कार्यकर्ताओं-दलों ने आरे वन क्षेत्र में मेट्रो कार शेड बनाने के फैसले के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया

हाथों में तख़्तियां लिए प्रदर्शनकारियों ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र की नई सरकार के उस प्रस्ताव के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की, जिसमें मेट्रो-3 कार शेड परियोजना को दोबारा मुंबई के आरे वन क्षेत्र में स्थानांतरित करने का फैसला किया गया है. शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में 600 से अधिक मुंबईकरों ने भाग लिया.

/
Mumbai: Aam Aadmi Party (AAP) workers raise slogans during a protest as Maharashtra govt decides to move the Metro-3 car shed back to Aarey Forest, in Mumbai, Sunday, July 3, 2022. The forest is a 1,800-acre area which is often termed the citys green lung. (PTI Photo)

हाथों में तख़्तियां लिए प्रदर्शनकारियों ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र की नई सरकार के उस प्रस्ताव के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की, जिसमें मेट्रो-3 कार शेड परियोजना को दोबारा मुंबई के आरे वन क्षेत्र में स्थानांतरित करने का फैसला किया गया है. शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में 600 से अधिक मुंबईकरों ने भाग लिया.

मुंबई में रविवार को आरे वन क्षेत्र में मेट्रो कार शेड बनाने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले के विरोध में हुए प्रदर्शन​ में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता भी शामिल हुए. (फोटो: पीटीआई)

मुंबई: पर्यावरण कार्यकर्ताओं, शिवसेना के उद्धव ठाकरे नीत गुट और आम आदर्मी पार्टी समेत कुछ राजनीतिक दलों ने आरे वन क्षेत्र में मेट्रो-3 कार शेड निर्माण संबंधी महाराष्ट्र सरकार के हालिया फैसले के खिलाफ रविवार को आरे कॉलोनी में विरोध प्रदर्शन किया.

आरे वन क्षेत्र मुंबई के उपनगर गोरेगांव में एक हरित क्षेत्र है. 1,800 एकड़ में फैले इस वन क्षेत्र को शहर का ‘ग्रीन लंग्स’ भी कहा जाता है. आरे वन में तेंदुओं के अलावा जीव-जंतुओं की करीब 300 प्रजातियां पाई जाती हैं. यह संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान से जुड़ा है.

पर्यावरण कार्यकर्ताओं के अनुसार, वन न केवल शहर के लोगों को ताजा हवा देते हैं बल्कि यह वन्यजीवों के लिए प्रमुख प्राकृतिक वास है और इनमें से कुछ तो स्थानिक प्रजातियां हैं. इस वन में करीब पांच लाख पेड़ हैं और कई नदियां और झीलें यहां से गुजरती हैं.

हाथों में तख्तियां लिए प्रदर्शनकारियों ने महाराष्ट्र की नई सरकार के उस प्रस्ताव के खिलाफ नारेबाजी की, जिसमें मेट्रो-3 कार शेड परियोजना को दोबारा मुंबई के आरे वन क्षेत्र में स्थानांतरित करने का फैसला किया गया है.

मेट्रो-3 कार शेड को 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण ने सबसे पहले आरे में बनाने का प्रस्ताव दिया था जिसे स्थानीय एनजीओ वनशक्ति ने बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

इसके बाद फडणवीस भी इसी प्रस्ताव पर आगे बढ़े. लेकिन पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने कार शेड के लिए आरे में पेड़ काटे जाने का कड़ा विरोध किया.

शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन के 2019 में सत्ता में आने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस फैसले को पलट दिया और मेट्रो-3 कार शेड को कंजूर मार्ग पूर्वी उपनगर में बनाने का प्रस्ताव दिया, लेकिन यह फैसला कानूनी विवाद में फंस गया.

पूर्ववर्ती उद्धव ठाकरे सरकार ने पर्यावरण सरंक्षण के मद्देनजर कार शेड परियोजना को आरे से कंजूर मार्ग स्थानांतरित कर दिया था. ठाकरे सरकार ने आरे को संरक्षित वनक्षेत्र भी घोषित किया था.

हालांकि, बीते 30 जून को नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के तुरंत बाद हुई पहली कैबिनेट बैठक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य प्रशासन को आरे कॉलोनी में मेट्रो-3 कार शेड बनाने का प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था.

मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एमएमआरसीएल), जो 33.5 किलोमीटर की मेट्रो-3 परियोजना की देखरेख करती है, पहले ही सुरंग बनाने, सिविल कार्यों, स्टेशन के काम और ट्रैक बिछाने में 19,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर चुकी है. एमएमआरसीएल के एक अधिकारी ने बताया कि लगभग 23 प्रतिशत निर्माण कार्य आरे क्षेत्र में पूरा हो गया था (काम रोके जाने से पहले), जबकि कंजूर मार्ग स्थल पर कोई काम नहीं हुआ है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, आरे वन क्षेत्र में पिकनिक स्थल के पास विवादास्पद कार शेड के खिलाफ रविवार को आयोजित शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में 600 से अधिक मुंबईकरों ने भाग लिया.

सेव आरे नाम के इस विरोध कार्यक्रम में व्यक्तियों, छात्रों, पर्यावरणविदों, गैर सरकारी संगठनों के साथ-साथ राजनीतिक दलों की भागीदारी देखी गई. करीब एक घंटे तक कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच प्रदर्शनकारियों ने ‘आरे हमारी शान है, मुंबई की जान है’, ‘सेव आरे’ जैसे नारे लगाए.

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार द्वारा एक वैकल्पिक योजना तैयार करने के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि मेट्रो कार शेड मुद्दे को राजनीतिक प्रतिशोध के कारण घसीटा जा रहा है.

