मुंबई के आरे वन क्षेत्र में मेट्रो-3 कारशेड परियोजना को 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण लेकर आए थे. जिसे बाद में आई देवेंद्र फडणवीस सरकार ने भी आगे बढ़ाया था, जबकि पर्यावरण कार्यकर्ता लगातार इसके विरोध में थे. 2019 में जब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाविकास अघाड़ी सरकार सत्ता में आई तो उसने इस परियोजना पर रोक लगा दी, लेकिन अब सत्ता परिवर्तन के बाद नई सरकार ने फिर से आरे वन क्षेत्र में मेट्रो परियोजना को आगे बढ़ाने का ऐलान किया है.
मुंबई: पर्यावरणविद मेट्रो-3 कार शेड परियोजना को लेकर नए सिरे से लड़ाई के लिए तैयार हो रहे हैं क्योंकि महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली नई सरकार ने इसे मुंबई के आरे वन क्षेत्र में बनाने का प्रस्ताव दिया है. इस 1,800 एकड़ में फैले वन क्षेत्र को अक्सर शहर का ‘ग्रीन लंग्स’ कहा जाता है.
आरे वन में तेंदुओं के अलावा जीव-जंतुओं की करीब 300 प्रजातियां पाई जाती हैं. यह उपनगर गोरेगांव में स्थित है तथा संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान से जुड़ा है.
पर्यावरण कार्यकर्ताओं के अनुसार, वन न केवल शहर के लोगों को ताजा हवा देते हैं बल्कि यह वन्यजीवों के लिए प्रमुख प्राकृतिक वास है और इनमें से कुछ तो स्थानिक प्रजातियां हैं. इस वन में करीब पांच लाख पेड़ हैं और कई नदियां और झीलें यहां से गुजरती हैं.
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल में राज्य के महाधिवक्ता और प्रशासन को कांजुर मार्ग के बजाय आरे कॉलोनी में कार शेड बनाने का प्रस्ताव सौंपने का निर्देश दिया. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकार ने कांजुर मार्ग को कार शेड के लिए चुना था.
मेट्रो-3 कार शेड को 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण ने सबसे पहले आरे में बनाने का प्रस्ताव दिया था जिसे स्थानीय एनजीओ वनशक्ति ने बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
इसके बाद फडणवीस भी इसी प्रस्ताव पर आगे बढ़े. लेकिन पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने कार शेड के लिए आरे में पेड़ काटे जाने का कड़ा विरोध किया.
शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन के 2019 में सत्ता में आने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस फैसले को पलट दिया और मेट्रो-3 कार शेड को कांजुर मार्ग पूर्वी उपनगर में बनाने का प्रस्ताव दिया, लेकिन यह फैसला कानूनी विवाद में फंस गया.
ठाकरे सरकार ने आरे को आरक्षित वन भी घोषित कर दिया था.
लेकिन, 30 जून को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में ठाकरे सरकार के पिछले फैसले को पलट दिया.
मुंबई महानगर क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण (एमएआरडीए) के एक अधिकारी ने बताया कि करीब 900 दिन मुकदमों में बर्बाद हो गए और कांजुर मार्ग या आरे में कोई निर्माण नहीं हुआ है. उन्होंने कहा, ‘इसका साफ तौर पर मतलब है कि आरे में मेट्रो-3 कार शेड का निर्माण पूरा होने में कम से कम तीन साल का वक्त लगेगा, अगर नई सरकार के साथ सब-कुछ ठीक रहता है तो.’
निर्माण के कई चरणों में विभिन्न मेट्रो लाइनें हैं लेकिन मेट्रो-3 कार शेड अहम है क्योंकि मुख्यत: यह पश्चिमी उपनगर को मुंबई में दो प्रमुख औद्योगिक हब बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स और एसईईपीजेड से जोड़ती है.
आरे की जमीन पर कार शेड बनाने का पुरजोर विरोध कर रहे एनजीओ वनशक्ति के सदस्य डी स्टालिन ने कहा, ‘यह महज कार शेड नहीं है जो आरे की जमीन पर बन रही है. रियल एस्टेट कंपनियों के भी आने की प्रबल संभावना है. इससे आरे वन भूमि हमेशा के लिए बर्बाद हो जाएगी.’
स्टालिन ने कहा कि आरे वन की महत्ता महज इतनी नहीं है कि यह ताजी हवा देता है, तापमान और प्रदूषण कम करता है तथा शहर में भूजल को बनाए रखने में मदद करता है.
