विदेश से सैन्य ख़रीद में वित्तीय सेवाएं देने की तीन निजी बैंकों को मंज़ूरी

रक्षा मंत्रालय से मंज़ूरी मिलने के बाद एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक भारतीय सेना को विदेशों में साजो-सामान की ख़रीद के लिए वित्तीय सेवाएं मुहैया कराएंगे. इसके पहले सिर्फ़ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को ही रक्षा मंत्रालय की विदेशी ख़रीद में वित्तीय सेवाएं देने की अनुमति होती थी.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

रक्षा मंत्रालय से मंज़ूरी मिलने के बाद एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक भारतीय सेना को विदेशों में साजो-सामान की ख़रीद के लिए वित्तीय सेवाएं मुहैया कराएंगे. इसके पहले सिर्फ़ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को ही रक्षा मंत्रालय की विदेशी ख़रीद में वित्तीय सेवाएं देने की अनुमति होती थी.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: रक्षा मंत्रालय ने सैन्य साजो-सामान की विदेशों में खरीद से संबंधित वित्तीय सेवाएं मुहैया कराने की मंजूरी निजी क्षेत्र के तीन बैंकों को दे दी है.

इस तरह एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक भारतीय सेना को विदेशों में साजो-सामान की खरीद के लिए वित्तीय सेवाएं मुहैया कराएंगे.

इसके पहले सिर्फ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को ही रक्षा मंत्रालय की विदेशी खरीद में वित्तीय सेवाएं देने की मंजूरी होती थी.

लेकिन वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग द्वारा सरकारी कामकाज के निष्पादन में निजी क्षेत्र के बैंकों को भी शामिल करने की पहल के तहत अब रक्षा मंत्रालय ने भी निजी बैंकों को गारंटी पत्र (एलओसी) और प्रत्यक्ष बैंक अंतरण जैसी सेवाएं देने की इजाजत दे दी है.

रक्षा मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को इसकी घोषणा करते हुए कहा, ‘चुनिंदा बैंकों को 2,000 करोड़ रुपये के एलओसी कारोबार की मंजूरी दी जा सकती है. इसमें हरेक बैंक एक साल के लिए पूंजी एवं राजस्व दोनों ही मोर्चों पर 666 करोड़ रुपये आवंटित कर सकता है.’

मंत्रालय ने कहा कि निजी क्षेत्र के इन बैंकों के प्रदर्शन की नियमित निगरानी की जाएगी, ताकि जरूरत के हिसाब से आगे के कदम उठाए जा सकें.

मालूम हो कि फरवरी 2021 में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था, ‘निजी बैंकों को सरकार से जुड़े कामकाज और योजनाओं को क्रियान्वित करने पर लगी रोक हटा ली गई है. अब सभी बैंक इसमें शामिल हो सकते हैं. निजी बैंक अब भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास, सरकार के सामाजिक क्षेत्र में उठाए गए कदमों और ग्राहकों की सुविधा बेहतर बनाने में समान रूप से भागीदार हो सकते हैं.’

सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए बैंक अधिकारियों के चार संगठनों ने कहा था, ‘यह हास्यास्पद है कि निजी क्षेत्र के बैंकों को प्राथमिक क्षेत्र को कर्ज देने के नियम, ग्रामीण/छोटे कस्बों में शाखा विस्तार, कृषि कर्ज जैसे नियमों के मामले में छूट दी गई है. वहीं सार्वजिक क्षेत्र के बैंकों को प्राथमिक क्षेत्र को ऋण, कृषि क्षेत्र को कर्ज समेत विभिन्न नियमों का अनुपालन करना होता है.’

दरअसल निजी क्षेत्र के बैंकों को कर संग्रह, पेंशन भुगतान और लघु बचत योजनाओं समेत सरकारी कारोबार में शामिल होने की अनुमति देने का केंद्र ने निर्णय किया था. फिलहाल निजी क्षेत्र के कुछ बड़े बैंकों को ही सरकार से जुड़े कामकाज करने की अनुमति है.

सरकार की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया था इस कदम से ग्राहकों के लिए सुविधा बढ़ेगी, प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा और ग्राहकों को मिलने वाली सेवाओं के मानकों में दक्षता बढ़ेगी.

सरकार के इस कदम की बैंक अधिकारियों के संगठनों ने निंदा की थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)