2014 से 2020 के बीच केंद्र की मोदी सरकार द्वारा विभिन्न सोशल मीडिया कंपनियों और टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं को जारी किए गए सामग्री हटाने या ब्लॉक करने संबंधी आदेशों की संख्या में लगभग 2,000 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2014 में ऐसे आदेशों की संख्या 471 थी, जो कि 2020 में बढ़कर 9,849 पहुंच गई. यह भारत में बढ़ती ऑनलाइन सेंसरशिप की प्रवृत्ति को उजागर करता है.
नई दिल्ली: भारत सरकार द्वारा 2022 के शुरुआती छह महीनों में ट्विटर को सामग्री हटाने और एकाउंट ब्लॉक करने संबंधी दिए गए आदेशों की संख्या 2019 के पूरे वर्ष के दौरान जारी किए गए, ऐसे ही आदेशों की कुल संख्या को भी पार गई है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इलेक्ट्रॉनिक और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर द्वारा बुधवार (27 जुलाई) को लोकसभा में प्रस्तुत किए गए आंकड़ों के अनुसार, जून 2022 तक ट्विटर को 1,122 ब्लॉकिंग के आदेश जारी किए गए थे, जबकि पूरे 2019 वर्ष में ऐसे आदेशों की संख्या 1,041 थी.
चंद्रशेखर द्वारा साझा किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2021 में ट्विटर को आईटी अधिनियम-2000 की धारा 69(ए) के तहत 2,851 ब्लॉकिंग आदेश जारी किए गए थे, जो कि किसी भी वर्ष में सर्वाधिक हैं.
संयोग से यह उस समय हुआ था, जब किसान आंदोलन के दौरान ट्विटर ने 250 एकाउंट को भड़काऊ ट्वीट साझा करने के चलते ब्लॉक कर दिया था और कंपनी को कोविड-19 से निपटने में सरकार की आलोचना करने वाले कुछ ट्वीट को हटाने का आदेश सरकार से मिला था.
गौरतलब है कि 2021 वही साल है, जब दिल्ली पुलिस की विशेष सेल की एक टीम ने ट्विटर इंडिया के दिल्ली और गुड़गांव के कार्यालयों पर दस्तक दी थी.
संसद के साथ साझा किए गए आंकड़ों से यह भी खुलासा होता है कि कम से कम 2016 के बाद से प्रत्येक वर्ष सोशल मीडिया मंचों को जारी किए गए कुल ब्लॉकिंग आदेशों में ट्विटर को जारी किए गए ब्लॉकिंग आदेशों की संख्या अधिक है, केवल 2018 इस मामले में अपवाद है.
उदाहरण के लिए पिछले साल दिसंबर में लोकसभा में दिए एक जवाब में केंद्रीय इलेक्टॉनिक एवं आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि 2016 में सरकार ने आईटी अधिनियम की धारा 69(ए) के तहत 633 ब्लॉकिंग आदेश जारी किए थे.
बुधवार को चंद्रशेखर द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, उस साल ट्विटर को 194 ब्लॉकिंग आदेश दिए गए थे. इसका मतलब हुआ कि उस साल जारी किए गए कुल ब्लॉकिंग आदेशों में ट्विटर को जारी किए गए आदेशों की संख्या 30 फीसदी से अधिक थी.
इसी तरह, 2017 में सरकार ने कुल 1,385 ब्लॉकिंग आदेश जारी किए, जिनमें से 588 ट्विटर को जारी किए गए थे, जो कि कुल ब्लॉकिंग आदेशों का 42 फीसदी से अधिक था.
बता दें कि कुल ब्लॉकिंग आदेशों में विभिन्न सोशल मीडिया मंच जैसे ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब के साथ-साथ विभिन्न टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) को भेजे गए वेबसाइटों को ब्लॉक करने संबंधी आदेश भी शामिल होते हैं.
2018 में जरूर ट्विटर को भेजे गए इन सेंसरशिप संबंधी आदेशों में गिरावट दर्ज की गई थी. उस साल जारी किए गए कुल 2,799 ब्लॉकिंग आदेशों में ट्विटर को भेजे गए आदेशों की संख्या केवल 8 फीसदी थी.
2019 में कुल 3,635 ब्लॉकिंग आदेशों में से 28 फीसदी से अधिक आदेश ट्विटर को भेजे गए थे और 2020 में कुल 9,849 ब्लॉकिंग आदेशों में से ट्विटर को 27 फीसदी से अधिक आदेश मिले थे.
फरवरी 2021 और 22 के बीच इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ट्विटर को आईटी अधिनियम-2000 की धारा 69(ए) के तहत 1,400 से अधिक एकाउंट और 175 ट्वीट्स को हटाने का निर्देश दिया है.
ट्विटर ने सरकार के आदेशों के खिलाफ इस महीने की शुरुआत में कर्नाटक हाईकोर्ट का रुख किया है. अपनी याचिका में उसने 39 ब्लॉकिंग आदेशों को रद्द करने की मांग की है.
इतना ही नहीं 2014 से 2020 के बीच सरकार द्वारा विभिन्न सोशल मीडिया कंपनियों और टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं को जारी किए गए सामग्री हटाने या ब्लॉक करने संबंधी आदेशों की संख्या में लगभग 2,000 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2014 में ऐसे आदेशों की संख्या 471 थी, जो कि 2020 में बढ़कर 9,849 पहुंच गई. यह भारत में बढ़ती ऑनलाइन सेंसरशिप की प्रवृत्ति को उजागर करता है.