गृह मंत्रालय ने अपनी विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम वेबसाइट से वो डेटा हटा दिया है, जिसमें एनजीओ के वार्षिक रिटर्न और उन एनजीओ की सूची शामिल है जिनके लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं. मंत्रालय ने इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि ये डेटा जनता के देखने के लिए ‘गैर-ज़रूरी’ माना गया था.
नई दिल्ली: गृह मंत्रालय (एमएचए) ने अपनी विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) वेबसाइट से कुछ महत्वपूर्ण डेटा को हटा दिया है, जिसमें गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के वार्षिक रिटर्न और उन एनजीओ की सूची शामिल है जिनके लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, मंत्रालय ने इस कदम पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि इस डेटा को सार्वजनिक तौर पर जनता के देखने के लिए ‘गैर-ज़रूरी’ माना गया था.
एफसीआरए की वेबसाइट गैर-सरकारी संगठनों को दिए गए लाइसेंसों पर विस्तृत डेटा; एनजीओ ने विदेशी योगदान प्राप्त करने के लिए पूर्व अनुमति; उन एनजीओ की लिस्ट, जिनके लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं; ऐसे एनजीओ जिनके लाइसेंस की समय सीमा समाप्त हो गई है; और उनके वार्षिक रिटर्न का डेटा दर्ज रखने के लिए उपयोग की जाती है.
अब वेबसाइट पर केवल इन सूचकांकों का समग्र डेटा है. यहां से एनजीओ की पहचान करने वाली सूची को हटा दिया गया है और एनजीओ के वार्षिक रिटर्न तक पहुंचने का भी कोई रास्ता नहीं है.
एमएचए के एक अधिकारी ने कहा, ‘जो भी डेटा अनुपयोगी या अनावश्यक समझा गया, उसे हटा दिया गया है. लाइसेंस खोने वाले एनजीओ और वार्षिक रिटर्न दाखिल करने वाले एनजीओ की संख्या पर समग्र डेटा वैसा का वैसा ही रखा गया है.’
इसके अलावा एनजीओ को मिलने वाले विदेशी चंदे के तिमाही खातों के आंकड़े भी हटा दिए गए हैं. हालांकि, सूत्रों ने कहा कि यह इस महीने की शुरुआत में मंत्रालय द्वारा अधिसूचित एफसीआरए नियमों में बदलाव के अनुरूप है.
उल्लेखनीय है कि 1 जुलाई को मंत्रालय ने ‘एनजीओ पर अनुपालन बोझ को कम करने के प्रयास’ में एफसीआरए नियमों में कई बदलाव करने की बात कही थी.
इनमें नियम 13 में किए गए बदलाव शामिल हैं जो “विदेशी योगदान की प्राप्ति की घोषणा” से संबंधित है. सरकार ने नियम के खंड (बी) को हटा दिया है.
इस खंड में कहा गया था: ‘वित्तीय वर्ष की एक तिमाही में विदेशी योगदान प्राप्त करने वाला व्यक्ति अपनी आधिकारिक वेबसाइट या केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट वेबसाइट पर तिमाही के अंतिम दिन के बाद 15 दिनों के भीतर प्राप्त विदेशी योगदान का विवरण देगा, जिसमें स्पष्ट रूप से दाताओं के विवरण, प्राप्त राशि और प्राप्ति की तारीख शामिल होगी.
कुछ गैर सरकारी संगठनों इस कदम को ‘असामान्य’ बताया था. एक एनजीओ के प्रमुख ने अपनी पहचान न जाहिर करने की शर्त पर इस अख़बार से कहा, ‘हालांकि यह बदलाव गैर सरकारी संगठनों के कामकाज को प्रभावित नहीं करेगा, यह स्पष्ट रूप से एफसीआरए डिवीजन के कामकाज में पारदर्शिता को कम करने का प्रयास लगता है. ऐसे समय में जब सीबीआई द्वारा एफसीआरए डिवीजन में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की जा रही है, मंत्रालय को और अधिक पारदर्शिता लानी चाहिए.’
गौरतलब है कि दिसंबर 2021 में गृह मंत्रालय ने मदर टेरेसा के मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी का एफसीआरए लाइसेंस के रिन्यूअल का आवेदन ख़ारिज कर दिया था. मंत्रालय ने तब कहा था कि उनके नवीनीकरण आवेदन पर विचार करते हुए ‘कुछ प्रतिकूल जानकारियां’ देखी गईं, जिन्हें देखते हुए आवेदन को खारिज कर दिया गया.’ हालांकि यह जानकारियां क्या थीं, यह नहीं बताया गया था.
इससे पहले भाजपा नेताओं ने मिशनरीज पर धर्मांतरण की गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाया था. आवेदन ख़ारिज होने के बाद मामले ने सियासी रंग ले लिया था जहां विपक्ष ने सरकार को इस संस्था को निशाना बनाने की आलोचना की थी. बाद में सरकार ने मिशनरीज का एफसीआरए लाइसेंस बहाल कर दिया था.
इसके बाद बीते जनवरी में सरकार ने ऑक्सफैम इंडिया के एफसीआरए लाइसेंस के नवीनीकरण से इनकार कर दिया था. इस साल अप्रैल में केंद्र सरकार ने एनजीओ कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव (सीएचआरआई) और ‘अपने आप विमेन वर्ल्डवाइड’ का एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया था.