झारखंड में सरकार गिराने की साज़िश असम के मुख्यमंत्री ने रची: कांग्रेस विधायक

बीती 30 जुलाई को झारखंड के तीन कांग्रेस विधायक पश्चिम बंगाल में भारी मात्रा में नकदी के साथ पकड़े गए थे. एक अन्य कांग्रेस विधायक कुमार जयमंगल ने रांची पुलिस में उनके ख़िलाफ़ दर्ज कराई शिकायत में दावा किया है कि तीनों विधायकों ने झारखंड सरकार गिराने के लिए उनसे भी संपर्क किया था और बताया था कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा के आदेश पर वे ऐसा कर रहे हैं.

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा. (फोटो: पीटीआई)

बीती 30 जुलाई को झारखंड के तीन कांग्रेस विधायक पश्चिम बंगाल में भारी मात्रा में नकदी के साथ पकड़े गए थे. एक अन्य कांग्रेस विधायक कुमार जयमंगल ने रांची पुलिस में उनके ख़िलाफ़ दर्ज कराई शिकायत में दावा किया है कि तीनों विधायकों ने झारखंड सरकार गिराने के लिए उनसे भी संपर्क किया था और बताया था कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा के आदेश पर वे ऐसा कर रहे हैं.

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा. (फोटो: पीटीआई)

गुवाहाटी/कोलकाता/रांची: झारखंड के तीन कांग्रेस विधायकों के पश्चिम बंगाल के हावड़ा में बड़ी मात्रा में नकदी के साथ पकड़े जाने और उनकी गिरफ्तारी के मामले में नया मोड़ आ गया है. राज्य की झामुमो-कांग्रेस की सरकार गिराने की साजिश का आरोप असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा पर लगा है.

राज्य के ही एक अन्य कांग्रेस विधायक ने आरोप लगाया है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस गठबंधन वाली सरकार को गिराने के इस प्रयास के पीछे असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा का हाथ था.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, तीनों विधायकों की गिरफ्तारी उस दिन हुई जब झारखंड के एक अन्य कांग्रेस विधायक कुमार जयमंगल ने रांची पुलिस में एक शिकायत दर्ज कराई, जिसमें तीनों गिरफ्तार विधायकों पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने कथित तौर पर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा के आदेश पर राज्य सरकार को गिराने के लिए उनको 10 करोड़ रुपये की पेशकश की थी.

झारखंड के तीन कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन बिक्सल कोंगारी के वाहन से पश्चिम बंगाल के हावड़ा में बीती 30 जुलाई को करीब 50 लाख रुपये बरामद हुए थे, जिसके बाद उन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया था.

बीते रविवार को पश्चिम बंगाल पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. अधिकारियों के मुताबिक, मामले को राज्य की सीआईडी को सौंप दिया गया है. इतना ही नहीं, कांग्रेस ने भी रविवार को तीनों विधायकों को पार्टी से निलंबित कर दिया था.

जयमंगल द्वारा दी गई शिकायत के आधार पर रांची के अरगोड़ा पुलिस थाने में गिरफ्तार विधायकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें उनके खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश, राष्ट्रद्रोह, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत आरोप लगाए गए हैं.

जयमंगल ने अपनी शिकायत में दावा किया कि तीनों विधायक मुझे कोलकाता बुला रहे थे और पैसों की पेशकश कर रहे थे और वे 10 करोड़ रुपये प्रति विधायक देने का वादा कर रहे थे.

उनकी शिकायत के अनुसार, ‘इरफान अंसारी और राजेश कच्छप चाहते हैं कि मैं कोलकाता आऊं और फिर वे मुझे गुवाहाटी ले जाएंगे जहां (अंसारी) के मुताबिक, वे मुझे हिमंता बिस्वा शर्मा से मिलाएंगे जो मुझे पैसों के अलावा एक निश्चित मंत्री पद का आश्वासन देंगे. अंसारी ने मुझे बताया है कि नई सरकार में उन्हें स्वास्थ्य मंत्री बनाने का दावा उनसे पहले ही किया जा चुका है. उन्होंने मुझसे यह भी कहा कि वे कल (30 जुलाई) कोलकाता पहुंचेंगे.’

शिकायत में आगे कहा गया है, ‘उन्होंने (अंसारी) कहा कि वह पहले ही अपने लोगों को पैसे ट्रांसफर करा चुके हैं.’ शिकायत के मुताबिक, अंसारी ने कहा कि शर्मा यह सब दिल्ली में बैठे भाजपा के शीर्ष नेताओं के आशीर्वाद से कर रहे हैं.