इस विरोध प्रदर्शन में जंगल के अंदर आदिवासी बस्तियों के कुछ सदस्यों की भागीदारी भी देखी गई.

पर्यावरणविद् स्टालिन दयानंद ने कहा, ‘फडणवीस द्वारा लिए गए विनाशकारी फैसले के खिलाफ रविवार को बड़ी संख्या में नागरिकों द्वारा स्वतः स्फूर्त विरोध को देखना उत्साहजनक था.’

आरे संरक्षण समूह की सदस्य अमृता भट्टाचार्जी ने कहा, ‘लोग देख रहे हैं कि जब मानसून की शुरुआत के साथ शहर में कई अन्य मुद्दे शुरू हो रहे हैं तब महाराष्ट्र की नई सरकार की क्या प्राथमिकता है. आज प्रदर्शन के दौरान नागरिकों का गुस्सा स्पष्ट था.’

उन्होंने यह भी कहा कि कैसे नई सरकार इस मामले में कोई अदालती मामला लंबित नहीं होने की झूठी सूचना फैला रही है, जबकि एक गैर सरकारी संगठन द्वारा दायर एक याचिका के साथ उनकी याचिका अभी भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के इंतजार में लंबित है.

रविवार को शिवसेना और इसकी युवा शाखा ‘युवा सेना’ के कार्यकर्ताओं ने कार शेड परियोजना कंजूर मार्ग स्थानांतरित करने के फैसले को लेकर कड़ा विरोध जताते हुए प्रदर्शन किया.

पूर्ववर्ती उद्धव ठाकरे सरकार में पर्यावरण मंत्री रहे आदित्य ठाकरे ने रविवार को ट्वीट कर कहा कि वह विधानसभा के विशेष सत्र में हिस्सा लेने के चलते प्रदर्शन में शामिल नहीं हो सके. हालांकि, उन्होंने राज्य सरकार से फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया.

उन्होंने कहा, ‘मैं नम्रतापूर्वक नई सरकार से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह करता हूं. हमारे प्रति नफरत को हमारी प्यारी मुंबई पर मत निकालिए. आरे केवल 2700 से अधिक पेड़ों के बारे में नहीं हैं, यह इसकी जैव विविधता के बारे में है, जिसे हम अपने मुंबई में संरक्षित करना चाहते हैं.’

प्रदर्शन के दौरान शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने एकनाथ शिंदे नीत सरकार पर इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया.

पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं ने कहा कि वन न केवल शहर के लोगों को शुद्ध वायु उपलब्ध कराते हैं, बल्कि यह वन्यजीवों का आश्रय स्थल भी है.

वहीं, आम आदमी पार्टी की मुंबई इकाई की कार्यकारी अध्यक्ष रुबेन रूबेन मैस्करेन्हस ने कहा कि आरे दुनिया का एकमात्र शहरी वन पारिस्थितिकी तंत्र है और इसे हर कीमत पर बचाया जाना चाहिए.

रिपोर्ट के अनुसार, रुबेन ने कहा, ‘हमने हनुमान चालीसा के पाठ के साथ विरोध शुरू किया. य​ह विचार महाराष्ट्र नए उपमुख्यमंत्री सीएम देवेंद्र फडणवीस को याद दिलाने के लिए था कि भगवान हनुमान भी जंगलों से प्यार करते थे और उनकी रक्षा करते थे. नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे उस सरकार का हिस्सा थे, जिसने मेट्रो कार शेड को आरे से बाहर शिफ्ट करने का फैसला लिया था और अचानक उन्होंने इस फैसले पर यू-टर्न ले लिया.’

उन्होंने आगे कहा कि जनता की राय जुटाने के लिए किए गए प्रयासों के तहत एक वेबसाइट शुरू की जाएगी, क्योंकि जो हो रहा है वह अस्वीकार्य है.

मालूम हो कि साल 2019 के सितंबर महीने में बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ट्री अथॉरिटी ने मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड को मेट्रो-3 कॉरिडोर के लिए प्रस्तावित कार शेड के निर्माण के लिए आरे कॉलोनी में 2,646 पेड़ों की कटाई और प्रत्यारोपण के लिए मंजूरी दे दी थी, जिसका पर्यावरणविद् और स्थानीय लोग ने विरोध किया था.

अक्टूबर 2020 में महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आरे मेट्रो कार परियोजना का स्थान बदलने की घोषणा करते हुए इसे यहां कंजूर मार्ग स्थानांतरित करने की घोषणा की थी. साथ ही उन्होंने कहा था कि आरे में मेट्रो कार शेड बनाने के विरोध में प्रदर्शन करने वाले लोगों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लिए जाएंगे.

ठाकरे ने कहा था कि परियोजना को कंजूर मार्ग में सरकारी भूमि पर स्थानांतरित किया जाएगा और इस काम में कोई खर्च नहीं आएगा. उन्होंने कहा था, ‘भूमि शून्य दर पर उपलब्ध कराई जाएगी.’

मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 25 अक्टूबर 2019 को 32,000 करोड़ रुपये के कोलाबा-बांद्रा-सीप्ज़ मेट्रो कॉरिडोर के तहत कार शेड बनाने के लिए आरे कॉलोनी में पेड़ों को काटना शुरू कर दिया था. स्थानीय लोगों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और पर्यावरणविदों ने परियोजना और इस इलाके में पेड़ों की कटाई का विरोध किया था, तब कई लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था.

कुल 29 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. चौतरफा विरोध के बीच मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद उद्धव ठाकरे ने कार शेड प्रोजेक्ट के काम पर रोक लगा दी थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)