पत्रकार मोहम्मद ज़ुबैर ने अपने एक ट्वीट में कट्टर हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद, बजरंग मुनि और आनंद स्वरूप को ‘घृणा फैलाने वाला’ कहा था, जिसे लेकर बीते एक जून को उत्तर प्रदेश में सीतापुर ज़िले के खैराबाद में उनके ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया था. ऐसे ही एक अन्य मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ़्तार किए जाने के बाद वह पहले से ही 14 दिन की न्यायिक हिरासत में हैं.
सीतापुर: पत्रकार और फैक्ट चेक वेबसाइट ‘ऑल्ट न्यूज़’ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को कट्टर हिंदुत्ववादी नेताओं के खिलाफ कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी करने और धार्मिक भावना भड़काने के मामले में सोमवार को उत्तर प्रदेश में सीतापुर की एक अदालत में पेश किया गया.
उन्होंने कट्टर हिंदुत्ववादी नेताओं यति नरसिंहानंद, महंत बजरंग मुनि और आनंद स्वरूप को ‘घृणा फैलाने वाला’ कहा था.
सोमवार दोपहर दिल्ली पुलिस ने सीतापुर के एक न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में मोहम्मद जुबैर को पेश किया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. दिल्ली पुलिस बाद में जुबैर को वापस दिल्ली ले गई.
मोहम्मद ज़ुबैर पर धर्म, जाति, जन्म स्थान, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप है.
मोहम्मद जुबैर को बीते 27 जून को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295 (किसी भी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए किया गया जान-बूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य) और 153 (धर्म, जाति, जन्म स्थान, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच विद्वेष को बढ़ाना) के तहत दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज कर गिरफ़्तार किया गया था.
बीते दो जुलाई को दिल्ली पुलिस ने जुबैर के खिलाफ एफआईआर में आपराधिक साजिश, सबूत नष्ट करने और विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम की धारा 35 के तहत नए आरोप जोड़े हैं. ये आरोप जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की दखल का द्वार खोलते हैं.
जुबैर की गिरफ्तारी 2018 के उस ट्वीट को लेकर हुई थी जिसमें 1983 में बनी फिल्म ‘किसी से न कहना’ का एक स्क्रीनशॉट शेयर किया गया था.
ज़ुबैर के खिलाफ दर्ज एफआईआर में उल्लेख था, ‘हनुमान भक्त (@balajikijaiin) नामक ट्विटर हैंडल से मोहम्मद जुबैर (@zoo_bear) के ट्विटर हैंडल द्वारा किए गए एक ट्वीट को साझा किया गया था, जिसमें जुबैर ने एक फोटो ट्वीट की थी, जिसमें एक जिस पर साइनबोर्ड पर होटल का नाम ‘हनीमून होटल’ से बदलकर ‘हनुमान होटल’ दिखाया गया था. तस्वीर के साथ जुबैर ने ‘2014 से पहले हनीमून होटल… 2014 के बाद हनुमान होटल…’ लिखा था.’
इस संबंध में दिल्ली पुलिस की एफआईआर के अनुसार, ट्विटर यूजर (@balajikijaiin) ने साल 2018 में जुबैर द्वारा शेयर किए गए एक फिल्म के स्क्रीनशॉट वाले ट्वीट को लेकर लिखा था कि ‘हमारे भगवान हनुमान जी को हनीमून से जोड़ा जा रहा है जो प्रत्यक्ष रूप से हिंदुओं का अपमान है क्योंकि वह (भगवान हनुमान) ब्रह्मचारी हैं. कृपया इस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करें.’
बाद में, यह ट्विटर हैंडल डिलीट कर दिया गया. अब यह हैंडल दोबारा सक्रिय हुआ है, लेकिन जुबैर से संबंधित ट्वीट डिलीट कर दिया गया है.
बीते दो जुलाई को हिंदू देवता के बारे में कथित ‘आपत्तिजनक ट्वीट’ करने के मामले में मोहम्मद जुबैर को अदालत ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.
