महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष द्वारा शिवसेना के बाग़ी विधायकों को जारी किए गए अयोग्यता नोटिसों के जवाब में एकनाथ शिंदे ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. वहीं, शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार की उस याचिका पर अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, जिसमें विधानसभा में बहुमत परीक्षण नहीं कराए जाने का अनुरोध किया गया था.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) ने महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष द्वारा जारी अयोग्यता नोटिस के खिलाफ शिवसेना के बागी विधायकों को राहत प्रदान करते हुए सोमवार को कहा कि संबंधित विधायकों की अयोग्यता पर 11 जुलाई तक फैसला नहीं लिया जाना चाहिए.
इसके साथ ही अदालत ने अयोग्यता नोटिस की वैधानिकता को चुनौती देने वाले बागी विधायकों की याचिकाओं पर जवाब मांगा.
हालांकि, शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार की उस याचिका पर अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, जिसमें विधानसभा में बहुमत परीक्षण नहीं कराए जाने का अनुरोध किया गया था. अदालत ने कहा कि वे किसी भी अवैध कदम के खिलाफ उसका रुख कर सकते हैं.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को शिवसेना के 39 बागी विधायकों और उनके परिवार के जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति की सुरक्षा करने का निर्देश भी दिया.
महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष को नोटिस जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बागी विधायकों द्वारा दिए गए अविश्वास प्रस्ताव नोटिस को हलफनामा रिकॉर्ड में रखने का निर्देश दिया.
शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वकील के उस बयान को भी रिकॉर्ड में लिया कि बागी विधायकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाए गए हैं.
मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी.
इससे पहले बागी विधायकों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एनके कौल ने पीठ को बताया कि विधायक दल का उद्धव ठाकरे समूह अल्पमत में है और राज्य की व्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा है.
कौल ने कहा कि मुंबई में इन विधायकों के लिए माहौल अनुकूल नहीं है क्योंकि उन्हें धमकी दी गई है.
बता दें कि महाराष्ट्र में शिवसेना के बागी मंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने तथा 15 अन्य बागी विधायकों को विधानसभा उपाध्यक्ष द्वारा भेजे गये अयोग्यता नोटिस के खिलाफ रविवार को उच्चतम न्यायालय का रुख किया था और इस कार्रवाई को ‘गैरकानूनी और असंवैधानिक’ करार देने तथा इस पर रोक लगाने का निर्देश देने की अपील की थी.
शिंदे और शिवसेना के विधायकों का बड़ा हिस्सा 22 जून से असम की राजधानी गुवाहाटी के एक होटल में डेरा डाले हुए है.
बागी विधायकों ने राज्य की महाविकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है जिससे सरकार गिरने का खतरा उत्पन्न हो गया है.
शिंदे के नेतृत्व वाला विद्रोही समूह मांग कर रहा है कि शिवसेना को महा विकास आघाड़ी गठबंधन (एमवीए) से हट जाना चाहिए, लेकिन शिवसेना सुप्रीमो और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने हार मानने से इनकार कर दिया है और पार्टी ने अब असंतुष्टों से कहा है कि वे इस्तीफा दें और फिर से चुनाव लड़ें. एमवीए में कांग्रेस और एनसीपी भी शामिल हैं.
महाराष्ट्र विधानसभा सचिवालय ने इन बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की मांग पर शनिवार को 16 बागी विधायकों को ‘समन’ जारी कर 27 जून की शाम तक लिखित जवाब मांगा था.
शिंदे ने महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्यों (दलबदल के आधार पर अयोग्यता) नियम, 1986 के प्रावधानों के ‘मनमाने और अवैध’ इस्तेमाल को चुनौती देते हुए अपनी याचिका में कहा कि वह संविधान के अनुच्छेद -32 के तहत इस न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का उपयोग करने के लिए विवश हैं. उनका कहना है कि विधानसभा उपाध्यक्ष द्वारा विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के लिए शुरू की गई प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद-14 और 19(1)(जी) का पूरी तरह से उल्लंघन है.
