सोशल मीडिया को उत्तर प्रदेश सरकार के जलशक्ति मंत्री दिनेश खटीक द्वारा गृह मंत्री अमित शाह को भेजा गया त्याग-पत्र वायरल हो रहा है. इसमें उन्होंने उन्हें 100 दिनों से कोई काम नहीं दिए जाने का दावा करने के साथ विभागीय तबादलों में अनियमितता का आरोप लगाया है. इधर, बताया जा रहा है कि योगी सरकार में लोक निर्माण विभाग मंत्री जितिन प्रसाद अपने ओएसडी को निलंबित किए जाने से नाराज़ हैं और भाजपा नेतृत्व से मिलने दिल्ली गए हुए हैं.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार के जलशक्ति मंत्री दिनेश खटीक ने दलित होने के चलते विभागीय अधिकारियों द्वारा उनकी अनदेखी किए जाने का आरोप लगाते हुए अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश की है. मंत्री ने विभाग में भ्रष्टाचार होने का आरोप भी लगाया है.
खटीक ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को संबोधित एक पत्र में इस्तीफे की पेशकश की है. यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है.
खटीक ने अपने पत्र में दावा किया है कि उन्हें 100 दिनों से कोई काम नहीं दिया गया है. विभागीय तबादलों में अनियमितता का आरोप लगाने वाले पत्र में वे कहते हैं, ‘मैं इसलिए इस्तीफा दे रहा हूं, क्योंकि मैं आहत हूं.’
वह तौर पर लिखते हैं, ‘मुझे कोई महत्व नहीं दिया गया, क्योंकि मैं एक दलित हूं. मेरे पास एक मंत्री के रूप में कोई अधिकार नहीं है. राज्य मंत्री के रूप में मेरा काम करना दलित समुदाय के लिए एक बेकार है. मुझे किसी बैठक के लिए नहीं बुलाया गया और न ही अपने मंत्रालय के बारे में कुछ भी बताया गया. यह दलित समुदाय का अपमान है.’
मेरठ में जब संवाददाताओं ने मंत्री खटीक से इस्तीफे के बारे में उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए सवाल किया तो उन्होंने कहा, ‘ऐसा कोई मुद्दा नहीं है.’
मेरठ में उनके करीबी सूत्रों ने बताया कि मंत्री दिल्ली गए हैं. 44 वर्षीय खटीक मेरठ की हस्तिनापुर सीट से दो बार के विधायक हैं.
जलशक्ति मंत्री के वायरल पत्र पर समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा, ‘जहां मंत्री होने का सम्मान तो नहीं, परंतु दलित होने का अपमान मिले तो ऐसी भेदभावपूर्ण भाजपा सरकार से त्यागपत्र देना ही अपने समाज का मान रखने के लिए यथोचित उपाय है.’
जहाँ मंत्री होने का सम्मान तो नहीं परंतु दलित होने का अपमान मिले… ऐसी भेदभावपूर्ण भाजपा सरकार से त्यागपत्र देना ही अपने समाज का मान रखने के लिए यथोचित उपाय है।
कभी-कभी बुलडोज़र उल्टा भी चलता है।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) July 20, 2022
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार और कुशासन की क्रॉनॉलॉजी समझिए. पहले लोक निर्माण विभाग के मंत्रालय में विद्रोह, फिर स्वास्थ्य मंत्रालय में विद्रोह और अब अब जल शक्ति मंत्रालय में विद्रोह. जनता पूछ रही है, यूपी की भाजपा सरकार ईमानदारी से बताए अब अगली बारी किसकी है?’
उप्र भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार और कुशासन की क्रॉनॉलॉजी समझिए:
– पहले लोक निर्माण विभाग के मंत्रालय में विद्रोह
– फिर स्वास्थ्य मंत्रालय में विद्रोह
– अब जल शक्ति मंत्रालय में विद्रोहजनता पूछ रही है, उप्र की भाजपा सरकार ईमानदारी से बताए… अब अगली बारी किसकी है?
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) July 20, 2022
बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार में लोक निर्माण विभाग मंत्री जितिन प्रसाद अपने ओएसडी को निलंबित किए जाने से नाराज हैं और भाजपा नेतृत्व से मिलने दिल्ली गए हुए हैं.
बहरहाल गृहमंत्री शाह को लिखे पत्र में दिनेश खटीक ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और अमित शाह के अथक परिश्रम एवं कुशल नेतृत्व में दलितों और पिछड़ों को साथ लेकर चलने के कारण आज भाजपा सरकार का गठन हुआ है.’
उन्होंने कहा, ‘जलशक्ति विभाग में दलित समाज का राज्य मंत्री होने के कारण मेरे किसी भी आदेश पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती और न ही मुझे किसी योजना के बारे में सूचना दी जाती है जोकि वर्तमान में विभाग द्वारा संचालित है.’
