केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने अनाज से लेकर दालों और दही से लेकर लस्सी तक खाद्य पदार्थों पर जीएसटी लगाए जाने से संबंधित बार-बार पूछे जाने वाले सवालों पर स्पष्टीकरण जारी किया है. इसमें कहा गया है कि जीएसटी उन उत्पादों पर लगेगा जिनकी आपूर्ति पैकेटबंद सामग्री के रूप में की जा रही है और इन पैकेटबंद सामान का वज़न 25 किलोग्राम से कम होना चाहिए. इससे पहले केवल ब्रांडेड अनाज-दालें ही जीएसटी के दायरे में आती थीं.
नई दिल्ली: पैकेटबंद और लेबल वाले खाद्य पदार्थ मसलन आटा, दालें और अनाज सोमवार से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में आ गए हैं. इनके 25 किलोग्राम से कम वजन के पैक पर पांच प्रतिशत जीएसटी लागू हो गया है.
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने अनाज से लेकर दालों और दही से लेकर लस्सी तक खाद्य पदार्थों पर जीएसटी लगाए जाने से संबंधित बार-बार पूछे जाने वाले सवालों पर स्पष्टीकरण जारी किया है.
इसमें कहा गया, ‘जीएसटी उन उत्पादों पर लगेगा जिनकी आपूर्ति पैकेटबंद सामग्री के रूप में की जा रही है. हालांकि, इन पैकेटबंद सामान का वजन 25 किलोग्राम से कम होना चाहिए.’
दही और लस्सी जैसे पदार्थों के लिए यह सीमा 25 लीटर है.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद ने पिछले दिनों अपनी बैठक में डिब्बा या पैकेटबंद और लेबल युक्त (फ्रोजन को छोड़कर) मछली, दही, पनीर, लस्सी, शहद, सूखा मखाना, सूखा सोयाबीन, मटर जैसे उत्पाद, गेहूं और अन्य अनाज तथा मुरमुरे पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाने का फैसला किया था.
बहरहाल, मंत्रालय ने इस संबंध में कहा, ‘18 जुलाई 2022 से प्रावधान लागू हो गया है और पहले से पैक तथा लेबल वाले उत्पादों की आपूर्ति पर जीएसटी लगेगा.’
उदाहरण के लिए चावल, गेहूं जैसे अनाज, दालों और आटे पर पहले पांच प्रतिशत जीएसटी तब लगता था, जब ये किसी ब्रांड के होते थे. अब 18 जुलाई से जो भी सामान पैकेटबंद है और जिस पर लेबल लगा है, उन पर जीएसटी लगेगा.
इसके अलावा दही, लस्सी और मुरमुरे जैसी अन्य वस्तुएं यदि पहले से पैक और लेबल वाली होंगी, तो इन पर पांच फीसदी की दर से जीएसटी लगेगा.
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) द्वारा जारी एफएक्यू (Frequently asked Questions) में कहा गया है कि पांच प्रतिशत जीएसटी पहले से पैक उन्हीं वस्तुओं पर लगेगा जिनका वजन 25 किलोग्राम या इससे कम है. हालांकि, खुदरा व्यापारी 25 किलो पैक में सामान लाकर उसे खुले में बेचता है तो इस पर जीएसटी नहीं लगेगा.
इसमें उदाहरण देते हुए कहा है कि खुदरा बिक्री के लिए पैकेटबंद आटे के 25 किलोग्राम के पैकेट की आपूर्ति पर जीएसटी लगेगा. हालांकि, इस तरह का 30 किलो का पैकेट जीएसटी के दायरे से बाहर होगा.
यह भी बताया गया कि उस पैकेज पर जीएसटी लगेगा, जिसमें कई खुदरा पैक होंगे. उसने उदाहरण दिया कि 50 किलो वाले चावल के पैकेज को पहले से पैक और लेबल वाला सामान नहीं माना जाएगा और इस पर जीएसटी नहीं लगेगा.
एएमआरजी एंड एसोसिएट्स में वरिष्ठ साझेदार रजत मोहन ने कहा कि इस कर से चावल और अनाज जैसी बुनियादी खाद्य वस्तुओं की मूल्य आधारित मुद्रास्फीति आज से ही बढ़ जाएगी.
इसके अलावा, 5000 रुपये से अधिक किराये वाले अस्पताल के कमरों पर भी जीएसटी देना होगा. इसके अलावा 1000 रुपये प्रतिदिन से कम किराये वाले होटल कमरों पर 12 प्रतिशत की दर से कर लगाने की बात कही गई है. अभी इस पर कोई कर नहीं लगता है.
इसी प्रकार, टेट्रा पैक और बैंक की तरफ से चेक जारी करने पर 18 प्रतिशत और एटलस समेत नक्शे तथा चार्ट पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगेगा.
वहीं, खुले में बिकने वाले बिना ब्रांड वाले उत्पादों पर जीएसटी छूट जारी रहेगी.
‘प्रिंटिंग/ड्राइंग इंक’, धारदार चाकू, कागज काटने वाला चाकू और ‘पेंसिल शार्पनर’, एलईडी लैंप, ड्रॉइंग और मार्किंग करने वाले उत्पादों पर कर की दरें बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दी गई हैं.
सौर वाटर हीटर पर अब 12 प्रतिशत जीएसटी लगेगा, जबकि पहले पांच प्रतिशत कर लगता था.
सड़क, पुल, रेलवे, मेट्रो, अपशिष्ट शोधन संयंत्र और शवदाहगृह के लिए जारी होने वाले कार्य अनुबंधों पर अब 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा, जो अब तक 12 प्रतिशत था.
