पश्चिम बंगाल: शिक्षक भर्ती घोटाले में मंत्री पार्थ चटर्जी गिरफ़्तार, उनकी सहयोगी भी हिरासत में

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बीते 22 जुलाई को पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच के सिलसिले में दो मंत्रियों सहित क़रीब 12 व्यक्तियों के घरों पर एक साथ छापेमारी की थी और लगभग 20 करोड़ रुपये नकद ज़ब्त किए थे. इसी कड़ी में राज्य के उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी को गिरफ़्तार किया गया है. यह मामला तब का है, जब चटर्जी राज्य के शिक्षा मंत्री हुआ करते थे.

/
पार्थ चटर्जी. (फोटो साभार: फेसबुक)

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बीते 22 जुलाई को पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच के सिलसिले में दो मंत्रियों सहित क़रीब 12 व्यक्तियों के घरों पर एक साथ छापेमारी की थी और लगभग 20 करोड़ रुपये नकद ज़ब्त किए थे. इसी कड़ी में राज्य के उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी को गिरफ़्तार किया गया है. यह मामला तब का है, जब चटर्जी राज्य के शिक्षा मंत्री हुआ करते थे.

पार्थ चटर्जी. (फोटो साभार: फेसबुक)

कोलकाता: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने स्कूलों में नौकरियों संबंधी कथित घोटाले की जांच के सिलसिले में पश्चिम बंगाल के उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी को शनिवार को गिरफ्तार कर लिया. एजेंसी के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. बाद में, कोलकाता की एक अदालत ने शिक्षक भर्ती घोटाले के सिलसिले में चटर्जी को दो दिन के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया.

जब यह कथित घोटाला हुआ था, उस समय चटर्जी राज्य के शिक्षा मंत्री थे. तृणमूल कांग्रेस के महासचिव चटर्जी से जांच के सिलसिले में शुक्रवार सुबह से पूछताछ की जा रही थी. उन्हें करीब 26 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया.

तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, ‘हम स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए हैं. हम उचित समय पर इस मामले पर बयान जारी करेंगे.’

इस बीच, विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय को विधानसभा के किसी सदस्य को गिरफ्तार करने से पहले अध्यक्ष को इसके बारे में सूचित करना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘ईडी या सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) को किसी भी सांसद या विधायक को गिरफ्तार करते समय लोकसभा या विधानसभा के अध्यक्ष को सूचित करना होता है. यह संवैधानिक नियम है, लेकिन चटर्जी की गिरफ्तारी के बारे में ईडी से मुझे कोई सूचना नहीं मिली.’

एजेंसी के एक अधिकारी ने बताया कि ईडी ने चटर्जी की करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी को भी हिरासत में ले लिया, जिनके एक परिसर से लगभग 20 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गई थी.

ईडी के अधिकारी ने कहा, ‘चटर्जी हमारे उन अधिकारियों के साथ सहयोग नहीं कर रहे थे जो उनसे शुक्रवार सुबह से पूछताछ कर रहे थे.’

गिरफ्तारी के बाद चटर्जी को जोका स्थित एक ईएसआई अस्पताल ले जाया गया और उनकी चिकित्सकीय जांच की गई. चटर्जी जब अस्पताल से बाहर आ रहे थे, तब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से संपर्क करने की कोशिश की. इसके जवाब में चटर्जी ने कहा, ‘मैंने कोशिश की थी, लेकिन मेरा (उनसे) संपर्क नहीं हो सका.’

बाद में, उन्हें बैंकशाल अदालत में एक जज के समक्ष पेश किया गया. जज ने चटर्जी को दो दिन के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया.

मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) अदालत ने मामले की सुनवाई नहीं की, क्योंकि आज शनिवार का दिन है.

बता दें कि कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश के तहत केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) सरकार द्वारा प्रायोजित और सहायता प्राप्त स्कूलों में समूह सी और डी कर्मचारियों के साथ-साथ शिक्षकों की भर्ती में कथित अनियमितताओं की जांच कर रहा है. ईडी घोटाले में राशि कहां से आई और कहां गई, इसकी पड़ताल कर रही है.

