राष्ट्रीय प्रतीक ऐसा क्षेत्र नहीं, जहां मानवीय त्रुटि की अनुमति दी जा सकती है: तृणमूल सांसद

नए संसद भवन की छत पर स्थापित राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ को लेकर जारी विवाद के बीच तृणमूल कांग्रेस सांसद जवाहर सरकार ने केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी को एक पत्र लिखा है, जिसमें केंद्र से मांग की है कि नवनिर्मित प्रतिमा का मूल अशोक स्तंभ से मिलान करने के लिए त्रिआयामी कंप्यूटरीकृत जांच की जाए. साथ ही उन्होंने मूर्तिकार के चयन की प्रक्रिया और इसकी स्थापना में आए ख़र्च की भी जानकारी मांगी है.

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(फोटो साभार: ट्विटर/@Jairam_Ramesh)

नए संसद भवन की छत पर स्थापित राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ को लेकर जारी विवाद के बीच तृणमूल कांग्रेस सांसद जवाहर सरकार ने केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी को एक पत्र लिखा है, जिसमें केंद्र से मांग की है कि नवनिर्मित प्रतिमा का मूल अशोक स्तंभ से मिलान करने के लिए त्रिआयामी कंप्यूटरीकृत जांच की जाए. साथ ही उन्होंने मूर्तिकार के चयन की प्रक्रिया और इसकी स्थापना में आए ख़र्च की भी जानकारी मांगी है.

(फोटो साभार: ट्विटर/@Jairam_Ramesh)

कोलकाता: नए संसद भवन की छत पर स्थापित राष्ट्रीय प्रतीक को लेकर जारी विवाद के बीच तृणमूल कांग्रेस सांसद जवाहर सरकार ने शनिवार को केंद्र से मांग की कि नवनिर्मित राष्ट्रीय प्रतीक का मूल अशोक स्तंभ से मिलान करने के लिए त्रिआयामी कंप्यूटरीकृत जांच की जाए.

केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी को लिखे पत्र में सरकार ने कहा, ‘खामी इतनी बड़ी है कि उसे छिपाया नहीं जा सकता.’

उन्होंने साथ ही मूर्तिकार के चयन की प्रक्रिया, निर्माता को दी गई जानकारी और इस प्रतिमा को स्थापित करने पर आए खर्च की विस्तृत जानकारी भी जाननी चाही.

पूर्व केंद्रीय संस्कृति सचिव जवाहर सरकार ने यह भी जानना चाहा कि क्या इस कलाकृति के लिए दिल्ली शहरी कला आयोग और विरासत संरक्षण समिति की मंजूरी ली गई थी, जो कि संसद की नई इमारत के संदर्भ में ‘छह जनवरी 2021 को सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले के अनुसार अनिवार्य है.’ क्या उन्हें पास और दूर से इस मूर्तिकला के कंप्यूटर जनित दृश्य (जैसे आपने सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के लिए साझा किए थे) दिखाए थे? यदि हां, तो कब?

इससे पहले राष्ट्रीय प्रतीक में छेड़छाड़ संबंधी विवाद होने पर जवाहर सरकार ने ट्विटर पर अशोक स्तंभ की मूल तस्वीर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किए गए अशोक स्तंभ की तस्वीरें साझा की थीं.

तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य ने दावा किया कि मूल अशोक स्तंभ पर मौजूद शेर ‘सुंदर और शान से आत्मविश्वासी’ प्रतीत होते हैं, जबकि नई प्रतिमा के शेर ‘गुर्राते हुए, अनावश्यक रूप से आक्रामक और बेमेल’ दिखते हैं.

विशेषज्ञों और विपक्षी नेताओं की आलोचना पर शहरी विकास मंत्री पुरी ने कहा था कि जो लोग संसद की इमारत पर लगे राष्ट्रीय प्रतीक की आलोचना कर रहे हैं, उन्हें ‘दोनों ढांचों की तुलना करने के साथ-साथ उनके कोण, ऊंचाई और विशालता’ पर भी ध्यान देना चाहिए.

उन्होंने दावा किया था कि नया अशोक स्तंभ उत्तर प्रदेश के सारनाथ स्थित वास्तविक चिह्न का ‘विस्तृत’ स्वरूप है.

इन तर्कों को खारिज करते हुए जवाहर सरकार ने अपने पत्र में कहा, ‘बेंगलुरु के विधान सौध (विधानसभा) के ऊपर पिछले 65 साल से लगे विशाल राष्ट्रीय चिह्न पर कोई विवाद नहीं है और आपके अधिकारी उसका परीक्षण कर सकते हैं कि वह क्यों और कैसे सफल है.’

जवाहर सरकार ने कहा कि नई प्रतिमा मूल स्वरूप की नकल है या नहीं, सरकार और विपक्षी पार्टियों के बीच इसको लेकर एकदम अलग राय है. सारनाथ की मूल प्रतिमा और नई प्रतिमा में कई अंतर हैं और इसकी पहचान आसानी से व सटीक तरीके से त्रिआयामी (3डी) तस्वीरों से हो सकती है.

जवाहर सरकार ने पत्र में लिखा है, ‘राष्ट्रीय प्रतीक ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां मानवीय त्रुटि या कलात्मक लाइसेंस की अनुमति दी जाए.’

राज्यसभा सांसद ने केंद्र पर भी निशाना साधा, जिसने हाल ही में इस विवाद का जवाब देते हुए कहा था कि विकृति केवल इस तथ्य के कारण है कि प्रतिमा को नीचे जमीन से खड़े होकर देखा जा रहा है.

इस पर जवाहर सरकार ने कहा, ‘लेकिन सभी नागरिकों को राष्ट्रीय प्रतीक जमीन से ही देखना होगा, इन सभी परिवर्तनों के साथ.’

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि संसद भवन के ऊपर राष्ट्रीय प्रतीक खड़ा करने की प्रक्रिया में सरकार द्वारा विशेषज्ञों की राय नहीं मांगी गई थी. उनके मुताबिक, विशेषज्ञों से यदि राय ली गई होती तो खामियों से बचा जा सकता था.

तृणमूल सांसद ने केंद्र सरकार से और भी सवाल किए हैं. उन्होंने पूछा है कि इस कार्य में कितना खर्च आया? प्रतिमा निर्माण के लिए कलाकार के चयन की प्रक्रिया क्या रही?

साथ ही, प्रतिमा निर्माण की वास्तविक अनुमानित लागत 975 करोड़ रुपये थी, जबकि वर्तमान अनुमानित लागत 1200 करोड़ है. इसको लेकर भी सांसद ने सरकार से सवाल किया है.

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के मुताबिक, कांस्य का बना यह प्रतीक 9,500 किलोग्राम वजनी है और इसकी ऊंचाई 6.5 मीटर है.

राष्ट्रीय प्रतीक को नए संसद भवन के शीर्ष पर स्थापित किया गया है और इसे सहारा देने के लिए इसके आसपास करीब 6,500 किलोग्राम के इस्पात के एक ढांचे का निर्माण किया गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)