मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2018 विधानसभा चुनाव से पहले ‘एकात्म यात्रा’ निकालकर खंडवा ज़िले के ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा के निर्माण की घोषणा की थी. बीते दिनों पर्यावरण कार्यकर्ताओं से लेकर ओंकारेश्वर के साधु-संतों और स्थानीय नागरिकों ने भी 2,141 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई थी.
भोपाल: मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के ओंकारेश्वर में बनने वाली आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा के निर्माण पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है.
समाचार एजेंसी आईएएनएस की खबर के मुताबिक, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलीमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य सरकार को नोटिस भी जारी किया है और उससे प्रकृति की क्षति व स्थानीय जनता की आस्था की उपेक्षा करने को लेकर जवाब मांगा है.
कोर्ट ने खंडवा कलेक्टर, डीएफओ, राजस्व अधिकारी और राज्य पुरातत्व विभाग से भी जवाब तलब किया है.
सभी से अगले चार हफ्तों में जवाब पेश करने के लिए कहा गया है और अदालत के समक्ष मामला विचाराधीन होने के दौरान जारी निर्माण कार्य को तत्काल प्रभाव से रोकने के लिए कहा गया है.
याचिका इंदौर की एनजीओ लोकहित अभियान समिति की ओर से लगाई गई थी. याचिकाकर्ता एनजीओ ने निर्माण स्थल पर पेड़ों को काटने और पहाड़ की खुदाई का विरोध किया था.
हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत अपनी याचिका में लोकहित जनवादी समिति ने आरोप लगाया था कि राज्य सरकार राजनीतिक फायदे के लिए ‘ओम (ॐ)’ की आकृति वाली मंधाता पहाड़ी को नष्ट कर रही है. सरकार ज्योतिर्लिंग (ओंकारेश्वर) को सैकड़ों पेड़ काटकर पिकनिक स्पॉट में बदल रही है.
बता दें कि यह मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसकी घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने पिछले कार्यकाल में की थी.
2018 के विधानसभा चुनावों से कुछ माह पहले ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने प्रदेश भर में महीने भर तक एकात्म यात्रा निकालकर प्रतिमा निर्माण के लिए धातु संग्रहण भी किया था, जिसके माध्यम से घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क किया गया था और जगह-जगह मंच सजाकर प्रदेश भर के साधु-संतों का जमावड़ा लगाया था.
अष्टधातु से निर्मित होने वाली 108 फीट ऊंची आदि शंकराचार्य की प्रतिमा को लेकर उन्होंने यात्रा के दौरान हर सभा में कहा था, ‘यह प्रतिमा सरकारी नहीं होगी. जनता के सहयोग से बनेगी. हर गांव से इकट्ठा की गई मिट्टी से बनेगी. कलश की धातु गलाकर फाउंडेशन बनाया जाएगा. उस फाउंडेशन पर प्रतिमा खड़ी होगी. इसका आधार हमने हर गांव को बनाया है. हर गांव की मिट्टी आए हर मनुष्य इससे जुड़ जाए.’
लेकिन बाद में, शुरू से ही राजनीतिक रूप लिए हुए इस प्रतिमा निर्माण के लिए शिवराज कैबिनेट ने 2,141 करोड़ रुपये की लागत से आदि शंकराचार्य की प्रतिमा के साथ-साथ उन्हें समर्पित एक संग्रहालय और एक अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी.
वर्तमान वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट में राज्य सरकार ने इसके लिए 700 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था, ताकि बिना देरी परियोजना पर काम शुरू हो सके.
परियोजना का स्थानीय स्तर पर भी विरोध हो रहा था, पर्यावरण कार्यकर्ताओं से लेकर ओंकारेश्वर के साधु-संतों और स्थानीय नागरिकों ने इसके खिलाफ आवाज भी उठाई थी.
मामले को सरकार के समक्ष उठाने के लिए मई के पहले हफ्ते में संत और इंदौर की भारत हितरक्षा अभियान नामक एनजीओ के सदस्य संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर से भी मिले थे और परियोजना का स्थान बदलने की मांग की थी.
स्थानीय लोगों, संतों और विभिन्न एनजीओ ने विभिन्न जिलों में इसके खिलाफ हस्ताक्षर अभियान भी चलाया था और इंदौर से ओंकारेश्वर तक 90 किलोमीटर की पद यात्रा भी निकाली थी. साथ ही, खंडवा कलेक्टर कार्यालय, इंदौर कमिश्वर और राजधानी भोपाल में प्रदर्शन भी किया था.
50,000 से अधिक हस्ताक्षरों के साथ एनजीओ ने एक ज्ञापन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी भेजा था और उनसे हस्तक्षेप की मांग की थी.
बीते दिनों जब खंडवा जिला प्रशासन ने 12 घरों और आश्रमों समेत अन्य 12 ढांचे अवैध बताते हुए गिरा दिए थे तो स्थानीय नागरिकों ने उसका विरोध किया था.
राजधानी भोपाल में मुद्दा उठाने के लिए भी संतों और भक्तों ने वहां दो दिन का हस्ताक्षर अभियान चलाया था. 50 से अधिक प्रदर्शनकारी इस दौरान वहां मौजूद थे, जिन्हें पुलिस ने जबरन हटा दिया था.