भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद बुलेट ट्रेन परियोजना के प्रमुख को बर्ख़ास्त किया गया

एक लोकपाल अदालत द्वारा सीबीआई को बुलेट ट्रेन परियोजना के प्रभारी और नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक सतीश अग्निहोत्री के ख़िलाफ़ सरकारी धन की हेराफेरी, आधिकारिक पद के दुरुपयोग जैसे कई आरोपों की जांच के आदेश देने के महीने भर बाद रेलवे ने उनकी सेवाएं समाप्त कर दी हैं. हालांकि रेलवे के आदेश में अग्निहोत्री पर लगे आरोपों का ज़िक नहीं किया गया है.

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सतीश अग्निहोत्री. (फोटो साभार: NHRSCL)

एक लोकपाल अदालत द्वारा सीबीआई को बुलेट ट्रेन परियोजना के प्रभारी और नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक सतीश अग्निहोत्री के ख़िलाफ़ सरकारी धन की हेराफेरी, आधिकारिक पद के दुरुपयोग जैसे कई आरोपों की जांच के आदेश देने के महीने भर बाद रेलवे ने उनकी सेवाएं समाप्त कर दी हैं. हालांकि रेलवे के आदेश में अग्निहोत्री पर लगे आरोपों का ज़िक नहीं किया गया है.

सतीश अग्निहोत्री. (फोटो साभार: NHRSCL)

नई दिल्ली: रेलवे ने नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) के प्रबंध निदेशक सतीश अग्निहोत्री की सेवाएं समाप्त कर दी हैं. वह सरकार की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना के प्रभारी थे.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, यह कदम उन पर वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद उठाया गया है.

एनएचएसआरसीएल, भारत सरकार और हाई-स्पीड रेल परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए भागीदार राज्यों का एक संयुक्त उद्यम है. यह मुंबई और अहमदाबाद के बीच सरकार की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना की क्रियान्वयन एजेंसी है.

जहां रेलवे के आदेश में अग्निहोत्री के खिलाफ किन्हीं विशेष विशिष्ट आरोपों का हवाला नहीं दिया गया था, वहीं रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि अग्निहोत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार, सरकारी धन की हेराफेरी और गबन, आधिकारिक पद के दुरुपयोग और और एक निजी फर्म के साथ सौदे संबंधी कई आरोप हैं.

उन्होंने बताया कि अग्निहोत्री की सेवाएं समाप्त करने का फैसला लोकपाल अदालत के एक महीने पहले तीन जून को दिए एक आदेश के बाद आया है, जिसमें केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को इन आरोपों की जांच का आदेश दिया गया था.

उन्होंने बताया कि अग्निहोत्री ने रेल मंत्रालय की सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के सीएमडी के तौर पर नौ साल के अपने कार्यकाल के दौरान कथित तौर पर इन गतिविधियों को अंजाम दिया.

अग्निहोत्री 2010-2018 तक आरवीएनएल के साथ थे, जिसके बाद वह रिटायर हो गए. इसके बाद जुलाई 2021 में उन्हें रिटायरमेंट के बाद बुलाया गया और उन्हें एनएचएसआरसीएल का प्रबंध निदेशक नियुक्त किया गया.

हालांकि, उनकी नियुक्ति के महीनों के भीतर उसी साल 30 सितंबर को ही उनके और आरवीएनएल के एक अन्य अधिकारी के खिलाफ लोकपाल अदालत में एक शिकायत दर्ज की गई, जिसमें उक्त वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था.

अधिकारियों ने बताया कि उनके एक ‘बैचमेट’ ने उनके खिलाफ शिकायत की थी.

इंडियन एक्सप्रेस ने बताया कि शिकायत में आरोप लगाया गया है कि अग्निहोत्री और अन्य अधिकारी ने ‘अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और अनधिकृत तरीके से रेल मंत्रालय से प्राप्त फंड में से 1,100 करोड़ रुपये एक निजी कंपनी कृष्णापट्टनम रेल कंपनी लिमिटेड (केआरसीएल) को दिए.’

उल्लेखनीय है कि केआरसीएल का स्वामित्व नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड (एनईसीएल) के पास है, जिसमें आरवीएनएल की भी हिस्सेदारी है.

इसके अलावा में शिकायत में अग्निहोत्री पर यह भी आरोप लगाया गया था कि उन्होंने एनईसीएल को कई हजार करोड़ के अनुबंध दिए थे, जिसके बदले में उन्हें 2018 में आरवीएनएल से सेवानिवृत्ति के बाद एक साल की अनिवार्य ‘कूल ऑफ’ अवधि पूरा किए बिना सीईओ बनाया गया.

यह सरकार के उन नियमों का उल्लंघन है जो सेवानिवृत्त अधिकारियों को रिटायर होने के बाद केंद्र की अनुमति के बगैर एक साल से पहले कोई वाणिज्यिक नियुक्ति स्वीकार करने से निषिद्ध करता है.

शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि कंपनी ने उन्हें दिल्ली में एक घर दिया और उनके द्वारा दिए गए ठेके के बदले उनकी बेटी को  कंपनी में नौकरी भी दी गई.

इन्हीं शिकायतों के मद्देनजर लोकपाल अदालत ने सीबीआई को ‘यह पता लगाने का निर्देश दिया था कि अग्निहोत्री के खिलाफ क्या भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम, 1988 के तहत कोई अपराध का मामला बनता है.’ अदालत ने यह भी कहा कि जांच रिपोर्ट लोकपाल कार्यालय को छह महीने में या 12 दिसंबर 2022 से पहले सौंपी जाए.

एनएचएसआरसीएल के कंपनी सचिव को संबोधित रेलवे बोर्ड के सात जुलाई के पत्र में कहा गया है, ‘सक्षम प्राधिकार ने सतीश अग्निहोत्री की सेवाएं समाप्त करने को मंजूरी दे दी है. उन्हें तत्काल प्रभाव से सेवामुक्त किया जाता है.’

अग्निहोत्री को सेवा से बर्खास्त करने का आदेश जारी करने वाले रेलवे ने उनके खिलाफ लगे आरोपों पर आधिकारिक रूप से टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है.

वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया है कि अब अग्निहोत्री का प्रभार एनएचएसआरसीएल के परियोजना निदेशक राजेंद्र प्रसाद को तीन महीने के लिए सौंपा गया है.

अग्निहोत्री, 1982 बैच के आईआरएसई (इंस्टिट्यूशन ऑफ रेलवे सिग्नल इंजीनियर्स) अधिकारी हैं. वह रेलवे विकास निगम लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक रह चुके हैं. वह हाई-स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड की जुलाई 2012 में स्थापना होने से लेकर अगस्त 2018 तक इसके अध्यक्ष पद पर भी रह चुके हैं. यह आरवीएनएल की एक पूर्ण अनुषंगी कंपनी है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, अग्निहोत्री के करीबी सूत्रों ने बताया कि वरिष्ठ नौकरशाह ने सभी आरोपों से इनकार किया है. उन्होंने बताया कि अग्निहोत्री ने यह भी कहा है कि उन्होंने कार्मिक विभाग को पत्र लिखकर कंपनी में नौकरी शुरू करने से पहले एक साल की ‘कूलिंग ऑफ’ (किसी निजी कंपनी में नौकरी नहीं करने की) अवधि में छूट देने का आग्रह किया था.

संपर्क किए जाने पर अग्निहोत्री ने इस विषय पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)