उन्होंने कहा, ‘यह वन्यजीवों के लिए अहम प्राकृतिक वास भी है और कुछ स्थानिक प्रजातियों का भी घर है, जीव-जंतु हर कहीं नहीं पाए जाते. यह दो नदियों, तीन झीलों और पांच लाख पेड़ों का भी घर है. इसे क्यों छेड़ना.’
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उन्होंने दावा किया कि कांजुर मार्ग स्थल पर मेट्रो-3 और 6 के लिए कार शेड के निर्माण के लिए एक तार्किक व्याख्या थी, लेकिन कुछ ‘अदृश्य शक्तियां’ नई सरकार को इसे वापस आरे में स्थानांतरित करने के लिए मजबूर कर रही हैं.
मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमएमआरसीएल), जो 33.5 किलोमीटर की मेट्रो-3 परियोजना की देखरेख करती है, पहले ही सुरंग बनाने, सिविल कार्यों, स्टेशन के काम और ट्रैक बिछाने में 19,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर चुकी है. एमएमआरसीएल के एक अधिकारी ने बताया कि लगभग 23 प्रतिशत निर्माण कार्य आरे में पूरा हो गया था (काम रोके जाने से पहले), जबकि कांजुर मार्ग स्थल पर कोई काम नहीं हुआ है.
मेट्रो-3 लाइन के लिए ज्यादातर फंडिंग जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन लिमिटेड से आई है.
स्टालिन ने कहा कि आरे क्षेत्र में मेट्रो-3 कार शेड का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ेगा.
उन्होंने कहा, ‘प्रत्यक्ष प्रभाव यह है कि पेड़ों को काट दिया जाएगा, जिससे 62 हेक्टेयर वन भूमि नष्ट हो जाएगी. अंतत: मीठी नदी के बाढ़ के मैदान खत्म हो जाएंगे.’
उन्होंने आगे कहा, ‘कार शेड को धोने (मेट्रो रेक) के लिए प्रतिदिन 50,000 लीटर भूजल की जरूरत होने की उम्मीद है. इसका अप्रत्यक्ष प्रभाव दीर्घकालिक होगा.’
स्टालिन ने कहा कि एमएमआरसीएल वहां सिर्फ कार शेड ही नहीं बनाएगी, वह आरे में मेट्रो स्टेशन बनाने की भी योजना बना रही है.
उन्होंने दावा किया, ‘आरे के अंदर आखिर क्यों एक स्टेशन आना चाहिए? स्टेशन के पास एक 90 एकड़ एसआरए (झुग्गी पुनर्वास प्राधिकरण) परियोजना की भी योजना बनाई जा रही है. स्टेशन आरे कॉलोनी को तबाह कर देगा.’
स्टालिन ने कहा कि करीब डेढ़ लाख लोग एसआरए के घरों में रहने वाले हैं. इसके अलावा चिड़ियाघर, मेट्रो भवन, आरटीओ परीक्षण केंद्र और एक श्रम शिविर जैसी अन्य गतिविधियों के लिए कई भूखंडों को लिया गया है. स्टालिन ने कहा कि कार शेड की वजह से आरे में सभी तरह की गतिविधियां प्रस्तावित हैं.
बता दें कि उद्धव ठाकरे के नेतृ्त्व वाली शिवसेना ने आरे में मेट्रो कार शेड बनाने के कदम का विरोध किया था, और इसे महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे का भी समर्थन मिला था.
अमित ठाकरे पर्यावरण कार्यकर्ताओं के समर्थन में उतर आए हैं. उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार को आरे वन क्षेत्र में मेट्रो -3 कार शेड बनाने की अपनी योजना पर पुनर्विचार करना चाहिए.
एनडीटीवी के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘नई सरकार का नया फैसला मेरे और असंख्य पर्यावरण कार्यकर्ताओं और पर्यावरण प्रेमियों के लिए चौंकाने वाला है. राज्य के युवाओं ने पहले भी इस कदम के खिलाफ कड़ा संघर्ष किया था. कुछ को जेल में भी डाल दिया गया था.’
उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि विकास समय की जरूरत है लेकिन पर्यावरण की कीमत पर नहीं.
उन्होंने कहा, ‘हमें निश्चित रूप से विकास की जरूरत है, लेकिन पर्यावरण की कीमत पर नहीं. अगर हमारा पर्यावरण पूरी तरह नष्ट हो गया तो राजनीति या शासन करने के लिए कोई नहीं बचेगा. राजनेताओं को इस पर ध्यान देना चाहिए.’
