आदित्य ठाकरे बोले- बाग़ियों के लिए दरवाजे बंद, केंद्रीय मंत्री ने कहा- एमवीए सरकार 2-3 दिन चलेगी

महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार के घटक दल शिवसेना में मची अंदरूनी खींचतान के बीच केंद्र की भाजपा सरकार ने शिवसेना के 15 बाग़ी विधायकों को 'वाय प्लस' श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की है, तो वहीं असम सरकार के भाजपाई मंत्रियों ने गुवाहाटी के होटल में बाग़ी विधायकों से मुलाक़ात की. 

Guwahati: Maharashtra Minister and Shiv Sena leader Uday Samant with rebel party leader Eknath Shinde and other supporting MLAs, at Radisson Blu Hotel in Guwahati, Sunday, June 26, 2022. (PTI Photo)

महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार के घटक दल शिवसेना में मची अंदरूनी खींचतान के बीच केंद्र की भाजपा सरकार ने शिवसेना के 15 बाग़ी विधायकों को ‘वाय प्लस’ श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की है, तो वहीं असम सरकार के भाजपाई मंत्रियों ने गुवाहाटी के होटल में बाग़ी विधायकों से मुलाक़ात की.

गुवाहाटी के होटल में रविवार 26 जून को एकनाथ शिंदे के साथ मंत्री उदय सामंत और अन्य समर्थक विधायक. (फोटो: पीटीआई)

मुंबई: महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के घटक दल शिवसेना में मची अंदरूनी खींचतान के बीच मंत्री आदित्य ठाकरे ने रविवार को कहा कि बागी विधायक जो गद्दार हैं, उन्हें शिवसेना में वापस नहीं लिया जाएगा और पार्टी के दरवाजे उनके लिए खुले हुए हैं जो इसे छोड़ना चाहते हैं और जो पार्टी में वापस आना चाहते हैं.

‘जरूरत से ज्यादा बड़ी महत्वाकांक्षाएं’ पालने के लिए शिवसेना के नेता आदित्य ठाकरे ने रविवार को पार्टी के बागी विधायकों की कड़ी आलोचना की और कहा कि यदि सभी विधायक बागी हो जाएं, तब भी जीत पार्टी की ही होगी. साथ ही उन्होंने बागी विधायकों को फिर से चुनाव लड़ने की चुनौती दी.

आदित्य ने मुंबई में लगातार दूसरे दिन शिवसेना कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि बागी विधायकों के लिए राज्य और पार्टी के द्वार बंद हो गए हैं.

शिवसेना के अध्यक्ष व महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य (30) ने कहा, ‘दोबारा चुनाव लड़िए, हम आपको हराकर दिखाएंगे.’

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि उन्हें शर्म आती है कि एक पार्टी, जो केंद्र और असम में सत्ता में है, उसने दूसरे राज्य से दूसरे सत्तारूढ़ दल के विधायकों को ले जाकर पूर्वोत्तर के एक राज्य में रख रखा है, जो बाढ़ की चपेट में है.

आदित्य ने कहा कि विद्रोहियों को ‘कैदियों’ की तरह गुवाहाटी ले जाया गया है और लगभग 12 से 14 विधायक अब भी हमारे संपर्क में हैं.

राज्य के पर्यावरण एवं वन मंत्री आदित्य ने कहा, जब ये विधायक राज्य विधानसभा में आएं, तो हमारी आंखों में आंखें डालने की हिम्मत दिखाएं और हमें बताएं कि हमने उनके लिए क्या नहीं किया है. इन लोगों की महत्वाकांक्षाएं कभी खत्म नहीं होने वालीं.

आदित्य ने कहा कि सभी विधायकों को पर्याप्त विकास निधि उपलब्ध कराई गई. ठाकरे ने कहा कि शिवसेना आम लोगों की आवाज बन गई है.

ठाकरे कहा, ‘शिवसेना में एकनाथ शिंदे के लिए बहुत सम्मान था. मई में उनसे पूछा भी गया था कि क्या वह मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं … मुझे उन पर दया आती है, मैं आक्रोशित नहीं हूं. वह बगावत करके सूरत और फिर गुवाहाटी भागने के बजाय ठाणे या मुंबई में रहकर अपनी महत्वाकांक्षाएं जाहिर कर सकते थे.’

