सीएम के गांव में हेलीपैड से आपत्ति नहीं, पर छात्रों के स्कूल जाने के लिए सड़क भी होनी चाहिए: कोर्ट

महाराष्ट्र के सातारा ज़िले के खिरखिंडी गांव के बच्चों को स्कूल पहुंचने के लिए नाव से कोयना नदी पार करनी पड़ती है और उसके बाद जंगल में पैदल चलना पड़ता है. इसी ज़िले में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का गांव आता है, जहां दो हेलीपैड हैं. 

बॉम्बे हाईकोर्ट (फोटो: पीटीआई)

महाराष्ट्र के सातारा ज़िले के खिरखिंडी गांव के बच्चों को स्कूल पहुंचने के लिए नाव से कोयना नदी पार करनी पड़ती है और उसके बाद जंगल में पैदल चलना पड़ता है. इसी ज़िले में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का गांव आता है, जहां दो हेलीपैड हैं.

बॉम्बे हाईकोर्ट (फोटो: पीटीआई)

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार (14 जुलाई) को कहा कि गांवों में हेलीपैड बनाने पर उसे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन महाराष्ट्र सरकार को अच्छी सड़कों का भी निर्माण कराना चाहिए, ताकि बच्चे स्कूल जा सकें.

जस्टिस प्रसन्न वराले की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सातारा जिले के खिरखिंडी गांव के छात्रों की समस्या का स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई के दौरान उक्त टिप्पणी की.

खिरखिंडी गांव के छात्रों को स्कूल पहुंचने के लिए नाव से कोयना नदी पार करनी पड़ती है और उसके बाद जंगल में पैदल चलना पड़ता है. अदालत ने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि संबंधित विभागों के सचिवों के साथ एक बैठक कर इस समस्या का समाधान निकाला जाए.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, हर दिन स्कूल जाने के लिए झीलों और जंगलों को पार करने वाली सातारा जिले की स्कूली लड़कियों के संबंध में याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बारे में यह टिप्पणी की है. जस्टिस पीबी वराले की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘उसे केवल बच्चों की शिक्षा के लिए सहायता मिलते देखने में रुचि है. उनके (मुख्यमंत्री) गांव में न सड़क है, न पुल, लेकिन दो हेलीपैड हैं.’

जस्टिस वराले ने कहा, ‘गांव में हेलीपैड होने पर हमें आपत्ति नहीं है, लेकिन बच्चों के लिए सड़क भी होनी चाहिए, ताकि वे स्कूल या कॉलेज जा सकें और अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद समाज की मदद कर सकें.’

उन्होंने कहा, ‘हम केवल इतना चाहते हैं कि सरकार सकारात्मक कदम उठाए और जो भी संभव हो वह करे और एक स्थायी समाधान निकाले.’

गौरतलब है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सातारा जिले के रहने वाले हैं. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद शिंदे के बेटे संसद सदस्य श्रीकांत ने कोयना बांध के बैकवाटर को पार करने के लिए बच्चों के लिए एक नाव दान की है.

अदालत ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वित्त, ग्रामीण विकास, शिक्षा और सामाजिक न्याय विभाग के साथ बैठक करें. अदालत ने कहा, ‘बैठक के बाद मुख्य सचिव इस मामले में उठाए गए मुद्दों के स्थायी समाधान के लिए एक रिपोर्ट बनाएंगे.’

पीठ ने कहा कि 30 अगस्त तक रिपोर्ट सौंपनी होगी और उसके साथ एक शपथ-पत्र देना होगा जो कि राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग के उप सचिव या उसके ऊपर के स्तर के अधिकारी की ओर से दिया जाएगा.

रिपोर्ट के अनुसार, शिंदे के हेलीपैड के बारे में मुद्दा तब उठा था जब मामले में नियुक्त एमीकस क्यूरी संजीव कदम ने अदालत से कहा कि सरकार बदलने और नए मुख्यमंत्री के उसी क्षेत्र से आने से जहां के ये बच्चे हैं, परिदृश्य में बदलाव होना चाहिए. कदम ने कहा, ‘मुख्यमंत्री इलाके को जानते हैं. उनका अपना गांव भी कोयना बांध के बढ़ते जलस्तर से प्रभावित है.’

जस्टिस वराले ने आगे कहा, ‘हमें खुशी होगी अगर इन लड़कों और लड़कियों के लिए शिक्षा प्राप्त करने के मामले में स्थायी रूप से कुछ किया जाता है, यदि संभव हो तो उनके दरवाजे तक सुविधा मिले, अगर नहीं तो आवासीय छात्रावास आदि होना चाहिए.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)