सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद आया उनका गीत केंद्र की आपत्ति के बाद यूट्यूब से हटाया गया

सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद उनका गाना 'एसवाईएल' 23 जून को रिलीज़ हुआ था, लेकिन 26 जून से वह भारत में यूट्यूब पर नहीं दिख रहा है. लिंक खोलने पर यूट्यूब बताता है कि सरकार की ओर से क़ानूनी शिकायत के चलते यह देश में उपलब्ध नहीं हैं. गाने के केंद्र में सतलुज-यमुना लिंक नहर विवाद है, साथ ही 1984 के दंगे, सिख क़ैदियों, किसान आंदोलन जैसे पंजाब के विभिन्न मुद्दों का ज़िक्र है.

(फोटो साभार: सिद्धू मूसेवाला/फेसबुक)

सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद उनका गाना ‘एसवाईएल’ 23 जून को रिलीज़ हुआ था, लेकिन 26 जून से वह भारत में यूट्यूब पर नहीं दिख रहा है. लिंक खोलने पर यूट्यूब बताता है कि सरकार की ओर से क़ानूनी शिकायत के चलते यह देश में उपलब्ध नहीं हैं. गाने के केंद्र में सतलुज-यमुना लिंक नहर विवाद है, साथ ही 1984 के दंगे, सिख क़ैदियों, किसान आंदोलन जैसे पंजाब के विभिन्न मुद्दों का ज़िक्र है.

सिद्धू मूसेवाला. (फोटो साभार: फेसबुक)

जालंधर: दिवंगत पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला का गाना ‘एसवाईएल’ अब भारत में यूट्यूब पर उपलब्ध नहीं है. यह गाना उनकी हत्या के बाद रिलीज़ किया गया था.

इस गाने को मूसेवाला ने लिखा था और उन्होंने ही इसका संगीत दिया था. इसे निर्माता एमएक्सआरसीआई ने शुक्रवार को रिलीज़ किया था. गाने का नाम सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर को लेकर है, जो कई दशक से पंजाब और हरियाणा के बीच विवाद का विषय रहा है.

भारत में यूट्यूब ने इस गाने को रविवार को अपने मंच से हटा दिया. गाना खोलने पर यूट्यूब की ओर से यह संदेश आ रहा है, ‘वीडियो अनुपलब्ध है. यह सामग्री सरकार की ओर से कानूनी शिकायत की वजह से इस देश में उपलब्ध नहीं हैं.’

यूट्यूब पर जारी होने के बाद ‘एसवाईएल’ को 2.7 करोड़ बार देखा जा चुका था जबकि 33 लाख लोगों ने इसे ‘लाइक’ किया था.

बता दें कि सिद्धू मूसेवाला नाम से मशहूर गायक शुभदीप सिंह सिद्धू की पिछले महीने 29 मई को  पंजाब के मनसा जिले में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

संगरूर उपचुनाव के नतीजे घोषित होने के ठीक बाद भारत में गाने के वीडियो को ब्लॉक किया गया. संगरूर में कट्टर सिख नेता शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के प्रमुख सिमरनजीत सिंह मान ने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार गुरमेल सिंह को हराकर जीत दर्ज की है.

यूट्यूब स्क्रीनशॉट, जिसमें गाने को अनुपलब्ध बताया जा रहा है.

गाने को लेकर केंद्र सरकार का आकलन है कि इसमें हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की राजनीति को प्रभावित करने की क्षमता है, जहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.

गाने के अनुपलब्ध होने के कुछ ही समय बाद शिरोमणि अकाली दल के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इस कदम का विरोध किया गया.

वीडियो ब्लैक एंड ह्वाइट में जारी किया गया है और उसमें प्रदर्शन की पुरानी तस्वीरें भी दिखाई गई है, गाने ने नदी के जल बंटवारे की योजना और पंजाब के मरुस्थलीकरण के गंभीर मुद्दे की ओर फिर से ध्यान आकर्षित किया है.

