तो वे बालासाहेब और शिवसेना का नाम लिए बिना जनता के बीच में जाएं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘मेरे सिर और गर्दन में दर्द था, मैं सही से काम नहीं कर पा रहा था, मेरी आंखें नहीं खुल रही थीं लेकिन मैंने इसकी परवाह नहीं की. शिवाजी महाराज को हार का सामना करना पड़ा था लेकिन जनता हमेशा उनके साथ रही.’

एजेंसी के अनुसार, ठाकरे ने यह भी जोड़ा, ‘एकनाथ शिंदे के बेटे शिवसेना से सांसद हैं. मैंने उसके लिए सब कुछ किया. मेरे पास जो विभाग थे वो शिंदे को दे दिए, लेकिन वो मेरे खिलाफ कितने आरोप लगा रहे हैं. मैंने एकनाथ शिंदे के लिए क्या कुछ नहीं किया!’

शुक्रवार को सेना भवन में हुई बैठक से निकलते आदित्य ठाकरे. (फोटो: पीटीआई)

शिवसेना नेता और मंत्री आदित्य ठाकरे मुख्यमंत्री के संबोधन के दौरान शिवसेना भवन में मौजूद थे.

शिंदे के विद्रोह के मद्देनजर उद्धव ठाकरे ने बुधवार रात दक्षिण मुंबई में अपना आधिकारिक आवास खाली कर दिया और उपनगर बांद्रा स्थित अपने पारिवारिक आवास चले गए.

किसी भी राष्ट्रीय दल के संपर्क में नहीं: एकनाथ शिंदे

उधर, शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे ने एक दिन पहले दिए गए अपने बयान से पटलते हुए शुक्रवार को कहा कि कोई भी राष्ट्रीय दल उनके संपर्क में नहीं है.

गुरुवार शाम को शिंदे ने एक वीडियो जारी किया था, जिसमें उन्होंने बागी विधायकों को संबोधित करते हुए ‘राष्ट्रीय दल’ के समर्थन का दावा किया था.

वीडियो में वह यह कहते हुए दिख रहे थे, ‘चाहे जो हो जाए, जीत हमारी होगी. एक राष्ट्रीय दल है, एक महाशक्ति…आप जानते हैं कि उन्होंने पाकिस्तान को मात दी. उस दल का कहना है कि हमने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है और उसने हमें हरसंभव मदद का भरोसा दिया है. उसने कहा है कि अगर आपको कुछ चाहिए तो हम आपको निराश नहीं करेंगे. जब भी आपको किसी सहायता की आवश्यकता होगी, हम देंगे.’

शिंदे से एक टीवी चैनल पर पूछा गया कि क्या भाजपा उनके समूह का समर्थन कर रही है, तो उन्होंने कहा, ‘बड़ी शक्ति का समर्थन मिलने से मेरा मतलब बालासाहब ठाकरे (शिवसेना के दिवंगत नेता) और आनंद दिघे से था.’

राज्य में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री शिंदे से जब पूछा गया कि महाराष्ट्र का राजनीतिक संकट कब खत्म होगा, तो उन्होंने कहा कि कुछ समय बाद सबकुछ स्पष्ट हो जाएगा.

बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए विधानसभा उपाध्यक्ष के पास जाने के शिवसेना के कदम के बारे में पूछे जाने पर शिंदे ने कहा, ‘शिवसेना के 55 विधायकों में से 40 मेरे साथ गुवाहाटी आए हैं. लोकतंत्र में बहुमत और संख्याबल महत्वपूर्ण होता है. लिहाजा, किसी को भी हमारे खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है.’