इससे पहले शनिवार को पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने बागी विधायकों को चेतावनी दी थी. उन्होंने कहा था कि मुंबई हवाईअड्डे से विधान भवन तक जाने वाली सड़क वर्ली से होकर गुजरती है.

मुंबई का वर्ली इलाका पारंपरिक रूप से शिवसेना का गढ़ रहा है, जहां से आदित्य ठाकरे विधायक हैं.

उन्होंने कहा था कि वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे की बगावत से पार्टी में पैदा हुआ मौजूदा राजनीतिक संकट ‘सच और झूठ’ के बीच की लड़ाई है. हम जीतेंगे और सच्चाई की जीत होगी.

बता दें कि महाराष्ट्र में वरिष्ठ मंत्री एकनाथ शिंदे के विद्रोह से उपजे राजनीतिक संकट के बीच शिवसेना के अधिकांश विधायकों ने शिंदे का समर्थन किया है और वे फिलहाल भाजपा शासित राज्य असम के गुवाहाटी में डेरा डाले हुए हैं. शिंदे और उनके समूह ने दावा किया है कि वे ‘असली शिवसेना’ का प्रतिनिधित्व करते हैं.

विद्रोही समूह ने कहा है कि उसे विधायक दल में दो-तिहाई बहुमत प्राप्त है और वह सदन में अपनी शक्ति साबित करेगा. असंतुष्टों ने अपने समूह का नाम ‘शिवसेना (बालासाहेब)’ रखा है.

शिवसेना नेताओं ने विद्रोहियों पर हमले तेज किए, पवार की एमवीए नेताओं के साथ बैठक

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे के बीच जारी सत्ता संघर्ष रविवार को और तेज हो गया. संजय राउत के नेतृत्व में शिवसेना के नेताओं ने विद्रोहियों पर तीखा हमला बोला, जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के नेताओं के साथ बंद दरवाजे में बैठक की.

शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने लगातार दूसरे दिन मुंबई और पुणे समेत राज्य के विभिन्न हिस्सों में बागियों के खिलाफ प्रदर्शन किया.

राज्य के मंत्री व शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे और पार्टी के प्रवक्ता संजय राउत ने उपनगरीय दहिसर में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने संकटग्रस्त पार्टी नेतृत्व के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश की और शिंदे गुट पर हमला बोला.

शरद पवार ने राकांपा के नेताओं, कांग्रेस के मंत्रियों बालासाहेब थोराट व अशोक चव्हाण और शिवसेना के अनिल परब व अनिल देसाई से मुलाकात की और छह दिन पहले हुए विद्रोह के राजनीतिक परिणामों पर चर्चा की.

राउत ने कहा कि मौजूदा संकट शिवसेना को पुनर्जीवित करने का एक अवसर है.

उन्होंने शिवेसना कार्यकर्ताओं को संबोधित करने के दौरान शिंदे के साथ गुवाहाटी में मौजूद विधायकों की संख्या की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘हमने सबक सीख लिया है कि किस पर भरोसा किया जाना चाहिए. वे ऐसे शरीर हैं, जिनकी आत्मा मर चुकी है. उनका मस्तिष्क मर चुका है. 40 शव असम से आएंगे और पोस्टमॉर्टम के लिए सीधे मुर्दाघर भेजे जाएंगे.’

इस बीच, शिवसेना के एक अन्य नेता और उच्च व तकनीकी शिक्षा कैबिनेट मंत्री उदय सामंत से कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है और वह कथित तौर पर सूरत से गुवाहाटी जा रहे हैं.

बागी विधायकों के मुंबई पहुंचने की जानकारी नहीं : पुलिस

बहरहाल, मुंबई पुलिस को इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि शिवसेना के बागी विधायक असम के गुवाहाटी से मुंबई कब पहुंचेंगे, लेकिन हवाई अड्डों को अलर्ट करने सहित विभिन्न तैयारियां जारी हैं. एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी.

अधिकारी ने कहा, ‘हमने हवाई अड्डों को अलर्ट कर दिया है और कर्मियों को तैनात कर दिया है. हमें नहीं पता कि ये विधायक कब यहां आएंगे. विधायकों ने वहां (गुवाहाटी) होटल प्रबंधन से अपने ठहरने की अवधि 28 जून तक बढ़ाने को कहा है.’

