कांगो: यूएन-विरोधी प्रदर्शनों के दौरान शांति मिशन में शामिल दो बीएसएफ कर्मियों की मौत

संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के तहत कांगो में तैनात सीमा सुरक्षा बल दो कर्मियों की 26 जुलाई को हिंसक प्रदर्शनों के दौरान मौत हो गई. दोनों राजस्थान के रहने वाले थे. पूर्वी कांगो में संयुक्त राष्ट्र मिशन के ख़िलाफ़ दो दिनों से चल रहे प्रदर्शनों में कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई है और 50 लोग घायल हुए हैं.

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कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के उत्तरी किवु प्रांत के गोमा में 25 जुलाई, 2022 को कांगो के प्रदर्शनकारियों ने संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के गोदाम के बाहर आग लगा दी. फोटो: रॉयटर्स)

संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के तहत कांगो में तैनात सीमा सुरक्षा बल दो कर्मियों की 26 जुलाई को हिंसक प्रदर्शनों के दौरान मौत हो गई. दोनों राजस्थान के रहने वाले थे. पूर्वी कांगो में संयुक्त राष्ट्र मिशन के ख़िलाफ़ दो दिनों से चल रहे प्रदर्शनों में कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई है और 50 लोग घायल हुए हैं.

पूर्वी कांगो में संयुक्त राष्ट्र मिशन के खिलाफ दो दिनों से चल रहे प्रदर्शनों में कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई है. (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली/संयुक्त राष्ट्र/किन्शासा: संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के तहत कांगो में तैनात सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के दो कर्मियों की मंगलवार को हिंसक प्रदर्शनों के दौरान मौत हो गई. बल के एक प्रवक्ता और संयुक्त राष्ट्र ने यह जानकारी दी.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सैनिकों की मौत पर दुख जताते हुए शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की.

दोनों सैनिक कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन का हिस्सा थे. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राजस्थान के रहने वाले दोनों बीएसएफ कर्मी हेड कांस्टेबल थे.

अंतरराष्ट्रीय मीडिया के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र मिशन के खिलाफ कांगो के पूर्वी शहर गोमा में हुए प्रदर्शन के दूसरे दिन कम से कम पांच लोग मारे गए और लगभग 50 अन्य घायल हो गए.

बल के एक प्रवक्ता ने कहा, ’26 जुलाई को, कांगो के बुटेम्बो में तैनात संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक दल में शामिल बीएसएफ के दो कर्मियों ने हिंसक सशस्त्र विरोध के दौरान घायल होने के बाद दम तोड़ दिया.’

अधिकारियों ने कहा कि 70 से 74 बीएसएफ जवानों की दो पलटन इलाके में तैनात थी.

जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘कांगो में बीएसएफ के दो बहादुर भारतीय शांति सैनिकों की मौत पर गहरा दुख हुआ. वे संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन का हिस्सा थे. इन आक्रोशपूर्ण हमलों के अपराधियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और उन्हें न्याय के कठघरे में खड़ा किया जाना चाहिए.’

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के उप प्रवक्ता, फरहान हक ने मंगलवार को दैनिक प्रेस वार्ता में कहा कि कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के खिलाफ हिंसा बढ़ती जा रही है.

उन्होंने कहा, ‘दुर्भाग्य से, एक शांति सैनिक और दो संयुक्त राष्ट्र पुलिस कर्मी मारे गए और एक अन्य घायल हो गया. हम अपने सहयोगियों की हत्या की निंदा करते हैं और उनके परिवारों व सहयोगियों के प्रति गहरी सहानुभूति व्यक्त करते हैं.’

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, अधिकारियों ने कहा कि 500 ​​से अधिक प्रदर्शनकारियों ने बुटेम्बो में एक शिविर पर हमला किया, जहां भारतीय शांति रक्षक मोरक्को के सैनिकों के साथ तैनात हैं, जहां बीएसएफ के दो जवानों की मौत हो गई. हमलों में मोरक्को का एक कर्मी भी मारा गया.

कांगो पुलिस और सेना के सैनिक प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने में असमर्थ थे, जिन्होंने शुरू में शांति सैनिकों पर पथराव किया था. मोरक्को के सैनिकों ने हवा में गोलीबारी की, जबकि बीएसएफ कर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े. प्रदर्शनकारियों ने तीन स्थानों पर दीवार को तोड़ दिया.

अधिकारियों ने कहा कि हालांकि प्रदर्शनकारियों को खदेड़ दिया गया था, वे फिर से दूसरे हमले के लिए एकत्र हुए, जो अधिक उग्र था. ऐसी भी खबरें थीं कि दूसरे हमले के दौरान सशस्त्र विद्रोहियों ने प्रदर्शनकारियों में घुसपैठ की और छोटे हथियारों का इस्तेमाल किया.

अधिकारियों ने कहा कि जवाब में मोरक्को और भारतीय सैनिकों ने आत्मरक्षा में गोलीबारी की.

बीते 2 जून से बुटेम्बो के शिविर में बीएसएफ की दो प्लाटून तैनात की गई हैं. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त संयुक्त राष्ट्र शांति सेना को इलाके में भेजा गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान संयुक्त राष्ट्र मिशन, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में संयुक्त राष्ट्र संगठन स्थिरीकरण मिशन (एमओएनयूएससीओ) 2010 के पहले का ही एक मिशन है जिसे आगे बढ़ाया जा रहा है. इस मिशन के तहत वर्तमान में इसके पास जमीन पर 17,000 से अधिक कर्मचारी हैं. इसमें पाकिस्तान के बाद 2,000 कर्मियों के साथ भारत दूसरा सबसे बड़ा सैन्य योगदानकर्ता है.

