पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना से टकराव के बाद भारत ने अप्रैल 2020 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश संबंधी नीति में परिवर्तन किए थे और भारत के साथ ज़मीनी सीमा साझा करने वाले देशों से आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए सरकारी मंजू़री को अनिवार्य कर दिया था. अब सूचना के अधिकार से सामने आया है कि बीते दो सालों में सरकार ने क़रीब 80 चीनी एफडीआई प्रस्तावों को स्वीकृति दे दी है.
नई दिल्ली: सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत प्राप्त जानकारी से पता चला है कि पिछले दो सालों में भारत में निवेश करने संबंधी चीन के करीब 80 प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रस्तावों को मंजूरी मिली है.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दो सालों में भारत से जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों की तरफ से आए 80 एफडीआई प्रस्तावों को भारत में निवेश करने की अनुमति दी गई. लगभग सभी प्रस्ताव चीन से थे.
यह जानकारी आरटीआई के तहत उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) से प्राप्त हुई है.
जब मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी ने भारत में पैर पसारे तो चीनी कंपनियों द्वारा घाटे में चल रहीं भारतीय कंपनियों के संभवत: उनकी आर्थिक स्थिति का लाभ उठाकर अवसरवादी अधिग्रहण को रोकने के उद्देश्य से सरकार ने 18 अप्रैल 2020 को एफडीआई नीति में परिवर्तन किए थे.
इसने भारत के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों से एफडीआई के लिए सरकारी मंजूरी को अनिवार्य कर दिया. इससे पहले गैर-महत्वपूर्ण क्षेत्रों में इनमें से कुछ प्रस्तावों को स्वचालित मार्ग के तहत मंजूरी दी जा सकती थी.
यह फैसला तब लिया गया था जब अप्रैल-मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना निर्माण कार्य करने लगी थी, जिसने 15 जून 2020 को हिंसक रूप ले लिया और चीन के साथ टकराव में 20 भारतीय सैनिक मारे गए.
द हिंदू द्वारा दायर एक आरटीआई के जवाब में डीपीआईआईटी ने कहा, ‘18 अप्रैल 2020 से भारत से जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों की ओर से 388 एफडीआई प्रस्ताव सरकार ने प्राप्त किए हैं.’
जवाब में आगे कहा गया है, ‘388 में से 80 प्रस्तावों को निवेश की अनुमति दी गई थी. इस विभाग में स्वीकृत प्रस्तावों के सेक्टर-वाइज विभाजन की जानकारी नहीं रखी जाती है.’
हालांकि, मार्च में वाणिज्य मंत्रालय ने संसद को सूचित किया था कि 18 अप्रैल 2020 से 1 मार्च 2022 तक भारत के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों से कुल 13,624 करोड़ रुपये का निवेश आया है.
दवाओं और फार्मास्युटिकल्स क्षेत्र में 5,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया और 2,907 करोड़ रुपये का निवेश सेवा क्षेत्र में किया गया.
अक्टूबर 2020 में चीनी एफडीआई प्रस्तावों के लिए सुरक्षा मंजूरी की बारीकी से जांच के लिए केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में एक एफडीआई प्रस्ताव समीक्षा समिति का भी गठन किया गया था, डीआईपीपी के सचिव भी उसके सदस्य थे.