महाराष्ट्र में मचे सियासी घमासान के बीच राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे सरकार को गुरुवार सुबह 11 बजे अपना बहुमत सिद्ध करने के लिए फ्लोर टेस्ट के आदेश दिए थे, जिसके ख़िलाफ़ शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. बुधवार को कोर्ट ने इसमें हस्तक्षेप से इनकार करते हुए उद्धव ठाकरे को बहुमत साबित करने को कहा था.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र में मची सियासी खींचतान के बीच राज्यपाल ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को फ्लोर टेस्ट के माध्यम से गुरुवार सुबह 11 बजे सदन में बहुमत साबित करने के लिए कहा था, जिस पर उन्होंने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया लेकिन उन्हें सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली. करीब चार घंटे तक चली लंबी बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कल (गुरुवार) ही फ्लोर टेस्ट कराए जाने का आदेश दिया.
BREAKING: SUPREME COURT ALLOWS TO CONDUCT FLOOR TEST ON MAHARASHTRA ASSEMBLY TOMORROW
— Live Law (@LiveLawIndia) June 29, 2022
सुप्रीम कोर्ट से निराशा हाथ लगने के तुरंत बाद ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.
“I am resigning as the Chief Minister,” Maharashtra CM Uddhav Thackeray announces pic.twitter.com/RBDWHzchYx
— ANI (@ANI) June 29, 2022
इस्तीफा देते हुए उन्होंने कहा कि अदालत के फैसले का सम्मान करता हूं. उन्होंने विधान परिषद की सदस्यता से भी इस्तीफा देने का ऐलान किया है.
उन्होंने कहा, ‘मैं अप्रत्याशित तरीके से (सत्ता में) आया था और उसी तरह मैं जा भी रहा हूं. मैं हमेशा के लिए दूर नहीं जा रहा हूं, मैं यहीं रहूंगा और मैं एक बार फिर शिवसेना भवन में बैठूंगा. मैं मेरे सभी लोगों को इकट्ठा करूंगा. मैं मुख्यमंत्री और विधान परिषद सदस्य पद से इस्तीफा दे रहा हूं.’
I had come (to power) in an unexpected manner and I am going out in a similar fashion. I am not going away forever, I will be here, and I will once again sit in Shiv Sena Bhawan. I will gather all my people. I am resigning as the CM & as an MLC: Shiv Sena leader Uddhav Thackeray pic.twitter.com/dkMOtManv3
— ANI (@ANI) June 29, 2022
इससे पहले, शिवसेना की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह राज्यपाल के उस निर्देश पर रोक नहीं लगाएगा, जिसमें उन्होंने उद्धव ठाकरे को कल (गुरुवार) फ्लोर टेस्ट के लिए कहा है और शिवसेना को नोटिस जारी किया है.
पीठ ने कहा, ‘हमने यह संक्षिप्त आदेश लिखा है. हम राज्यपाल के शक्ति परीक्षण के निर्देश पर रोक नहीं लगा रहे हैं. हम रिट याचिका में नोटिस जारी कर रहे हैं. आप पांच दिनों में जवाब दायर कर सकते हैं. हम 11 जुलाई को अन्य मामलों के साथ मेरिट पर सुनवाई करेंगे. कल की कार्यवाही इस याचिका के अंतिम परिणाम पर निर्भर करेगी.’
बहरहाल, अदालती सुनवाई के दौरान, शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे के अधिवक्ताओं ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी सरकार अपना बहुमत खो चुकी है क्योंकि शिवसेना के अधिकतर विधायक उनके साथ हैं. वहीं, मुख्यमंत्री ठाकरे ने अपने कैबिनेट सहयोगियों से कहा कि उन्हें उनके ही लोगों ने धोखा दिया है.
इससे पहले दिन में, महाराष्ट्र में राजनीतिक खींचतान, जो एक सप्ताह से अधिक समय पहले ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ शिंदे के विद्रोह के साथ शुरू हुई थी, एक निर्णायक चरण में प्रवेश कर गई जब महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य सरकार को गुरुवार को विधानसभा में शक्ति परीक्षण का आदेश दिया.