मूसेवाला ने अपने अनूठे बोल्ड अंदाज और आकर्षक गीतकारी से गाने में पंजाब के लंबे समय से चले आ रहे ऐतिहासिक और राजनीतिक मुद्दों पर सवाल उठाया, जिनमें एसवाईएल नहर का विवाद, 1984 के सिख विरोधी दंगों के शिकार, सिख आतंकवाद, सजा पूरी हो जाने के बावजूद जेलों में बंद सिख कैदी और सिख कार्यकर्ता बलविंदर सिंह जट्टाना के मुद्दे शामिल हैं. जट्टाना का नाम 23 जुलाई 1990 को एसवाईएल नहर के निर्माण को रोकने का पर्याय बन चुका है.

बाद में जट्टाना के परिवार के चार सदस्यों- द्वारकी कौर (80), सिमरनजीत सिंह (5), जसमेर कौर और मनप्रीत कौर- को उनके ही घर में मार दिया गया और जिंदा जला दिया गया. यह वारदात चंडीगढ़ के तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) और पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) रहे सुमेध सिंह सैनी पर हमले के बाद हुई.

जट्टाना 4 दिसंबर 1991 में एक पुलिस मुठभेड़ में मारे गए थे.

गौरतलब है कि 214 किलोमीटर लंबी एसवाईएल नहर परियोजना 8 अप्रैल, 1982 को पटियाला जिले के कपूरी गांव में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा शुरू की गई थी. इसका उद्देश्य पंजाब की सतलुज नदी के पानी को हरियाणा के साथ साझा करना था.

हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में एसवाईएल पंजाब, हरियाणा और केंद्र सरकार के बीच एक राजनीतिक और कानूनी मुद्दा बन गया है.

गाने के बोल

(फोटो साभार: सिद्धू मूसेवाला/फेसबुक)

गाने की शुरुआत हरियाणा से आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद सुशील गुप्ता के बयान से होती है, जिन्होंने पंजाब में आप सरकार बनने के बाद कहा था, ‘2025 तक एसवाईएल का पानी हरियाणा के हर खेत में पहुंचेगा. यह हमारा वादा नहीं है, बल्कि गारंटी है.’

Raising the demand for ‘sovereignty’, Moosewala begins by saying: “Sanu sada pichokad te lana de dayo, Chandigarh, Himachal te Haryana de dayo, Jinna chir sanu sovereignty da raah nai dinde, ona chir pani chaddo, tupka nai dinde.” (Give us back our past and community. Give us Chandigarh, Himachal and Haryana. Forget about (river) water, we will not give you a single drop, until you give us sovereignty.)

इसके बाद मूसेवाला गाने में पंजाब की संप्रभुता की मांग करते हुए कहते हैं ‘सानू सदा पिछोकड़ ते लाना दे दयो, चंडीगढ़, हिमाचल ते हरयाणा दे दयो , जिन्ना चिर सानू सोवेरनिटी द राह न दिंदे , ओना चिर पानी छड्डो, टुपका नहीं दिंदे.’ (हमारा अतीत हमे वापस दो, चडीगढ़, हिमाचल, हरियाणा हमें दो, नदी के पानी की भूल जाओ, हमें संप्रभुता नहीं मिलने तक पानी की एक बूंद नहीं देंगे.)

आगे के बोलों में उन्होंने कहा है कि ‘कलम नि रुकणि हुण नित नवा गाना आया, जे न तले फेर मुड़ बलविंदर जट्टाना आया, फेर पुत्त बेगाने नेहरा च देखन ला ही दिंदे, ओना चिर पानी छड्डो, टुपका नहीं दिंदे.’ (कलम नहीं रुकेगी और हर दिन एक नया गाना आएगा, अगर तुम कदम वापस पीछे नहीं लेते हो तो बलविंदर जट्टाना जैसा कोई वापस आएगा)

मूसेवाला ने सिख कैदियों की रिहाई के बारे में भी जिक्र किया है, जिनमें जगतार सिंह हवारा, देविंदर पाल भुल्लर, गुरदीप सिंह खैरा, लखविंदर सिंह, गुरमीत सिंह, शमशेर सिंह, जगतार सिंह तारा और बलवंत सिंह राजोआना के नाम शामिल हैं और उनकी तस्वीरें म्यूजिक वीडियो में शामिल की गई हैं.

