राजग प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू की जीत, देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति निर्वाचित

भाजपा के नेतृत्व वाली राजग प्रत्याशी  द्रौपदी मुर्मू इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगी. बृ​हस्पतिवार को सुबह 11 बजे शुरू हुई मतगणना में मुर्मू ने संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को तीसरे चरण की गिनती में ही हरा दिया. सिन्हा ने हार स्वीकार करते हुए उन्हें बधाई दी है.

Guwahati: Artists belonging to Tiwa community hold photos of NDA Presidential candidate Droupadi Murmu, as she leads during counting of votes to elect the 15th President, in Guwahati, Thursday, July 21, 2022. (PTI Photo)(PTI07 21 2022 000201B) Guwahati: Artists belonging to Tiwa community hold photos of NDA Presidential candidate Droupadi Murmu, as she leads during counting of votes to elect the 15th President, in Guwahati, Thursday, July 21, 2022. (PTI Photo)(PTI07 21 2022 000201B)

भाजपा के नेतृत्व वाली राजग प्रत्याशी  द्रौपदी मुर्मू इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगी. बृ​हस्पतिवार को सुबह 11 बजे शुरू हुई मतगणना में मुर्मू ने संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को तीसरे चरण की गिनती में ही हरा दिया. सिन्हा ने हार स्वीकार करते हुए उन्हें बधाई दी है.

गुवाहाटी में बृहस्पतिवार को तीवा समुदाय के कलाकार राजग की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू की तस्वीर के साथ. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू के देश की 15वीं राष्ट्रपति बनने का रास्ता साफ हो गया है. वे इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगी.

64 वर्षीय मुर्मू ने देश के 15वें राष्ट्रपति बनने के लिए निर्वाचक मंडल सहित सांसदों और विधायकों के मतपत्रों की मतगणना में 64 प्रतिशत से अधिक मान्य मत प्राप्त करने के बाद संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के खिलाफ भारी अंतर से जीत हासिल की.

10 घंटे से अधिक समय तक चली मतगणना प्रक्रिया के खत्म के बाद निर्वाचन अधिकारी पीसी मोदी ने मुर्मू को विजेता घोषित किया और कहा कि उन्हें सिन्हा के 3,80,177 मतों के मुकाबले 6,76,803 मत हासिल हुए.

केरल के एक विधायक को छोड़कर सभी विधायकों ने सिन्हा को वोट दिया, जबकि मुर्मू को आंध्र प्रदेश से सभी मत मिले.

वह स्वतंत्रता के बाद पैदा होने वाली पहली राष्ट्रपति होंगी और शीर्ष पद पर काबिज होने वाली सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति होंगी. वह राष्ट्रपति बनने वाली दूसरी महिला भी हैं.

द्रौपदी मुर्मू 25 जुलाई को पद और गोपनीयता की शपथ लेंगी. शपथ लेने के साथ ही वह आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति बन जाएंगी.

मालूम हो कि मतगणना के तीसरे दौर के बाद ही उनकी जीत पर मुहर लग गई थी, जब निर्वाचन अधिकारी ने घोषणा की कि मुर्मू को कुल मान्य मतों के 53 प्रतिशत से अधिक मत प्राप्त हो चुके है, जबकि 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मतपत्रों की गिनती चल रही थी.

मतगणना शुरू होने के तुरंत बाद और उनकी जीत तय होने के बाद उनके पैतृक शहर रायरंगपुर में ‘ओडिशा की बेटी’ को बधाई देने के लिए जश्न शुरू हुआ और लोक कलाकारों और आदिवासी नर्तकों ने सड़कों पर नृत्य किया.

उनकी जीत निश्चित लग रही थी और बीजू जनता दल (बीजद), शिवसेना, झारखंड मुक्ति मोर्चा, वाईएसआर कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) जैसे विपक्षी दलों के समर्थन से उनका पक्ष मजबूत हुआ था.

संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने अपनी हार स्वीकार करते हुए राष्ट्रपति चुनाव में जीत पर द्रौपदी मुर्मू को बधाई दी है. उन्होंने कहा, हर भारतीय यह आशा करता है कि द्रौपदी मुर्मू बिना भय अथवा पक्षपात के ‘संविधान की संरक्षक’ के तौर पर कार्य करेंगी.

