पंजाब के लुधियाना में मटेवारा जंगल और सतलुज नदी के पास 1,000 एकड़ ज़मीन में टेक्सटाइल पार्क बनाना प्रस्तावित था. पिछली कांग्रेस सरकार की इस परियोजना का आम आदमी पार्टी ने विपक्ष में रहते हुए विरोध किया था, लेकिन सत्ता में आते ही उसने इस पर आगे बढ़ने का फैसला किया, जिसके ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया था.
चंडीगढ़: पंजाब के लुधियाना जिले में मटेवारा जंगल और सतलुज नदी के पास प्रस्तावित एक हजार एकड़ के टेक्सटाइल पार्क के खिलाफ जनता के बढ़ते विरोध को देखते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने सोमवार को इस परियोजना को रद्द करने की घोषणा की है.
पर्यावरणविदों के मुताबिक, इस परियोजना से मटेवारा जंगल के साथ-साथ सतलुज नदी के लिए भी खतरा पैदा हो जाता.
सरकार ने यह घोषणा पार्टी के ट्विटर हैंडल के जरिये की. घोषणा से पहले मुख्यमंत्री ने पर्यावरणविदों के समूह पब्लिक एक्शन कमेटी (पीएसी) और सिविल सोसायटी के सदस्यों के साथ बैठक की थी, जो कि परियोजना के विरोध में लड़ाई लड़ रहे थे.
ਮੱਤੇਵਾੜਾ ਵਿਖੇ ਪਿਛਲੀ ਕਾਂਗਰਸ ਸਰਕਾਰ ਵੱਲੋਂ ਮਨਜ਼ੂਰ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਟੈਕਸਟਾਈਲ ਪਾਰਕ ਨਹੀਂ ਲੱਗੇਗਾ…ਅੱਜ PAC ਨਾਲ ਮੀਟਿੰਗ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਸਾਡੀ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਇਹ ਫ਼ੈਸਲਾ ਲਿਆ..ਸਗੋਂ ਇਹੀ ਨਹੀਂ ਕੋਈ ਵੀ ਹੋਰ ਇੰਡਸਟਰੀ ਜੋ ਪਾਣੀ ਗੰਧਲਾ ਕਰਦੀ ਹੋਵੇਗੀ ਉਹ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਕੰਡੇ ਨਹੀਂ ਲੱਗੇਗੀ…
ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਧਰਤੀ ਤੇ ਪਾਣੀ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਅਸੀਂ ਵਚਨਬੱਧ ਹਾਂ… pic.twitter.com/23TeXiwOua
— Bhagwant Mann (@BhagwantMann) July 11, 2022
इससे पहले बीते रविवार को 10,000 से अधिक लोग इस परियोजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए मटेवारा स्थित परियोजना स्थल पर जुटे थे और कसम खाई थी कि यदि मान सरकार परियोजना पर आगे बढ़ती है तो वे स्थायी मोर्चा शुरू करेंगे.
सिविल सोसायटी के सदस्य, नेता, किसान संघ, छात्र नेता, गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) उन सैकड़ों लोगों में शामिल थे जो खुद को जनता की सरकार बताने वाली आप सरकार की आलोचना में साथ जुटे थे.
यह परियोजना जुलाई 2020 में पिछली कांग्रेस की सरकार लेकर आई थी और इसके लिए जमीन की भी व्यवस्था कर दी थी. मान ने विपक्ष में रहते हुए इस परियोजना का काफी विरोध किया था.
परियोजना के लिए चिह्नित 955 एकड़ जमीन में से 416 एकड़ जमीन दलित-बहुल सेखोवाल गांव से जबरदस्ती अधिग्रहण कर ली गई थी, जबकि वहां की ग्राम सभा ने इसके खिलाफ एक प्रस्ताव भी पारित किया था.
लेकिन मार्च में सरकार बनने के तुरंत बाद मान ने इस परियोजना को वापस शुरू कर दिया.
पहली बजट बैठक में पंजाब विधानसभा में मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार की पीएम-मित्र योजना के तहत एक मेगा एकीकृत कपड़ा क्षेत्र और परिधान पार्क (टेक्सटाइल पार्क) की घोषणा की थी. यह उसी जमीन पर बनाया जाना था जिसे पिछली कांग्रेस सरकार ने अधिसूचित किया था.
मान ने तब कहा था कि घारी फजल, हैदर नगर और गरचा गांवों की 463 एकड़ सरकारी जमीन पंजाब शहरी विकास प्राधिकरण (परियोजना को क्रियान्वित करने वाली एजेंसी) को हस्तांतरित कर दी गई है. उन्होंने कहा था, ‘सेखोवाल, सैलकियाना और सलेमपुर गांवों की 493.99 एकड़ पंचायती भूमि मुआवजा देकर पहले ही अधिकृत कर ली गई थी.’
बाद में उन आलोचकों को जवाब देते हुए, जो कह रहे थे कि यह परियोजना स्थानीय परिस्थितिकी को बर्बाद कर देगी क्योंकि इसकी सीमा मटेवारा जंगल और सतलुज नदी से लगती है, मान ने जवाब दिया था कि उनकी सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि ‘इस पार्क के कारण सतलुज की एक बूंद भी प्रदूषित न हो.’
मान ने कहा था, ‘सभी पर्यावरण अनुमति लेनी होंगी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इलाके की नियमित निगरानी करेगा.’
