ज़मीन के बदले नौकरी घोटाला: सीबीआई ने लालू यादव के पूर्व ओएसडी को गिरफ़्तार किया

भोला यादव बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान उनके ओएसडी थे. आरोप है कि भोला ने नौकरियां दिलाने और बाद में लालू के परिवार को ज़मीन हस्तांतरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. एजेंसी ने एक रेलवे कर्मचारी हृदयानंद चौधरी को भी गिरफ़्तार किया है, जो घोटाले के कथित लाभार्थी हैं.

लालू प्रसाद यादव और भोला यादव. (फोटो साभार: फेसबुक/Bhola Yadav)

भोला यादव बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान उनके ओएसडी थे. आरोप है कि भोला ने नौकरियां दिलाने और बाद में लालू के परिवार को ज़मीन हस्तांतरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. एजेंसी ने एक रेलवे कर्मचारी हृदयानंद चौधरी को भी गिरफ़्तार किया है, जो घोटाले के कथित लाभार्थी हैं.

लालू प्रसाद यादव और भोला यादव. (फोटो साभार: फेसबुक/Bhola Yadav)

नई दिल्ली: केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के सहयोगी भोला यादव को रेलवे में ‘जमीन के बदले नौकरी’ घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया है. प्रसाद जब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में रेल मंत्री थे, तब यह कथित घोटाला हुआ था.

अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने बुधवार को यादव के चार परिसरों में छापेमारी भी की. इनमें दरभंगा और पटना में दो-दो परिसर शामिल हैं. भोला यादव 2005 और 2009 के बीच तत्कालीन रेल मंत्री प्रसाद के विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) थे.

अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी ने एक रेलवे कर्मचारी हृदयानंद चौधरी को भी गिरफ्तार किया है, जो घोटाले के कथित लाभार्थी हैं.

द हिंदू के मुताबिक, एक अन्य कथित लाभार्थी धर्मेंद्र राय को करीब दो हफ्ते पहले गिरफ्तार किया गया था.

भोला यादव को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) समर्थकों के बीच लालू प्रसाद के ‘हनुमान’ या ‘परछाई’ के रूप में जाना जाता है. सीबीआई ने भोला यादव से घोटाले के संबंध में पूछताछ की.

इस घोटाले में नौकरी के आकांक्षी उम्मीदवारों के परिवारों से पटना में एक लाख वर्ग फुट से अधिक भूमि कथित तौर पर रेलवे में ग्रुप-डी की ‘सब्सीट्यूट’ के तौर पर नौकरी के बदले में लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों के नाम खरीदी गई या उन्हें हस्तांतरित किया गया.

सीबीआई को संदेह है कि भोला यादव ने नौकरियां दिलाने और बाद में लालू प्रसाद के परिवार को जमीन हस्तांतरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

एजेंसी के एक प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, ‘जांच के दौरान यह पता चला कि पूर्व रेल मंत्री के तत्कालीन ओएसडी, ‘सब्सीट्यूट’ की नियुक्ति में कथित साजिश में शामिल थे. यह भी आरोप है कि आरोपी ‘सब्सीट्यूट’ के परिवार के सदस्यों से भूमि पूर्व रेल मंत्री के परिवार के सदस्यों के नाम हस्तांतरण से संबंधित मामलों का प्रबंधन कर रहे थे.’

सीबीआई ने कहा कि भोला यादव ने इस दौरान कुछ संपत्तियां भी खरीदीं.

लालू प्रसाद के ‘करीबी सहयोगी’ माने जाने वाले भोला यादव ने चुनावी राजनीति में कदम रखा था और 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में राजद के टिकट पर दरभंगा की बहादुरपुर सीट पर जीत दर्ज की थी. उन्होंने 2020 में सीट को उसी जिले के हयाघाट से बदलने का फैसला किया, हालांकि वह चुनाव हार गए.

अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने 18 मई को लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटियों मीसा भारती और हेमा यादव के अलावा मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर के रेलवे जोन में नौकरी लेने वाले 12 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी.

एजेंसी ने आरोप लगाया है कि पटना में करीब 1.05 लाख वर्ग फुट जमीन प्रसाद के परिवार के सदस्यों ने विक्रेताओं को नकद भुगतान करके हासिल की थी.

एफआईआर में आरोप लगाया गया है, उपरोक्त सात भूखंडों का वर्तमान मूल्य, जिसमें उपहार के माध्यम से प्राप्त भूमि भी शामिल है, मौजूदा सर्कल रेट के अनुसार लगभग 4.39 करोड़ रुपये है. पूछताछ में पता चला है कि जमीन के भूखंड को मौजूदा सर्किल दरों से कम दरों पर खरीदा गया था और इसे लालू प्रसाद यादव के परिवार के सदस्यों द्वारा सीधे विक्रेताओं से खरीदा गया था.

