एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया की ओर से कहा गया कि हम दोहराते हैं कि वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले ईडी का यह आरोप पूरी तरह असत्य है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ में शामिल था. मानवाधिकार संगठन ने कहा कि दमनकारी क़ानूनों के तहत अपने आलोचकों पर शिकंजा कसना मौजूदा केंद्र सरकार में आम बात हो गई है.
नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा एमनेस्टी इंडिया और उसके पूर्व प्रमुख आकार पटेल के खिलाफ फेमा के तहत 61.72 करोड़ रुपये के जुर्माने का नोटिस जारी करने के एक दिन बाद एजेंसी ने शनिवार को कहा कि उसने संगठन और कुछ अन्य संस्थाओं के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप-पत्र दाखिल किया है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने सिलसिलेवार ट्वीट में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों को ‘पूरी तरह असत्य’ बताते हुए कहा कि ‘दमनकारी कानूनों के तहत अपने आलोचकों पर शिकंजा कसना मौजूदा केंद्र सरकार में आम बात हो गई है.’
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एआईआईपीएल), इंडियंस फॉर एमनेस्टी इंटरनेशनल ट्रस्ट (आईएआईटी) और अन्य के खिलाफ बेंगलुरु की एक अदालत में अभियोजन शिकायत दर्ज कराई गई है.
ईडी ने एक बयान में कहा कि अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की आपराधिक धाराओं के तहत दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लिया है और आरोपी को समन जारी किया है.
ईडी ने आरोपियों के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी का संज्ञान लेने के बाद मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था. इसके बाद एजेंसी ने विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए), 2010 के कथित उल्लंघन और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया.
ईडी ने कहा, ‘2011-12 के दौरान एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट (एआईआईएफटी) को एमनेस्टी इंटरनेशनल, ब्रिटेन से विदेशी योगदान प्राप्त करने के लिए एफसीआरए, 2010 के तहत अनुमति दी गई थी.’
जांच एजेंसी ने आगे कहा, ‘प्रतिकूल प्रविष्टियों के आधार पर इस इकाई को दी गई अनुमति/पंजीकरण बाद में रद्द कर दिया गया.’
ईडी ने कहा कि इसके बाद एफसीआरए मार्ग से बचने के लिए 2013-14 और 2012-13 में दो नई संस्थाओं- एआईआईपीएल और आईएआईटी-का गठन किया गया और इन संस्थाओं को सेवा निर्यात और एफडीआई की आड़ में विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई.
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने सफाई देते हुए एक ट्वीट में कहा, ‘हम दोहराते हैं कि वित्त मंत्रालय के तहत वित्तीय जांच एजेंसी ईडी का यह आरोप पूरी तरह असत्य है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ में शामिल था.’
The malicious intent of the Enforcement Directorate is evident from the fact that they have yet again issued multiple press releases even before legal notices have reached @AIIndia
and @Aakar__Patel
. This is a violation of the principles of natural justice.2/5
— Amnesty India (@AIIndia) July 9, 2022
एमनेस्टी इंडिया इंटरनेशनल ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा है, ‘ईडी की दुर्भावनापूर्ण मंशा इस तथ्य से स्पष्ट है कि कानूनी नोटिस एमनेस्टी और आकार पटेल तक पहुंचने से पहले ही उसने कई प्रेस विज्ञप्तियां जारी की हैं. यह न्याय के नैसर्गिक सिद्धांतों के विपरीत है.’
एक अन्य ट्वीट में कहा गया, ‘संगठन को ऐसी किसी भी जानकारी तक पहुंच प्रदान किए बिना कुछ मीडिया चैनलों को सूचना के चुनिंदा लीक द्वारा इस उल्लंघन को और मजबूत किया जाता है.’
मानवाधिकार समूह ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘सितंबर 2020 से एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के बैंक खाते पर रोक रहने से पूर्व कर्मचारियों और कई अदालती मामलों में वकीलों को उनकी सेवाओं के लिए बकाया का भुगतान करने का भी कोई साधन नहीं हैं.’
As a member of the @UN_HRC, India is required to uphold the highest standards in the promotion and protection of human rights. On the contrary, putting a squeeze on its critics through trumped-up charges under repressive laws has become routine for this Indian Government.