23 जून को गुवाहाटी के एक होटल में बागी शिवसेना विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे. (फोटो: पीटीआई)

‘हम वास्तविक शिवसेना, आप कौन होते हैं हमें डराने वाले’

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना के धड़े द्वारा कई बागी विधायकों की सदस्यता रद्द किए जाने की मांग के बीच, पार्टी के खिलाफ बगावत का नेतृत्व कर रहे राज्य के मंत्री एकनाथ शिंदे ने दावा किया कि उनकी अगुवाई वाला समूह ‘वास्तविक शिवसेना’ है और अयोग्य करार दिए जाने की धमकियों से उन्हें एवं उनके समर्थकों को डराया नहीं जा सकता.

शिवसेना के 37 और 10 निर्दलीय विधायकों के साथ गुवाहाटी में रह रहे शिंदे ने गुरुवार देर रात कहा कि संविधान की 10वीं अनुसूची के अनुसार, बैठक में भाग लेने के लिए नहीं, बल्कि विधायी कार्यवाही के संबंध में पार्टी व्हिप जारी किया जाता है.

ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने बुधवार को विधायक दल की बैठक में भाग नहीं लेने पर शिंदे खेमे के 12 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की मांग की है.

इसके जवाब में शिंदे ने ट्वीट किया, ‘इस मामले में उच्चतम न्यायालय के कई निर्णय हैं. आप कौन होते हैं हमें डराने की कोशिश करने वाले? हम आपका खेल समझते हैं और कानून भी जानते हैं. आप हमारे 12 विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग नहीं कर सकते, क्योंकि हम बालासाहेब ठाकरे के वफादार हैं और असली शिवसेना एवं शिव सैनिक हैं, बल्कि कोई संख्या बल नहीं होने के बावजूद एक समूह बनाने के लिए हम आपके खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हैं.

महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना के विधायक दल के नेता पद से एकनाथ शिंदे को हटा दिया गया है और उनकी जगह अजय चौधरी को यह पद सौंपा गया है.

बहरहाल, बागी धड़े ने शिंदे को अपने समूह का नेता बरकरार रखने संबंधी एक प्रस्ताव पारित किया और सुनील प्रभु के स्थान पर शिवसेना विधायक भरत गोगावले को विधायक दल का मुख्य सचेतक नियुक्त किया है.

कोल्हापुर में एकनाथ शिंदे के खिलाफ प्रदर्शन करते शिवसेना कार्यकर्ता. (फोटो: पीटीआई)

शिवसेना का एक और विधायक शिंदे के नेतृत्व वाले बागी खेमे में शामिल

उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना को एक और बड़ा झटका लगा है. पार्टी का एक और विधायक राज्य सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले बागी विधायकों के खेमे में शामिल हो गया है.

शिंदे के कार्यालय ने शुक्रवार को यहां एक वीडियो जारी किया,जिसमें विधायक दिलीप लांडे गुवाहाटी के लग्जरी होटल में दाखिल होते नजर आ रहे हैं. इस होटल में शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के बागी विधायक पिछले कुछ दिनों से डेरा डाले हुए हैं.

मुंबई के चांदिवली सीट से विधायक लांडे के शिंदे गुट में शामिल होने के साथ ही शिवसेना के बागी विधायकों की कुल संख्या 38 हो गई है. हालांकि, शिंदे ने 55 में से 40 शिवसेना विधायकों के साथ-साथ 12 निर्दलीय विधायकों का समर्थन होने का दावा किया है.

शिंदे ने दावा किया है कि उनका गुट ही ‘असली शिवसेना’ है. इसके साथ ही उन्होंने 37 विधायकों के हस्ताक्षर वाला पत्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और विधानसभा सचिव को भेजा है और विधायक दल के नेता के रूप में अपनी तथा भारत गोगावाले की पार्टी के नए मुख्य सचेतक (चीफ व्हिप) के रूप में नियुक्ति के बारे में सूचित किया है.

शिंदे के कार्यालय में मौजूद कर्मचारियों ने यहां बताया कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि शिंदे और अन्य विधायक कब मुंबई लौटेंगे.

