दिल्ली दंगा: जेल में जान को खतरा बताकर शरजील इमाम अदालत पहुंचे

साल 2020 के दिल्ली दंगा मामले में जेल में बंद जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम ने अपने आवेदन में आरोप लगाया गया है कि सहायक जेल अधीक्षक ने हाल ही में तलाशी की आड़ में आठ-दस लोगों के साथ उसके सेल में प्रवेश किया, उससे मारपीट की और ‘आतंकवादी’ तथा ‘राष्ट्र-विरोधी’ कहकर संबोधित किया.

शरजील इमाम. (फोटो साभार: फेसबुक)

साल 2020 के दिल्ली दंगा मामले में जेल में बंद जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम ने अपने आवेदन में आरोप लगाया गया है कि सहायक जेल अधीक्षक ने हाल ही में तलाशी की आड़ में आठ-दस लोगों के साथ उसके सेल में प्रवेश किया, उससे मारपीट की और ‘आतंकवादी’ तथा ‘राष्ट्र-विरोधी’ कहकर संबोधित किया.

शरजील इमाम. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र शरजील इमाम ने सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में गुहार लगाते हुए दावा किया कि उसके जीवन को जेल में खतरा है. वह वर्ष 2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए दंगे के मामले में कथित तौर पर साजिश रचने के आरोपी है.

शरजील के आवेदन के विशेष न्यायाधीश अमिताभ रावत के समक्ष सुनवाई के लिए आने की संभावना है. आवेदन में आरोप लगाया गया है कि जेल के सहायक अधीक्षक ने हाल ही में तलाशी की आड़ में आठ-दस लोगों के साथ उनके सेल में प्रवेश किया, उनसे मारपीट की और आतंकवादी तथा राष्ट्र-विरोधी कहकर संबोधित किया.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इमाम के वकील इब्राहिम ने दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत में एक न्यायाधीश के समक्ष एक आवेदन दिया, जिसमें जेल अधिकारियों को आवेदक पर किए गए अवैध हमले और तलाशी के लिए कारण बताओ नोटिस जारी करने का आग्रह किया गया है. साथ ही आगे किसी भी हमले या उत्पीड़न से उन्हें (इमाम) बचाने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश अधिकारियों को देने की अपील की गई है.

आवेदन में अदालत से अधिकारियों को जेल के सीसीटीवी कैमरे में 30 जून की शाम 7.15 बजे से रात 8.30 बजे तक रिकॉर्ड किए गए वीडियो फुटेज को सुरक्षित रखने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है, जब यह कथित घटना हुई थी.

इमाम के वकील ने कहा कि न्यायाधीश ने नोटिस जारी किया है और 14 जुलाई को मामले की सुनवाई करेंगे, उसी दिन जेल अधिकारियों के इस संबंध में रिपोर्ट दाखिल करने की उम्मीद है.

बीते चार जुलाई को सख्त यूएपीए धाराओं के तहत दर्ज दिल्ली दंगा मामले में इमाम को कड़कड़डूमा कोर्ट में पेश किया गया था. उनके वकील ने कहा कि इमाम ने अदालत में उनसे मिलने पर हमले का खुलासा किया.

इमाम की ओर से दायर अर्जी में दावा किया गया है कि 30 जून को सहायक जेल अधीक्षक 8-9 दोषियों के साथ तलाशी लेने के नाम पर उनके सेल में आए और इस अवैध तलाशी के दौरान उनकी किताबें और कपड़े फेंक दिए और उन पर हमला किया. इतना ही नहीं जब उन्हें सामान फेंकने से रोका उन्हें (इमाम) आतंकवादी और देशद्रोही कहा गया.

अपील में कहा गया है, इमाम ने तब सहायक जेल अधीक्षक से अनुरोध किया कि वे उन्हें हमला करने से रोकें, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. इसके बाद भी दोषियों द्वारा उन पर और हमला किया गया.

इसमें कहा गया है कि जेल कर्मचारियों द्वारा दोषियों की मदद से तलाशी नहीं ली जा सकती है और सहायक जेल अधीक्षक इस अवैध कार्य में शामिल थे.

इमाम ने आगे आरोप लगाया कि ‘इस दौरान कोई प्रतिबंधित सामग्री बरामद नहीं किया जा सका तो दोषियों ने उन्हें परेशानी में डालने के लिए कुछ प्रतिबंधित पदार्थ रखने का भी सुझाव दिया था.

उनके वकील इब्राहिम ने बताया, ‘मैंने उनकी सुरक्षा के लिए आवेदन दिया है. मारपीट का यह पहला मामला है, जिसका खुलासा किसी दंगा आरोपी ने किया है. उनके सेल के अंदर नियमित रूप से तलाशी अभियान चलाया जाता है और उन्हें कभी भी प्रतिबंधित सामग्री नहीं मिली है. इस बार जेल कर्मचारी दोषियों के साथ आए, जो कि अवैध है. केवल जेल कर्मचारी ही सेल की जांच कर सकते हैं.’

जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमें घटना के बारे में जानकारी मिली है और हम जांच करेंगे. हम जेल अधिकारियों और कैदियों के खिलाफ आरोपों की जांच कर रहे हैं. हमें सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखने का अनुरोध भी मिला है और हम ऐसा ही करेंगे.’

इमाम पर नागरिकता (संशोधन) कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर सरकार के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का आरोप है, विशेष रूप से दिसंबर 2019 में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में दिया गया भाषण, जिसके कारण कथित तौर पर विश्वविद्यालय के बाहर के क्षेत्र में हिंसा हुई थी.

इमाम अपने कथित भड़काऊ भाषणों के लिए देशद्रोह के आरोपों का सामना कर रहे हैं. वह जनवरी 2020 से न्यायिक हिरासत में हैं.

दिल्ली पुलिस ने मामले में इमाम के खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया था, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उन्होंने केंद्र सरकार के प्रति नफरत, अवमानना ​​​​और असंतोष को भड़काने वाले भाषण दिए और लोगों को भड़काया, जिसके कारण दिसंबर 2019 में हिंसा हुई.

मालूम हो कि इस साल जनवरी में दिल्ली की एक अदालत ने वर्ष 2019 में सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान कथित भड़काऊ भाषण देने के मामले में शरजील इमाम के खिलाफ राजद्रोह का अभियोग तय किया था.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने अपने आदेश में कहा था, ‘मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124 (राजद्रोह), 153ए (दो अलग-अलग समूहों में धर्म के आधार पर विद्वेष को बढ़ावा देना), 153बी (राष्ट्रीय एकता के खिलाफ अभिकथन), 505 (सार्वजनिक अशांति के लिए बयान), गैरकानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम (यूएपीए) की धारा 13 (गैरकानूनी गतिविधि के लिए सजा) के तहत आरोप तय किए जाते हैं.’

अभियोजन पक्ष के मुताबिक, शरजील इमाम ने 13 दिसंबर 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया में और 16 दिसंबर 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दिए भाषणों में कथित तौर पर असम और बाकी पूर्वोत्तर को भारत से अलग करने की धमकी दी थी.

इन कथित भाषणों के लिए इमाम को यूएपीए और राजद्रोह के तहत एक अन्य मामले में भी गिरफ्तार किया गया था.

बीते दिसंबर महीने में जामिया हिंसा मामले में शरजील को जमानत मिली थी. इसके अलावा इमाम को जनवरी 2020 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दिए गए एक भाषण के लिए उनके खिलाफ दर्ज राजद्रोह के मामले में जमानत मिल चुकी है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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