मेधा पाटकर और 11 अन्य के ख़िलाफ़ ‘राष्ट्र विरोधी एजेंडे के लिए धन के दुरुपयोग’ को लेकर केस दर्ज

नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर और 11 अन्य पर जनजातीय छात्रों के लिए शैक्षिक सुविधाओं के प्रबंधन के लिए एकत्र किए गए धन का दुरुपयोग करने का आरोप है. पाटकर ने आरोप लगाया कि शिकायत करने वाला एबीवीपी और आरएसएस से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि इस मामले के पीछे राजनीतिक कारण या फिर एफ़आईआर दर्ज कराकर बदनाम करने की साज़िश हो सकती है.

Badwani: Social activists Medha Patkar and other villagers stand in water of Narmada river to protest the birthday celebration of Prime Minister Narendra Modi by inaugurating the construction of Sardar Sarovar Dam, during ''Jalsatyagrah'' at Chhota Barda Village in Badwani district of Madhya Pradesh on Saturday. PTI Photo (PTI9_16_2017_000134B) *** Local Caption ***
मेधा पाटकर. (फोटो:पीटीआई)

नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर और 11 अन्य पर जनजातीय छात्रों के लिए शैक्षिक सुविधाओं के प्रबंधन के लिए एकत्र किए गए धन का दुरुपयोग करने का आरोप है. पाटकर ने आरोप लगाया कि शिकायत करने वाला एबीवीपी और आरएसएस से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि इस मामले के पीछे राजनीतिक कारण या फिर एफ़आईआर दर्ज कराकर बदनाम करने की साज़िश हो सकती है.

Badwani: Social activists Medha Patkar and other villagers stand in water of Narmada river to protest the birthday celebration of Prime Minister Narendra Modi by inaugurating the construction of Sardar Sarovar Dam, during ''Jalsatyagrah'' at Chhota Barda Village in Badwani district of Madhya Pradesh on Saturday. PTI Photo (PTI9_16_2017_000134B) *** Local Caption ***
मेधा पाटकर. (फोटो:पीटीआई)

बड़वानी: मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर और 11 अन्य के खिलाफ एक ग्रामीण की शिकायत पर जनजातीय छात्रों के लिए शैक्षिक सुविधाओं के प्रबंधन के लिए एकत्र किए गए धन का राजनीतिक एवं राष्ट्र विरोधी एजेंडा के लिए दुरुपयोग करने के लिए एफआईआर दर्ज की गई है.

यह जानकारी एक पुलिस अधिकारी ने रविवार को दी है.

पाटकर ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को गलत बताया है. उन्होंने कहा कि उनके पास खर्चों का पूरा लेखा-जोखा एवं ऑडिट है और आरोपों के पीछे राजनीतिक कारण हो सकते हैं.

बड़वानी के पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार शुक्ला ने बताया कि निजी शिकायत के आधार पर पाटकर एवं अन्य के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है, जिसमें फरियादी के द्वारा कुछ दस्तावेज उपलब्ध करवाए हैं.

उन्होंने कहा, ‘चूंकि काफी सालों पुराने मामले का उल्लेख है, इसलिए मामले में विवेचना की जाएगी.’

शुक्ला ने बताया कि जिस संबंध में यह मामला दर्ज किया गया है, वह महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश दो राज्यों से जुड़ा हुआ है. इसमें दोनों ही पक्षों को पूरा मौका देते हुए मामले में दस्तावेज और तथ्यों का परीक्षण किया जाएगा और उसी के आधार पर कार्रवाई आगे बढ़ाई जाएगी.

टेमला बुजुर्ग गांव निवासी प्रीतमराज बड़ोले की शिकायत पर शनिवार (9 जुलाई) को बड़वानी पुलिस थाने में यह एफआईआर दर्ज की गई है.

एफआईआर के अनुसार, बड़ोले ने आरोप लगाया है कि मुंबई में पंजीकृत एक ट्रस्ट नर्मदा नवनिर्माण अभियान (एनएनए) ने मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में नर्मदा घाटी के जनजातीय छात्रों के लिए आवासीय शैक्षिक सुविधाओं के संचालन के लिए एकत्र किए गए धन का दुरुपयोग किया.

शिकायतकर्ता ने कहा कि एनएनए को पिछले 14 वर्षों में विभिन्न स्रोतों से 13.50 करोड़ रुपये मिले थे, लेकिन इन निधियों का उपयोग ‘राजनीतिक और राष्ट्र विरोधी एजेंडे’ के लिए किया गया था, जिसके लिए जांच की आवश्यकता है.

एफआईआर में मेधा पाटकर के अलावा परवीन रूमी जहांगीर, विजया चौहान, कैलाश अवस्या, मोहन पाटीदार, आशीष मंडलोई, केवल सिंह वसावे, संजय जोशी, श्याम पाटिल, सुनीत एसआर, नूरजी पड़वी और केशव वसावे के नाम शामिल हैं.

पाटकर ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा, ‘अभी पुलिस की तरफ से मुझे किसी भी प्रकार की कोई सूचना नहीं मिली है. मैं सभी आरोपों का जवाब देने के लिए तैयार हूं. आर्थिक मुद्दे को लेकर अगर शिकायत है तो हमारे पास ऑडिट रिपोर्ट भी मौजूद है.’

मेधा पाटकर ने दावा किया कि यह पहली बार नहीं है कि उन पर इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं. उन्होंने दोहराया है कि उसके संगठन को विदेशों से धन प्राप्त नहीं होता है और सभी तरह के फाइनेंस का सालाना पूरी तरह से ऑडिट किया जाता है.

उन्होंने आरोप लगाया कि शिकायत करने वाला अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ा हुआ है. पाटकर ने बताया कि उन्होंने राशि का सही उपयोग किया है. उन्होंने कहा कि ‘जीवनशाला’ का संचालन आज भी जारी है और बैंक खातों के लेन-देन की ऑडिट रिपोर्ट उनके पास मौजूद है.

उन्होंने कहा कि इस मामले के पीछे राजनीतिक कारण भी हो सकता है या फिर एफआईआर दर्ज कराकर बदनाम करने की साजिश हो सकती है.

पाटकर ने कहा, ‘धन का उचित उपयोग किया गया था और वर्तमान में चलाई जा रहीं ‘जीवनशालाएं’ पिछले तीन दशकों से हैं. यह संगठन दशकों से पुनर्वास में लगा हुआ है. उसने हमेशा इस तरह के आरोपों का जवाब दस्तावेजों के साथ दिया है.’

हालांकि, कार्यकर्ता ने यह भी कहा कि उन्होंने धन और खर्चों को वह नहीं देखती हैं, इसका ध्यान अन्य पदाधिकारियों द्वारा रखा जाता है. उन्होंने कहा कि देश में ‘राष्ट्रवाद’ और ‘राष्ट्रद्रोह’ पर बहस चल रही है. सिस्टम के बारे में सवाल पूछकर सही काम करने वालों को देशद्रोही कहा जाता है. जनता फैसला करेगी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)