याचिका में तर्क दिया गया है कि फरवरी 2021 में नाना पटोले के पद से इस्तीफा देने के बाद से अध्यक्ष की सीट खाली है और किसी अन्य के पास यह अधिकार नहीं है कि वह अयोग्यता याचिका पर निर्णय ले सके, जिसके तहत याचिकाकर्ता को नोटिस जारी किया गया है.
शिंदे ने शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु के कहने पर बागी विधायकों के खिलाफ शुरू की गई अवैध अयोग्यता कार्यवाही को चुनौती दी है और कहा है कि शिवसेना विधायक दल के मुख्य सचेतक से उन्हें हटाए जाने के बाद उनके पास व्हिप जारी करने का कोई अधिकार नहीं रह गया है और तदनुरूप मामले को सत्यापित किए बिना उपाध्यक्ष द्वारा समन जारी किया जाना अनुचित है.
अधिवक्ता अभिनय शर्मा के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि उपाध्यक्ष अपने स्वयं के निष्कासन प्रस्ताव के लंबित रहने के दौरान संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत किसी भी सदस्य को अयोग्य नहीं ठहरा सकते हैं.
शिवसेना के दो-तिहाई से अधिक विधायकों के समर्थन का दावा करने वाले शिंदे समूह ने तर्क दिया है कि प्रभु के स्थान पर भरत गोगावाले को पार्टी का सचेतक नियुक्त किया जा चुका है.
गुवाहाटी में, सूत्रों ने कहा कि विधायक रविवार सुबह से बैठक कर रहे थे और नोटिस जारी होने के बाद विभिन्न विकल्पों पर चर्चा कर रहे थे.
इस बीच, महाराष्ट्र के एक अन्य मंत्री उदय सामंत रविवार को गुवाहाटी पहुंचे और असंतुष्ट खेमे में शामिल हो गए. सामंत का काफिला असम पुलिस के साथ राष्ट्रीय राजमार्ग 37 के पास रैडिसन ब्लू होटल में प्रवेश करते देखा गया।.
अब तक महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री गुलाबराव पाटिल, दादा भुसे, संदीपन भुमरे और राज्य मंत्री शंबुराजे देसाई और अब्दुल सत्तार विद्रोही खेमे में शामिल हो चुके हैं.
एक अन्य मंत्री प्रहार जनशक्ति पार्टी के बाचु कडू और शिवसेना कोटे से निर्दलीय मंत्री राजेंद्र यड्रावकर भी शिंदे के साथ डेरा डाले हुए हैं.
शिंदे की बगावत के बाद उद्धव खेमे से आदित्य शिवसेना के एकमात्र कैबिनेट मंत्री बचे, जो विधायक हैं
कैबिनेट मंत्री उदय सामंत के एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले धड़े में शामिल होने के साथ ही उद्धव ठाकरे खेमे से आदित्य ठाकरे शिवसेना के एकमात्र कैबिनेट मंत्री बचे हैं, जो विधायक हैं, जबकि उनकी पार्टी के शेष तीन कैबिनेट मंत्री विधान परिषद के सदस्य हैं.
उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग का नेतृत्व करने वाले सामंत एकनाथ शिंदे खेमे में शामिल होने वाले शिवसेना के नौवें मंत्री हैं.
शिवसेना के पास अब चार कैबिनेट मंत्री हैं, जिनमें मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, अनिल परब और सुभाष देसाई शामिल हैं.
आदित्य ठाकरे को छोड़कर बाकी तीन कैबिनेट मंत्री विधायक नहीं, बल्कि विधान परिषद के सदस्य हैं.
वहीं, एक अन्य कैबिनेट मंत्री और विधायक क्रांतिकारी शेतकरी पक्ष के नेता शंकरराव गडाख हैं, जो शिवसेना के सहयोगी हैं.