19 जुलाई की तारीख वाले पत्र में मंत्री ने लिखा, ‘विभाग में स्थानांतरण सत्र के दौरान बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया. अधिकारियों के स्थानांतरण से संबंधित सूचना मैंने पत्र के जरिये मांगी, तो उसकी सूचना अभी तक नहीं दी गई है.’
#UttarPradesh Minister of State for Jal Shakti department #DineshKhatik, reportedly resigned from the #YogiAdityanath-led government in the state.
Khatik, who represents the Hastinapur Assembly constituency in UP, sent his resignation letter to Union Home Minister #AmitShah. pic.twitter.com/cEsvtZ2xlg
— IANS (@ians_india) July 20, 2022
उन्होंने आरोप लगाया, ‘जब मैंने प्रमुख सचिव, सिंचाई, अनिल गर्ग को उक्त स्थिति से अवगत कराना चाहा तो उन्होंने बिना मेरी पूरी बात सुने ही टेलीफोन काट दिया और मेरी बात को अनुसना कर दिया, जो कि एक जनप्रतिनिधि का बहुत बड़ा अपमान है. मैं दलित जाति से संबंध रखने वाला मंत्री हूं, इसीलिये इस विभाग में मेरे साथ बहुत ज्यादा भेदभाव किया जा रहा है.’
खटीक ने पत्र में आरोप लगाया कि विभाग में नमामि गंगे योजना में भी व्यापक भ्रष्टाचार फैला हुआ है.
उन्होंने कहा, ‘जमीनी स्तर पर जाने के बाद इस बारे में पता चलता है और जब मैं कोई शिकायत किसी भी अधिकारी के विरूद्ध करता हूं तो उस पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती. अगर आप चाहें तो इसकी जांच किसी भी एजेंसी से करायी जा सकती है.’
मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि अधिकारी दलितों का अपमान कर रहे हैं.
मंत्री ने कहा, ‘मैं दलित समाज से हूं और दलित समाज मुझसे पूरी तरह से जुड़ा हुआ है और यह मुझसे अपेक्षा रखता है कि उनके साथ अन्याय न हो. जब मैं उनके (दलितों) साथ हो रहे अन्नाय के बारे में अधिकारियों को अवगत कराता हूं तो अधिकारी उस पर कोई कार्रवाई नहीं करते हैं, जिससे मेरा ही नहीं बल्कि पूरे दलित समाज का अपमान हो रहा है.’
खटीक ने कहा, ‘प्रधानमंत्री की योजना नमामि गंगे एवं हर घर जल योजना के नियमों की अनदेखी हो रही है. मेरे विभाग में स्थानांतरण के नाम पर गलत तरीके से धन वसूली की गई है. संज्ञान में आने पर जब मैंने विभागाध्यक्ष से इसकी सूचना मांगी तो अभी तक उनके द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई है.’
उन्होंने कहा, ‘जब विभाग में दलित समाज के राज्य मंत्री का ही कोई अस्तित्व नहीं है, तो फिर ऐसी स्थिति में राज्य मंत्री के रूप में मेरा कार्य करना दलित समाज के लिए बेकार है. इन्हीं सब बातों से आहत होकर मैं अपने पद से त्यागपत्र दे रहा हूं.’
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक अन्य मंत्री जितिन प्रसाद भी आक्रोशित बताए जा रहे हैं और दिल्ली में भाजपा नेतृत्व से मिलने दिल्ली गए हुए हैं. वर्तमान में यह किसी भी भाजपा सरकार के खिलाफ असंतोष का एक दुर्लभ उदाहरण है.
जितिन प्रसाद अपनी टीम के एक अधिकारी को मुख्यमंत्री द्वारा निलंबित किए जाने पर नाराज हैं. प्रसाद पिछले साल यूपी चुनाव से कुछ महीने पहले कांग्रेस से भाजपा में चले गए थे.
प्रसाद को लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) जैसा प्रमुख मंत्रालय दिया गया था, लेकिन विभाग पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं. मुख्यमंत्री के कार्यालय ने एक जांच का आदेश दिया और कई अधिकारियों को रिश्वत-स्थानांतरण में शामिल पाया गया.
विभागीय तबादलों में गंभीर अनियमितताओं को लेकर यूपी सरकार ने बीते बीते 18 जुलाई को पांच वरिष्ठ पीडब्ल्यूडी अधिकारियों को निलंबित कर दिया.
जितिन प्रसाद के विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) अनिल कुमार पांडेय स्थानांतरण और पोस्टिंग के लिए रिश्वत लेने के आरोपियों में शामिल थे. पांडेय एक आईएएस अधिकारी हैं.
पांडेय का विभागीय प्रमुख होने के कारण प्रसाद उनके विभाग से जुड़े भ्रष्टाचार के बारे में सवालों का सामना कर रहे हैं.
सूत्रों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ ने उन्हें तलब किया है. इसके बाद प्रसाद ने इस घटनाक्रम की करने के लिए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने की मांग की है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)