जम्मू कश्मीर में श्रीनगर के नौगाम थाने की पुलिस बीते 9 जुलाई की सुबह मुस्लिम मुनीर लोन नामक युवक को चोरी के आरोप में घर से अपने साथ ले गई थी. बाद में उनकी मां को बुलाकर बेसुध हालत में उन्हें सौंप दिया गया. परिजन जब अस्पताल ले गए तो डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. परिजनों ने पुलिस हिरासत में प्रताड़ना के चलते मौत होने का आरोप लगाया है. पुलिस ने मामले की जांच का आश्वासन दिया है.
श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के श्रीनगर के नौगाम थाने में कथित तौर पर पुलिस हिरासत में एक मुस्लिम युवक की मौत का मामला सामने आया है. मृतक के परिजनों का आरोप है कि पुलिस एक कथित चोरी के मामले में युवक को घर से उठा ले गई थी.
जम्मू कश्मीर पुलिस ने बीते शनिवार (9 जुलाई) को 21 वर्षीय युवक मुस्लिम मुनीर लोन को चोरी के एक मामले (एफआईआर संख्या 95/2022) में उसकी कथित संलिप्तता को लेकर हिरासत में लिया था.
परिजनों के मुताबिक, शनिवार सुबह 9:30 बजे श्रीनगर के नौगाम पुलिस थाने से एक टीम नातीपोरा इलाके में उनके घर आई थी.
मुस्लिम की मां शफीका रोते हुए कहती हैं, ‘एक पुलिसकर्मी ने मुझे बताया कि चोरी के एक मामले में मुस्लिम की जांच की जा रही है, वे उसे जल्द ही छोड़ देंगे. अगर मुझे पता होता कि उसे मारा जाने वाला है तो मैं उन्हें कभी भी घर में नहीं घुसने देती.’
शफीका ने बताया कि दोपहर में वही पुलिस टीम फिर से घर आई. उनके अनुसार, केवल पुरुष पुलिसकर्मी आए थे और वे एक निजी कार में आए थे. शफीका ने याद करते हुए बताया, ‘उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे पुलिस थाने आना होगा क्योंकि मुस्लिम ने होश खो दिया है. (यह सुनकर) मैं डर गई.’
शफीका पुलिस के साथ उसी कार में चल दीं. 15 मिनट बाद वह कार एक जगह पर रुकी.
शफीका बताती हैं, ‘पुलिस ने मुझे दूसरे वाहन में शिफ्ट होने के लिए कहा, जो कि सड़क के एक किनारे खड़ा था. जब मैं उस कार में घुसी तो देखा कि मुस्लिम बीच की सीट पर लेटा हुआ है. वह बात नहीं कर पा रहा था.उन्होंने मुझसे कुछ कागजों पर हस्ताक्षर कराए और मुझे 400 रुपये दिए.’
अस्पताल या थाने जाने के बजाय पुलिसकर्मी महिला और उनके बेटे को वापस उनके घर ले गए.
शफीका ने बताया, ‘वे अपने हाथों से घसीटकर मुस्लिम को एक कमरे में ले गए. एक पुलिसकर्मी ने हमसे पंखा चालू करने और पर्दे खोलने के लिए कहा. मुस्लिम कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा था, लेकिन उन्होंने हमें बताया कि वह बेहोश है.’
पुलिसवालों के जाने के बाद भी मुस्लिम की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ.
मुस्लिम के चचेरे भाई जीशान ने द वायर को बताया, ‘जब हमने उसकी ठीक से जांच की तो उसकी सांसें टूट चुकी थीं. मैंने तत्काल उसे अपनी कार में डाला और पास के एक निजी अस्पताल लेकर भागा, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.’
इसके बाद परिजनों ने घर लौटने के बजाय शनिवार रात को श्रीनगर में अपने मोहल्ले के बाहर मुख्य मार्ग पर शव रखकर प्रदर्शन कर दिया. पुलिस विरोधी और इस्लाम समर्थक नारे लगाते हुए प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि मुस्लिम को पुलिस हिरासत में प्रताड़ित किया गया, जिससे उसकी मौत हो गई. प्रदर्शन शनिवार आधी रात तक चला.
हालांकि, जम्मू कश्मीर पुलिस ने इन आरोपों से इनकार किया है कि मुस्लिम को पुलिस हिरासत में प्रताड़ित किया गया था. पुलिस का दावा है कि वह नशे (ड्रग्स) का आदी था, जिसके चलते संभवत: उसकी मौत हो गई.
श्रीनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) राकेश बलवाल ने राइजिंग कश्मीर को बताया, ‘पूछताछ के दौरान उसकी तबीयत खराब हो गई, क्योंकि उसने भारी मात्रा में ड्रग्स लिया था और ठीक से प्रतिक्रिया नहीं दे रहा था. उसके बाद उसे उसके परिजनो को सौंप दिया गया था.’
यह स्पष्ट नहीं है कि हिरासत में एक व्यक्ति जिसकी हालत इतनी खराब हो गई थी कि वह होश खो बैठा था, उसे इलाज के लिए अस्पताल क्यों नहीं ले जाया गया.
जीशान आरोप लगाते हैं, ‘वे अपराध को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं. क्या पुलिस ने कभी उसे ड्रग्स के साथ पकड़ा था? उसके खिलाफ कश्मीर में कहीं भी पुलिस केस नहीं है. वे उसकी मौत को यह कहकर जायज ठहरा रहे हैं कि वह नशे का आदी (ड्रग एडिक्ट) था. हम निष्पक्ष जांच की मांग करते हैं.’
तीव्र विरोध देखते हुए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की एक टीम शनिवार रात इलाके में पहुंची और परिवार से वादा किया कि मुस्लिम की मौत के कारण का पता लगाने के लिए पारदर्शी जांच की जाएगी.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि मामले में सीआरपीसी की धारा 174 के तहत जांच की कार्रवाई शुरू कर दी गई है. उन्होंने कहा, ‘अगर मामले में कुछ भी गलत पाया जाता है तो हम कानूनी और विभागीय कार्रवाई करेंगे.’
मुस्लिम परिवार में इकलौते कमाने वाले थे. शफीका के एक और बेटे मोमिन मुनीर लोन हैं, जो बेरोजगार हैं.
शोकाकुल परिवार के एक एक पड़ोसी नाम न छापने की शर्त पर द वायर से कहते हैं, ‘मुस्लिम के पिता मुनीर अहमद लोन, सेना की श्रीनगर छावनी में काम करते थे. कुछ साल पहले उनकी मौत हो गई, जिसके बाद परिवार को गरीबी ने घेर लिया. मुस्लिम ने हाल ही में एक लोडिंग गाड़ी ली थी, जिससे उसकी कुछ आय हो जाती थी और परिवार चल जाता था. उसकी मौत के बाद परिवार बिखर गया है.’
मुस्लिम के एक रिश्तेदार फैंसी ने कहा, ‘केवल वो (मुस्लिम) ही जानता था कि पुलिस थाने में उसके साथ क्या हुआ. अगर वह जीवित होता तो बताता कि पुलिस उसे घर कब लाई. लेकिन वह पहले ही मर चुका था. वह एक शब्द भी नहीं बोल सका.’
इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.