शिवसेना के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार में, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी में विद्रोह से पहले 10 कैबिनेट रैंक के मंत्री और चार राज्य मंत्री थे, जिनमें से दो शिवसेना कोटे से थे. चारों राज्य मंत्री गुवाहाटी में विद्रोही खेमे में शामिल हो गए हैं.
वर्तमान में गुवाहाटी में डेरा डाले हुए शिवसेना के अन्य कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे, गुलाबराव पाटिल, संदीपन भुमरे, दादा भुसे और उदय सामंत हैं.
शिवसेना से संबंधित राज्य मंत्री जो असंतुष्ट हैं, वे शंभूराजे देसाई और अब्दुल सत्तार हैं जबकि बच्चू कडू (प्रहार जनशक्ति पार्टी) और राजेंद्र यड्रावकर (निर्दलीय) शिवसेना कोटे से आते हैं.
शिवसेना से आने वाले चार मौजूदा कैबिनेट मंत्रियों में, देसाई अगले महीने एमएलसी नहीं रहेंगे, क्योंकि उन्हें हाल ही में हुए विधान परिषद चुनाव में एक और कार्यकाल के लिए नामित नहीं किया गया.
महाराष्ट्र मंत्रिपरिषद में 31 कैबिनेट मंत्री और दस राज्य मंत्री हैं.
वन मंत्री और शिवसेना विधायक संजय राठौड़ ने पिछले साल एक आपराधिक मामले के चलते इस्तीफा दे दिया था. मुख्यमंत्री वन विभाग संभाल रहे हैं.
इस बीच, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने गुवाहाटी के होटल में ठहरे हुए नौ बागी मंत्रियों के विभाग अन्य मंत्रियों को आवंटित कर दिए हैं.
आधिकारिक बयान के अनुसार, बागी मंत्रियों के विभाग अन्य मंत्रियों को इसलिए दिए जा रहे हैं ताकि प्रशासन चलाने में आसानी हो.
ईडी ने शिवसेना सांसद संजय राउत को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए तलब किया
इस सियासी खींचतान के बीच, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिवसेना के सांसद संजय राउत को मुंबई की एक ‘चॉल’ के पुन:विकास और उनकी पत्नी और मित्रों से जुड़े अन्य वित्तीय लेन-देन से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिग की जांच के सिलसिले में पूछताछ के लिए मंगलवार को तलब किया है.
अधिकारियों ने बताया कि राज्यसभा के सदस्य राउत से कहा गया है कि वह 28 जून को दक्षिण मुंबई में स्थित संघीय जांच एजेंसी के दफ्तर में उसके अधिकारियों के सामने पेश हों और मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत अपना बयान दर्ज कराएं.
राउत ने इस समन को साजिश बताया है और कहा है कि उन्हें गिरफ्तार किया जाए.
राउत ने ट्विटर पर कहा, ‘अभी पता चला है कि ईडी ने मुझे तलब किया है.’
I just came to know that the ED has summoned me.
Good ! There are big political developments in Maharashtra. We, Balasaheb’s Shivsainiks are fighting a big battle. This is a conspiracy to stop me. Even if you behead me, I won’t take the Guwahati route.
Arrest me !
Jai Hind! pic.twitter.com/VeL6qMQYgr— Sanjay Raut (@rautsanjay61) June 27, 2022
उन्होंने कहा, ‘बहुत अच्छे. महाराष्ट्र में बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम हो रहा है. हम, बालासाहेब के शिवसैनिक, बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं. यह मुझे रोकने की साजिश है. भले ही आप मेरा सिर काट दें, मैं गुवाहाटी का रुख नहीं करूंगा.’
राउत ने कहा, ‘मुझे गिरफ्तार कीजिए. जय हिंद.’
बता दें कि ईडी ने अप्रैल में इस मामले की जांच के सिलसिले में राउत की पत्नी वर्षा राउत और सांसद के दो सहयोगियों की 11.15 करोड़ रुपये की संपत्ति को अस्थायी तौर पर कुर्क कर लिया था.