पुलिस ने बताया कि मामले में जीरो एफआईआर दर्ज कर ली गई है, जिसका अर्थ है कि इस पर कोलकाता में भी कार्रवाई हो सकती है.

वहीं, इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि शिकायत दबाव में दर्ज की गई है.

उन्होंने कहा, ‘यह अजीब है कि उनका (जयमंगल) यह कहना है कि उन्हें मुझ तक पहुंचने के लिए और यहां तक कि गुवाहाटी आने के लिए तीन विधायकों की जरूरत है. वे मुझे बहुत लंबे समय से जानते हैं, इसलिए उन्हें मुझ तक पहुंचने के लिए किसी मध्यस्थ की जरूरत नहीं है. एफआईआर में ऐसा प्रतीत होता है कि वे मुझे जानते तक नहीं हैं. इसलिए उन्होंने यह जरूर दबाव में लिखा होगा.’

शर्मा ने विधायक जयमंगल को कई सालों से जानने और अक्सर उनके साथ मुलाकात होने का दावा करते हुए कहा कि वे तो उनके पिता को भी जानते हैं, वे ट्रेड यूनियन के नेता हैं और असम में भी उनकी यूनियन है. शर्मा ने कहा कि वे यूनियन के मामले में उनके पिता की मदद करते रहते हैं.

साथ ही, मुख्यमंत्री ने कहा कि वे शिकायत के खिलाफ प्रतिक्रिया में कोई कदम उठाने की योजना नहीं बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि न सिर्फ झारखंड के कांग्रेस विधायक, बल्कि सभी कांग्रेस विधायक, फिर चाहे वह कर्नाटक के हों या महाराष्ट्र के, दैनिक आधार पर उनके संपर्क में हैं.

उन्होंने कहा, ‘बहुत से वरिष्ठ नेता और कांग्रेस के शीर्ष नेता सलाह के लिए मेरे संपर्क में रहते हैं. जब भी वे अपनी पार्टी से निराश होते हैं, तो वे आकर मुझसे मिलते हैं.’

समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा के मुताबिक, पूर्वोत्तर भारत में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कद्दावर नेता हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा कि कांग्रेस के नेता उनके पुराने मित्र हैं और यह बात सभी जानते हैं.

उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘कांग्रेस नेता पुराने मित्र होने के नाते मेरे संपर्क में रहते हैं. मैं 20 साल से अधिक समय तक उस पार्टी में रहा. जब वे यहां आते हैं, तो मुझसे मिलते हैं. जब मैं नई दिल्ली में होता हूं, तो उनसे मिलता हूं.’

बता दें कि शर्मा ने 2015 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था.

बहरहाल, इस बीच पश्चिम बंगाल में हावड़ा (ग्रामीण) की पुलिस अधीक्षक (एसपी) स्वाति भंगालिया ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा है कि मामले में जांच अभी जारी है.

उन्होंने कहा, ‘यह एक बड़ी बेहिसाब धनराशि है. उन्हें नकदी कहां से मिली, यह जांच का हिस्सा है. अभी के लिए पांच लोगों को गिरफ्तर किया गया है, क्योंकि वे नकदी को लेकर कोई उचित स्पष्टीकरण देने में असफल रहे.’

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, लंबी पूछताछ के बाद तीनों विधायकों के साथ ड्राइवर और एक अन्य सहायक को भी गिरफ्तार किया गया है. पांचों को एक स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जिसने उन्हें 10 दिनों की रिमांड पर पुलिस हिरासत में भेज दिया गया.

सूत्रों ने बताया, ‘जांच के दौरान हमें पता लगा कि विधायक शुक्रवार (29 जुलाई) को गुवाहाटी गए थे और शनिवार को लौटे. हालांकि, उनकी यात्रा का उद्देश्य पूछे जाने पर वे कोई उचित स्पष्टीकरण नहीं दे सके.’

सूत्रों ने बताया कि एक गुप्त सूचना के बाद हिरासत में लिए जाने के बाद शुरुआत में विधायकों ने दावा किया था कि वे कोलकाता के लोकप्रिय मार्केट बुर्राबाजार से झारखंड के आदिवासी त्योहार के लिए साड़ियां खरीदने जा रहे हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)