अब मान ने पलटी मारी
अब, ट्विटर पर जनता को संबोधित करते हुए मान ने सारा दोष पिछली कांग्रेस सरकार पर मढ़ दिया है. उन्होंने कहा कि पिछले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पर्यावरण को पहुंचने वाली क्षति को ध्यान में रखे बिना परियोजना आगे बढ़ाई.
उन्होंने कहा, ‘आप ने सरकार बनाते ही परियोजना की समीक्षा की और अंतत: लंबे समय से परियोजना का विरोध कर रहे पब्लिक एक्शन कमेटी के साथ बैठक करने के बाद इसे रद्द करने का फैसला किया.’
मान की घोषणा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कमेटी के सदस्य जसकीरत सिंह ने द वायर से कहा, ‘कभी न होने से अच्छा है कि देर से हुआ तो सही.’ साथ ही, उन्होंने कहा कि पहली बात तो मान को इस परियोजना को वापस शुरू करना ही नहीं चाहिए था.
जसकीरत ने कहा, ‘लेकिन कमेटी खुश है कि हमारे प्रयास रंग लाए. यह जीत सभी पंजाबियों के अपार समर्थन के बिना संभव नहीं होती, जो कि पंजाब की पारिस्थितिकी को पहुंचने वाले भारी नुकसान को लेकर बेहद चिंतित थे.’
उन्होंने कहा कि लुधियाना के पास सतलुज नदी का एक हिस्सा पहले से ही प्रदूषित है.
उन्होंने आगे कहा, ‘ऐसी खबरें थीं कि पिछले एक दशक में सड़क परियोजनाओं के कारण राज्य में 10 लाख से अधिक पेड़ काटे गए थे. इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि पर्यावरण कितना खस्ताहाल है. हम आप सरकार से पंजाब को बचाने पर अधिक ध्यान देने का अनुरोध करते हैं. परियोजना को रद्द करने का उनका फैसला स्वागत योग्य है और एक अच्छी शुरुआत है. इसे यहीं नहीं रुकना चाहिए.’
अधिग्रहण की हुई ज़मीन सरकार वापस करेगी
सरकार ने घोषणा की है कि सरकारी भूमि का उपयोग जैव विविधता पार्क के लिए किया जाएगा और अधिग्रहीत जमीन ग्रामीणों को वापस कर दी जाएगी.
अधिग्रहीत जमीन को वापस लेने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे सेखोवाल गांव के रहने वाले कश्मीर सिंह कहते हैं, ‘सेखोवाल गांव के 70 दलित परिवारों के लिए यह जमीन ही आय का एकमात्र स्रोत थी. हमें खुशी है कि अब यह जमीन हमें वापस कर दी जाएगी.’
मान की घोषणा पर प्रतिकिया देते हुए विपक्ष ने इसका श्रेय जनांदोलन को दिया है.
कांग्रेस विधायक सुखपाल खैरा ने कहा है, ‘यह जनता की ताकत है जिसने भगवंत मान को मटेवारा में टेक्सटाइल पार्क रद्द करने के लिए मजबूर किया. पंजाब के साहसी लोगों को बधाई.’
Its the power of people that has forced @BhagwantMann to scrap the textile park at Mattewara! Congratulations to the brave people of Punjab-khaira pic.twitter.com/Fl2zv7fAFb
— Sukhpal Singh Khaira (@SukhpalKhaira) July 11, 2022
दूसरी तरफ, आम आदमी पार्टी से पंजाब के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि यह फैसला एक सच्चे राजनेता का प्रतिबिंब है. उन्होंने आगे कहा, ‘पर्यावरण के मुद्दों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता अडिग बनी हुई है.’
#Mattewara Forest purifies Ludhiana’s air and is home to vibrant wildlife. The Mattewara Industrial Park design demanded a sacrifice of thousands of trees, and plants and threatened the Sutlej. Bhagwant Mann Government will not allow environmental degradation. (2/3)
— Raghav Chadha (@raghav_chadha) July 11, 2022
चड्ढा ने साथ ही कहा कि मटेवारा जंगल लुधियाना की हवा को शुद्ध करता है और जीवंत वन्यजीवों का घर है. उन्होंने कहा, ‘यह फैसला पंजाब की हवा और पानी को हमारे और हमारी भविष्य की पीढ़ियों के लिए स्वच्छ रखेगा.’
मान फैसला बदलने के लिए मजबूर क्यों हुए
मान के इस फैसले के पीछे कुछ मुख्य कारण हैं. पहला, परियोजना की बहाली से आम आदमी पार्टी का दोहरा चरित्र उजागर हो गया था, जो अक्सर सार्वजनिक मुद्दों पर उच्च नैतिक आचरण रखने का दावा करती है. शुरुआत में परियोजना का विरोध किया, लेकिन बाद में दावा करने लगे कि यह आय का माध्यम है. पब्लिक एक्शन कमेटी के सदस्यों ने कहा कि परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए सरकार पर स्थानीय उद्योगपतियों का दबाव था.
दूसरा, पार्टी के ही कई नेता भी मान की घोषणा से नाखुश थे.
तीसरा, संगरूर संसदीय उपचुनाव में पार्टी की हालिया और शर्मनाक हार ने भी उसे परियोजना वापस लेने के लिए मजबूर किया हो सकता है.
चौथा, पार्टी पंजाब का चुनाव सोशल मीडिया के जरिये बनाई गई उसकी छवि के चलते जीती थी, अब उसने देखा होगा कि उसी मंच पर उसके खिलाफ चल रहे अभियान कैसे उसकी लोकप्रियता को प्रभावित कर रहे हैं, तो उसने तुरंत ही इस पर कार्रवाई की.
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