ईडी ने एक बयान में कहा कि कुर्क की गई संपत्तियां पालघर और ठाणे में भूखंड के रूप में हैं, जिन पर गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के पूर्व निदेशक और संजय राउत के सहायक प्रवीण एम. राउत का कब्जा है. इसके अलावा मुंबई के दादर में संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत का एक फ्लैट है और अलीबाग के किहिम बीच पर आठ भूखंड हैं, जो वर्षा राउत और स्वप्ना पाटकर की संयुक्त मिल्कियत है. स्वप्ना पाटकर सुजीत पाटकर की पत्नी हैं.
ईडी के मुताबिक, सुजीत पाटकर शिवसेना के राज्यसभा सदस्य और पार्टी प्रवक्ता संजय राउत के करीबी सहयोगी हैं.
माना जाता है कि एजेंसी प्रवीण राउत और पाटकर से सांसद के ‘कारोबारी और अन्य’ संबंधों के बारे में पूछताछ करना चाहती है. साथ ही, उनकी पत्नी से संबंधित संपत्ति के सौदों के बारे में एजेंसी पूछताछ कर सकती है.
एजेंसी ने आरोप लगाया था कि अलीबाग में भूमि सौदे में पंजीकृत मूल्य के अलावा, विक्रेताओं को ‘नकद’ भुगतान भी किया गया था. इसमें कहा गया है कि कुर्क की गई संपत्तियों का कुल मूल्य 11,15,56,573 रुपये है.
संजय राउत ने तब ईडी की कार्रवाई को मध्यम वर्गीय मराठी मानुष पर हमला करार दिया था और कहा था कि वह इस तरह के कदमों से नहीं डरेंगे तथा उन पर दबाव बनाने के लिए की गई किसी भी कार्रवाई का विरोध करेंगे.
प्रवीण राउत को ईडी ने फरवरी में मुंबई के गोरेगांव इलाके में पात्रा चॉल के पुनर्विकास से संबंधित 1,034 करोड़ रुपये के कथित भूमि घोटाले से जुड़ी धनशोधन जांच के तहत गिरफ्तार किया था. वह इस समय न्यायिक हिरासत में है.
वहीं, संजय राउत ने सोमवार को संवाददाताओ से बात करते हुए कहा कि शिवसेना सड़क से लेकर अदालत तक लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है.
शिवसेना नेता ने बागी विधायकों के संदर्भ में रविवार को की गई अपनी कथित टिप्पणी पर सफाई भी दी. उन्होंने कहा कि वह विधायकों के ‘मृत हो चुके जमीर’ के बारे में बोल रहे थे और ये लोग अब ‘जिंदा लाश’ की तरह हैं.
राउत रविवार को अपने इस कथित बयान को लेकर आलोचनाओं से घिर गए थे कि असम से 40 शव आएंगे और उन्हें पोस्टमार्टम के लिए सीधे मुर्दाघर भेज दिया जाएगा.
शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘मैंने किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए कुछ भी नहीं किया है. मैंने सिर्फ यही कहा है कि आपका (बागी विधायक) जमीर मर चुका है और आप एक जिंदा लाश की तरह हैं.’
उन्होंने कहा, ‘यह एक कानूनी लड़ाई है और सड़क पर भी संघर्ष होगा. यह निश्चित है और पार्टी इसके लिए तैयार है.’
राउत ने कहा कि बागी विधायकों को महाराष्ट्र वापस आना होगा और असल परीक्षा राज्य विधानसभा में होगी.
केंद्र सरकार द्वारा शिवसेना के कम से कम 15 बागी विधायकों को सीआरपीएफ कमांडो वाली ‘वाई प्लस’ श्रेणी की सुरक्षा दिए जाने के संदर्भ में राउत ने कहा, ‘आप लोगों के गुस्से को नहीं रोक सकते. कोई भी पुलिस या कानून इसे नियंत्रित नहीं कर सकता. यही कारण है कि आपने भाजपा की गुलामी स्वीकार कर ली और सुरक्षा हासिल की.’