5/5
— Amnesty India (@AIIndia) July 9, 2022
एमनेस्टी ने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के सदस्य के रूप में भारत को मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और संरक्षण में उच्चतम मानकों को बनाए रखने की जरूरत है. इसके विपरीत दमनकारी कानूनों के तहत झूठे आरोपों के माध्यम से अपने आलोचकों पर शिकंजा कसना मौजूदा सरकार में आम बात हो गई है.’
इससे पहले ईडी ने बीते आठ जुलाई को एक बयान में कहा था कि एमनेस्टी इंडिया और उसके पूर्व प्रमुख आकार पटेल पर विदेशी मुद्रा विनिमय प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत जुर्माना लगाया गया है. एमनेस्टी इंडिया पर 51.72 करोड़ रुपये, जबकि पटेल पर 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है.
प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया है कि ब्रिटेन स्थित एमनेस्टी इंटरनेशनल ने नवंबर 2013 से जून 2018 के बीच अपनी भारतीय इकाई एमनेस्टी इंडिया इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड (एआईआईपीएल) को बड़ी मात्रा में विदेशी अंशदान कारोबारी गतिविधियों की शक्ल में भेजा था. यह असल में विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम (एफसीआरए) से बचने का तरीका था.
जुर्माने का नोटिस भेजे जाने पर पटेल ने एक ट्वीट में कहा था, ‘ईडी सरकार है, न्यायपालिका नहीं. हम न्यायालय में इसका मुकाबला करेंगे और जीत हासिल करेंगे.’
मालूम हो कि सीबीआई के लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) पर आकार पटेल को अमेरिका जाने से रोके जाने के महीनों बाद यह घटनाक्रम सामने आया है. एजेंसी द्वारा एफसीआरए के कथित उल्लंघन को लेकर बीते साल दिसंबर में पटेल और एमनेस्टी के खिलाफ चार्जशीट दायर करने के बाद एलओसी जारी किया गया था.
बीते अप्रैल माह में आकार पटेल को सीबीआई द्वारा उनके खिलाफ जारी लुकआउट सर्कुलर का हवाला देकर बेंगुलरु हवाईअड्डे से देश छोड़कर जाने से रोक दिया गया था. उन्होंने सीबीआई के इस कदम के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत का रुख किया था.
अप्रैल महीने में ही केंद्र सरकार ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया और उसके पूर्व प्रमुख आकार पटेल के खिलाफ विदेशी चंदा विनियमन कानून (एफसीआरए) के कथित उल्लंघन के मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी थी.
साल 2020 में ईडी द्वारा एमनेस्टी इंडिया के बैंक एकाउंट फ्रीज करने के कुछ दिनों बाद एमनेस्टी इंटरनेशनल ने देश में अपना कामकाज बंद कर दिया था.
बता दें कि आकार पटेल नरेंद्र मोदी सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं और उन्होंने हाल ही मोदी के शासन का विश्लेषण करते हुए उनकी एक किताब भी प्रकाशित हुई है. पूर्व में वह और एमनेस्टी इंडिया कई बार सरकारी मशीनरी पर निशाना साधते रहे हैं.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के एमनेस्टी इंडिया पर विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) और आईपीसी का उल्लंघन करने के आरोप के बाद सीबीआई ने 2019 में एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया और इससे जुड़े तीन संगठनों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. इसके बाद ईडी ने मामले में अलग से जांच शुरू की थी.
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एआईआईपीएल), इंडियंस फॉर एमनेस्टी इंटरनेशनल ट्रस्ट (आईएआईटी), एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट (एआईआईएफटी), एमनेस्टी इंटरनेशनल साउथ एशिया फाउंडेशन (एआईएसएफ) और अन्य के खिलाफ नवंबर, 2019 में मामला दर्ज किया गया था.
यह आरोप है कि इन इकाइयों ने एआईआईपीएल के जरिये एमनेस्टी इंटरनेशनल यूके से फंड लिया, जो एफसीआरए और आईपीसी के प्रावधानों का उल्लंघन है. यहां तक कि एफसीआरए के तहत एआईआईएफटी और अन्य ट्रस्टों को पूर्व पंजीकरण या अनुमति नहीं दी गई.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)