केरल: संविधान विरोधी बयान को लेकर विवाद के बाद मंत्री का इस्तीफ़ा

केरल के मत्स्यपालन मंत्री साजी चेरियन ने संविधान की आलोचना करते हुए कथित तौर पर कहा था कि यह ‘शोषण को माफ़ करता है’ और इसे ऐसे से लिखा गया है कि इसका इस्तेमाल देश के लोगों को ‘लूटने’ के लिए किया जा सके. इसकी कड़ी आलोचना के बाद चेरियन ने इस्तीफ़ा देते हुए कहा कि उनके बयान के एक विशेष हिस्से को लेकर माकपा और एलडीएफ को कमज़ोर करने के इरादे से कहानी बुनी गई.

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साजी चेरियन. (फोटो साभार: फेसबुक/@sajicheriancpim)

केरल के मत्स्यपालन मंत्री साजी चेरियन ने संविधान की आलोचना करते हुए कथित तौर पर कहा था कि यह ‘शोषण को माफ़ करता है’ और इसे ऐसे से लिखा गया है कि इसका इस्तेमाल देश के लोगों को ‘लूटने’ के लिए किया जा सके. इसकी कड़ी आलोचना के बाद चेरियन ने इस्तीफ़ा देते हुए कहा कि उनके बयान के एक विशेष हिस्से को लेकर माकपा और एलडीएफ को कमज़ोर करने के इरादे से कहानी बुनी गई.

साजी चेरियन. (फोटो साभार: फेसबुक/@sajicheriancpim)

तिरुवनंतपुरम/पथनमथिट्टा: केरल विधानसभा में मंत्री साजी चेरियन की कथित संविधान विरोधी टिप्पणी के बाद बुधवार शाम उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, उन्होंने कहा, ‘यह मेरा व्यक्तिगत फैसला है. मैंने कभी संविधान को बदनाम नहीं किया. मेरे भाषण के एक चुनिंदा हिस्से को लिया गया और मीडिया ने माकपा और एलडीएफ को कमजोर करने के लिए कहानी बुनी.’

गौरतलब है कि केरल के मत्स्य पालन मंत्री की ज़िम्मेदारी संभाल रहे साजी चेरियन ने कथित तौर पर संविधान की आलोचना करते हुए कहा कि यह ‘शोषण को माफ करता है’ और इसे इस तरह से लिखा गया है कि इसका इस्तेमाल देश के लोगों को ‘लूटने’ के लिए किया जा सके.

चेरियन ने दक्षिणी जिले के मल्लापल्ली में हाल ही में आयोजित हुए एक राजनीतिक कार्यक्रम में यह बयान दिया था. मंगलवार को क्षेत्रीय टेलीविजन चैनलों के इस भाषण को प्रसारित करने के बाद यह मुद्दा सामने आया.

उन्होंने कहा, ‘हम सभी कहते हैं कि हमारे पास एक बेहतरीन तरीके से लिखा संविधान है, लेकिन मैं कहूंगा कि संविधान इस तरह से लिखा गया है कि इसका इस्तेमाल देश के लोगों को लूटने के लिए किया जा सके.’

इससे पहले उनके बयान को लेकर कांग्रेस नीत यूडीएफ ने बुधवार को विधानसभा में जमकर हंगामा किया, जिसके बाद अध्यक्ष एमबी राजेश ने सदन की कार्यवाही को दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई.

सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी दल के सदस्य चेरियन के इस्तीफे की मांग को लेकर नारेबाजी करते हुए आसन के सामने आ गए. उन्होंने अध्यक्ष से प्रश्नकाल स्थगित करने और इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए उनके प्रस्ताव पर गौर करने का आग्रह किया.

हालांकि, अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को दिनभर के लिए स्थगित करने का फैसला किया, क्योंकि यूडीएफ के सदस्यों ने उनके बार-बार अनुरोध के बावजूद अपनी-अपनी सीट पर लौटने से इनकार कर दिया था.

इसके बाद, विपक्षी सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया और तख्तियां लेकर विधानसभा भवन के दरवाजे पर धरना दिया. उन्होंने चेरियन और वाम सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की.