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से कांग्रेस और एनसीपी से गठबंधन तोड़ने की मांग करने वाले शिंदे गुट पर पलटवार करते हुए राउत ने पूछा कि बागी विधायक कैसे उस भाजपा से हाथ मिला सकते हैं, जिसने कश्मीर में ‘पाकिस्तान की तरफ झुकाव रखने वाली’ पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती के साथ गठबंधन किया था.
राउत ने सवाल किया कि बागी विधायक कैसे केंद्र की भाजपा नीत सरकार से हाथ मिला सकते हैं, जिसे मालूम नहीं कि 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 40 सुरक्षाबलों की जान लेने वाले विस्फोटक कहां से आए.
उन्होंने बागी विधायकों को ऐसा एक भी उदाहरण बताने की चुनौती दी, जब शिवसेना ने हिंदुत्व से किनारा किया हो.
राज्यसभा सदस्य ने कहा कि बागी विधायक केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल करके वोट हासिल नहीं कर सकते.
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री उदय सामंत के शिंदे गुट में शामिल होने के मुद्दे पर राउत ने कहा कि अगर संगठन में 40 साल बिता चुके शिंदे जैसे वरिष्ठ नेता पार्टी को धोखा देने के बारे में सोच सकते हैं तो किसी और को कैसे दोषी ठहराया जा सकता है.
दाऊद से संबंध रखने वालों को शिवसेना के समर्थन के खिलाफ बगावत, मौत का डर नहीं: शिंदे
गौरतलब है कि इससे पहले रविवार को एकनाथ शिंदे ने भी पार्टी नेतृत्व पर निशाना साधते हुए कहा था कि बाल ठाकरे की पार्टी उस दाऊद इब्राहिम के साथ सीधे संबंध रखने वाले लोगों का समर्थन कैसे कर सकती है, जो कई बम विस्फोट करके निर्दोष मुंबईकरों को मारने के लिए जिम्मेदार है.
उन्होंने कहा था कि इस तरह के समर्थन के विरोध में उनके और अन्य विधायकों द्वारा विद्रोह का झंडा उठाया गया है और उन्हें बाल ठाकरे की शिवसेना को बचाने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं है.
शिंदे द्वारा रविवार की रात किए गये ट्वीट एनसीपी के नेता नवाब मलिक के स्पष्ट संदर्भ में हैं, जो कथित तौर पर दाऊद इब्राहिम के रिश्तेदारों से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में हैं.
मुंबई बाँबस्फोट घडवून निष्पाप मुंबईकरांचा जीव घेणाऱ्या दाऊदशी थेट संबंध असणाऱ्यांना हिंदुहृदयसम्राट वंदनीय बाळासाहेब ठाकरे यांची शिवसेना समर्थन कशी करू शकते…?
यालाच विरोध म्हणून उचललेलं हे पाऊल; आम्हा सर्वांना मृत्यूच्या दारात घेऊन गेले तरी बेहत्तर..#MiShivsainik @rautsanjay61— Eknath Shinde – एकनाथ शिंदे (@mieknathshinde) June 26, 2022
शिंदे ने ट्वीट किया, ‘हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना उन लोगों का समर्थन कैसे कर सकती है जिनका दाऊद से सीधा संबंध है, जिसने मुंबई बम धमाकों को अंजाम देकर निर्दोष मुंबईकरों को मार डाला? इसका विरोध करने के लिए हम यह कदम उठा रहे हैं. यदि यह कदम हमें मौत के कगार पर भी ले जाता है, तो हमें इसकी परवाह नहीं है.’
एक अन्य ट्वीट में, शिवसेना के वरिष्ठ नेता ने कहा कि अगर वे शिवसेना और बाल ठाकरे की विचारधारा को बचाते हुए मर जाते हैं तो वे खुद को भाग्यशाली मानेंगे.
आंतरिक व्यवस्था को अस्त-व्यस्त करने के आरोप में शिंदे के खिलाफ जनहित याचिका
शिवेसना के विद्रोही विधायकों के गुट का नेतृत्व कर रहे एकनाथ शिंदे के खिलाफ सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें उन पर महाराष्ट्र में राजनीतिक उथल-पुथल मचाने और राज्य सरकार की आंतरिक व्यवस्था को अस्त-व्यस्त करने का आरोप लगाया गया है.