राज्यपाल का यह फैसला तब आया जब मंगलवार रात भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने उनसे मुलाकात की थी और यह दावा करते हुए शक्ति परीक्षण कराने की मांग की कि शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार अल्पमत में आ गई है.
ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु ने राज्यपाल कोश्यारी के निर्देश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया.
शिंदे के वकीलों ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि उद्धव ठाकरे नीत खेमा पार्टी के अंदर ही अल्पमत में है और विधानसभा में शक्ति परीक्षण विधायकों की खरीद-फरोख्त रोकने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है.
शिंदे के वकील ने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी परदीवाला की अवकाशकालीन पीठ से कहा कि शक्ति परीक्षण में किसी तरह का विलंब होने से लोकतांत्रिक राजनीति को और नुकसान होगा.
शिंदे की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एनके कौल ने दलील दी कि स्पीकर के समक्ष (बागी विधायकों की) अयोग्यता कार्यवाही का लंबित रहना शक्ति परीक्षण में विलंब करने का कोई आधार नहीं है. कौल ने पीठ से कहा, ‘लोकतंत्र की प्रक्रिया सदन के पटल पर होती है और यही चीज किए जाने की मांग की जा रही है.’
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के दौरान पीठ ने कहा, ‘हम समझते हैं कि सदन का पटल ही लोकतंत्र के इन मुद्दों का हल करने के लिए एकमात्र रास्ता है.’
पीठ ने प्रभु की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से यह भी पूछा कि शक्ति परीक्षण अयोग्यता प्रक्रिया को कैसे प्रभावित कर सकता है या अयोग्यता कार्यवाही करने के लिए अध्यक्ष की शक्तियों में कैसे हस्तक्षेप कर सकता है. पीठ ने कहा, ‘हमारी समझ यह है कि लोकतंत्र के इन मुद्दों को सुलझाने का एकमात्र तरीका सदन का पटल है.’
सिंघवी ने शीर्ष अदालत से कहा कि जिन लोगों ने पाला बदल लिया है, वे लोगों की इच्छा को नहीं दर्शाते हैं और अगर कल शक्ति परीक्षण नहीं हुआ तो आसमान नहीं फट जाएगा. उन्होंने दलील दी कि अदालत को तब तक शक्ति परीक्षण की अनुमति नहीं देनी चाहिए जब तक कि उपाध्यक्ष कुछ बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका पर फैसला नहीं कर लेते.
वहीं, असम में आठ दिन बिताने के बाद शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के बागी विधायक बुधवार शाम गुवाहाटी से गोवा के लिए रवाना हो गए.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि निजी विमानन कंपनी स्पाइसजेट के एक चार्टर विमान ने गुवाहाटी के लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई अंतरराष्ट्रीय (एलजीबीआई) हवाईअड्डे से शाम छह बजकर 56 मिनट पर गोवा के डाबोलिम हवाईअड्डे के लिए उड़ान भरी.
शिवसेना के विधायक कुछ निर्दलीय विधायकों के साथ 22 जून से लगभग 2,700 किलोमीटर दूर गुवाहाटी में डेरा डाले हुए थे, जिससे महाराष्ट्र में उनकी सरकार संकट में आ गई.
असम के संसदीय कार्य मंत्री पीयूष हजारिका, आवास और शहरी मामलों के मंत्री अशोक सिंघल, भाजपा सांसद पल्लब लोचन दास और विधायक दिगंत कलिता और सुशांत बोरगोहेन महाराष्ट्र के विधायकों के साथ हवाई अड्डे गए.
गुवाहाटी के पुलिस आयुक्त हरमीत सिंह, संयुक्त आयुक्त पार्थ सारथी महंत और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी हवाई अड्डे पर मौजूद थे. हवाई अड्डे पर सुबह से ही सैकड़ों पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था.