हालांकि, रोपवे के जरिये वस्तुओं और यात्रियों के परिवहन तथा कुछ सर्जरी से जुड़े उपकरणों पर कर की दर घटाकर पांच प्रतिशत की गई है. पहले यह 12 प्रतिशत थी.
ट्रक, वस्तुओं की ढुलाई में इस्तेमाल होने वाले वाहनों जिसमें ईंधन की लागत शामिल है, पर अब 12 प्रतिशत जीएसटी लगेगा जो अभी 18 प्रतिशत है.
बागडोगरा से पूर्वोत्तर राज्यों तक की हवाई यात्रा पर जीएसटी छूट अब ‘इकोनॉमी’ श्रेणी तक सीमित होगी.
आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक), बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड जैसे नियामकों की सेवाओं के साथ रिहायशी मकान कारोबारी इकाइयों को किराये पर देने पर कर लगेगा.
बैटरी या उसके बिना इलेक्ट्रिक वाहनों पर रियायती पांच प्रतिशत जीएसटी बना रहेगा.
व्यापारियों ने अनाज, आटे, दाल पर जीएसटी को जन-विरोधी बताया
इस बीच, राष्ट्रीय राजधानी में कारोबारियों ने पहले से पैक की गई और लेबल वाली खाद्य वस्तुओं पर कर लगाने के जीएसटी परिषद के फैसले को जन-विरोधी करार दिया है.
उद्योग मंडल चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) के अध्यक्ष ब्रजेश गोयल ने कहा कि आजादी के बाद यह पहली बार है जब दाल, चावल, आटा, अनाज, दही और लस्सी समेत अन्य सामान जो पहले कर मुक्त होते थे उन पर कर लगाया गया है.
दिल्ली अनाज व्यापारी संघ के अध्यक्ष नरेश कुमार गुप्ता ने कहा, ‘हम इस फैसले के खिलाफ हैं और इसे वापस लेने की मांग करते हैं. यह आम जनता और कारोबारियों के हित में नहीं है. यह कदम जन-विरोधी है.’
सरकार के इस कदम के खिलाफ शनिवार को दिल्ली की थोक और खुदरा अनाज मंडियां बंद रहीं. सीटीआई ने इसके खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए कारोबारियों की महापंचायत बुलाई है.
जनता को ‘राहत’ देने का समय, लेकिन उन्हें ‘आहत’ किया जा रहा है: वरुण गांधी
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ही सांसद वरुण गांधी ने दूध और दही सहित कई खाद्य वस्तुओं को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाए जाने को लेकर सोमवार को अपनी ही पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना की और कहा कि जनता को जब ‘राहत’ देने का समय है तब उन्हें ‘आहत’ किया जा रहा है.
गांधी ने एक ट्वीट में कहा, ‘आज से दूध, दही, मक्खन, चावल, दाल, ब्रेड जैसे पैक्ड उत्पादों पर जीएसटी लागू है. रिकॉर्ड तोड़ बेरोजगारी के बीच लिया गया यह फैसला मध्यमवर्गीय परिवारों और विशेषकर किराए के मकानों में रहने वाले संघर्षरत युवाओं की जेबें और हल्की कर देगा.’
आज से दूध, दही, मक्खन, चावल, दाल, ब्रेड जैसे पैक्ड उत्पादों पर GST लागू है।
रिकार्डतोड़ बेरोजगारी के बीच लिया गया यह फैसला मध्यमवर्गीय परिवारों और विशेषकर किराए के मकानों में रहने वाले संघर्षरत युवाओं की जेबें और हल्की कर देगा।
जब ‘राहत’ देने का वक्त था, तब हम ‘आहत’ कर रहे हैं।
— Varun Gandhi (@varungandhi80) July 18, 2022
उन्होंने कहा, ‘जब ‘राहत’ देने का वक्त था, तब हम ‘आहत’ कर रहे हैं.’
ज्ञात हो कि वरुण गांधी बेरोजगारी, अर्थव्यवस्था और किसानों के मुद्दे पर पिछले कुछ समय से केंद्र सरकार के खिलाफ विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर मुखरता से आवाज उठा रहे हैं.
भाजपा ने तेजी से उभरती भारतीय अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया: राहुल गांधी
वहीं, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस संबंध में लेकर सोमवार को आरोप लगाया कि भाजपा ने दुनिया की एक तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया.
HIGH taxes, NO jobs
BJP’s masterclass on how to destroy what was once one of the world’s fastest growing economies. pic.twitter.com/cinP1o65lB
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 18, 2022
उन्होंने दही, लस्सी, पनीर और कई अन्य वस्तुओं पर जीएसटी लगाए जाने से जुड़ा एक चार्ट साझा करते हुए ट्वीट किया, ‘उच्च दर वाला कर, कोई रोजगार नहीं. यह उच्च कोटि का उदाहरण है कि भाजपा ने कैसे दुनिया की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक को नष्ट कर दिया.’
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी पहले से पैक तथा लेबल वाले खाद्य पदार्थों पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को वापस लेने की सोमवार को केंद्र सरकार से मांग की.
केजरीवाल ने पत्रकारों से कहा, ‘पूरा देश तेज़ी से बढ़ती महंगाई का सामना कर रहा है और केंद्र ने खाद्य वस्तुओं पर जीएसटी लगाकर उनकी कीमत बढ़ा दी है. मैं केंद्र से इसे वापस लेने की मांग करता हूं.’
केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जो लोगों को नि:शुल्क स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, पानी, बिजली, यात्रा और अन्य बुनियादी जरूरतें मुहैया करा उन्हें महंगाई से राहत दे रहा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)