अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या को चार महीने की सज़ा सुनाई

9,000 करोड़ रुपये से अधिक के बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले के आरोपी भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को अदालत की अवमानना के लिए साल 2017 में दोषी ठहराया गया था. उन्होंने अदालत के आदेशों का उल्लंघन करते हुए अपने बच्चों के खातों में 4 करोड़ डॉलर स्थानांतरित करने की जानकारी को साझा नहीं किया था. शीर्ष अदालत ने माल्या को ब्याज सहित यह राशि चार सप्ताह में जमा करने का आदेश दिया है.

London: F1 Force India team boss Vijay Mallya smiles as he arrives to attend a hearing at Westminster Magistrates Court in London, Wednesday, Sept. 12, 2018. Investigators have accused the 62-year-old of paying $200,000 to a British firm for displaying his company Kingfisher's logo during the Formula One World Championships in London and some European countries in the 1990s. AP/PTI(AP9_12_2018_000201B)
विजय माल्या. (फोटो: एपी/पीटीआई)

9,000 करोड़ रुपये से अधिक के बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले के आरोपी भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को अदालत की अवमानना के लिए साल 2017 में दोषी ठहराया गया था. उन्होंने अदालत के आदेशों का उल्लंघन करते हुए अपने बच्चों के खातों में 4 करोड़ डॉलर स्थानांतरित करने की जानकारी को साझा नहीं किया था. शीर्ष अदालत ने माल्या को ब्याज सहित यह राशि चार सप्ताह में जमा करने का आदेश दिया है.

London: F1 Force India team boss Vijay Mallya smiles as he arrives to attend a hearing at Westminster Magistrates Court in London, Wednesday, Sept. 12, 2018. Investigators have accused the 62-year-old of paying $200,000 to a British firm for displaying his company Kingfisher's logo during the Formula One World Championships in London and some European countries in the 1990s. AP/PTI(AP9_12_2018_000201B)
विजय माल्या. (फोटो: एपी/पीटीआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 9,000 करोड़ रुपये से अधिक के बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले के आरोपी भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को साल 2017 के अदालत की अवमानना के मामले में सोमवार को चार महीने की सजा सुनाई. जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने मामले में माल्या पर 2000 रुपये का जुर्माना भी लगाया.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, इस मामले में उन्होंने अदालत के आदेशों का स्पष्ट उल्लंघन करते हुए अपने बच्चों के खातों में 4 करोड़ डॉलर (लगभग 3,17,32,78,240.00 रुपये) स्थानांतरित करने की जानकारी को साझा नहीं किया था. शीर्ष अदालत ने माल्या को ब्याज सहित यह राशि जमा करने को कहा है, ऐसा नहीं करने पर उनकी संपत्ति कुर्क की जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, ‘पर्याप्त सजा जरूरी है. माल्या ने कोई पछतावा नहीं दिखाया है.’ अदालत ने कहा कि जुर्माना चार सप्ताह के भीतर सुप्रीम कोर्ट कानूनी सेवा प्राधिकरण को जमा किया जाना है, जिसमें विफल रहने पर दो महीने की और सजा जोड़ी जाएगी.

अदालत के आदेश में कहा गया है, ‘अगर यह जमा नहीं किया जाता है, तो वसूली अधिकारी उक्त राशि की वसूली के लिए उचित कार्रवाई कर सकता है और भारत सरकार और सभी एजेंसियों को उस प्रक्रिया में सहायता करनी चाहिए.’

जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एस. रवींद्र भट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस मामले में सजा की अवधि तय करने संबंधी अपना फैसला 10 मार्च को सुरक्षित रख लिया था और टिप्पणी की थी कि माल्या के खिलाफ सुनवाई में अब कोई प्रगति नहीं हो सकती.

माल्या को अवमानना के लिए 2017 में दोषी ठहराया गया था. शीर्ष अदालत ने 2017 के फैसले पर पुनर्विचार के लिए माल्या की ओर से दायर याचिका 2020 में खारिज कर दी थी.

न्यायालय ने अदालती आदेशों को धता बताकर अपने बच्चों के खातों में चार करोड़ डॉलर भेजने को लेकर उन्हें अवमानना का दोषी ठहराया था.

माल्या पर पहले से ही बंद हो चुकी उनकी किंगफिशर एयरलाइंस के संबंध में 9,000 करोड़ रुपये के बैंक ऋण में चूक करने का आरोप है. उन पर आरोप हैं कि उन्होंने अपनी किंगफिशर एयरलाइन कंपनी के लिए बैंकों से कर्ज लिया था और उसे बिना चुकाए फरार हो गए.

इससे पहले केंद्र ने अदालत को सूचित किया था कि हालांकि ब्रिटेन से विजय माल्या के प्रत्यर्पण की अनुमति दी गई है, लेकिन उसके खिलाफ कुछ ‘गुप्त’ कार्यवाही के चलते उन्हें भारत नहीं लाया जा सकता है. इस कार्यवाही के विवरण की जानकारी केंद्र के पास नहीं है.

वह मार्च 2016 से ब्रिटेन में रह रहे हैं. 18 अप्रैल 2017 को स्कॉटलैंड यार्ड ने प्रत्यर्पण वारंट पर उन्हें जमानत दे दी थी.

विजय माल्या की कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस ने साल 2004 से 2012 के बीच 17 बैंकों से कुल 7,800 करोड़ रुपये का लोन लिया था. माल्या ने किंगफिशर एयरलाइंस के लिए लोन मांगते वक्त बैंकों को पर्सनल गारंटी दी थी.

मालूम हो कि भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में बैंकों के एक संघ ने शीर्ष अदालत का रुख कर आरोप लगाया गया था कि माल्या 9,000 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण के पुनर्भुगतान पर अदालत के आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं.

यह आरोप भी लगाया गया था कि वह संपत्ति का खुलासा नहीं कर रहे और इसके अलावा अदालत के आदेशों का उल्लंघन करते हुए उन्हें अपने बच्चों को हस्तांतरित कर रहे थे, जिसके बाद साल 2017 में अदालत ने उन्हें अवमानना का दोषी करार दिया था.

मालूम हो कि अप्रैल 2020 में विजय माल्या को राहत देते हुए लंदन हाईकोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नेतृत्व वाले भारतीय बैंकों के समूह की उस याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी थी, जिसमें कर्ज के बोझ से दबे कारोबारी को दिवालिया घोषित करने की मांग की गई थी, ताकि उससे तकरीबन 1.145 अरब पाउंड (10,837 करोड़ रुपये) का कर्ज वसूला जा सकें.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)