लोकसभा में दिए गए आंकड़ों से पता चलता है कि 11,420 फेमा मामलों को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले तीन वर्षों में जांच के लिए लिया गया था. पहले कार्यकाल के पहले तीन वर्षों में ये सिर्फ 4,424 मामलों थे, जो 158 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है. मनी लॉन्ड्रिंग के तहत 2014-15 से 2016-17 के बीच 489 मामलों की तुलना में 2019-20 से 2021-22 में 2,723 मामले दर्ज किए गए, जो कि 456 प्रतिशत का उछाल है.
नई दिल्ली: विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) और मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज मामलों की कुल संख्या भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र की राजग सरकार के पहले कार्यकाल (2014-15 से 2016-17) की तुलना में दूसरे कार्यकाल (2019-20 से 2021-22) के पहले तीन वर्षों में लगभग तीन गुना बढ़ गई है.
सरकार ने बताया है कि पिछले 10 वर्षों में फेमा के प्रावधानों के तहत लगभग 24,893 मामले, जबकि मनी लॉन्ड्रिंग के तहत 3,985 मामले दर्ज किए गए. लोकसभा में राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने यह जानकारी दी. सदस्य ने पिछले 10 वर्षों में प्रवर्तन निदेशालय के अधीन दर्ज मामलों का ब्योरा मांगा था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा सोमवार को लोकसभा में एक लिखित उत्तर में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, ईडी ने फेमा और मनी लॉन्ड्रिंग के तहत 2019-20 और 2021-22 के बीच 14,143 मामले दर्ज किए, जबकि 2014-15 और 2016-17 में 4,913 मामले दर्ज किए गए थे, जो कि करीब 187 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी है.
आंकड़ों से पता चलता है कि 11,420 फेमा मामलों को दूसरे कार्यकाल के पहले तीन वर्षों में जांच के लिए लिया गया था. राजग के पहले कार्यकाल के पहले तीन वर्षों में ये सिर्फ 4,424 मामलों थे, जो 158 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है.
मनी लॉन्ड्रिंग के तहत दर्ज मामलों में इस अवधि में पांच गुना से अधिक की वृद्धि हुई. 2014-15 से 2016-17 के बीच 489 मामलों की तुलना में 2019-20 से 2021-22 में 2,723 मामले दर्ज किए गए, जो कि 456 प्रतिशत का उछाल है.
साल दर साल के आंकड़ों के मुताबिक, मोदी सरकार के पिछले आठ सालों में मनी लॉन्ड्रिंग और फेमा के सबसे ज्यादा मामले साल 2021-22 में देखे गए. 2021-22 में ईडी ने फेमा के तहत 5,313 मामले दर्ज किए (पिछला उच्च स्तर 2017 18 में 3,627 मामले थे) और मनी लॉन्ड्रिंग के तहत 1,180 मामले दर्ज किए गए, जो 2020 21 में 981 मामले थे.
चौधरी ने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) एक जांच एजेंसी है, जिसे फेमा, मनी लॉन्ड्रिंग और भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम (एफईओए) के प्रावधानों को लागू करने का अधिकार सौंपा गया है.
उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2012-13 से 2021-22 के दौरान पिछले 10 वर्षों में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों के तहत लगभग 24,893 मामले, जबकि मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम के तहत 3,985 मामले दर्ज किए गए.
रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि 22,130 फेमा मामले या कुल मामलों का 89 प्रतिशत, पिछले आठ वर्षों में दायर किए गए थे. इसी तरह मनी लॉन्ड्रिंग के 3,555 मामले या कुल 3,985 मामलों का 89 प्रतिशत मामले पिछले आठ वर्षों में दर्ज किए गए.
वित्त राज्य मंत्री चौधरी द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, 31 मार्च 2022 तक ईडी ने कानून बनने के बाद से मनी लॉन्ड्रिंग के तहत कुल 5,422 मामले दर्ज किए थे, जिनमें से 65.66 प्रतिशत पिछले आठ वर्षों में दर्ज किए गए थे.
उन्होंने कहा कि मामले दर्ज होने के बाद मनी लॉन्ड्रिंग के प्रावधानों के तहत करीब 1,04,702 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गई, 992 मामलों में अभियोग शिकायत दर्ज की गई, जिसके परिणामस्वरूप 869.31 करोड़ रुपये की जब्ती की गई और 23 अभियुक्तों को दोषी करार दिया गया.
इसी तरह, 31 मार्च 2022 तक फेमा के तहत कुल 30,716 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 72 प्रतिशत पिछले आठ वर्षों में दर्ज किए गए.
वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि मामला दर्ज किए जाने के बाद इसके तहत 8,109 कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं तथा 6,472 मामलों में न्याय एवं निर्णय किया गया और लगभग 8,130 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया. इसके साथ फेमा के तहत लगभग 7,080 करोड़ रुपये की परिसंपत्तियां जब्त की गई हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)