इसने कहा कि जाली दस्तावेजों के आधार पर बिना किसी विज्ञापन या सार्वजनिक नोटिस जारी किए रेलवे में लोगों की नियुक्ति की गई.

एजेंसी ने 20 मई को पटना में लालू प्रसाद के आवास और अन्य स्थानों पर भी छापेमारी की थी.

अधिकारियों ने बताया था कि जांच एजेंसी ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की है. धारा 120बी आपराधिक षड्यंत्र से जुड़ी है.

यह नया मामला तब दर्ज किया गया था, जब कुछ हफ्ते पहले यादव को चारा घोटाला मामले में जमानत पर रिहा किया गया. इस मामले में रांची में विशेष अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया था.

द हिंदू के मुताबिक, यह मामला 23 सितंबर, 2021 को शुरू की गई सीबीआई की प्रारंभिक जांच पर आधारित है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि 2004-09 के दौरान कई व्यक्तियों को जमीन के बदले में विभिन्न क्षेत्रों में ग्रुप-डी पदों के विकल्प (Substitute) के रूप में नियुक्त किया गया था. बाद में लाभार्थियों को नियमित किया गया.

आरोप लगाया गया था, नियुक्तियों के लिए कोई विज्ञापन या सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया गया था. लाभार्थियों के आवेदनों को संबंधित विभागों को ठीक से संबोधित नहीं किया गया था, बल्कि इसके बजाय निर्धारित नियमों के कथित उल्लंघन में संसाधित किया गया था.

एफआईआर में कहा गया है, ‘उम्मीदवारों के कुछ आवेदनों को संसाधित करने में अनुचित जल्दबाजी दिखाई गई और आश्चर्यजनक रूप से संबंधित आवेदन प्राप्त होने की तारीख से तीन दिनों के भीतर उनकी नियुक्ति को मंजूरी दे दी गई.’

एफआईआर में कहा गया है कि पटना के कई निवासियों को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में नियुक्त किया गया था. रिश्वत के रूप में दिए गए भूखंडों को प्रसाद के परिवार के सदस्यों और एके इंफोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर स्थानांतरित कर दिया गया था.

एफआईआर ने कहा कि एजेंसी ने ऐसे सात मामलों का पता लगाया, जिनमें एक परिवार के चार सदस्यों को 2008 में नियुक्त किया गया था. राबड़ी देवी के पक्ष में तीन बिक्री विलेख निष्पादित किए गए, एक भूखंड भारती के नाम पर स्थानांतरित की गई और दूसरी एके इंफोसिस्टम्स को बेची गई, जिनकी संपत्ति बाद में प्रसाद की पत्नी और एक बेटी ने 2014 में अपने कब्जे में ले ली.

सत्तारूढ़ भाजपा के विरोध के कारण भोला यादव के खिलाफ कार्रवाई: राजद

बिहार में विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल के नेता भोला यादव की गिरफ्तारी के बाद पार्टी ने आरोप लगाया है कि पार्टी अध्यक्ष लालू प्रसाद के विश्वस्त सहयोगी के खिलाफ कार्रवाई केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के विरोध का नतीजा है.

राजद के प्रदेश प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा, ‘यह कोई रहस्य नहीं है कि सीबीआई, ईडी और आईटी विभाग जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल भाजपा के राजनीतिक विरोधियों को परेशान करने के लिए किया जा रहा है. भोला बाबू की गिरफ्तारी इसकी पराकाष्ठा है.’

राजद महासचिव एवं पूर्व विधायक भोला यादव लंबे समय से राजद प्रमुख के विश्वासपात्र नेता के तौर पर जाने जाते हैं .

भोला यादव को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया, जहां वह पिछले महीने स्वास्थ्य बिगड़ने के बाद लालू को एयर एम्बुलेंस में ले जाने के बाद से वहां डेरा डाले हुए थे.

हालांकि भाजपा नेता और राज्य मंत्री नितिन नवीन ने राजद के आरोप का खंडन किया और दावा किया कि लालू और उनके साथी ने जो बोया था वही काट रहे हैं.

नवीन ने कहा, ‘लालू प्रसाद को चारा घोटाले के उन मामलों में सजा सुनाई गई है जो उनके बिहार के मुख्यमंत्री रहते हुए दर्ज किए गए थे.’

भाजपा नेता ने यह भी कहा कि लालू और उनके परिवार के सदस्यों का भी नाम भूखंड के बदले नौकरी घोटाले में था. नवीन ने जोर देकर कहा कि जो लोग दोषी हैं उन्हें एजेंसियों द्वारा कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)