गुजरात के एक सत्र न्यायालय में राज्य पुलिस की एसआईटी ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की ज़मानत याचिका का विरोध करते हुए कहा है कि वे 2002 के दंगों के बाद राज्य में भाजपा सरकार को गिराने के लिए दिवंगत कांग्रेस नेता अहमद पटेल के इशारे पर रची गई एक साज़िश में शामिल थीं.
अहमदाबाद: सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ 2002 के दंगों से जुड़े ‘सबूतों के निर्माण’ और ‘साजिश’ के आरोपों की जांच कर रही गुजरात पुलिस ने बीते शुक्रवार (15 जुलाई) को आरोप लगाया कि वह एक ‘बड़ी साजिश’ का हिस्सा थीं, जो कि दिवंगत कांग्रेस नेता अहमद पटेल के इशारे पर की गई थी.
हालांकि कांग्रेस ने शनिवार को आरोप लगाया कि गुजरात पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) की ओर से दिवंगत नेता अहमद पटेल के खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे और मनगढ़ंत हैं तथा यह 2002 के ‘नरसंहार’ मामले में अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक ‘सुनियोजित रणनीति’ का हिस्सा है.
गुजरात पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने सीतलवाड़ की जमानत याचिका का विरोध करते हुए सत्र न्यायालय में दाखिल किए गए एक हलफनामे में दावा किया गया है कि वह राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार गिराने की एक बड़ी साजिश में शामिल रही थीं.
बता दें कि उस समय अहमद पटेल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार थे. नवंबर 2020 में कोविड-19 संक्रमण से उनकी मौत हो गई थी.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डीडी ठक्कर ने विशेष जांच दल (एसआईटी) के जवाब को रिकॉर्ड में लिया और जमानत अर्जी पर सुनवाई सोमवार (18 जुलाई) तक के लिए स्थगित कर दी.
गुजरात दंगों के मामलों में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने के आरोप में सीतलवाड़ को भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारियों आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट के साथ गिरफ्तार किया गया है.
एसआईटी की ओर से दाखिल किए गए हलफनामे में कहा गया है कि जमानत याचिका लगाने वाली आवेदक सीतलवाड़ का इस बड़े षड्यंत्र को अंजाम देने का राजनीतिक उद्देश्य निर्वाचित सरकार को गिराना या अस्थिर करना था.
हलफनामे में आरोप लगाया गया है कि सीतलवाड़ ने निर्दोष व्यक्तियों को गलत तरीके से फंसाने के अपने प्रयासों के बदले भाजपा के प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दल से अवैध वित्तीय और अन्य लाभ तथा पुरस्कार प्राप्त किए.
गुजरात एसआईटी द्वारा शुक्रवार को पेश अपने हलफनामे में जारी जांच के दौरान लिए गए दो गवाहों के बयान भी प्रस्तुत किए गए. एसआईटी ने एक गवाह के बयानों का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि पटेल के कहने पर 2002 के गोधरा दंगों के बाद सीतलवाड़ को 30 लाख रुपये मिले थे.
एसआईटी ने आगे दावा किया कि सीतलवाड़ दंगा मामलों में भाजपा सरकार के वरिष्ठ नेताओं को फंसाने के लिए दिल्ली की सत्ता में उस वक्त काबिज एक प्रमुख राष्ट्रीय दल के नेताओं से मिला करती थीं.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, हलफनामे में कहा गया है कि सीतलवाड़ ने कथित तौर पर शुरू से ही इस साजिश के हिस्से के रूप में काम करना शुरू कर दिया था, क्योंकि गोधरा ट्रेन की घटना के कुछ ही दिनों बाद उन्होंने दिवंगत अहमद पटेल के साथ बैठक की थी और पहली बार में 5 लाख रुपये प्राप्त किए थे. पटेल के निर्देश पर एक गवाह ने उन्हें पैसा दिया था.
आरोप है कि ‘दो दिन बाद शासकीय सर्किट हाउस शाहीबाग में अहमद पटेल और आवेदक (सीतलवाड़) के बीच हुई बैठक में उक्त गवाह ने पटेल के निर्देश पर आवेदक (सीतलवाड़) को 25 लाख रुपये अधिक दिये थे.’
हलफनामे में दावा किया गया है कि आवेदक (सीतलवाड़) को दिया गया पैसा किसी राहत-संबंधित कोष का हिस्सा नहीं था, क्योंकि खाद्य सामग्री और अन्य आवश्यक वस्तुओं के रूप में सभी राहत सामग्री पूरे राज्य में एक गुजरात राहत समिति द्वारा प्रदान की गई थी.
बैठक की इस अवधि के दौरान शाहीबाग सर्किट हाउस में दिवंगत अहमद पटेल सहित कई राजनीतिक नेताओं की उपस्थिति की पुष्टि जांच में एकत्रित सामग्री से होती है.
कथित गवाह के बयानों का हवाला देते हुए हलफनामे में दावा किया गया है कि आगे कई बैठकें अहमद पटेल के नई दिल्ली आवास पर भी हुई थीं, जहां आवेदक (सीतलवाड़) और अन्य आरोपी व्यक्ति संजीव भट्ट, दंगों के चार महीने बाद गुपचुप तरीके से पटेल से मिले थे.
गौरतलब है कि सीतलवाड़, श्रीकुमार और भट्ट के खिलाफ एफआईआर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बीते 24 जून को गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को 2002 के दंगा मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा दी गई क्लीनचिट को चुनौती देने वाली जकिया जाफरी की याचिका को खारिज किए जाने के एक दिन बाद 25 जून को दर्ज हुई थी.