शिवसेना के 37 बागी विधायकों ने विधानसभा उपाध्यक्ष को पत्र भेजा शिंदे को अपना नेता घोषित किया

इससे पहले गुवाहाटी में रह रहे शिवसेना के 37 बागी विधायकों ने गुरुवार को महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल को पत्र भेजा, जिसमें कहा गया कि एकनाथ शिंदे सदन में उनके नेता रहेंगे.

हालांकि, इससे पहले दिन में नरहरि जिरवाल ने कहा था कि उन्होंने बागी विधायक एकनाथ शिंदे की जगह अजय चौधरी को सदन में शिवसेना का विधायक दल का नेता नियुक्त किए जाने को मंजूरी दे दी है.

शिंदे ने गुरुवार शाम को विधानसभा उपाध्यक्ष को शिवसेना के 37 विधायकों के हस्ताक्षर वाला पत्र भेजा. पत्र में यह भी सूचित किया गया कि सुनील प्रभु के स्थान पर शिवसेना विधायक भरत गोगावले को विधायक दल का मुख्य सचेतक नियुक्त किया गया है.

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने एकनाथ शिंदे से असम छोड़कर जाने को कहा

महाराष्ट्र की राजनीतिक खींचतान के बीच असम कांग्रेस के प्रमुख भूपेन कुमार बोरा ने एक ट्वीट में सूचित किया कि उन्होंने राज्य को छोड़कर जाने के लिए शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे को पत्र लिखा है.

बोरा ने लिखा कि प्रदेश के हित में शिंदे को गुवाहाटी छोड़कर चले जाना चाहिए. उन्होंने लिखा, ‘असम आपकी मौजूदगी से बदनाम हो रहा है कि अपने यह सोचा कि गुवाहाटी उन विधायकों के लिए एक सुरक्षित जगह होगी, जिनके भीतर संवैधानिक मूल्यों के लिए कोई सम्मान और निष्ठा नहीं है.’

विधानसभा में शिवसेना का संख्याबल घटा पर शक्ति परीक्षण में बागी एमवीए का साथ देंगे: संजय राउत

एकनाथ शिंदे की बगावत के बीच पार्टी के सांसद संजय राउत ने शुक्रवार को कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा में पार्टी का संख्याबल कम हुआ है, हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई की बागी विधायक सदन में शक्ति परीक्षण के दौरान राज्य की महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार को समर्थन देंगे.

राउत ने कहा, ‘संख्या किसी भी वक्त बदल सकती है.’ उन्होंने कहा कि मुंबई लौटने के बाद ही बागी विधायकों की पार्टी के प्रति वफादारी की असली परीक्षा होगी.

शिवसेना नेता ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार को ‘धमकाने’ के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता नारायण राणे पर भी निशाना साधा. हालांकि इस दौरान उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया.

राउत ने पत्रकारों से बातचीत में स्वीकार किया कि बगावत के कारण विधानसभा में पार्टी का संख्याबल कम हुआ है.

उन्होंने कहा, ‘बागी गुट ने पर्याप्त संख्याबल होने का दावा किया है और लोकतंत्र संख्याबल पर चलता है. लेकिन नंबर किसी भी वक्त बदल सकते हैं. जब बागी विधायक लौटेंगे, तो बाला साहेब ठाकरे और शिवसेना के प्रति उनकी वफादारी की परीक्षा होगी.’

राउत ने कहा कि यह कानूनी लड़ाई है, कुछ नियम हैं और उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देश हैं. उन्होंने कहा, ‘एमवीए एकजुट है….हमें उम्मीद है कि सदन में शक्ति परीक्षण के दौरान बागी एमवीए को समर्थन देंगे.’

इससे पहले उन्होंने कहा था कि पार्टी बागी विधायकों के मुंबई लौटने का इंतजार कर रही है.’

