गुजरात दंगों के दौरान ज़किया जाफ़री के पति कांग्रेस सांसद रहे एहसान जाफ़री अहमदाबाद में गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार में मारे गए 68 लोगों में शामिल थे. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य को दंगों से संबंधित मामलों में दी गई क्लीनचिट के फैसले को चुनौती देने वाली ज़किया की अपील को बीते शुक्रवार को ख़ारिज कर दिया था.
अहमदाबाद: कांग्रेस सांसद रहे दिवंगत एहसान जाफरी और जकिया जाफरी के बेटे तनवीर जाफरी ने शुक्रवार को कहा वह 2002 में हुए गुजरात दंगों के मामलों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को एसआईटी की तरफ से क्लीनचिट दिए जाने के खिलाफ याचिका खारिज करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से निराश हैं.
दंगों के दौरान एहसान जाफरी की हत्या कर दी गई थी. एहसान की पत्नी जकिया ने मोदी और 63 अन्य को क्लीन चिट देने वाली विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की थी.
तनवीर जाफरी ने कहा, ‘मैं अदालत के निर्णय से निराश हूं. चूंकि मैं देश से बाहर हूं, इसलिए निर्णय का अध्ययन करने के बाद मैं विस्तृत बयान दूंगा.’
तनवीर के वकील के अनुसार, तनवीर फिलहाल हज यात्रा के लिए मक्का में हैं, जबकि जकिया अपनी बेटी के साथ अमेरिका में हैं.
हज यात्रा के लिए मक्का गए तनवीर ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, ‘मैंने उनसे (उनकी मां) आदेश के बारे में भी बात की और उन्होंने कहा कि उन्हें अल्लाह में पूरा विश्वास है. मैं भी प्रार्थना करूंगा कि हमें न्याय मिले.’
सूरत में रहने वाले तनवीर ने कहा कि वह इस कानूनी लड़ाई को देख रहे थे, क्योंकि उनकी 82 वर्षीय मां को सुनने में समस्या थी और वह लंबे समय तक खड़े या चल नहीं सकती थीं.
तनवीर ने कहा, ‘मैं यहां प्रार्थना कर रहा था, जब मेरे दोस्त ने फोन किया और मुझे आदेश के बारे में बताया. मैंने प्राथमिक विवरण देखा और पाया है कि इसमें 450 से अधिक पृष्ठ हैं. मुझे इसे देखने-समझने के लिए समय की आवश्यकता होगी.’
उन्होंने कहा कि वह लौटने के बाद इस संबंध में आगे की कार्रवाई के बारे में फैसला करेंगे.
गुजरात में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अर्जुन मोढवाडिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को मानने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘दंगों के दौरान कई लोगों को जिंदा जला दिया गया था. उनमें से एक हमारी पार्टी के पूर्व सांसद एहसान जाफरी थे. उनकी पत्नी जकिया न्याय पाने की उम्मीद में 85 साल की उम्र में भी मामला लड़ रही थीं. अब, उनके पास सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है.’
कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ‘जकिया जाफरी मामले में आज (शुक्रवार) फैसला सुनाया गया और ठीक दो मिनट में निर्णय आ गया. 8 फरवरी, 2012 की एसआईटी रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने पूरी तरह से स्वीकार कर लिया है. 15 अप्रैल, 2013 को दाखिल विरोध याचिका को पूरी तरह से खारिज कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कानून के शासन का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है, और इसलिए अपील खारिज कर दी गई है.’
सीतलवाड़ ने पूरी कानूनी लड़ाई के दौरान जकिया जाफरी का समर्थन किया.
जकिया के पति एहसान जाफरी 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद में गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार में मारे गए 68 लोगों में शामिल थे. इससे एक दिन पहले गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आग लगा दी गई थी, जिसमें 59 लोग मारे गए थे. इन घटनाओं के बाद ही गुजरात में दंगे भड़क गए थे.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी ने 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, नौकरशाहों और पुलिसकर्मियों सहित 63 अन्य के खिलाफ जकिया द्वारा दायर शिकायत की शुरुआती जांच के बाद उन्हें क्लीनचिट देते हुए एक क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी. इसने कहा गया था कि उनके खिलाफ कोई मुकदमा चलाने योग्य सबूत नहीं है.
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत, जहां शिकायत दर्ज की गई थी, ने इस क्लीनचिट का समर्थन किया था.
जकिया ने एसआईटी की रिपोर्ट के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे 2017 में हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दिया था. इसके बाद उन्होंने एसआईटी की रिपोर्ट को स्वीकार करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दंगों के पीछे एक बड़ी साजिश का आरोप लगाते हुए विरोध याचिका दायर की थी, जिसे उसने शुक्रवार को खारिज कर दिया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)