गाने के बोलों के अतिरिक्त संयुक्त पंजाब के नक्शे पर कुछ महत्वपूर्ण अंग्रेजी उपशीर्षक (सब्टाइटल्स) भी दिखाए गए हैं, जैसे: ‘हमारा पानी लूटे जाने से रोकने के लिए हमें 1966 पुनर्गठन अधिनियम और 2004 के समझौते की समाप्ति अधिनियम की धारा 5 को पूरी तरह खत्म करना होगा’, साथ ही 1984 के दंगों और पंजाब में पानी की कमी पर भी बात है.

आगे, गाने में ‘दिल्ली चलो’ मार्च के दृश्य हैं जब ऐतिहासिक किसान आंदोलन शुरू हुआ था और 26 जनवरी 2021 को दिल्ली के लाल किले पर ‘निशान साहिब’ (सिख झंडा) लगाया गया था. वीडियो में दीप सिद्धू का भी बयान है, जिनकी पंजाब विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले एक कार दुर्घटना में मौत हो गई थी.

वीडियो का अंत किसान आंदोलन के दौरान मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा दिए बयान के साथ होता है, जिसमें उन्होंने सिफारिश की थी कि केंद्र सरकार सिख समुदाय के सब्र का इम्तिहान न ले, क्योंकि वे अपने साथ हुए अन्याय को याद रखने और कई सालों बाद भी उसका बदला लेने के लिए जाने जाते हैं.

मूसेवाला का गाना पंजाब के लोगों को तीन महत्वपूर्ण संदेश देते हुए खत्म होता है, पंजाब के मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए पंजाब की नदी के पानी को बचाने की आप सब आखिरी उम्मीद हैं’, ‘पंजाब का पानी बचाओ’ और ‘सिख कैदियों को रिहा करो.’

‘एसवाईएल’ गाने और पंजाब के मुद्दों पर विशेषज्ञों की राय

लेखक और वरिष्ठ पत्रकार जगतार सिंह ने द वायर  से कहा, ‘सिद्धू मूसेवाला ने पंजाब के मुद्दों पर ध्यान वापस ला दिया है. आतंकवाद इन्हीं मुद्दों के इर्द-गिर्द पनपा था. पंजाब के नदी जल का मुद्दा उग्रवादियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण था, खासकर खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (केएलएफ) और बब्बर खालसा से जुड़े लोगों के लिए.’

जगतार सिंह एसवाईएल के खिलाफ भड़के आंदोलन के दौरान इंडियन एक्सप्रेस के साथ काम कर रहे थे. जगतार बताया कि बलविंदर सिंह जट्टाना और उनके दो साथियों द्वारा दो इंजीनियर के हत्या के समय तक नहर का करीब 90 फीसदी काम पूरा हो गया था, उनके हमले से निर्माण कार्य रुका और बाकी 10 फीसदी आज तक अधूरा है.

मूसेवाला के गाने को मिले भारी समर्थन पर जगतार सिंह कहते हैं, ‘यह निश्चित तौर पर पंजाब की समीकरणों को हिला देगा.’

उन्होंने कहा, ‘राजनीतिक तौर पर इसका अधिक प्रभाव न हो क्योंकि एसवाईएल के निर्माण में कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल, दोनों ही बराबर के दोषी थे, लेकिन यह युवाओं को एकजुट कर सकता है.’

उन्होंने कहा, ‘मूसेवाला ने उन सभी प्रमुख मुद्दों को छुआ जिन पर लंबे समय से बात नहीं हुई थी.’

किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि पंजाब के अनसुलझे मुद्दे पहले भी मौजूद थे, लेकिन मूसेवाला के गाने ने उन सभी को फिर से सुर्खियों में ला दिया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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