उन्होंने कहा था, ‘मुख्यमंत्री उद्वव ठाकरे को उम्मीद है कि अधिकतर बागी विधायक पार्टी मे लौट आएंगे. बागियों को मुंबई लौटना होगा और राज्यपाल से मिलना होगा, इसके बाद विधायकों की गिनती होगी और विश्वास मत होगा.’

राउत ने ट्वीट करके शरद पवार को ‘धमकी’ देने के लिए केंद्रीय मंत्री नारायण राणे पर भी निशाना साधा.

उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा, ‘क्या भाजपा इस प्रकार की भाषा की इजाजत देती है? सरकारें आएंगी और जाएंगी लेकिन महाराष्ट्र शरद पवार के खिलाफ इस प्रकार की भाषा को बर्दाश्त नहीं करेगा.’

एनसीपी मुख्यमंत्री ठाकरे के साथ: अजित पवार

एनसीपी ने गुरुवार को कहा कि वह महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन महाविकास अघाड़ी (एमवीए) को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी और पार्टी दृढ़ता से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ खड़ी है.

राज्य में मौजूदा राजनीतिक संकट की पृष्ठभूमि में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार की अध्यक्षता में पार्टी की बैठक के बाद यहां संवाददाताओं से बातचीत में उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि उनकी पार्टी उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले एमवीए के साथ है.

एनसीपी के वरिष्ठ नेता अजित पवार ने कहा, ‘हम गठबंधन सरकार को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे. मैंने (राजनीतिक संकट के बारे में) फोन पर उद्धव ठाकरे से बात की.’

अजित पवार, जिनके पास वित्त विभाग भी है, ने इस आलोचना को खारिज किया कि उन्होंने एमवीए सहयोगी कांग्रेस और शिवसेना को विकास निधि देने से इनकार कर दिया है.

उन्होंने कहा, ‘मैंने कभी किसी के साथ भेदभाव नहीं किया. बजटीय फंड में कभी कोई कटौती नहीं की गई.’

ठाकरे सरकार विधानसभा में विश्वास मत हासिल करेगी: शरद पवार

एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने गुरुवार को कहा कि महाराष्ट्र में एमवीए के भाग्य का फैसला विधानसभा में होगा और शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन विश्वास मत में बहुमत साबित करेगा.

महाराष्ट्र की राजनीतिक उथल-पुथल के बीच एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, पवार ने यह भी कहा कि भाजपा ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार के समक्ष उत्पन्न संकट में भूमिका निभाई है.

पवार ने कहा, ‘एमवीए सरकार के भाग्य का फैसला विधानसभा में होगा, न कि गुवाहाटी में. एमवीए सदन पटल पर अपना बहुमत साबित करेगा.’

वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या एमवीए अब अल्पमत में आ गया है, क्योंकि शिंदे के नेतृत्व वाले विद्रोही गुट ने शिवसेना के 37 विधायकों और 10 निर्दलीय विधायकों के समर्थन का दावा किया है.

उन्होंने कहा कि बहुजन समाज पार्टी (बसपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) कांग्रेस और एनसीपी जैसे अन्य राष्ट्रीय दलों की एमवीए को अस्थिर करने में कोई भूमिका नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि शिंदे केवल भाजपा का जिक्र कर रहे थे.

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बागी विधायकों को मुंबई वापस आना होगा और विधानसभा का सामना करना होगा. उन्होंने कहा कि गुजरात और असम के भाजपा नेता उनका मार्गदर्शन करने के लिए यहां नहीं आएंगे.

पवार ने शिवसेना के बागी विधायकों के आरोपों का भी खंडन किया कि उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्रों के लिए धन प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना इसलिए करना पड़ा, क्योंकि वित्त मंत्रालय एनसीपी के अजीत पवार द्वारा नियंत्रित है और उन्होंने उनके साथ भेदभाव किया है.

उन्होंने कहा, ‘ये सब (महज) बहाने हैं, इनमें से कुछ विधायक केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जांच का सामना कर रहे हैं.’

