जम्मू कश्मीर में परिसीमन की कवायद में विधानसभा क्षेत्रों का दायरा फिर से तय किए जाने के बाद केंद्र शासित प्रदेश की पहली मतदाता सूची को फिर से तैयार किया गया. समयसीमा के अनुसार एकीकृत मसौदा मतदाता सूची का प्रकाशन एक सितंबर को किया जाएगा. सितंबर का पूरा माह दावा-आपत्ति दर्ज कराने के लिए रखा गया है, जिसका निस्तारण 15 अक्टूबर तक किया जाना है.
नई दिल्ली: निर्वाचन आयोग 31 अक्टूबर को जम्मू कश्मीर की अंतिम तौर पर तैयार मतदाता सूची प्रकाशित करेगा. परिसीमन की कवायद में विधानसभा क्षेत्रों का दायरा फिर से तय किए जाने के बाद केंद्र शासित प्रदेश की पहली मतदाता सूची को फिर से तैयार किया गया है.
जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को लिखे पत्र में निर्वाचन आयोग ने 31 अक्टूबर को मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन से पहले विभिन्न गतिविधियों को पूरा करने के लिए समयसीमा दी है.
अधिकारियों ने कहा कि मतदाता सूची अद्यतन होती रहेगी, क्योंकि लोगों को मतदाता के रूप में नामांकित करने के लिए हर साल चार ‘कट-ऑफ’ तारीखें हैं.
इससे पूर्व वर्ष के पहले दिन या उससे पहले 18 वर्ष के होने वाले लोग एक जनवरी को मतदाता बनने के लिए आवेदन कर सकते थे. अब 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर को या उससे पहले 18 वर्ष के हो जाने वाले लोग मतदाता बनने के लिए आवेदन कर सकते हैं.
विशेष सारांश संशोधन, 2019 के बाद जम्मू कश्मीर में विभिन्न कारणों से मतदाता सूची का वार्षिक संशोधन नहीं किया जा सका था.
इस बीच केंद्र शासित प्रदेश में निर्वाचन क्षेत्रों के दायरे के पुनर्निर्धारण की कवायद चल रही थी और इस साल पांच मई को परिसीमन आयोग द्वारा अंतिम रूप से सीमांकित खंडों को अधिसूचित किया गया था.
पत्र में कहा गया है, ‘चूंकि जम्मू और कश्मीर में पिछले तीन वर्षों से मतदाता सूची का पुनरीक्षण नहीं किया गया था, इसलिए नए पात्र मतदाता मतदाता सूची में अपना पंजीकरण नहीं करा सके.’
जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश में पहला विधानसभा चुनाव होने से पहले मतदाता सूची में संशोधन किए जाने की आवश्यकता है.
जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने की प्रक्रिया को गति देते हुए निर्वाचन आयोग ने बीते जून महीने में केंद्र शासित प्रदेश में परिसीमन कवायद के बाद मतदाता सूची में संशोधन की शुरुआत की थी और कहा था कि 31 अगस्त तक मसौदा तैयार किया जाएगा.
समयसीमा के अनुसार एकीकृत मसौदा मतदाता सूची का प्रकाशन एक सितंबर को किया जाएगा. सितंबर का पूरा माह दावा-आपत्ति दर्ज कराने के लिए रखा गया है, जिसका निस्तारण 15 अक्टूबर तक किया जाना है.
मालूम हो कि मई में परिसीमन आयोग ने सरकार को अंतिम रिपोर्ट सौंपी थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया था. आयोग को अनुच्छेद 370 और 35ए को रद्द करने के बाद जम्मू कश्मीर में लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों को फिर से तैयार करने का काम सौंपा गया था. जिसने 2019 में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम का मार्ग प्रशस्त किया.
मई में ही केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर कहा था कि परिसीमन आयोग के आदेश 20 मई से प्रभावी हो जाएंगे. अधिसूचना के जरिये विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं का पुनर्निधारण किया गया था.
परिसीमन आयोग के आदेशों के मुताबिक, केंद्र शासित प्रदेश में 90 विधानसभा सीट होगी (जम्मू संभाग में 43 और कश्मीर में 47) उनमें से नौ सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित होंगी.
पूर्ववर्ती विधानसभा में 87 सीट थी, जिनमें जम्मू में 37, जबकि कश्मीर में 46 और लद्दाख में चार सीट थी.
तीन सदस्यीय परिसीमन आयोग की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई ने की थी. तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा (अब सेवानिवृत्त) और जम्मू कश्मीर चुनाव आयुक्त केके शर्मा इसके दो पदेन सदस्य थे.
जम्मू और कश्मीर पांच से लोकसभा सदस्य – नेशनल कॉन्फ्रेंस के तीन और भाजपा के दो – आयोग के सहयोगी सदस्य थे.
परिसीमन आयोग ने अपना दो साल का कार्यकाल समाप्त होने से ठीक एक दिन पहले 5 मई को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपी थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)