यूपी: अफ़वाह फैलाने के आरोप में दक्षिणपंथी कार्यकर्ता मधु किश्वर के ख़िलाफ़ केस दर्ज

दक्षिणपंथी कार्यकर्ता और विद्वान मधु किश्वर ने सोशल मीडिया पर साल 2017 का एक वायरल वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें कांवड़ियों को ले जा रहे एक वाहन द्वारा कथित तौर पर एक मुस्लिम व्यक्ति को कुचलते हुए दिखाया गया था. वीडियो को उत्तर प्रदेश की सहारनपुर पुलिस ने असत्य और भ्रामक बताया है.

Madhu Kishwar. Credit: CC BY-SA 4.0/Wikimedia Commons

दक्षिणपंथी कार्यकर्ता और विद्वान मधु किश्वर ने सोशल मीडिया पर साल 2017 का एक वायरल वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें कांवड़ियों को ले जा रहे एक वाहन द्वारा कथित तौर पर एक मुस्लिम व्यक्ति को कुचलते हुए दिखाया गया था. वीडियो को उत्तर प्रदेश की सहारनपुर पुलिस ने असत्य और भ्रामक बताया है.

मधु किश्वर. (फोटो: Wikimedia Commons)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की सहारनपुर पुलिस ने दक्षिणपंथी कार्यकर्ता और विद्वान मधु किश्वर व चार अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. उन पर आरोप है कि उन्होंने एक समुदाय को उकसाने के इरादे से अफवाह फैलाई है.

किश्वर ने सोशल मीडिया पर 2017 में घटित हुई एक संवेदनशील घटना का वीडियो पोस्ट किया था, जिसके बाद उन पर मामला दर्ज किया गया है.

पुलिस ने बीते रविवार (24 जुलाई) को एक बयान में कहा कि एक वीडियो वायरल होने के बाद मामला दर्ज किया गया है, जिसमें दावा किया गया था कि सहारनपुर जिले के देवबंद शहर में कांवरियों को ले जा रहे एक वाहन द्वारा एक मुस्लिम व्यक्ति को कुचल दिया गया था.

किश्वर द्वारा साझा किए गए वीडियो में दावा किया गया है कि कांवड़ियों पर मुस्लिम व्यक्ति पर जान-बूझकर गाड़ी चढ़ाने का मामला दर्ज किया गया है.

स्क्रॉल की खबर के मुताबिक, सहारनपुर पुलिस ने स्पष्टीकरण देते हुए एक बयान जारी किया है कि घटना 2017 में हुई थी और मामले में कार्रवाई कर ली गई थी. पुलिस ने कहा कि वीडियो असत्य और भ्रामक है और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं से आग्रह किया वे इस पोस्ट को डिलीट कर दें.

रिपोर्ट में कहा गया है कि किश्वर और अन्य चारों आरोपियों ने पोस्ट नहीं हटाया.

चार अन्य सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं की पहचान – सख्त! प्राउड हिंदू (SH@KT! proud Hindu), सुधा शुक्ला, राज कमल और अनिल मानसिंग्का – के रूप में हुई है.

रिपोर्ट के मुताबिक, किश्वर और अन्य चारों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 505(2) (किसी वर्ग या समुदाय को उकसाने के इरादे से अफवाह प्रकाशित करना या फैलाना) और आईटी अधिनियम की धारा 66(डी) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

मामला देवबंद पुलिस थाने में दर्ज किया गया है.

अप्रैल में मधु किश्वर ने मुस्लिम समुदाय पर निशाना साधते हुए एक और आपत्तिजनक पोस्ट किया था. हालांकि बाद में उन्होंने इसे हटा दिया था.

उन्होंने लिखा था कि मुस्लिम पुरुषों की यौन कला (Sexual Prowess) उन्हें हिंदू, ईसाई और सिख लड़कियों को फुसलाने की इजाजत देती है. उन्होंने मुस्लिम पुरुषों को ‘प्रशिक्षित सांड’ बताया था और अप्रमाणित ‘लव जिहाद’ को एक नया नाम ‘सेक्स जिहाद’ दिया था.

झूठी खबरों का भांडाफोड़ करने वाली वेबसाइट ऑल्ट न्यूज ने इस संबंध में रिपोर्ट की थी. रिपोर्ट के मुताबिक, भारी विरोध के बाद उन्होंने अपना ट्वीट हटा दिया था.

23 जुलाई को उन्होंने पुलित्जर पुरस्कार विजेता भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी को एक ‘जिहादी’ बताया था. सिद्दीकी समाचार एजेंसी रॉयटर्स के लिए काम करते थे. बीते वर्ष 16 जुलाई को कंधार में अफगान सुरक्षा बलों और तालिबान के बीच मुठभेड़ को कवर करते हुए उनकी मौत हो गई थी.

2018 में उन्होंने गुड़गांव में स्कूल बस पर हुए हमले की घटना के बारे में ट्वीट किया था और पांच मुसलमानों को हमलावर बता दिया था. ऑल्ट न्यूज ने इस पोस्ट को भी तथ्यात्मक रूप से गलत पाया था. रिपोर्ट में आगे किश्वर द्वारा साझा किए गए ऐसे कुछ और भी पोस्ट गिनाए गए थे, जो झूठे और भ्रामक पाए गए थे.

उसी साल मई में जम्मू कश्मीर पुलिस ने एक भ्रामक ट्वीट साझा करने के चलते किश्वर को अपने समक्ष उपस्थित होने के लिए समन जारी किया था. ट्वीट में आरोप लगाया गया था कि 2016 में बुरहान वानी को मारने वाले एसपी को जम्मू कश्मीर के डीजीपी ने निलंबित कर दिया है.

दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की पूर्व छात्रा किश्वर लिंग-संबंधी मामलों और राजनीति पर लिखती रही हैं. वह महिलाओं और समाज पर आधारित पत्रिका ‘मानुषी’ की भी सह-संस्थापक हैं. वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुखर समर्थक हैं और उनके ऊपर एक किताब (Modi, Muslims and Media: Voices from Narendra Modi’s Gujarat) भी लिख चुकी हैं.

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