उन्होंने कहा, ‘मैं निर्वाचक मंडल के सभी सदस्यों को भी धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने मुझे वोट दिया. मैंने विपक्षी दलों के प्रस्ताव को पूरी तरह से भगवद गीता में भगवान कृष्ण द्वारा दिए गए कर्म योग के उस उपदेश के आधार पर स्वीकार किया कि ‘फल की उम्मीद के बिना अपना कर्तव्य करते रहो.’

सिन्हा ने कहा, ‘मैंने अपने देश के प्रति अपने प्रेम के कारण अपना कर्तव्य पूरी ईमानदारी से निभाया है. मैंने अपने अभियान के दौरान जो मुद्दे उठाए थे, वे प्रासंगिक हैं.’

एक बयान में सिन्हा ने देश की स्थिति पर भी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत ने कभी भी ‘इतने बड़े स्तर पर राजनीतिक भ्रष्टाचार’ नहीं देखा है, और यह ‘ध्रुवीकरण की जहरीली राजनीति’ के साथ मिलकर लोकतंत्र और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए एक गंभीर खतरा है.

उन्होंने यह भी कहा कि अपने चुनाव अभियान के दौरान उन्होंने देश और आम लोगों के सामने प्रमुख मुद्दों पर विपक्षी दलों के विचारों, चिंताओं और प्रतिबद्धताओं को सामने रखने का प्रयास किया.

सिन्हा ने कहा, ‘मैंने विपक्षी दलों और उनके नेताओं के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), आयकर विभाग और यहां तक कि राज्यपाल के कार्यालयों को खुलेआम और बड़े पैमाने पर हथियार बनाने पर कड़ी चिंता व्यक्त की है.’

इस बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट कर कहा कि भारत की 15वें राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने पर द्रौपदी मुर्मू को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश का नया राष्ट्रपति चुने जाने पर द्रौपदी मुर्मू को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं. मुर्मू के आवास पर प्रधानमंत्री ने उनसे मुलाकात की. इस दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद थे.

प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा, ​‘भारत इतिहास लिख रहा है. ऐसे समय में जब 1.3 अरब भारतीय आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, पूर्वी भारत के एक दूरदराज के हिस्से में पैदा हुईं आदिवासी समुदाय से आने वाली भारत की बेटी को हमारा राष्ट्रपति चुना गया है! इस उपलब्धि के लिए द्रौपदी मुर्मू जी को बधाई.​’

उन्होंने कहा, ​‘द्रौपदी मुर्मू जी का जीवन, उनके शुरुआती संघर्ष, उनकी समृद्ध सेवा और उनकी अनुकरणीय सफलता प्रत्येक भारतीय को प्रेरित करती है. वह हमारे नागरिकों, विशेष रूप से गरीब, हाशिये पर और दलितों के लिए आशा की किरण बनकर उभरी हैं.​’

पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘द्रौपदी मुर्मू जी एक उत्कृष्ट विधायक और मंत्री रही हैं. झारखंड के राज्यपाल के रूप में उनका कार्यकाल शानदार रहा. मुझे विश्वास है कि वह एक उत्कृष्ट राष्ट्रपति होंगी, जो आगे बढ़कर नेतृत्व करेंगी और भारत की विकास यात्रा को मजबूत करेंगी.’

उन्होंने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रपति चुनाव में मुर्मू के पक्ष में मतदान करने वाले सभी सांसदों और विधायकों का धन्यवाद किया.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने द्रौपदी मुर्मू के भारत की राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर उन्हें बुधाई दी. उन्होंने ट्वीट किया, ‘द्रौपदी मुर्मू जी को भारत का 15वां राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर बधाई और शुभकामनाएं.’

मुर्मू की आदिवासी पृष्ठभूमि ने न केवल उन्हें शीर्ष पद पर पहुंचाने में मदद की, बल्कि उन्हें मैदान में उतारकर भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव के अलावा गुजरात, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों में एसटी समुदाय के महत्वपूर्ण वोटों पर भी नजर गड़ाए हुए है.