इसके पहले एक जून को कट्टर हिंदुत्ववादी नेताओं को कथित तौर पर नफरत फैलाने वाला बताने पर मोहम्मद जुबैर के खिलाफ सीतापुर के खैराबाद थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी.
एफआईआर उनके द्वारा किए गए उस ट्वीट के बाद दर्ज की गई है, जिसमें उन्होंने यति नरसिंहानंद, महंत बजरंग मुनि और आनंद स्वरूप को ‘घृणा फैलाने वाला’ कहा था.
रिपोर्ट के अनुसार, स्वयं को राष्ट्रीय हिंदू शेर सेना का जिला प्रमुख बताने वाले भगवान शरण की सीतापुर के खैराबाद थाने में दी गई शिकायत के आधार पर पुलिस ने जुबैर पर भारतीय दंड संहिता की धारा 295ए (किसी भी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए किया गया जान-बूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करना) के तहत मामला दर्ज किया है.
अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) एमपी सिंह ने बताया कि सीतापुर पुलिस ने मोहम्मद जुबैर के खिलाफ जिले के खैराबाद में दर्ज एक मामले में पेशी वारंट जारी किया था और उन्हें सोमवार को सीतापुर अदालत में पेश किया गया.
एएसपी ने कहा कि अब जिला पुलिस ने पुलिस हिरासत के लिए अदालत में आवेदन किया है और अदालत के आदेशों के अनुसार कार्रवाई करेगी. एएसपी ने दिल्ली पुलिस को सहयोग और समर्थन के लिए धन्यवाद दिया.
उन्होंने बताया कि शरण ने एफआईआर में आरोप लगाया कि मोहम्मद जुबैर ने 27 मई को अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया- शाबाश विनीत जैन, टाइम्स.
एफआईआर के मुताबिक जुबैर ने आगे लिखा, ‘ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद के संबंध में जब हमारे पास पहले से ही एंकर हैं, जो न्यूज़ स्टूडियो से कहीं बेहतर काम कर सकते हैं तो हमें यति नरसिंहानंद सरस्वती या महंत बजरंग मुनी या आनंद स्वरूप जैसे नफरत फैलाने वाले लोगों की क्या जरूरत है जो एक समुदाय विशेष के खिलाफ बोलने के लिए धर्म संसद आयोजित करते हैं.’
ज्ञात हो कि कट्टर हिंदुत्व नेता और जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि का मुस्लिमों के खिलाफ नफरती भाषण और हिंसा का आह्वान करने का लंबा इतिहास रहा है, जिसमें सबसे उल्लेखनीय 2020 के दिल्ली दंगों से पहले भीड़ को जुटाने/भड़काने में उनकी संलिप्तता थी, जिसकी द वायर द्वारा पड़ताल की गई थी.
वह घृणा अपराधों और मुस्लिम विरोधी नफरती भाषणों में शामिल दक्षिणपंथ से संबद्धता रखने वाले व्यक्तियों के नेटवर्क का हिस्सा रहे हैं, साथ ही भाजपा नेता कपिल मिश्रा और अश्विनी उपाध्याय (जो हरिद्वार की धर्म संसद में मौजूद थे) से जुड़े रहे हैं. नरसिंहानंद फिलहाल जमानत पर बाहर हैं.
इसके अलावा उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के बड़ी संगत आश्रम के पुजारी महंत बजरंग मुनि ने दो अप्रैल को हिंदू नव वर्ष के मौके पर पुलिस की मौजूदगी में मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ बलात्कार की धमकी दी थी, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था. बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)
(नोट: (5 नवंबर 2022) इस ख़बर को टेक फॉग ऐप संबंधी संदर्भ हटाने के लिए संपादित किया गया है. टेक फॉग संबंधी रिपोर्ट्स को वायर द्वारा की जा रही आंतरिक समीक्षा के चलते सार्वजनिक पटल से हटाया गया है.)