एफआईआर में तीनों पर झूठे सबूत गढ़कर कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है, ताकि कई लोगों को ऐसे अपराध में फंसाया जा सके जो मौत की सजा के साथ दंडनीय हो.
सीतलवाड़ के एनजीओ ने जकिया जाफरी की कानूनी लड़ाई के दौरान उनका समर्थन किया था. जाफरी के पति एहसान जाफरी, जो कांग्रेस के सांसद भी थे, दंगों के दौरान अहमदाबाद के गुलबर्ग सोसाइटी में हुए नरसंहार में मार दिए गए थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में सीतलवाड़ और उनका एनजीओ जकिया जाफरी के साथ सह-याचिकाकर्ता थे.
सीतलवाड़, श्रीकुमार और भट्ट के खिलाफ दर्ज एफआईआर में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के विभिन्न प्रावधानों धारा 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के रूप में उपयोग करना), 120बी (आपराधिक साजिश), 194 (गंभीर अपराध का दोष सिद्ध करने के इरादे से झूठे सबूत देना या गढ़ना), 211 (घायल करने के लिए किए गए अपराध का झूठा आरोप) और 218 (लोक सेवक को गलत रिकॉर्ड देना या अपराध की सजा से व्यक्ति या संपत्ति को जब्त होने से बचाना) का जिक्र है.
कांग्रेस का जवाब
आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस ने कहा है, ‘एसआईटी अपने राजनीतिक आकाओं की धुन पर नाच रही है और जब इसे कहा जाएगा तो बैठ जाएगी.’
कांग्रेस ने शनिवार को आरोप लगाया कि गुजरात पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) की ओर से दिवंगत नेता अहमद पटेल के खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे और मनगढ़ंत हैं तथा यह 2002 के ‘सामूहिक हत्या’ मामले में अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक ‘व्यवस्थित रणनीति’ का हिस्सा है.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान जारी कहा, ‘कांग्रेस दिवंगत अहमद पटेल के खिलाफ गढ़े गए शरारतपूर्ण आरोपों को पुरजोर तरीके से खारिज करती है. यह प्रधानमंत्री की उस सुनियोजित रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह 2002 में उनके मुख्यमंत्री रहने के दौरान हुए नरसंहार को लेकर किसी भी जिम्मेदारी से खुद को बचाना चाहते हैं.’
उन्होंने दावा किया, ‘इस नरसंहार को नियंत्रित करने की उनकी अनिच्छा और अक्षमता के कारण ही तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उस वक्त के मुख्यमंत्री को राजधर्म की याद दिलाई थी.’
रमेश ने कहा, ‘प्रधानमंत्री की राजनीतिक प्रतिशोध वाली मशीन उन लोगों को भी नहीं छोड़ती, जो उनके राजनीतिक विरोधी रहे और अब इस दुनिया में नहीं रहे. यह एसआईटी अपने राजनीतिक आकाओं की धुन पर नाच रही है और उसे जो कहा जाएगा वही करेगी. हम जानते हैं कि पहले के एक एसआईटी प्रमुख को राजनयिक जिम्मेदारी से नवाजा गया, क्योंकि उन्होंने मुख्यमंत्री को ‘क्लीन चिट’ दी थी.’
Statement Issued by @Jairam_Ramesh , General Secretary In- Charge, Communications, AICC pic.twitter.com/vZo55UcDcN
— Congress (@INCIndia) July 16, 2022
उन्होंने दावा किया, ‘न्यायिक प्रक्रिया के चलने के दौरान अपनी कठपुतली एजेंसियों के जरिये अनर्गल आरोप लगाकर प्रेस के माध्यम से फैसला सुनाना मोदी-शाह की तरकीबों की वर्षों से पहचान रही है. यह मामला कुछ नहीं बल्कि इसी की एक मिसाल है, बस इतना है कि एक दिवंगत व्यक्ति को बदनाम किया जा रहा है जो ऐसे सरेआम बोले जा रहे झूठ को खारिज करने के लिए उपलब्ध नहीं हो सकते.’
पटेल की बेटी मुमताज पटेल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि एसआईटी के आरोप वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण हैं.
उन्होंने कहा, ‘मैं केवल इतना कहना चाहूंगी कि सुर्खियों में बने रहने और सनसनी खड़ी करने के लिए एक मृत व्यक्ति का नाम इस्तेमाल करना अनुचित, लेकिन बहुत आसान है. वह अपना बचाव करने के लिए यहां नहीं हैं और परिवार के तौर पर हमारे पास कोई और टिप्पणी नहीं है, क्योंकि हम उनके काम में दखल नहीं देते थे.’
मुमताज पटेल ने कहा, ‘अब गुजरात विधानसभा चुनाव के प्रचार की शुरुआत हो गई है. एक बार फिर से अहमद पटेल का नाम षड्यंत्र से जोड़ा जा रहा है. यह सब चुनाव के लिए हो रहा है. उनके खिलाफ लगे आरोप पूरी तरह से गलत हैं.’
कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार प्रमुख पवन खेड़ा ने संवाददाताओं से कहा, ‘गुजरात चुनाव आने पर भाजपा नई-नई थ्योरी लेकर आती है. पिछली बार चुनाव के समय प्रधानमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कुछ अन्य प्रबुद्ध लोगों के खिलाफ रात्रिभोज पर षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया था. बाद में नरेंद्र मोदी जी को माफी मांगनी पड़ी. इस बार भी वही हो रहा है.’
उन्होंने कहा, ‘चुनाव से पहले प्रधानमंत्री किसी मुस्लिम नेता का नाम लेते हैं. प्रधानमंत्री जी? क्या आठ साल में कोई एक काम ऐसा नहीं किया है जिससे आपको वोट मिल सके. अब आपको समझ लेना चाहिए कि काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के बाद)