एकनाथ शिंदे ने हवाई अड्डे पर संवाददाओं से बातचीत में शिवसेना के ‘बागी’ कहे जाने पर आपत्ति जतायी और कहा कि उनके समूह के सदस्य ‘असली शिवसैनिक’ हैं.
उन्होंने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करेंगे. उन्होंने कहा कि उनके साथ के विधायकों ने गुरुवार को शक्ति परीक्षण में भाग लेने के लिए मुंबई पहुंचने की योजना बनाई है, जिसका आदेश महाराष्ट्र के राज्यपाल ने दिया है.
यह पूछे जाने पर कि क्या असंतुष्ट भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार का समर्थन करेंगे, शिंदे ने कहा, ‘हम उसके बाद अपनी भविष्य की रणनीति तय करेंगे.’ उन्होंने कहा, ‘हम बालासाहेब ठाकरे के शिव सैनिक हैं. हम हिंदुत्व की विचारधारा को आगे बढ़ाएंगे. हम महाराष्ट्र और राज्य के लोगों के विकास के लिए काम करेंगे.’
राज्यपाल कोश्यारी ने विधानसभा सचिव को लिखे अपने पत्र में निर्देश दिया था, ‘महाराष्ट्र विधानसभा का एक विशेष सत्र 30 जून (गुरुवार) को पूर्वाह्न 11 बजे बुलाया जाएगा, जिसमें मुख्यमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान एकमात्र एजेंडा होगा और किसी भी सूरत में सदन की कार्यवाही शाम पांच बजे तक पूरी करनी होगी.’
पत्र में कहा गया, ‘सदन की कार्यवाही का सीधा (लाइव) प्रसारण किया जाएगा और इसके लिए उचित प्रबंध किए जाएंगे.’
पत्र में राज्यपाल ने मंगलवार को सात निर्दलीय विधायकों द्वारा भेजे गए ई-मेल का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने सदन में बहुमत गंवा दिया है इसलिए जल्द से जल्द शक्ति परीक्षण कराना अनिवार्य हो गया है.
इस बीच, सरकार पर छाए अनिश्चितता के बादलों के बीच राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुधवार को कहा कि उन्हें उनके अपनों ने ही धोखा दिया है.
ठाकरे ने शाम के वक्त कैबिनेट की एक बैठक की.
एक अधिकारी ने बताया कि ठाकरे ने अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों से कहा कि उन्हें उनके अपनों ने ही धोखा दिया है.
उन्होंने ठाकरे को उद्धृत करते हुए कहा, ‘मैंने अगर अनजाने में किसी को चोट पहुंचाई हो तो मैं उसके लिए माफी मांगता हूं.’
अधिकारी ने बताया कि बैठक में ठाकरे के संबोधन के बाद मंत्रियों ने तालियां बजाईं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने इस बात के कोई संकेत नहीं दिए कि वह गुरूवार को संभावित शक्ति परीक्षण से पहले पद छोड़ सकते हैं.
कांग्रेस के मंत्री सुनील केदार ने बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पिछले ढाई वर्षों में सहयोग देने के लिए अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों का आभार व्यक्त किया.
उन्होंने कहा कि ठाकरे ने हमेशा सब को इज्जत दी है.
मंत्री ने कहा, ‘उन्होंने सहयोग के लिए मंत्रिमंडल का आभार व्यक्त किया और कहा कि सहयोग जारी रहेगा.’
राज्य की महाविकास अघाड़ी सरकार के भविष्य के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘सदन में प्रत्येक विधायक अपनी अंतरात्मा की आवाज पर मतदान करेगा और इस बात को भी ध्यान में रखेगा कि ठाकरे ने कोई प्रशासनिक अनुभव नहीं होने के बावजूद किस प्रकार से कोविड-19 के खिलाफ राज्य की लड़ाई को दिशा दी.’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘उद्धव ठाकरे रुकेंगे नहीं और न ही पराजित होंगे.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)