एनसीपी प्रमुख ने छगन भुजबल के पार्टी बदलने के प्रकरण का उल्लेख करते हुए कहा कि सभी बागी विधायकों को परिणाम भुगतने होंगे. उन्होंने याद दिलाया कि जब छगन भुजबल कांग्रेस में शामिल होने के लिए शिवसेना से अलग हो गए थे, तब नब्बे के दशक में, एक को छोड़कर उनके सभी समर्थक विधानसभा चुनाव हार गए थे. पवार ने कहा, ‘इन बागियों का भी यही हश्र होगा.’

शिवसेना नेता संजय राउत के इस बयान पर कि शिवसेना एमवीए छोड़ने के लिए तैयार है, अगर विद्रोही नरम पड़ गए, पवार ने कहा कि उन्हें (बागियों को) मुंबई वापस लाने के लिए यह बयान दिया गया था.

पवार ने यह भी कहा कि एमवीए सरकार ने पिछले ढाई वर्षों में अच्छा प्रदर्शन किया है, और गठबंधन को एक असफल प्रयोग कहना ‘राजनीतिक अज्ञानता’ होगा. पवार ने कहा कि 2019 में शिवसेना के भाजपा से नाता तोड़ लेने के बाद एमवीए सत्ता में आई थी.

पवार ने कहा, ‘जब बागी वापस आएंगे और बताएंगे कि उन्हें राज्य से कैसे निकाला गया, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि किस पक्ष के पास बहुमत है.’

राष्ट्रपति चुनाव में संख्याबल जुटाने के मकसद से महाराष्ट्र सरकार को अस्थिर कर रही भाजपा: कांग्रेस

कांग्रेस ने गुरुवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एवं केंद्र सरकार राष्ट्रपति चुनाव में संख्या बल जुटाने के मकसद से महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार को अस्थिर करने का ‘खेल’ कर रही हैं.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह भी कहा कि शिवसेना नेता संजय राउत ने महाविकास अघाड़ी सरकार से उनकी पार्टी के बाहर निकलने की संभावना संबंधी बयान इसलिए दिया होगा ताकि उनके विधायक वापस लौटकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के समक्ष अपनी बात रख सकें.

खड़गे ने संवाददाताओं से कहा, ‘भाजपा महाराष्ट्र की सरकार गिराने के लिए बहुत कोशिश कर रही है. शिवसेना के विधायकों को पहले सूरत और फिर गुवाहाटी ले जाया गया. यह भाजपा का खेल है. महाविकास अघाड़ी सरकार एक मजबूत सरकार है, लेकिन भाजपा उसे अस्थिर करने के लिए पूरी कोशिश कर रही है.’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘भाजपा चाहती है कि गैर भाजपा कोई भी सरकार अस्तित्व में नहीं रहे. राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें संख्या बल की जरूरत है. इस कारण वे इस चुनाव के समय भी सरकार गिराना चाहते हैं. इस स्थिति के लिए केंद्र और भाजपा सरकार पूरी तरह जिम्मेदार हैं.’

उन्होंने कहा, ‘हम कांग्रेस पार्टी की ओर से कहना चाहते हैं कि हम तीनों मिलकर रहेंगे और महाविकास अघाड़ी को मजबूत करेंगे. इसलिए जो जरूरत होगी, हम वो करेंगे.’

संजय राउत के बयान पर खड़गे ने कहा, ‘‘हो सकता है कि उन्होंने अपनी बात पहुंचाने के लिए ऐसा किया हो. महाविकास अघाड़ी सरकार महाराष्ट्र के विकास के लिए बनी है. यह सरकार विकास कर रही है. अगर वो लोग (शिवसेना के बागी विधायक) वापस आएंगे तो मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी बात रख सकेंगे.’’