जनहित याचिका में विद्रोही नेताओं के खिलाफ कर्तव्यों का पालन नहीं करने और ऐसी अनैतिक गतिविधियों में शामिल होने के लिए उचित कार्रवाई की मांग की गई है, जिससे जन अधिकारों और सुशासन का अनादर हुआ है.
महाराष्ट्र के सात निवासियों की तरफ से दायर याचिका में शिवसेना के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार को विस्तृत आश्वासन योजना प्रस्तुत करने का निर्देश देने की भी अपील की गई है, जिसमें कई मंत्रियों की अनुपस्थिति में शासन प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी गई हो.
अधिवक्ताओं असीम सरोदे और अजिंक्य उडाने के माध्यम से दायर याचिका में अदालत से बागी नेताओं को राज्य में लौटने और अपने कामकाज को फिर से शुरू करने का निर्देश देने की अपील की गई है, साथ ही दावा किया गया है कि बागी विधायक संविधान के तहत ली गई शपथ की अवहेलना कर रहे हैं
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और जस्टिस एमएस कार्णिक की खंडपीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए याचिका का उल्लेख किया गया. पीठ ने कहा कि वह (सुनवाई के लिए) एक तारीख तय करेगी.
शिंदे के गढ़ ठाणे-पालघर में ठाकरे समर्थित रैलियां निकाली गईं
दूसरी तरफ, बड़ी संख्या में शिवसेना कार्यकर्ताओं ने बागी विधायक एकनाथ शिंदे के गढ़ ठाणे जिले में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के समर्थन में रविवार को रैलियां निकालीं.
झंडे लेकर और ठाकरे के समर्थन में नारे लगाते हुए ऐसी ही रैलियां वसई, विरार और पालघर के अन्य हिस्सों में भी निकाली गईं. पालघर भी शिंदे का गढ़ माना जाता है. रैलियों में सैकड़ों पुरुष और महिला कार्यकर्ता शामिल हुए.
भायंदर में ऐसी एक रैली को नेता विनोद घोसालकर ने संबोधित किया जबकि ठाणे से लोकसभा सांसद रंजन विचारे इसमें शामिल नहीं हुए.
इस बीच, विधायक प्रताप सरनाईक के नेतृत्व में शिंदे समर्थक रैली निकाली गई, जबकि बागियों का समर्थन करने वालों ने ठाणे शहर में राज्यसभा सदस्य संजय राउत के पुतले फूंके.
बागी विधायकों के खिलाफ प्रदर्शन को लेकर राज्यपाल कोश्यारी ने सुरक्षा के लिए केंद्र को लिखा पत्र
महाराष्ट्र में शिवसेना के कार्यकर्ताओं द्वारा बागी विधायकों के कार्यालयों में तोड़फोड़ के मद्देनजर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला को पत्र लिखकर राज्य में केंद्रीय सुरक्षा बलों की पर्याप्त व्यवस्था करने का आग्रह किया है.
उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ बागी विधायकों के कार्यालयों और घरों में तोड़फोड़ के दौरान पुलिस ‘मूकदर्शक बनी रही.
पुलिस के एक अधिकारी ने रविवार को कहा कि कोश्यारी ने महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) रजनीश सेठ को बागी विधायकों के परिवारों और घरों को पर्याप्त पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने के लिए कहा.
कोश्यारी ने 25 जून को लिखे अपने पत्र में कहा है कि उन्हें शिवसेना के 38 विधायकों, प्रहार जनशक्ति पार्टी के दो सदस्यों और सात निर्दलीय विधायकों से एक आवेदन मिला है जिसमें कहा गया है कि उनके परिवारों की पुलिस सुरक्षा अवैध और गैर कानूनी तरीके से वापस ले ली गई है.
