सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, आईपीएस अधिकारियों आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट के ख़िलाफ़ एफ़आईआर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बीते 24 जून को गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को 2002 के दंगा मामले में एसआईटी द्वारा दी गई क्लीनचिट को चुनौती देने वाली ज़किया जाफ़री की याचिका को ख़ारिज किए जाने के एक दिन बाद 25 जून को दर्ज की गई थी.
नई दिल्ली/अहमदाबाद: गुजरात आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) द्वारा सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को गिरफ्तार किए जाने के विरोध में छात्रों, शिक्षकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिक समूहों के सदस्यों ने सोमवार को दिल्ली के जंतर मंतर में प्रदर्शन किया और इसे ‘सोची समझी साजिश’ और अन्य कार्यकर्ताओं को ‘खामोश’ कराने की कोशिश करार दिया.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश और अजय माकन ने भी विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया.
कम से कम 300 प्रदर्शनकारी जंतर मंतर पर इकट्ठा हुए और उन्होंने सीतलवाड़ और भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी आरबी श्रीकुमार तथा संजीव भट्ट को रिहा करने की मांग की, इन पर 2002 के गुजरात दंगों में ‘आपराधिक साजिश, फर्जीवाड़ा और निर्दोष लोगों को आरोपित करने के लिए अदालत में गलत साक्ष्य पेश करने के आरोप हैं.’
कांग्रेस नेता माकन ने कहा कि पार्टी तीनों के साथ खड़ी है और उन्होंने तीनों को रिहा करने की मांग की.
कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने कहा, ‘हमारा मानना है कि यह सोची-समझी साजिश है, क्योंकि ऐसा कैसे हुआ कि सुप्रीम कोर्ट 25 जून को फैसला सुनाता है और उसी दिन एक एफआईआर दर्ज होती है और तीस्ता को गिरफ्तार किया जाता है. हम इसकी कड़े शब्दों में निंदा करते हैं.’’
हाशमी ने कहा कि यह सरकार का एक प्रयास है, देश के अन्य कार्यकर्ताओं को ‘खामोश’ कराने और ‘डराने’ का.
उन्होंने कहा, ‘हम जानते हैं कि वे आवाज उठाने वाले सभी कार्यकर्ताओं को संकेत दे रहे हैं. यह उन्हें ‘खामोश’ कराने और ‘डराने’ की कोशिश है, लेकिन यह देश डरने वाला नहीं है.
ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) के अध्यक्ष एन. साई बालाजी ने गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘अगर अन्याय के खिलाफ लड़ाई का अपराधीकरण किया गया, तो इससे वे क्या संदेश देंगे? कि हम सांप्रदायिक दंगों के खिलाफ आवाज नहीं उठा सकते? कि पीड़ितों के साथ कोई खड़ा नहीं हो सकता?’
सीतलवाड़, श्रीकुमार और भट्ट के खिलाफ एफआईआर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बीते 24 जून को गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को 2002 के दंगा मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा दी गई क्लीनचिट को चुनौती देने वाली जकिया जाफरी की याचिका को खारिज किए जाने के एक दिन बाद 25 जून को दर्ज हुई थी.
एफआईआर में तीनों पर झूठे सबूत गढ़कर कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है, ताकि कई लोगों को ऐसे अपराध में फंसाया जा सके जो मौत की सजा के साथ दंडनीय हो.
सीतलवाड़ के एनजीओ ने जकिया जाफरी की कानूनी लड़ाई के दौरान उनका समर्थन किया था. जाफरी के पति एहसान जाफरी, जो कांग्रेस के सांसद भी थे, दंगों के दौरान अहमदाबाद के गुलबर्ग सोसाइटी में हुए नरसंहार में मार दिए गए थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में सीतलवाड़ और उनका एनजीओ जकिया जाफरी के साथ सह-याचिकाकर्ता थे.
सीतलवाड़, श्रीकुमार और भट्ट के खिलाफ दर्ज एफआईआर में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के विभिन्न प्रावधानों धारा 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के रूप में उपयोग करना), 120बी (आपराधिक साजिश), 194 (गंभीर अपराध का दोष सिद्ध करने के इरादे से झूठे सबूत देना या गढ़ना), 211 (घायल करने के लिए किए गए अपराध का झूठा आरोप) और 218 (लोक सेवक को गलत रिकॉर्ड देना या अपराध की सजा से व्यक्ति या संपत्ति को जब्त होने से बचाना) का जिक्र है.
गुजरात पुलिस के एटीएस ने बीते 25 जून को सीतलवाड़ को मुंबई स्थित उनके आवास से हिरासत में लिया था, जिसके बाद सीतलवाड़ ने पुलिस पर उनके साथ बदसलूकी करने और हाथ में चोट पहुंचाने का आरोप लगाया था. सीतलवाड़ को फिर अहमदाबाद लाया गया और 25 जून को ही शहर की क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया था.
हिरासत में लेने के बाद तीस्ता सीतलवाड़ को बीते 26 जून और मामले के एक अन्य आरोपी श्रीकुमार को बीते 25 जून को गिरफ्तार किया गया था. वहीं, बनासकांठा जिले की पालनपुर जेल में बंद पूर्व आईपीएस अधिकारी एवं मामले के तीसरे आरोपी संजीव भट्ट को स्थानांतरण वॉरंट के जरिये अहमदाबाद लाया जाएगा.
भट्ट हिरासत में मौत के मामले में पालनपुर जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. एक अन्य मामले में एक वकील को फंसाने के लिए प्रतिबंधित सामग्री रखवाने का भी आरोप उन पर लगा है.
इन तीनों पर गुजरात दंगों की जांच करने वाले विशेष जांच दल (एसआईटी) को गुमराह करने की साजिश रचने का आरोप है, जो गुजरात दंगे और नरेंद्र मोदी की बतौर मुख्यमंत्री इसमें अगर कोई भूमिका थी, की जांच कर रही थीं.
बीते 26 जून को तीस्ता सीतलवाड़ और राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक आरबी श्रीकुमार को दो जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया था.
सीतलवाड़ ने जवाब देने के लिए समय मांगा, श्रीकुमार ने खुद को बेगुनाह बताया
सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी आरबी श्रीकुमार पूछताछ के दौरान अधिकतर समय चुप्पी साधे रहे.
सीतलवाड़ ने मामले को देख रहे गुजरात पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा उनसे पूछे गए सवालों का जवाब देने के लिए समय मांगा है, वहीं श्रीकुमार ने जांच अधिकारियों से कहा कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने यह जानकारी दी.
गुजरात पुलिस ने मामले की जांच के लिए एक एसआईटी बनाई है, जिसके प्रमुख पुलिस उप-महानिरीक्षक (आतंकवाद निरोधक दस्ता) दीपन भद्रन हैं.
इसमें अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) और गुजरात एटीएस में पुलिस अधीक्षक (एसपी) सदस्य के तौर पर होंगे. जांच में अहमदाबाद विशेष अभियान समूह (एसओजी) में सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) भी मदद करेंगे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)