ओडिशा में अपने पैर जमाने का प्रयास कर रही भाजपा का ध्यान आदिवासी बहूल मयूरभंज पर हमेशा से रहा है. बीजद ने 2009 में भाजपा से नाता तोड़ लिया था और तब से इसने ओडिशा पर अपनी पकड़ मजबूत कर रखी है. मुर्मू ने 2014 का विधानसभा चुनाव रायरंगपुर से लड़ा था, लेकिन वह बीजद उम्मीदवार से हार गई थीं.

मुर्मू का जन्म 20 जून, 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले में हुआ था. 1997 में ओडिशा के रायरंगपुर नगर पंचायत में एक पार्षद के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था. 2000 से 2004 तक ओडिशा की बीजद-भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री बनीं. वर्ष 2015 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया और 2021 तक इस पद पर रहीं.

संथाल समुदाय से ताल्लुक रखने वाली द्रौपदी मुर्मू संथाली और ओडिया भाषाओं में एक उत्कृष्ट वक्ता हैं. उन्होंने क्षेत्र में सड़कों और बंदरगाहों जैसे बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है.

बेहद पिछड़े और दूरदराज के जिले से ताल्लुक रखने वालीं मुर्मू ने गरीबी और अन्य समस्याओं से जुझते हुए भुवनेश्वर के रमादेवी महिला कॉलेज से कला में स्नातक किया और ओडिशा सरकार के सिंचाई और बिजली विभाग में एक कनिष्ठ सहायक के रूप में अपना करिअर शुरू किया था.

मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ और दंपति के तीन संतान- दो बेटे और एक बेटी हुईं. मुर्मू का जीवन व्यक्तिगत त्रासदियों से भरा रहा है, क्योंकि 2009 से लेकर 2015 तक की छह वर्षों की अवधि में उन्होंने अपने पति और दोनो बेटों को खो दिया है.

रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति भवन को कहेंगे अलविदा

देश के 14वें राष्ट्रपति के तौर पर 25 जुलाई 2017 को शपथ लेने वाले रामनाथ कोविंद पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद रविवार 24 जुलाई को राष्ट्रपति भवन से विदाई लेंगे. उनके कार्यकाल के दौरान ही कोरोना वायरस महामारी का अप्रत्याशित दौर आया.

कोविंद ने जमीनी स्तर से लेकर शीर्ष न्यायालय व संसद तक कार्य के अपने वृहद अनुभव से राष्ट्रपति कार्यालय को समृद्ध किया.

राष्ट्रपति भवन के मुताबिक, उन्होंने जून तक 33 देशों की यात्रा की थी और भारत की वैश्विक पहुंच और प्रभाव को बढ़ाया. भारत के राष्ट्रपति के रूप में उन्हें छह देशों – मेडागास्कर, इक्वेटोरियल गिनी, एस्वातीनी, क्रोएशिया, बोलीविया और गिनी गणराज्य से सर्वोच्च राजकीय सम्मान प्राप्त हुए.

कोविंद ने भारत के सशस्त्र बलों के सुप्रीम कमांडर के तौर पर मई 2018 में लद्दाख के सियाचिन में दुनिया के सबसे ऊंचे रण ‘कुमार पोस्ट’ की ऐतिहासिक यात्रा की थी.

उनका जन्म उत्तर प्रदेश में कानपुर जिले के गांव परौंख में सामान्य परिवार में हुआ था. वह अपनी कड़ी मेहनत से वकील बने, सांसद बने और फिर बिहार के राज्यपाल बने. इसके बाद वह राष्ट्रपति बने.

उन्होंने 1971 में दिल्ली बार काउंसिल में वकील के तौर पर पंजीकरण कराया था. वह 1977 से 1979 तक दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र सरकार के वकील रहे थे.

वह 1978 में सुप्रीम कोर्ट में ‘एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड’ बने. वह 1980 से 1993 तक शीर्ष अदालत में केंद्र सरकार के स्थायी अधिवक्ता रहे.

कोविंद 1994 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्य बने. वह लगातार दो कार्यकाल के लिए मार्च 2006 तक उच्च सदन के सदस्य रहे.

कोविंद को आठ अगस्त 2015 को बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया था.

वह शीर्ष संवैधानिक पद पर पहुंचने वाले दूसरे दलित हैं. इससे पहले 25 जुलाई 1997 से 25 जुलाई 2002 तक केआर नारायण राष्ट्रपति रह चुके हैं. कोविंद की पत्नी सविता कोविंद हैं और उनका एक बेटा और एक बेटी है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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