भारतीय सैनिकों को 1960 से संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के रूप में डीआरसी में तैनात किया है. नवीनतम घातक घटनाओं के साथ भारत ने मध्य अफ्रीकी राष्ट्र में 53 सैनिकों को खो दिया है.

पूर्वी कांगो में संयुक्त राष्ट्र-विरोधी प्रदर्शनों में 15 लोगों की मौत, 50 घायल

पूर्वी कांगो में संयुक्त राष्ट्र मिशन के खिलाफ दो दिनों से चल रहे प्रदर्शनों में कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई है तथा कई घायल हुए हैं.

संयुक्त राष्ट्र ने पुष्टि की कि नॉर्थ कीवु प्रांत के बुटेम्बो में संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा बल के साथ काम कर रहे एक शांति रक्षक तथा दो अंतरराष्ट्रीय पुलिसकर्मियों की मौत हो गई है तथा एक अन्य घायल हो गया है.

उसने बताया कि हिंसक हमलावरों ने कांगो के पुलिसकर्मियों से हथियार छीने और संयुक्त राष्ट्र कर्मियों पर गोलियां चला दीं.

संयुक्त राष्ट्र के उप प्रवक्ता फरहान हक ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षकों समेत असैन्य नागरिकों के मारे जाने की खबरों की जांच की जाएगी.

उन्होंने बताया कि मंगलवार को सैकड़ों हमलावरों ने गोमा के साथ ही नॉर्थ कीवु के अन्य हिस्सों में संयुक्त राष्ट्र बल के अड्डों पर फिर से हमला किया.

हक ने कहा, ‘भीड़ पथराव कर रही है और पेट्रोल बम फेंक रही है, संयुक्त राष्ट्र बल के अड्डों में घुस रही है, लूटपाट, तोड़फोड़ और आगजनी कर रही है. हम त्वरित प्रतिक्रिया बलों को भेजकर स्थिति संभालने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हिंसा के खत्म होने का कोई संकेत नहीं मिला है.’

कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के उत्तरी किवु प्रांत के गोमा में 25 जुलाई, 2022 को कांगो के प्रदर्शनकारियों ने संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के गोदाम के बाहर आग लगा दी. (फोटो: रॉयटर्स)

कांगो पुलिस ने बताया कि गोमा में कम से कम छह लोगों और बुटेम्बो में आठ नागरिकों की मौत हुई है.

इससे पहले, सरकार के प्रवक्ता पैट्रिक मुयाया ने बताया था कि सोमवार तक कम से कम पांच लोग मारे गए थे और करीब 50 घायल हुए हैं.

वहीं, प्रदर्शनकारियों ने इन मौतों के लिए शांतिरक्षकों द्वारा गोलियां चलाए जाने को जिम्मेदार ठहराया है.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, बुटेम्बो में हिंसा सोमवार को पास के शहर गोमा में विरोध प्रदर्शन के एक दिन बाद हुई. कांगो में सत्तारूढ़ दल से जुड़े समूहों ने सप्ताह की शुरुआत से ही देश भर में एमओएनयूएससीओ (MONUSCO) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था.

एक स्थानीय सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि सोमवार को पूर्वी कांगो के गोमा में एमओएनयूएससीओ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में कम से कम पांच लोग मारे गए और लगभग 50 अन्य घायल हो गए.

सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने शहर में सड़कों को अवरुद्ध कर दिया और मोनुस्को के स्थानीय मुख्यालय और एक रसद बेस पर धावा बोलने से पहले संयुक्त राष्ट्र के खिलाफ नारेबाजी की.

प्रदर्शनकारियों ने मुख्यालय में कार्यालयों में लूटपाट की और नागरिकों की रक्षा करने में विफल रहने पर शांति सैनिकों से क्षेत्र छोड़ने की मांग की.

मोनुस्को को पूर्वी कांगो में लड़ाई को रोकने में अपनी स्पष्ट अक्षमता के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है, जो मिलिटेंट हिंसा से त्रस्त है. स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस क्षेत्र में 120 से अधिक सशस्त्र मिलिशिया सक्रिय हैं, जहां लड़ाई में लाखों लोग विस्थापित हुए हैं.

मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि गोमा में विरोध कांगो के सीनेट के अध्यक्ष मोडेस्टे भाटी द्वारा 15 जुलाई को शहर में समर्थकों से कहा गया था कि एमओएनयूएससीओ को ‘अपना बैग पैक’ करना चाहिए.

भारत दुनिया भर में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में सैनिकों के सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक है. 1950 में कोरिया में संयुक्त राष्ट्र बहुराष्ट्रीय बल में भाग लेने के बाद से, भारत ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्थापित 71 शांति अभियानों में से 51 के लिए सेना भेजी है. इसने दशकों से इन मिशनों के लिए 264,000 से अधिक कर्मियों का योगदान दिया है.

भारतीय सेना वर्तमान में दुनिया भर में संयुक्त राष्ट्र के 14 मिशनों में से आठ में मौजूद है. भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों के 6,700 से अधिक जवान वर्तमान में इन मिशनों के साथ तैनात हैं.

दुनिया भर में 160 से अधिक भारतीय शांति सैनिकों ने अपनी जान गंवाई है, जो किसी भी सैन्य योगदान देने वाले देश के लिए सबसे अधिक संख्या है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)