समान नागरिक संहिता 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान सत्तारूढ़ भाजपा के चुनावी वादों में से एक रहा है. केंद्रीय विधि मंत्री किरेन रिजीजू ने लोकसभा में जानकारी दी कि समान नागरिक संहिता को लेकर कुछ रिट याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं, इसलिए इस संबंध में कोई फैसला नहीं लिया गया है.
नई दिल्ली: सरकार ने शुक्रवार (22 जुलाई) को लोकसभा को बताया कि देश में समान नागरिक संहिता को लागू करने के संदर्भ में अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ है, क्योंकि मामला अदालत के समक्ष विचाराधीन है.
केंद्रीय विधि मंत्री किरेन रिजीजू ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता को लेकर कुछ रिट याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं.
मंत्री ने कहा, ‘मामला अदालत के विचाराधीन है, ऐसे में देश में समान नागरिक संहिता लागू करने के बारे में कोई निर्णय नहीं हुआ है.’
मंत्री ने कहा कि विधायी हस्तक्षेप लिंग और धर्म तटस्थ समान कानूनों को सुनिश्चित करते हैं. संविधान के अनुच्छेद 44 में यह प्रावधान है कि राज्य भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा.
व्यक्तिगत कानून जैसे कि निर्वासन और उत्तराधिकार, वसीयत, संयुक्त परिवार और विभाजन, विवाह और तलाक, संविधान की 7वीं अनुसूची की सूची-III-समवर्ती सूची की प्रविष्टि 5 से संबंधित हैं.
उन्होंने आगे कहा, ‘इसलिए राज्यों को भी उन पर कानून बनाने का अधिकार है. भारत के 21वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता से संबंधित विभिन्न मुद्दों की जांच की और व्यापक चर्चा के लिए अपनी वेबसाइट पर ‘परिवार कानून में सुधार’ शीर्षक से एक परामर्श पत्र अपलोड किया है.’
समान नागरिक संहिता 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान सत्तारूढ़ भाजपा के चुनावी वादों में से एक रहा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)