जितिन प्रसाद उत्तर प्रदेश सरकार में लोक निर्माण विभाग मंत्री हैं. मामला उनके तहत आने वाले पीडब्ल्यूडी विभाग में इंजीनियरों के तबादले से जुड़ा है. पिछले एक महीने में 150 से अधिक तबादले किए गए हैं. 18 जुलाई को उनके ओएसडी को पैसा लेकर तबादला करने संबंधी आरोपों के बाद हटा दिया गया था. शिकायतें मिलने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की जांच के आदेश दिए थे.
नई दिल्ली: जितिन प्रसाद के दल बदलकर कांग्रेस से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में जाने के फैसले के बमुश्किल एक साल बाद वे अपने मंत्रालय में अनियमितताओं के आरोप में फंस गए हैं. जितिन प्रसाद उत्तर प्रदेश सरकार में लोक निर्माण विभाग के मंत्री हैं.
प्रसाद को भाजपा में शामिल होने के तुरंत बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल का सदस्य बनाया गया था.
सोमवार (18 जुलाई) को प्रसाद के विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) अनिल कुमार पांडेय को इन आरोपों के बाद हटा दिया गया था कि सार्वजनिक कार्य विभाग (पीडब्ल्यूडी) के भीतर पैसे लेकर तबादले किए जा रहे थे. मामले पर अपने आदेश में राज्य सरकार ने कहा है कि पांडेय के खिलाफ शिकायतें मिली हैं.
बयान में कहा गया है, ‘उन्हें अपने कार्य से मुक्त कर दिया गया है और वापस केंद्र सरकार को भेजा जा रहा है. उनके खिलाफ एक सतर्कता (विजिलेंस) जांच और अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई है.’
पांडेय और प्रसाद के बीच एक पुराना रिश्ता है, उन्होंने तब भी साथ काम किया था जब प्रसाद यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री थे. तब उन्हें प्रतिनियुक्ति पर लखनऊ ले जाया गया था.
मंगलवार को आदित्यनाथ ने पीडब्ल्यूडी विभाग के प्रमुख समेत पांच अधिकारियों को पैसों के बदले तबादले कराने में कथित संलिप्पता के चलते निलंबित करने का आदेश दिया था.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि मुख्य अभियंता (विकास) और एचओडी मनोज कुमार गुप्ता, मुख्य अभियंता राकेश कुमार सक्सेना, वरिष्ठ स्टाफ अधिकारी शैलेंद्र कुमार यादव, प्रशासनिक अधिकारी पंकज दीक्षित और प्रधान लिपिक संजय कुमार चौरसिया के खिलाफ कार्रवाई की गई है.
एक अधिकारी के हवाले से कहा गया, ‘यह पाया गया कि वे अनियमितताओं में शामिल थे और इसलिए उन्हें निलंबित कर दिया गया है.’
आदित्यनाथ ने 12 जुलाई को कथित अनियमितताओं को लेकर जांच के आदेश दिए थे और 16 जुलाई को रिपोर्ट पेश की गई थी. सरकारी प्रवक्ता ने बताया, ‘जांच रिपोर्ट की सिफारिशों के आधार पर कार्रवाई की गई है.’
एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘मामला पीडब्ल्यूडी में इंजीनियरों के तबादले से जुड़ा है. पिछले एक महीने में 150 से अधिक तबादले किए गए हैं और इंजीनियरों के डिविजन में बदलाव किए गए हैं. ये तबादले मनमाने लगते हैं और कुछ इंजीनियरों को नियमों से परे जाकर तय समय से अधिक समय तक एक ही पद पर रखा गया था. कुछ इंजीनियरों को एक से अधिक डिविजन में भी पोस्टिंग दी गई है.’
न्यूज18 के मुताबिक, प्रसाद मामले को लेकर आदित्यनाथ से पहले ही मिल चुके हैं और उनके केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मिलने की संभावना है.