वर्ष 2014 से 2021 तक राज्य के शिक्षा मंत्री रहे चटर्जी से इस साल अप्रैल और मई में सीबीआई ने भी इस घोटाले के सिलसिले में पूछताछ की थी.

बहरहाल, विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर इस घटनाक्रम के बाद निशाना साधा है और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से जवाब मांगा है.

भाजपा ने मांग की है कि जांच एजेंसियों को तृणमूल कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से पूछताछ करनी चाहिए.

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, ‘मुख्यमंत्री को एक कैबिनेट मंत्री की गिरफ्तारी को लेकर बयान जारी करना चाहिए. यह गिरफ्तारी साबित करती है कि तृणमूल गहराई तक भ्रष्टाचार में डूबी है.’

उन्होंने आरोप लगाया कि टीएमसी नेताओं ने विभिन्न पदों पर भर्ती के सिलसिले में वर्षों से भारी धनराशि जमा की है. उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का स्पष्ट संदर्भ देते हुए कहा कि इस बात पर कोई विश्वास नहीं करेगा कि उसके (तृणमूल कांग्रेस के) ‘आलाकमान’ को इसकी जानकारी नहीं थी.

किसी का नाम लिए बगैर घोष ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘अब तक सामने आए सबूतों के आधार पर शीर्ष नेतृत्व से पूछताछ की जानी चाहिए.’

केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि टीएमसी प्रमुख बनर्जी, केंद्रीय जांच एजेंसियों को ‘बदनाम’ करने के लिए विभिन्न विपक्षी दलों के अभियान में सबसे आगे रही हैं. उन्होंने कहा कि यह ‘चोर मचाए शोर’ का मामला है.

भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि चटर्जी की गिरफ्तारी तृणमूल नेताओं द्वारा अपनाए गए ‘विकास के बंगाल मॉडल’ को दर्शाती है.

उन्होंने कहा, ‘तृणमूल के मंत्रियों और नेताओं की भ्रष्टाचार में संलिप्तता ‘विकास के बंगाल मॉडल’ का उदाहरण है. जब्त की गई 20 करोड़ रुपये की राशि तो इसका छोटा-सा हिस्सा है. मुख्यमंत्री को इस पर जवाब देना चाहिए.’

चटर्जी की सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के संबंध में भाजपा नेताओं ने कहा कि मुखर्जी के घर से जब्त नकदी के जरिये टीएमसी के भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ है.

बनर्जी पर कटाक्ष करते हुए चंद्रशेखर ने कहा कि वह चटर्जी की प्रशंसा कर रही थीं और अब, लोग जानते हैं कि उनकी सराहना शायद भ्रष्टाचार के पैसे को संभालने के लिए की गई थी.

सोनिया गांधी से ईडी की पूछताछ के खिलाफ कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन के स्पष्ट संदर्भ में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह इन एजेंसियों को बदनाम करने और डराने-धमकाने की कोशिश कर रही हैं, और इसी तरह का नाटक हाल में यहां देखा गया था.

चंद्रशेखर ने टीएमसी से पूछा, ‘धरने और नाटक का समय अब समाप्त हो गया है. अब असली सवालों के जवाब देने का समय है. पैसा कहां से आया?’

इस बीच, इंडिया टुडे की एक खबर के मुताबिक कोलकाता के मेयर फिरहाद हाकिम ने कहा है कि चटर्जी ने भाजपा में शामिल होने से इनकार कर दिया था, इसलिए उन्हें फंसाया गया है.

उन्होंने कहा, ‘हम फिर कहते हैं कि अगर (उन्हें) कानून के तहत दोषी पाया जाता है, तो टीएमसी कड़ी कार्रवाई करेगी और टीएमसी का अर्पिता मुखर्जी के साथ कोई संबंध नहीं है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)