एसकेएम का दावा, केंद्र के निर्देशों पर किसान आंदोलन से जुड़े ट्विटर अकाउंट बंद किए गए

केंद्र द्वारा रद्द कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने दावा किया कि ट्विटर ने केंद्र सरकार के निर्देशों पर आंदोलन से जुड़े लगभग 12 अकाउंट बंद किए हैं. उन्होंने मांग की है कि ऐसे सभी ट्विटर अकाउंट जिन पर अलोकतांत्रिक और अनुचित रूप से रोक लगाई गई है, उन्हें बहाल किया जाए.

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(फोटो: रॉयटर्स)

केंद्र द्वारा रद्द कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने दावा किया कि ट्विटर ने केंद्र सरकार के निर्देशों पर आंदोलन से जुड़े लगभग 12 अकाउंट बंद किए हैं. उन्होंने मांग की है कि ऐसे सभी ट्विटर अकाउंट जिन पर अलोकतांत्रिक और अनुचित रूप से रोक लगाई गई है, उन्हें बहाल किया जाए.

(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने सोमवार को दावा किया कि ट्विटर ने केंद्र सरकार के निर्देशों पर कृषि आंदोलन से जुड़े लगभग 12 अकाउंट बंद कर दिए है.

एसकेएम ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व आईपीएस अधिकारियों आर. बी. श्रीकुमार और संजीव भट्ट की रिहाई की भी मांग की, जिन पर 2002 के गुजरात सांप्रदायिक दंगों के सिलसिले में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने का आरोप लगाया गया है.

एसकेएम ने आरोप लगाया कि केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने ट्विटर पर केंद्र पर सवाल उठाने के लिए इन अकाउंट को ‘बंद’ करने के लिए ‘दबाव डाला’ है.

ट्विटर से इस संबंध में तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.

उल्लेखनीय है कि ट्विटर ने रविवार (26 जून) को विभिन्न ट्वीट और अकाउंट पर रोक लगा दी थी. ये ट्वीट और अकाउंट 2021 के किसान आंदोलन और ज्ञानवापी मस्जिद के हालिया विवाद से संबंधित हैं. इसमें पत्रकार राना अयूब का एक ट्वीट और किसान आंदोलन के अपडेट तथा राय शेयर कर रहे दो ट्विटर अकाउंट शामिल हैं.

एसकेएम ने एक बयान में कहा, ‘ट्विटर ने भारत में लगभग 12 ट्विटर अकाउंट बंद कर दिए हैं, जिसमें ट्विटर हैंडल किसानएकता मोर्चा शामिल है, जो कृषि आंदोलन से जुड़ा है.’

बयान में कहा गया है, ‘इस संदर्भ में महत्वपूर्ण बात यह है कि केंद्र सरकार ने यह किसान विरोधी कदम उठाने के लिए आपातकाल के दिन को चुना. 25/26 जून 1975 की रात, जब देश में आपातकाल लगाया गया था, भारत के लोकतंत्र में एक काला दिन माना जाता है.’

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, एसकेएम ने एक बयान में कहा, ‘ट्विटर ने भारत में लगभग एक दर्जन ट्विटर अकाउंट्स को रोक दिया है, जिसमें ट्विटर हैंडल @kisanektamorcha और @Tractor2twitr जैसे महत्वपूर्ण अकाउंट भी शामिल है, जिन्हें बिना किसी चेतावनी के बंद कर दिया. ये किसान आंदोलन से जुड़े हुए थे.’

बयान में कहा गया है कि एसकेएम की मांग है कि @kisnaektamorcha और @tractor2twitr सहित सभी ट्विटर अकाउंट जिन्हें अलोकतांत्रिक और अनुचित रूप से रोक दिया गया है, उन्हें बहाल किया जाना चाहिए.

एसकेएम ने कहा, ‘हम यह भी मांग करते हैं कि तीस्ता सीतलवाड़, आर. बी. श्रीकुमार और संजीव भट्ट को बिना शर्त रिहा किया जाए और गुजरात दंगों के पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित किया जाए.’

मालूम हो कि अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, गुजरात के दो आईपीएस अधिकारी आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट के खिलाफ बीते 25 जून को एक एफआईआर दर्ज की थी. इन तीनों पर गुजरात दंगों की जांच करने वाली एसआईटी को गुमराह करने की साजिश रचने का आरोप है, जो गुजरात दंगे और नरेंद्र मोदी की बतौर मुख्यमंत्री इसमें अगर कोई भूमिका थी, की जांच कर रही थीं.