इससे पहले, कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम से जुड़े एक सवाल के जवाब में संवाददाताओं से कहा, ‘हमारा विश्वास मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर है. हम अपने महाराष्ट्र के साथियों के साथ संपर्क में हैं. हमें भरोसा है कि स्थिर सरकार को गिराने और राज्य को अस्थिरता में ले जाने की भाजपा की मंशा सफल नहीं होगी.’

उन्होंने दावा किया, ‘ऐसे समय जब (असम में) बाढ़ आई हुई है, किसान और नौजवान परेशान हैं, कई जगहों पर भ्रष्टाचार है, तब भाजपा इन मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है.’

एकनाथ शिंदे की बगावत के बीच महाराष्ट्र के लोक निर्माण मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने भी गुरुवार को कहा कि एमवीए को उनकी पार्टी का समर्थन जारी रहेगा तथा यह तय करने के लिए होटल नहीं, बल्कि विधानसभा उपयुक्त स्थान है कि सरकार बहुमत में है या अल्पमत में.

महाराष्ट्र के विधायकों के रुकने पर असम के मुख्यमंत्री बोले- सभी ‘पर्यटकों’ का स्वागत है

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व शर्मा ने महाराष्ट्र के विधायकों के गुवाहाटी में ठहरने को लेकर कहा कि उनके साथ राज्य में सभी ‘पर्यटकों’ का स्वागत है.

शर्मा ने यह भी कहा कि उनका महाराष्ट्र की राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है.

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का संसद भवन परिसर में नामांकन दाखिल कराने के बाद शर्मा ने संवाददाताओं से कहा, ‘कुछ लोग असम आए हुए हैं. उन्होंने होटल की बुकिंग की है. मैं इससे खुश हूं. आप भी आएं, यह असम की अर्थव्यवस्था की मदद करेगा. इसके जरिये असम का पर्यटन भी आगे बढ़ेगा.’

महाराष्ट्र में चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह टिप्पणी नहीं कर सकते क्योंकि वह बड़ा राज्य है.

शर्मा ने कहा, ‘मैं महाराष्ट्र पर टिप्पणी कैसे कर सकता हूं. वह बड़ा राज्य है. मुझे खुशी है कि लोग असम का चयन प्राथमिकता वाले स्थान के तौर पर कर रहे हैं.’

भाजपा नीत असम सरकार पर बाढ़ राहत कार्य को कथित तौर पर नजर अंदाज करने और महाराष्ट्र के विधायकों की मेजबानी करने में व्यस्त होने के लग रहे आरोपों पर शर्मा ने कहा कि वह असम की राजधानी में मौजूद होटलों को इसलिए बंद करने का आदेश नहीं दे सकते क्योंकि राज्य के कुछ हिस्सों में बाढ़ की स्थिति है.

उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि इन लोगों की किस तरह की मानसिकता है. क्या मुझे गुवाहाटी के होटलों को बंद कर देना चाहिए क्योंकि राज्य के कुछ हिस्सों में बाढ़ आई है. हम बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत पहुंचा रहे हैं. कैसे मैं गुवाहाटी के होटलों को बंद कर सकता हूं. अगर कल, आप 10 दिनों के लिए गुवाहाटी आकर रहने का फैसला करें तो क्या मुझे मुख्यमंत्री के तौर पर कहना चाहिए कि आप को नहीं आना चाहिए.’

शर्मा ने कहा, ‘हमने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बहुत पैसा खर्च किया है. हम कहते हैं कि कामाख्या आएं, काजीरंगा आएं. अब क्या हमें उन लोगों को असम आने से रोकना चाहिए.’

जब उनसे पूछा गया कि क्या शिवसेना के विधायकों को असम में ‘बंधक’ बनाकर रखा गया है तो शर्मा ने कहा, ‘किस तरह का बंधक? वे होटल में हैं. वे खुश हैं. वे हमारे मेहमान हैं. आम तौर पर हम देखते हैं कि जो भी असम आ रहा है वह आराम महसूस करे.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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