कोश्यारी ने पत्र में लिखा है, ‘उन्होंने कुछ राजनीतिक नेताओं द्वारा भड़काऊ और धमकी भरे बयानों के संदर्भ में अपने आवासों और परिवारों की सुरक्षा को लेकर भी गंभीर चिंता जताई है.’
राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने पहले ही राज्य पुलिस को विधायकों और उनके परिवारों को तत्काल पर्याप्त पुलिस सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश जारी कर दिए हैं. पत्र में कहा गया, ‘इसके बावजूद कुछ विधायकों के कार्यालयों और आवासों में तोड़फोड़ की गई और पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है. इसलिए यह आग्रह किया जाता है कि स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक होने पर केंद्रीय सुरक्षा बलों की पर्याप्त व्यवस्था की जाए और उन्हें तैयार रखा जाए.’
राज्यपाल ने कहा, ‘अत: मैं आपको (डीजीपी) विधायकों, उनके परिवारों और घरों को तत्काल पर्याप्त पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश देता हूं. मुझे इस संबंध में की गई कार्रवाई से अवगत कराया जाए.’
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने इससे पहले रविवार को शिवसेना के कम से कम 15 बागी विधायकों को सीआरपीएफ जवानों से लैस ‘वाई प्लस‘ श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की है.
शिंदे के पीछे कोई शक्तिशाली ताकत: एकनाथ खडसे
एनसीपी के नवनिर्वाचित विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) एकनाथ खडसे का कहना है कि शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के पीछे कोई शक्तिशाली ताकत है.
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ शिंदे का विद्रोह असंतुष्टों का समर्थन करने वाली किसी शक्तिशाली ताकत के कारण है।.
भाजपा के पूर्व नेता खडसे ने यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि इस शक्तिशाली ताकत की पहचान आने वाले दिनों में खुले में होगी. उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने 40 वर्षों के राजनीति करियर में इस राज्य को इस तरह की अस्थिर स्थिति में कभी नहीं देखा.
खड़से ने कहा, ‘यह (विद्रोह) शिवसेना का आंतरिक मुद्दा है. हालांकि, शिंदे का समर्थन करने वाली निश्चित रूप से कोई शक्तिशाली ताकत है. शक्तिशाली समर्थन के बिना वह इतना साहसिक कदम नहीं उठाएंगे.’
बागी मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे ठाकरे: पवार
वहीं, एमवीए सरकार के घटक दल एनसीपी के प्रमुख शरद पवार ने रविवार को कहा कि सरकार ने गुवाहाटी में शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के खेमे में शामिल होने वाले मंत्रियों को बर्खास्त करने की तैयार कर ली है.
उन्होंने कहा कि एमवीए सहयोगियों ने ठाकरे को बागियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार दिया है और एक या दो दिन में कदम उठाए जाएंगे.
पवार ने बागी नेता शिंदे के साथ शामिल होने वाले राज्य सरकार के मंत्रियों को बर्खास्त करने के सवालों पर कहा, ‘यह मुख्यमंत्री के दायरे में आता है. वह एक या दो दिन में कार्रवाई करेंगे.’
एनसीपी प्रमुख ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की संभावना को खारिज कर दिया.
उन्होंने कहा, ‘जिन लोगों ने बगावत की है, वे महाराष्ट्र में वैकल्पिक सरकार चाहते हैं. अगर आपको राष्ट्रपति शासन ही लगाना है तो इतने विधायकों को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने का क्या मतलब है. मेरी समझ के मुताबिक राष्ट्रपति शासन की संभावना नहीं है. अगर ऐसा होता है तो चुनाव कराए जाएंगे.’
एनसीपी प्रमुख ने बागी विधायकों को मुंबई आने और लोकतांत्रिक तरीके से अपना संख्याबल साबित करने की चुनौती भी दी.
उन्होंने कहा, ‘वे संख्याबल होने का दावा करते हैं. अगर उनके पास पर्याप्त संख्या है तो वे गुवाहाटी में क्यों बैठे हैं? मुंबई आइए और लोकतांत्रिक तरीके से संख्याबल साबित कीजिए.’