गुजरात पुलिस के एटीएस ने बीते 25 जून को सीतलवाड़ को मुंबई स्थित उनके आवास से हिरासत में लिया था, जिसके बाद सीतलवाड़ ने पुलिस पर उनके साथ बदसलूकी करने और हाथ में चोट पहुंचाने का आरोप लगाया था. सीतलवाड़ को फिर अहमदाबाद लाया गया और 25 जून को ही शहर की क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया था.

हिरासत में लेने के बाद तीस्ता सीतलवाड़ को बीते 26 जून और मामले के एक अन्य आरोपी श्रीकुमार को बीते 25 जून को गिरफ्तार किया गया था. वहीं, बनासकांठा जिले की पालनपुर जेल में बंद पूर्व आईपीएस अधिकारी एवं मामले के तीसरे आरोपी संजीव भट्ट को स्थानांतरण वॉरंट के जरिये अहमदाबाद लाया जाएगा.

बीते 26 जून को तीस्ता सीतलवाड़ और राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक आरबी श्रीकुमार को दो जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया था.

ट्विटर को सरकार द्वारा कुछ समूहों, राजनीतिज्ञों के अकाउंट, ट्वीट ब्लाक करने को कहा गया था: दस्तावेज

ट्विटर को सरकार द्वारा पिछले साल अधिकार समूह फ्रीडम हाउस, पत्रकारों, राजनीतिज्ञों और किसानों के समर्थकों के कई अकाउंट और कुछ ट्वीट्स को अवरुद्ध (ब्लॉक) करने के लिए कहा गया था. ट्विटर द्वारा 26 जून को दायर एक दस्तावेज में यह जानकारी सामने आई है.

‘लुमेन डेटाबेस’ के दस्तावेज़ के अनुसार, सरकार की ओर से अनुरोध पांच जनवरी, 2021 और 29 दिसंबर, 2021 के बीच भेजे गए थे.

गूगल, फेसबुक और ट्विटर जैसी प्रमुख इंटरनेट कंपनियां लुमेन डेटाबेस में उन वेबलिंक्स या अकाउंट के बारे में जानकारी दर्ज करती हैं, जिन्हें लागू कानूनों के तहत किसी भी संस्था द्वारा उन्हें ब्लॉक करने के लिए कहा गया है.

हालांकि, इस बारे में विवरण कि क्या किसी लिंक या अकाउंट को ब्लॉक करने का अनुरोध पूरा किया गया था, डेटाबेस पर उपलब्ध नहीं है.

ट्विटर द्वारा दायर दस्तावेज़ के अनुसार, सरकार द्वारा फ्रीडम हाउस के ट्वीट को ब्लॉक करने के लिए कहा गया था.

इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय को भेजे गए एक ई-मेल प्रश्न का कोई जवाब नहीं मिला.

दस्तावेज़ के अनुसार, सरकार ने ट्विटर को फ्रीडम हाउस के कुछ ट्वीट्स को ब्लॉक करने के लिए कहा था, जिसमें 2020 में इंटरनेट की स्वतंत्रता की स्थिति के बारे में बात की गई थी.

दस्तावेज़ से पता चला कि सरकार ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के सदस्यों के ट्वीट को ब्लॉक करने का अनुरोध किया था.

दस्तावेज के अनुसार सरकार ने ट्विटर से किसान एकता मोर्चा का अकाउंट ब्लॉक करने का भी अनुरोध किया था.

मालूम हो कि फरवरी 2021 में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के आंदोलन के दौरान केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर से किसान आंदोलन से जुड़े लगभग 1,200 ट्विटर अकाउंट हटाने को कहा था.

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 1,178 ट्विटर एकाउंट की सूची साझा की थी, जिन्हें सुरक्षा एजेंसियों ने खालिस्तानी और पाकिस्तान समर्थित एकाउंट या फिर ऐसे एकाउंट के रूप में चिह्नित किया था, जो सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा पैदा करने के लिए विदेशी सीमा से संचालित हैं.

उससे पहले गृह मंत्रालय के अनुरोध पर भारत में कई व्यक्तियों, समूहों और मीडिया संस्थानों से जुड़े 500 से अधिक ट्विटर अकाउंट को निलंबित कर दिया गया था और सैकड़ों अन्य अकाउंट तक पहुंच को रोक दिया गया था. इन सभी एकाउंट से किसान आंदोलन के संबंध में नियमित तौर पर अपडेट और विचार पोस्ट किए जा रहे थे.

उस समय सरकार ने ट्विटर को किसानों के आंदोलन से संबंधित गलत जानकारी और भड़काऊ सामग्री पर रोक लगाने का आदेश दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)