उद्धव ठाकरे ने भी नई सरकार से आरे में मेट्रो कार शेड नहीं बनाने की अपील की
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को राज्य की नई सरकार से अपील की कि वह मुंबई के हरे-भरे आरे कॉलोनी इलाके में मेट्रो कार शेड बनाने की अपनी योजना को आगे नहीं बढ़ाए.
मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के दो दिन बाद शिवसेना मुख्यालय में ठाकरे ने संवाददाताओं से कहा कि जैसा कि उनकी सरकार ने प्रस्ताव दिया था कि कार शेड स्थल को आरे कॉलोनी से कांजुर मार्ग में स्थानांतरित किया जा सकता है.
ठाकरे ने कहा, ‘मैं बहुत निराश हूं. अगर आप मुझ पर नाराज हैं, तो इसे जाहिर करो, लेकिन मुंबई के दिल में छुरा मत मारो. मैं बहुत परेशान हूं कि आरे संबंधी फैसले को उलट दिया गया है. यह निजी संपत्ति नहीं है.’
शिवसेना प्रमुख ने कहा, ‘मैंने निर्णय पर रोक लगा दी थी. मैंने कांजुर का विकल्प दिया (वैकल्पिक स्थल के रूप में). मैं पर्यावरणविदों के साथ हूं.’
ठाकरे नीत सरकार द्वारा कार शेड के लिए निर्धारित कांजुर स्थल विवादित भूमि है क्योंकि केंद्र और राज्य सरकार के अलावा कई निजी कंपनियों ने इस पर दावा किया है.
वन्यजीव फोटोग्राफी का शौक रखने वाले ठाकरे ने यह भी कहा कि जब फडणवीस नीत सरकार के समय में कार शेड बनाने के लिए आरे कॉलोनी में पेड़ काटे जा रहे थे, तब इलाके में खुलेआम घूमते हुए तेंदुओं की तस्वीरें सामने आई थीं. उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि यह क्षेत्र वन्य जीवन के मामले में बेहद समृद्ध है.
ठाकरे ने कहा कि उनकी आशंका यह है कि जब आरे कॉलोनी में कार शेड के कारण लोगों की बड़े पैमाने पर आवाजाही होगी, तो इससे आसपास के वन्यजीवों को नुकसान होगा.
वहीं, उद्धव के बेटे और पिछली सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे ने भी सिलसिलेवार ट्वीट की एक कड़ी में फैसले की आलोचना की है.
उन्होंने लिखा, ‘आरे केवल 2700 से अधिक पेड़ों का मसला नहीं है. यह जैव विविधता का मसला है जिसे हम अपने मुंबई में संरक्षित करना चाहते हैं. कारशेड स्थल और उसके आसपास तेंदुओं और अन्य छोटी प्रजातियों को रोज देखा जा सकता है. हमें इसके आसपास के 800 एकड़ क्षेत्र को जंगल घोषित करने पर गर्व है.’
Aarey isn’t only about 2700+ trees, it is about it’s biodiversity that we are seeking to protect in our Mumbai.
There are daily sightings of leopards and other smaller species in the carshed spot and around it.
We’re proud of declaring more than 800 acres as forest around it.— Aaditya Thackeray (@AUThackeray) July 3, 2022
वहीं, कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई ने भी आरोप लगाया है कि मुंबई के आरे वन क्षेत्र में मेट्रो कारशेड निर्माण संबंधी एकनाथ शिंदे सरकार का फैसला शहर की जनता के लिए पहला झटका है और यह कदम लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने के समान है.
महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने संवाददाताओं से कहा कि पर्यावरणीय क्षति (पेड़ों की कटाई और हरित क्षेत्र में निर्माण) को ध्यान में रखते हुए मेट्रो लाइन-3 के कारशेड को आरे के बजाय कांजुर मार्ग में बनाने का फैसला लिया गया था.
उन्होंने कहा, ‘नवगठित सरकार आरे में कारशेड निर्माण को लेकर अड़ियल रवैया अपना रही है जो कि मुंबईकरों की सेहत के साथ खिलवाड़ है. पर्यावरणविद और मुंबईवासी इसके खिलाफ हैं और हजारों लोगों ने तत्कालीन फडणवीस सरकार के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन किया था.’
पटोले ने कहा, ‘हम विकास के खिलाफ नहीं हैं, हम मुंबई मेट्रो परियोजना के खिलाफ नहीं हैं. मुंबईवासियों को आवाजाही में सुविधा प्रदान करने के मद्देनजर सबसे पहले कांग्रेस नीत सरकार ने ही मेट्रो परियोजना के निर्माण का फैसला लिया था. कांग्रेस विकास और पर्यावरण के बीच तालमेल सुनिश्चित करने के पक्ष में है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)