इस बीच, ठाकरे के प्रति वफादार शिवसेना कार्यकर्ताओं ने राज्य के कई हिस्सों में रैलियां और विरोध प्रदर्शन किए. अधिकारियों ने कहा कि शिवसेना के कुछ कार्यकर्ताओं ने उस्मानाबाद के विधायक बालाजी कल्याणकर के घर पर हमला करने की कोशिश की.

वहीं, शिंदे के समर्थन में भी रैली आयोजित की गईं. ठाणे और पालघर तथा रायगढ़ के आसपास के इलाकों में शिंदे के समर्थकों ने प्रदर्शन किया.

तो दूसरी ओर, शिवसेना के छह कार्यकर्ताओं को कल्याण से लोकसभा सांसद और बागी विधायक एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे के कार्यालय पर पथराव करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. ठाणे पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी.

गौरतलब है कि आठ से 10 लोगों की भीड़ ने शनिवार को सांसद के उल्हासनगर स्थित कार्यालय पर हमला कर दिया था.

उल्हासनगर पुलिस थाने के एक अधिकारी ने बताया कि शिवसेना के शाखा प्रमुखों सुरेश पाटिल, नितिन बोथ, उमेश पवार, संतोष कानसे और लतेश पाटिल तथा पार्टी की युवा इकाई युवा सेना के पदाधिकारी बाला बागुरे को भारतीय दंड संहिता, महाराष्ट्र पुलिस कानून की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है.

शिवसेना विधायक के रूप में इस्तीफा देकर नए सिरे से चुनाव का सामना करें बाग़ी: राउत

शिवसेना पर नियंत्रण को लेकर उद्धव ठाकरे और बागी विधायक एकनाथ शिंदे के दरम्यान जारी खींचतान के बीच पार्टी के नेता संजय राउत ने बागी विधायकों को विधानसभा की सदस्यता छोड़कर नए सिरे से चुनाव का सामना करने की चुनौती दी. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जो वापस आना चाहते हैं, उनके लिए पार्टी के द्वार खुले हैं.

उन्होंने आशा व्यक्ति की कि एमवीए सरकार वर्तमान संकट से बाहर निकल जाएगी.

राउत ने कहा, ‘विद्रोहियों को मेरी खुली चुनौती है कि वे इस्तीफा दें और अपने मतदाताओं से नए सिरे से जनादेश मांगें. अतीत में, छगन भुजबल, नारायण राणे और उनके समर्थकों ने अन्य दलों में शामिल होने के लिए शिवसेना विधायक के रूप में इस्तीफा दे दिया था. यहां तक ​​​​कि मध्य प्रदेश में (केंद्रीय मंत्री) ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों ने (मार्च 2020 में) कांग्रेस विधायकों के रूप में इस्तीफा दे दिया था.’

उन्होंने कहा कि शिवसेना के नेता और कार्यकर्ता तैयार हैं और नेतृत्व के संकेत का इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने संकेत दिया कि पार्टी विद्रोहियों से निपटने के लिए तैयार है.

इस बीच, उन्होंने ट्वीट कर कहा कि आखिर कब तक वे (विधायक) असम के गुवाहाटी में छिपे रहेंगे, आखिरकार उन्हें चौपाटी (मुंबई के संदर्भ में) आना ही होगा.

दक्षिण मुंबई में मंत्रालय (राज्य सचिवालय), विधान भवन (विधायिका परिसर), राजभवन और मुख्यमंत्री का आधिकारिक बंगला ‘वर्षा’ सहित प्रमुख सरकारी प्रतिष्ठान गिरगाम समुद्र तट के आसपास के क्षेत्र में स्थित हैं, जिसे गिरगाम चौपाटी भी कहा जाता है.

केंद्र ने शिवसेना के 15 बागी विधायकों को ‘वाई प्लस’ श्रेणी की सीआरपीएफ सुरक्षा प्रदान की

इस बीच, केंद्र सरकार ने रविवार को शिवसेना के कम से कम 15 बागी विधायकों को सीआरपीएफ जवानों से लैस ‘वाई प्लस’ श्रेणी का सुरक्षा घेरा प्रदान किया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया जिन विधायकों को सुरक्षा मुहैया कराई गई है, उनमें रमेश बोर्नारे, मंगेश कुदलकर, संजय शिरसत, लताबाई सोनवणे, प्रकाश सुर्वे और 10 अन्य विधायक शामिल हैं.

