धनबाद जज हत्या: सीबीआई की विशेष अदालत ने ऑटो रिक्शा चालक और सहायक को दोषी ठहराया

झारखंड में सीबीआई की एक विशेष अदालत ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद की हत्या के मामले में ऑटोरिक्शा चालक लखन वर्मा और उसके सहायक राहुल वर्मा को दोषी ठहराया. दोनों दोषियों को छह अगस्त को सज़ा सुनाई जाएगी. धनबाद के 49 वर्षीय जज उत्तम आनंद पिछले साल 28 जुलाई की सुबह टहलने निकले थे, जब एक ऑटो रिक्शा उन्हें पीछे से टक्कर मारकर भाग गया था. 

जज उत्तम आनंद.

झारखंड में सीबीआई की एक विशेष अदालत ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद की हत्या के मामले में ऑटोरिक्शा चालक लखन वर्मा और उसके सहायक राहुल वर्मा को दोषी ठहराया. दोनों दोषियों को छह अगस्त को सज़ा सुनाई जाएगी. धनबाद के 49 वर्षीय जज उत्तम आनंद पिछले साल 28 जुलाई की सुबह टहलने निकले थे, जब एक ऑटो रिक्शा उन्हें पीछे से टक्कर मारकर भाग गया था.

जज उत्तम आनंद.

धनबाद: झारखंड में सीबीआई की एक विशेष अदालत ने धनबाद के न्यायाधीश उत्तम आनंद हत्याकांड मामले में एक ऑटोरिक्शा चालक और एक अन्य व्यक्ति को बृहस्पतिवार को दोषी करार दिया.

केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत के न्यायाधीश रजनीकांत पाठक ने पिछले साल 28 जुलाई को हुई अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आनंद की हत्या के मामले में ऑटोरिक्शा चालक लखन वर्मा और उसके सहायक राहुल वर्मा को दोषी ठहराया.

सीबीआई इसी साल फरवरी में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या), 201 (अपराध के सबूतों को गायब करना, या अपराधी को बचाने के लिए झूठी जानकारी देना) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत आरोप तय किए थे.

दोनों दोषियों को छह अगस्त को सजा सुनाई जाएगी.

न्यायाधीश आनंद की हत्या के मामले में सुनवाई इसी साल फरवरी में शुरू हुई थी. अदालत ने सुनवाई के दौरान 58 गवाहों के बयान दर्ज किए थे.

गौरतलब है कि धनबाद के 49 वर्षीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद पिछले साल 28 जुलाई की सुबह टहलने निकले थे, जब रणधीर चौक के पास एक ऑटो रिक्शा उन्हें पीछे से टक्कर मारकर भाग गया. पहले इस घटना को हिट एंड रन केस माना जा रहा था, लेकिन घटना का सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पता चला कि ऑटो रिक्शा चालक ने कथित तौर पर जान-बूझकर जज को टक्कर मारी थी.

मामले की जांच के लिए शुरू में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था, लेकिन बाद में झारखंड सरकार ने मामले को सीबीआई को सौंप दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल न्यायाधीश के ‘दुखद निधन’ पर स्वत: संज्ञान लिया था और झारखंड के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से इस मामले में स्थिति रिपोर्ट मांगी थी.

सीबीआई के अतिरिक्त लोक अभियोजक अमित जिंदल ने कहा कि अदालत ने पाया कि दोनों आरोपी नशे में नहीं थे.

जिंदल ने कहा कि अदालत ने यह भी फैसला सुनाया कि यह जान-बूझकर की गई हत्या का मामला है.

हालांकि, बचाव पक्ष के वकील कुमार बिमलेंदु ने मीडियाकर्मियों से कहा कि ‘सीबीआई ने हत्या की मनगढ़ंत कहानी रची.’ उन्होंने कहा कि लखन और राहुल फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे.

हत्या के इस मामले की सीबीआई जांच की झारखंड हाईकोर्ट, सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर निगरानी कर रहा है. हाईकोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच पर अनेक बार सवाल उठाए थे और कहा था कि सीबीआई मामले की जांच उचित ढंग से नहीं कर रही है.

हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2021 में कहा था कि सीबीआई द्वारा दायर की गई चार्जशीट एक उपन्यास की तरह है और एजेंसी दो आरोपियों के विरुद्ध हत्या के आरोप की पुष्टि नहीं कर पाई है.

22 अक्टूबर 2021 को अदालत ने कहा था कि ऐसा लग रहा है कि एजेंसी जांच पूरी करते हुई और ‘घिसे-पिटे ढर्रे’ पर आरोप-पत्र दाखिल करते हुए ‘बाबुओं’ की तरह काम कर रही है. ऐसा लगता है कि यह केवल औपचारिकता पूरी करने के लिए दाखिल किया गया है.

उससे पहले अगस्त माह में सीबीआई द्वारा जांच अपने हाथ में लेने के बाद पहली बार इस मामले की सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने जांच का उचित अपडेट नहीं दे पाने के लिए एजेंसी के जांच अधिकारी की खिंचाई करते हुए कहा था कि उन्हें विवरण के साथ मामले की पूरी जानकारी होनी चाहिए.

बीते 21 जनवरी को हाईकोर्ट ने कहा था कि ऐसा प्रतीत होता है कि सीबीआई अब इस मामले से अपना पिंड छुड़ाना चाहती है और वह आरोपियों को बचा रही है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)