पवार ने कहा कि शिवसेना कैडर 40-50 नेताओं द्वारा लिए गए अलग रुख को कभी नहीं अपनाएगा और ठाकरे के साथ खड़ा रहेगा.
उन्होंने कहा, ‘जिस शिवसेना को मैं जानता हूं वह कभी किसी बगावती को नहीं अपनाएगी. शिवसैनिकों की बड़ी ताकत है और उन्होंने काफी प्रयासों से संगठन बनाया है. इसका संगठन पर कोई असर नहीं होगा. उद्धव ठाकरे विजयी साबित होंगे.’
गुवाहाटी के रैडिसन ब्लू ने 30 जून तक नई बुकिंग रोकी
इस बीच, शिवसेना के बागी विधायक गुवाहाटी के जिस आलीशान होटल रैडिसन ब्लू में ठहरे हुए हैं, उसने 30 जून तक सभी नई बुकिंग लेना बंद कर दिया है.
पांच सितारा होटल की आधिकारिक वेबसाइट ने 30 जून तक नई बुकिंग लेना बंद कर दिया है.
वेबसाइट पर इस महीने की आखिरी तारीख तक कमरा बुक करने की कोशिश की गई तो कहा गया, ‘इन तारीखों पर कोई कमरा उपलब्ध नहीं है. हम तारीखें बदलने या उपलब्ध होने पर कोई नई तारीख चुनने की सिफारिश करते हैं.’
हालांकि, वेबसाइट पर एक जुलाई से कमरा आरक्षित करने दिया जा रहा है.
होटल के एक वरिष्ठ अधिकारी से संपर्क करने पर उसने कहा, ‘हमारे सभी कमरे बुक हैं.’
हालांकि, उन्होंने महाराष्ट्र के विधायकों के ठहरने के संबंध में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.
गुवाहाटी में रहने वाले आईटी पेशेवर सुहैल चौधरी ने अगले हफ्ते होटल में कुछ कमरे बुक कराने चाहे लेकिन उन्हें इनकार कर दिया गया.
उन्होंने कहा, ‘मैंने अपनी कंपनी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के लिए आ रहे हमारे मेहमानों के लिए होटल के कमरे बुक करने की कोशिश की. लेकिन उन्होंने कहा कि विधायकों के ठहरने के कारण कोई कमरा उपलब्ध नहीं है. उन्हें यह भी नहीं मालूम कि कमरे कब तक उपलब्ध होंगे.’
ऐसा बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र के विधायकों और उनके सहायकों के लिए करीब 70 कमरे बुक किए गए हैं. होटल ने बाहर से आने वाले मेहमानों के लिए रेस्त्रां, बैंक्वेट और अन्य सुविधाएं बंद कर दी हैं.
गुवाहाटी पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस घटनाक्रम की पुष्टि की और कहा कि परिसर में किसी भी नए मेहमान को आने नहीं दिया जा रहा है.
अधिकारी ने कहा, ‘केवल एअरलाइन कर्मियों को आने-जाने दिया गया क्योंकि उनका होटल के साथ करार है.’
वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी में पुलिसकर्मी रैडिसन ब्लू में आ रहे हर मेहमान की तलाशी ले रहे हैं.
नजदीकी जालुकबाड़ी पुलिस थाने के कर्मियों के अलावा अर्द्धसैन्य बलों और रिजर्व बटालियनों तथा असम पुलिस की कमांडो ईकाई के दर्जनों जवान होटल पर कड़ा पहरा दे रहे हैं.
यह होटल जालुकबाड़ी के समीप गोटानगर इलाके में स्थित है और अब एक किले में तब्दील हो गया है तथा मीडिया भी वहां तक पहुंच नहीं पा रहा है.
गुवाहाटी शहर से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-37 पर स्थित होटल के बाहर देशभर के पत्रकार डटे हुए हैं लेकिन उन्हें परिसर के अंदर जाने नहीं दिया जा रहा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)