चेरियन के बयान की कई विपक्षी दलों ने कड़ी आलोचना करते हुए उनके इस्तीफे की मांग की थी.

मंत्री ने अपने बयान के लिए खेद जताया

चेरियन ने बाद में बयान को लेकर खेद जताया था और दावा किया था कि इस बारे में दी गई खबरों में छेड़छाड़ की गई है.

एक कार्यक्रम में दिए गए भाषण का स्थानीय टेलीविजन चैनल पर मंगलवार को प्रसारण होने के कुछ घंटों बाद मंत्री ने खुद को जनसेवक बताते हुए कहा कि उनका संविधान के मूल्यों में पूरा यकीन है.

विपक्ष ने पिनराई विजयन कैबिनेट से मंत्री के इस्तीफे की मांग की थी, जबकि सत्ताधारी पार्टी माकपा ने इस मांग को खारिज कर दिया.

दोपहर में राज्य विधानसभा में दिए गए एक बयान में चेरियन ने कहा कि पथनमथिट्टा जिले के मल्लपल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में संविधान की आलोचना करने का दावा करने वाली खबरों में तथ्य से छेड़छाड़ की गई है.

उन्होंने कहा, ‘मैं एक लोक सेवक हूं और संविधान का सम्मान करता हूं और इसके महान मूल्यों में यकीन है. मेरा कभी भी संविधान का अपमान करने या इसके खिलाफ कुछ भी कहने का इरादा नहीं था.’

विपक्ष की आलोचना

चेरियन की टिप्पणी मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और भाजपा को नागवार गुजरी. टिप्पणी की कड़ी आलोचना करते हुए केपीसीसी अध्यक्ष के. सुधाकरन और राज्य विधानसभा में नेता विपक्ष वीडी सतीशन ने मुख्यमंत्री विजयन से चेरियन को कैबिनेट से हटाने का अनुरोध किया या फिर कड़ी कानूनी कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी.

सतीशन ने कहा था, ‘संविधान का अपमान करके साजी चेरियन ने पद की शपथ का उल्लंघन किया. उन्होंने न केवल संविधान निर्माताओं को अपमानित किया, बल्कि धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र जैसे मूल्यों का भी अपमान किया. उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए. उन्हें मंत्रालय से बाहर कर दिया जाना चाहिए. अन्यथा, हम उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग करेंगे.’

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने भी चेरियन को तत्काल हटाने की मांग की और कहा कि उन्हें क्षण भर के लिए भी पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है.

सुरेंद्रन ने आरोप लगाया कि संविधान के प्रति मार्क्सवादी पार्टी के नेताओं का अनादर चेरियन के शब्दों के माध्यम से सामने आ गया.

माकपा ने कहा- ज़बान फिसली

इस बीच, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (माकपा) ने मंगलवार को विपक्ष की उस मांग को खारिज कर दिया, जिसमें संविधान की आलोचना करने को लेकर केरल के मंत्री साजी चेरियन के इस्तीफे की मांग की गई थी.

चेरियन द्वारा संविधान की आलोचना पर सफाई देते हुए माकपा ने इसे महज जबान का फिसलना करार दिया.

माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य एमए बेबी ने कहा कि मंत्री से स्पष्टीकरण मांगा गया है, जो पार्टी के केरल राज्य सचिवालय के सदस्य भी हैं. उन्होंने बताया कि संविधान के खिलाफ कोई आलोचना नहीं की गई थी.

बेबी ने कहा कि उनकी जबान फिसल गई होगी. सफाई देते हुए मंत्री ने कहा कि उनका आशय देश में प्रचलित वर्तमान सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था से था. बेबी ने कहा कि चेरियन ने बताया कि उन्होंने संविधान के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा है.

नई दिल्ली में मलयालम मीडियाकर्मियों से बात करते हुए बेबी ने कहा कि हो सकता है कि मंत्री की टिप्पणी का गलत अर्थ निकाला गया हो, इसलिए उनसे इस्तीफा मांगने की कोई आवश्यकता नहीं है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)