अधिकारियों के मुताबिक, महाराष्ट्र में रहने वाले इन विधायकों के परिवारों को भी सुरक्षा प्रदान की जाएगी, क्योंकि सुरक्षा घेरे के अंतर्गत गृह सुरक्षा दल भी शामिल हैं.

उन्होंने बताया कि केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा गृह मंत्रालय से की गई एक सिफारिश के बाद विधायकों को ‘वाई प्लस’ श्रेणी की सीआरपीएफ सुरक्षा प्रदान करने की मंजूरी दी गई है.

सिफारिश में कहा गया था कि बागी विधायकों और उनके परिजनों को महाराष्ट्र के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य के कारण संभावित खतरों का सामना करना पड़ सकता है.

अधिकारियों के अनुसार, विधायकों के महाराष्ट्र लौटने के बाद प्रत्येक पाली में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के लगभग चार से पांच कमांडो उनकी सुरक्षा करेंगे.

एमवीए सरकार दो-तीन दिन ही चलेगी: केंद्रीय मंत्री दानवे

केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे ने रविवार को कहा कि महाराष्ट्र में महा विकास आघाड़ी (एमवीए) की सरकार दो-तीन दिन तक ही चलेगी.

राज्य सरकार में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से मंत्री राजेश टोपे की उपस्थिति मेंजालना में एक कृषि विभाग भवन के उद्घाटन समारोह में भाजपा नेता ने कहा कि एमवीए को शेष विकास कार्यों को जल्द से जल्द पूरा करना चाहिए क्योंकि हम (भाजपा) केवल दो- तीन दिन के लिए ही विपक्ष में हैं.

एमवीए में शिवसेना के अलावा राकांपा और कांग्रेस भी शामिल हैं.

केंद्रीय रेलवे, कोयला एवं खान राज्य मंत्री ने कहा, ‘समय निकल रहा रहा है. यह सरकार दो- तीन दिन चलेगी. इस बगावत से भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है. शिवसेना के बागियों की मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से नाराजगी है.’

एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले समूह के भाजपा में विलय की संभावना के बारे में पूछे जाने पर, दानवे ने कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है और अगर कोई प्रस्ताव आता है तो वरिष्ठ नेतृत्व फैसला करेगा.

उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने की कोई संभावना नहीं है.

असम के भाजपाई मंत्रियों ने गुवाहाटी के होटल में शिवसेना के बागी विधायकों से मुलाकात की

इस बीच, असम सरकार के मंत्रियों अशोक सिंघल और पीयूष हजारिका ने रविवार को गुवाहाटी के एक लग्जरी होटल में ठहरे महाराष्ट्र के बागी विधायकों से मुलाकात की. यहां शिवसेना के असंतुष्ट विधायक एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में डेरा डाले हुए हैं. सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी.

असम के आवास और शहरी मामलों के मंत्री सिंघल ने गत दो दिन में तीसरी बार महाराष्ट्र के बागी विधायकों से मुलाकात की है. वह शनिवार को दो बार होटल गए थे और उन्होंने शिंदे तथा अन्य बागी विधायकों से बातचीत की थी.

इस बीच, सिलचर से बाढ़ का जायजा लेकर लौटे मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा कुछ मिनट के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग-37 के गोतानगर इलाके में रुके जहां पर यह होटल रेडिसन ब्लू स्थित है.

उनका काफिला रेडिसन ब्लू होटल के सामने सड़क की दूसरी ओर रुका और उन्होंने उन संवाददाताओं का अभिवादन किया जो होटल के बंद द्वार के बाहर रिपोर्टिंग कर रहे थे. इसके बाद वह वहां से चले गए.

एक सूत्र ने बताया कि असम के संसदीय कार्य मंत्री हजारिका सुबह होटल गए और वहां पर करीब दो घंटे तक रहे.

