विदेश यात्रा के लिए केंद्र की अनुमति लेने से जुड़े प्रावधान के ख़िलाफ़ अदालत पहुंचे दिल्ली के मंत्री

दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने प्रदेश के मुख्यमंत्री व अन्य मंत्रियों की विदेश यात्रा के लिए केंद्र सरकार की राजनीतिक मंज़ूरी लेने से संबंधित प्रावधान को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए इस बारे में उचित दिशानिर्देश तैयार करने की मांग की है.

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(फाइल फोटो: पीटीआई)

दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने प्रदेश के मुख्यमंत्री व अन्य मंत्रियों की विदेश यात्रा के लिए केंद्र सरकार की राजनीतिक मंज़ूरी लेने से संबंधित प्रावधान को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए इस बारे में उचित दिशानिर्देश तैयार करने की मांग की है.

(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने प्रदेश के मुख्यमंत्री व अन्य मंत्रियों की विदेश यात्रा के लिए केंद्र सरकार की राजनीतिक मंजूरी लेने से संबंधित प्रावधान को सोमवार को उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर चुनौती दी.

यह याचिका हाल के एक मामले की पृष्ठभूमि में दायर की गई है, जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 31 जुलाई से 7 अगस्त तक 8वें विश्व शहर शिखर सम्मेलन के लिए सिंगापुर जाने की अनुमति नहीं दी गई थी.

याचिका में कहा गया है कि यह इस तरह ‘विशेषाधिकार के दुरुपयोग’ का पहला उदाहरण नहीं है और मुख्यमंत्री को 2019 में कोपेनहेगन में सी-40 विश्व महापौर शिखर सम्मेलन में भाग लेने की अनुमति से इनकार कर दिया गया था.

याचिका में दावा किया गया है कि गहलोत ने ‘ट्रांसपोर्ट फॉर लंदन’ के निमंत्रण पर लंदन जाने की अनुमति मांगी थी, लेकिन केंद्र सरकार के संबंधित अधिकारियों की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.

मामले से जुड़े एक वकील ने बताया कि आम आदमी पार्टी (आप) के नेता गहलोत ने निर्वाचित प्रतिनिधियों को व्यक्तिगत और आधिकारिक यात्राओं की अनुमति देने या अनुमति नहीं देने की केंद्र सरकार की शक्ति के संबंध में उचित दिशानिर्देश तैयार करने की मांग की है.

जस्टिस यशवंत वर्मा ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह एक अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करे, जिसमें व्यक्तिगत विदेश यात्राओं की अनुमति से संबंधित मांग की गई हो.

इस मामले में गहलोत का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने किया. अदालत ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 22 अगस्त को सूचीबद्ध किया है.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, याचिका में कहा गया है कि ये सभी दौरे शहरी शासन में सुधार और शहरी डिजाइन में दिल्ली की अपनी प्रगति को प्रदर्शित करने के लिए विचारों के आदान-प्रदान के लिए आमंत्रण और महत्वपूर्ण थे.

उन्होंने दावा किया कि जिस सख्ती से केंद्रीय अधिकारियों ने यात्रा मंजूरी पर अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया है, उसकी बद से बदतर होती स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वे चाहते हैं कि मंत्रियों की व्यक्तिगत यात्राओं को भी उनके द्वारा मंजूरी दी जानी चाहिए.

गहलोत की याचिका में कार्यालय ज्ञापन (ओएम) को रद्द करने की मांग की गई है कि राज्य सरकार के मंत्रियों को विदेश में व्यक्तिगत यात्राओं के लिए केंद्र से राजनीतिक मंजूरी लेने की आवश्यकता है.

इसने एलजी द्वारा 20 जुलाई को दिल्ली सरकार को मुख्यमंत्री के दौरे के खिलाफ सलाह देने वाले एक बिना तारीख वाले पत्र को रद्द करने की भी मांग की.

इसमें कहा गया है कि ‘प्रतिवादियों द्वारा राजनीतिक मंजूरी के आधार पर राज्य के पदाधिकारियों को निजी कारणों से विदेश यात्रा करने की अनुमति न देने का अधिकार न केवल संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित निजता के अधिकार बल्कि पदाधिकारियों को मिली संवैधानिक पद की गरिमा का भी उल्लंघन है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)