नोटबंदी-जीएसटी से 40 प्रतिशत कम रहा दिवाली का कारोबार: व्यापारी संगठन

खुदरा व्यापारियों के संगठन कैट ने दावा किया कि यह पिछले 10 सालों की सबसे सुस्त दीपावली रही.

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Jammu : Women buying utensils in a market on the occasion of Dhanteras festival in Jammu on Tuesaday. PTI Photo (PTI10_17_2017_000051B)

खुदरा व्यापारियों के संगठन कैट ने दावा किया कि यह पिछले 10 सालों की सबसे सुस्त दीपावली रही.

Jammu : Women buying utensils in a market on the occasion of Dhanteras festival in Jammu on Tuesaday. PTI Photo (PTI10_17_2017_000051B)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दीपावली का त्योहार आमतौर पर कारोबार और व्यापार जगत के लिए उत्साहवर्धक रहता आया है पर असंगठित क्षेत्र के व्यापारियों के एक प्रमुख का कहना है कि इस साल नोटबंदी तथा जीएसटी के कारण यह तस्वीर बदली हुई थी.

संगठन का दावा है कि इस दीपावली बिक्री में पिछले साल की तुलना में 40 प्रतिशत की गिरावट आई और यह पिछले 10 सालों की सबसे सुस्त दीपावली मानी जा रही है.

खुदरा कारोबारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि कि देश में सालाना करीब 40 लाख करोड़ रुपये का खुदरा कारोबार होता है. इसमें संगठित क्षेत्र की हिस्सेदारी महज़ पांच प्रतिशत है जबकि शेष 95 प्रतिशत योगदान असंगठित क्षेत्र का है.

बयान के अनुसार, दीपावली के त्योहार के दस दिन पहले से शुरू होने वाली त्योहारी बिक्री पिछले सालों में करीब 50 हज़ार करोड़ रुपये की रही है. इस साल यह 40 प्रतिशत नीचे गिर गई और इस दृष्टि से यह पिछले दस सालों की सबसे ख़राब दीपावली रही है.

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि बाजारों में उपभोक्ताओं की कम उपस्थिति, सीमित ख़र्च आदि इस बार दीपावली के कारोबार के कम रहने के मुख्य कारण हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि नोटबंदी के बाद अस्थिर बाजार तथा वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था की दिक्कतों ने बाज़ार में संशय का माहौल तैयार किया जिसने उपभोक्ताओं और कारोबारियों दोनों की धारणा प्रभावित की.

रेडीमेड कपड़े, उपहार के सामान, रसोई के सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स, एफएमसीजी वस्तुएं, घड़ियां, बैग-ट्रॉली, घर की साज-सज्जा, सूखे मेवे, मिठाइयां, नमकीन, फर्नीचर, लाइट-बल्ब आदि चीज़ें दीपावली के दौरान मुख्य तौर पर ख़रीदी जाती हैं.

कैट ने कहा कि व्यापारियों की उम्मीदें अब विवाह के सीज़न पर लगी हुई हैं.