उन्होंने बताया, ‘सिंघल पूर्वाह्न करीब 11 बजे होटल पहुंचे. सिंघल के होटल जाने से पहले ही हजारिका वहां से लौट आए थे.’

हजारिका के होटल से लौटने के बाद सिंघल की एसयूवी गाड़ी को सुरक्षा कर्मियों के साथ होटल में दाखिल होते देखा गया.

सूत्र ने बताया, हालांकि, तत्काल स्पष्ट नहीं हो सका है कि सिंघल और हजारिका ने महाराष्ट्र के शिवसेना और निर्दलीय विधायकों से क्या चर्चा की.

पूरे घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक अन्य सूत्र ने बताया कि सिंघल शनिवार दोपहर और रात को भी होटल गए थे और बागी विधायकों से मुलाकात की थी.

जब सिंघल से संपर्क किया गया तो उन्होंने शनिवार दोपहर और रविवार सुबह होटल जाने की पुष्टि की लेकिन विस्तृत जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया. उन्होंने शनिवार रात होटल जाने का जिक्र नहीं किया.

हालांकि, मंत्री के एक करीबी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘सिंघल वहां एक विधायक से मिलने गए थे जिसे वह जानते हैं.’

हजारिका से इस मामले पर बात नहीं हो सकी.

यह मुलाकात इस मायने में अहम है कि कुछ घंटे पहले ही महाराष्ट्र के 16 बागी विधायकों को अयोग्य करार देने का नोटिस दिया गया था.

बागी विधायकों से उनकी अयोग्यता को लेकर विधान भवन सचिवालय ने किया जवाब तलब

इससे पहले शनिवार को महाराष्ट्र विधान भवन सचिवालय ने एकनाथ शिंदे समेत शिवसेना के 16 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने संबंधी अर्जी पर शनिवार को ‘समन’ जारी कर उनसे 27 जून की शाम तक लिखित जवाब मांगा.

महाराष्ट्र विधान भवन के प्रधान सचिव राजेंद्र भागवत द्वारा हस्ताक्षरित, एक पत्र में शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु द्वारा नामित सभी 16 विधायकों को समन भेजा गया है.

इससे पहले, प्रभु ने गुवाहाटी में डेरा डाले शिंदे गुट के बागी विधायकों को बुधवार को यहां पार्टी की बैठक में शामिल होने के लिए कहा था, लेकिन उनमें से कोई भी नहीं आए.

इसके बाद शिवसेना ने सचिवालय को दो पत्र सौंपे, जिसमें शिंदे सहित 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है.

भागवत द्वारा शनिवार को जारी समन में कहा गया है कि प्रभु ने विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल को एक पत्र सौंपा है, जिसमें महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य (दलबदल के आधार पर अयोग्यता) नियमावली, 1986 के तहत उनकी अयोग्यता की मांग की गई है.

पत्र में कहा गया है, ‘समन पर अपने बचाव में, आपको सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ 27 जून (सोमवार) को शाम 5.30 बजे से पहले आवश्यक रूप से अपना लिखित जवाब देना है. यदि समन का लिखित जवाब निश्चित अवधि में नहीं दिया जाता है, तो यह माना जाएगा कि इस बारे में आपको कुछ कहना नहीं है. आपके खिलाफ प्रभु द्वारा दर्ज की गई शिकायत के आधार पर कार्यालय आवश्यक कार्रवाई शुरू करेगा.’

बहरहाल, दो-तिहाई से अधिक विधायकों के समर्थन होने का दावा करने वाले शिंदे खेमे ने घोषणा की है कि प्रभु को पार्टी के सचेतक के तौर पर भरत गोगावाले से प्रतिस्थापित किया गया है.

शिवसेना की ठाणे जिला इकाई के अध्यक्ष ने दिया इस्तीफा

शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के करीबी माने जाने वाले नरेश म्हास्के ने एमवीए के घटक दल एनसीपी के रवैये के विरोध में शनिवार को शिवसेना की ठाणे जिला इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.

उन्होंने हालांकि जोर देकर कहा कि वह हमेशा शिवसैनिक बने रहेंगे.

शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को संबोधित एक पत्र में, ठाणे के पूर्व महापौर ने कहा कि पिछले ढाई वर्षों में एनसीपी के कारण शिवसैनिक (राजनीतिक रूप से) घुटन महसूस कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘मैं शिवसेना की ठाणे जिला इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहा हूं, लेकिन हमेशा के लिए शिवसैनिक बना रहूंगा.’

म्हास्के ने कहा कि शिवसैनिक आक्रामक हिंदुत्व में विश्वास करते हैं.

मेरी लड़ाई शिवसेना को एमवीए के चंगुल से बाहर निकालने के लिए है: शिंदे

इस बीच, महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों से शिवसेना के बाग़ी विधायकों के खिलाफ शिवसैनिकों के प्रदर्शन संबंधी खबरों पर शिंदे ने शनिवार देर शाम कहा कि शिवसेना कार्यकर्ताओं को समझना चाहिए कि वह पार्टी को एमवीए के चंगुल से बाहर निकालने के लिए संघर्ष रहे हैं.

शिंदे ने यह अपील पार्टी अध्यक्ष एवं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के समर्थक कार्यकर्ताओं द्वारा उनके नेतृत्व वाले बागी विधायकों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने, उनके बैनरों को हटाने, कुछ जगहों पर पथराव करने और पुणे में एक विधायक के कार्यालय में तोड़फोड़ करने के बाद की है.

शिंदे ने ट्वीट कर कहा, ‘मेरे प्रिय शिवसेना के कार्यकर्ताओं, एमवीए की साजिश को समझने की कोशिश करें. मैं शिवसेना और शिवसेना कार्यकर्ताओं को एमवीए के चंगुल से बाहर निकालने के लिए लड़ रहा हूं.’

उन्होंने कहा, ‘मैं इस लड़ाई को शिवसेना कार्यकर्ताओं के हित में समर्पित करता हूं.’

इससे पहले, शिवसेना के बागी विधायकों ने शनिवार को कहा था कि उन्होंने शिवसेना नहीं छोड़ी है, एनसीपी और कांग्रेस से गठबंधन के चलते उद्धव ठाकरे से मतभेद हुए हैं.

बागी समूह के प्रवक्ता दीपक केसरकर ने कहा कि उनके पास दो तिहाई बहुमत है और इसलिए शिंदे शिवसेना विधायक दल के नेता बने हुए हैं. उन्होंने दोहराया कि पार्टी प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ दरार का कारण 2019 में भाजपा के साथ गठबंधन समाप्त करने तथा एनसीपी और कांग्रेस से हाथ मिलाने का उनका निर्णय था.

गुवाहाटी से एक ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में केसरकर ने कहा कि उन्होंने शिवसेना नहीं छोड़ी है, लेकिन अपने समूह का नाम शिवसेना (बालासाहेब) रखा है.

उन्होंने कहा कि सिर्फ 16 या 17 लोग 55 विधायकों के समूह के नेता को नहीं बदल सकते हैं और शिवसेना का बागी गुट शिंदे को शिवसेना समूह के नेता के रूप में बदलने के महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल के आदेश को अदालत में चुनौती देगा.

केसरकर ने कहा, ‘विधायकों ने पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से कहा था कि हमें उस पार्टी के साथ रहना चाहिए जिसके साथ हमने चुनाव लड़ा था.. जब इतने सारे लोग एक ही राय व्यक्त करते हैं, तो उसमें कुछ ठोस होना चाहिए.’

वह शिंदे समूह की उस शुरुआती मांग का संदर्भ दे रहे थे कि शिवसेना को भाजपा के साथ अपना गठबंधन फिर से शुरू करना चाहिए और कांग्रेस तथा एनसीपी से संबंध तोड़ लेना चाहिए.

यह पूछे जाने पर कि क्या शिंदे समूह महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार से समर्थन वापस लेगा, केसरकर ने कहा, ‘हमें समर्थन क्यों वापस लेना चाहिए? हम शिवसेना हैं. हमने पार्टी को हाईजैक नहीं किया है, एनसीपी और कांग्रेस ने इसे हाईजैक कर लिया है.’

उन्होंने कहा, ‘हम शिवसेना को नहीं तोड़ रहे हैं. हम उनसे (उद्धव) भाजपा से हाथ मिलाने को कह रहे हैं.’

बहरहाल, शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने बागियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए उद्धव को अधिकृत किया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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